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भूत-प्रेत की बाधा दूर करते हैं ये स्टोन


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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क्या आपको अपने आसपास किसी के होने का एहसास होता है, जो दिखाई नहीं देता लेकिन लगता है कि कोई आसपास है। क्या कभी आप घर में अकेले हों लेकिन ऐसा लगता है कि आपको कोई घूर रहा है, क्या आपको अचानक से बैठे-बैठे कंपकंपी लगती है, कभी अचानक तेज गर्मी तो कभी अचानक ठंड लगने लगती है। क्या रात में आपको डरावने सपने आते हैं, नींद में आपको सीने में भारीपन और घबराहट सी महसूस होती है।

यदि आपके साथ ऐसे लक्षण हो रहे हैं तो सावधान होने की जरूरत है। आपके घर में कोई नकारात्मक ऊर्जा आ चुकी है और आप उससे घिरते जा रहे हैं। यदि लगातार आपके साथ ऐसा कुछ हो रहा है तो यह आपके लिए घातक भी हो सकता है। इसके लिए रत्न ज्योतिष में कुछ ऐसे रत्न बताए गए हैं जिन्हें आप धारण करेंगे तो ऐसी अनेक नकारात्मक ऊर्जाओं से बच सकेंगे। ये रत्न भूत-प्रेत की बाधाएं दूर करने की शक्ति रखते हैं।

ब्लैक तुरमली (black tourmaline)
यह एक ऐसा काला चिकना पत्थर होता है जो आपको सभी तरह की नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है। इसे अंगूठी, पेंडेंट और माला के रूप में पहना जा सकता है।

ब्लैक ओनेक्स (black onyx)
इस स्टोन को पहनने से शरीर की नकारात्मक ऊर्जा तो बाहर निकलती ही है आपके अंदर चुनौतियों से लड़ने का आत्मविश्वास आ जाता है। ब्लैक ओनेक्स को पिरामिडनुमा पेंडेंट में पहनना चाहिए।

टाइगर आई (tiger eye)
यह सबसे पावरफुल स्टोन होता है। इसे पहनने से आपके आसपास जितनी भी नकारात्मक ऊर्जा आ गई है वह दूर हो सकती है। इसे बड़े आकार में अंगूठी के रूप में पहना जाता है।

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क्या हैं लाभ
इन तीनों में से कोई एक स्टोन आपको अवश्य धारण करना चाहिए। इससे आपको मानसिक मजबूती मिलती है। आपको अपने कामकाज करने में आत्मविश्वास रहने से काम आसानी से सफल हो जाते हैं। जिन लोगों को मिर्गी, स्ट्रोक या मानसिक रोग है उन्हें ये स्टोन अवश्य पहनने चाहिए।

मानसिक रोगियों को इन स्टोन को पानी में डालकर वो पानी पिलाना चाहिए, इससे कुछ ही महीनों में मानसिक रोग दूर होकर व्यक्ति पूरी तरह स्वस्थ हो जाता है।

इन स्टोन को धारण करने से व्यक्ति कठिन से कठिन चुनौतियों का सामना करने का सामर्थ्य प्राप्त कर लेता है और कोई चुनौती उसे बड़ी नहीं लगती, वह सभी पर जीत प्राप्त कर लेता है। विद्यार्थियों को टाइगर आई जरूर पहनना चाहिए।

मंगलवार को करें यह काम, खुल जाएगी किस्मत


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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यदि आप संकटों से घिरे हुए हैं, जी-जान से मेहनत करने के बाद भी धन नहीं आ रहा है, कर्ज में डूबते जा रहे हैं, रोग आपको या आपके परिवार को घेरे हुए है, बार-बार दुर्घटना हो रही है तो मंगलवार के दिन आपको ये उपाय अवश्य करने चाहिए।

अष्टसिद्धि, नवनिधि के दाता हनुमानजी महाराज स्मरण करने मात्र से किसी न किसी रूप में प्रकट होकर आपकी समस्याओं का समाधान अवश्य करते हैं। मंगलवार हनुमानजी का सबसे प्रिय दिन होता है, क्योंकि इसी दिन उनका जन्म हुआ था। मंगलवार को हनुमानजी से जुड़े उपाय करने से, उनकी विशेष पूजा करने से, उनके मंत्रों का जाप करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और किसी न किसी रूप में आपकी समस्या का हल प्रदान करते हैं। आइए जानते हैं हनुमानजी को प्रसन्न करने के उपाय-

मंगलवार के दिन किसी ऐसे हनुमान मंदिर का चयन करें जो निर्जन स्थान में, जंगल में या शहर-गांव की सीमा से बाहर हो। ऐसे मंदिर में जाकर वहां साफ-सफाई करें। हनुमानजी को चमेली के तेल में घोलकर सिंदूर का चोला चढ़ाएं। उन्हें सुंदर लाल रंग की लंगोट पहनाएं। उत्तरीय वस्त्र पहनाएं। जनेऊ धारण करवाएं। आकर्षक श्रृंगार करें। चमेली के फूलों की माला पहनाएं। मीठे पान का बीड़ा भेंट करें। गुड़-चने का नैवेद्य लगाएं, श्रीफल अर्पित करें। फिर उसी मंदिर में बैठकर सात बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। इसके बाद उनसे अपने अभीष्ट कामना की पूर्ति का अनुरोध करें और फिर कर्पूर से आरती करें। आपकी सारी समस्याओं का समाधान सात दिन के अंदर हो जाएगा।

मंगलवार के दिन सिद्ध हनुमान कड़ा धारण करें। यह कड़ा पंचधातु से बना हुआ होना चाहिए। इस कड़े को हनुमानजी के चरणों में रखकर ऊं हं हनुमते नम: मंत्र की 11 माला से सिद्ध करें। मंगलवार के दिन इसे पहनने से आपके सारे संकट दूर हो जाएंगे। धन, संपत्ति, सुख, सम्मान, निरोगी शरीर की प्राप्ति होती है।

मंगलवार के दिन हनुमान यंत्र की स्थापना घर में करना चाहिए। यह यंत्र पंचधातु में बना हुआ होना चाहिए। इस यंत्र को घर के पूजा स्थान में रखकर इसका नित्य दर्शन-पूजन करने से सारे संकट दूर हो जाते हैं।

मंगलवार के दिन एक पानी वाला नारियल लें। इस पर सिंदूर से श्री राम लिखें। इसे आंकड़े के पत्तों में लपेटें और ऊपर से मौली से बांध दें। इस नारियल को हनुमानजी के चरणों में रखें और अपनी समस्याओं का समाधान करने की प्रार्थना करें। इसके बाद इस नारियल को ले जाकर नदी में विसर्जित कर आएं। नदी न हो तो तालाब, कुएं, बावड़ी में डाल आएं।

9 नवंबर कार्तिक अष्टमी पर करें दान, मिलेगा लाख गुना फल


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को महादानी अष्टमी या फलदानी अष्टमी भी कहा जाता है। शिवपुराण का कथन है कि इस अष्टमी के दिन श्रवण नक्षत्र की साक्षी में महायोग बनता है, जिसमें दान की गई वस्तुएं, धन, स्वर्ण आदि लाख गुना होकर मनुष्य को प्राप्त होता है। इस दिन दान करने वाले मनुष्यों को महा पुण्यफल की प्राप्ति होती है और वह कभी समाप्त न होने वाले स्वर्ण भंडार का मालिक बनता है। इसलिए इस दिन मनुष्यों को अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार धन, स्वर्ण, फल, खाद्य वस्तुओं का दान करना चाहिए।

किन्हें करें दान
कार्तिक शुक्ल अष्टमी के दिन श्रेष्ठ ब्राह्मण को धन आदि का दान अवश्य देना चाहिए। यदि उत्तम ब्राह्मण उपलब्ध न हो तो किसी निर्धन परिवार, निशक्त परिवार को वस्तुओं का दान करें।

क्या है महत्व
शिव महापुराण के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन भगवान शिव और मां पार्वती पृथ्वी पर भ्रमण करने निकले। इस दौरान उन्होंने साधु और साध्वी का भेष बनाया और एक निर्धन व्यक्ति के द्वार पर जा पहुंचे। निर्धन व्यक्ति ने साधु और साध्वी को देखा तो हाथ जोड़कर आंखें में अश्रु लेकर बोला- महाराज मैं अत्यंत गरीब हूं। मेरे पर आपको देने के लिए कुछ नहीं है। इस पर साधु रूप में शिवजी ने कहा कि तुम्हारी कुटिया की छत पर जो सूखा फल पड़ा हुआ है वही हमें दे दो। व्यक्ति ने देखा तो छत पर सचमुच एक सूखा फल पड़ा हुआ था। उसने वह साधु को भेंट कर दिया। इस पर शिवजी ने आशीर्वाद दिया कि जा आज से तेरी गरीबी दूर हुई। तुझे ऐसे एक लाख स्वर्ण के फल प्राप्त होंगे। इतना कहकर शिवजी और मां पार्वती चले गए। उस निर्धन व्यक्ति के दिन फिर गए और उसे एक लाख स्वर्ण फल प्राप्त हुए।

नीचे दिए गए क्यूआर कोड पर आप भी दान करें राशि
आप पाठकों की सुविधा के लिए हम नीचे एक नंबर और क्यूआर कोड दे रहे हैं। गूगल पे, पेटीएम के माध्यम से आप इस महा अष्टमी के दिन धन का दान करें। आपका धन निशक्त, निर्धन और गरीबों तक पहुंचाया जाएगा। यह धन निर्धन लोगों को भोजन करवाने, उनके उपचार, गरीब बच्चों की शिक्षा जैसे पुनीत कार्य में खर्च किया जाएगा। इस दिन किया गया दान आपको एक लाख गुना होकर निश्चित रूप से प्राप्त होगा।

3 नवंबर को बंद हो जाएंगे केदारनाथ धाम के पट


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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12 ज्योतिर्लिंगों में से एक जन-जन की आस्था के केंद्र विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट 3 नवंबर 2024 को प्रात: ठीक 8:30 बजे बंद कर दिए जाएंगे। प्रतिवर्ष शीतकाल के दौरान मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। केदारनाथ धाम के कपाट छह महीने के लिए बंद किए जाते हैं। इसके बाद अप्रैल-मई में पुन: कपाट खोले जाते हैं।

शनिवार को विशेष पूजा अर्चना के बाद केदारबाबा की पंचमुखी डोली को मंदिर में विराजमान किया गया। केदारनाथ में कपाट बंद होने के कारण आगामी छह महीने की पूजा अर्चना एवं भोले बाबा के दर्शन ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में होते हैं।

क्या रहेगी योजना
3 नवंबर भाईदूज के अवसर पर परंपरानुसार रात्रि 2 बजे से 3:30 बजे तक भक्तों को जलाभिषेक करने की अनुमति रहेगी। इसके बाद गर्भगृह की साफ सफाई करने के बाद तड़के 4:30 बजे बाबा केदारनाथ को पूजा अर्चना, अभिषेक एवं आरती करने के साथ ही भोग लगाया जाएगा। इसके बाद समाधि पूजा करने के बाद भगवान को छह महीने की समाधि दी जाएगी। प्रात: ठीक 6 बजे गर्भगृह के कपाट बंद कर दिए जाएंगे और सभामंडप में स्थापित बाबा केदार की पंचमुखी डोली के सुबह 8:30 बजे मंदिर से बाहर आने के बाद पौराणिक विधिविधान के साथ मंदिर के मुख्य कपाट के साथ ही पीछे के कपाट को बंद कर सील कर दिया जाएगा।

रामपुर में पहला पड़ाव
केदारनाथ से रवाना होगा इसी दिन बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली रात्रि प्रवास के लिए अपने पहले पड़ाव रामपुर पहुंचेगी। 4 नवंबर को डोली रामपुर से प्रातः प्रस्थान कर फाटा, नारायकोटी होते हुए रात्रि विश्राम के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। 5 नवंबर को चल-विग्रह डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी से प्रस्थान कर 11 बजकर 20 बजे अपने शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी। पूर्व परंपरा के अनुसार अपने गद्दी स्थल पर डोली को विराजमान किया जाएगा।

खास बात
केदारनाथ मंदिर उत्तरी भारत के पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है, जो समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है। इस क्षेत्र का ऐतिहासिक नाम “केदार खंड” है। केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड में चार धाम और पंच केदार का एक हिस्सा है और भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

2025 में कब खुलेंगे कपाट
केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई 2025 को प्रात: 4 बजकर 15 मिनट पर मेष लग्न में खोले जाएंगे।

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शुभ नहीं है गुरु-शुक्र का एक-दूसरे की राशि में गोचर


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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शुक्र 7 नवंबर 2024 से गुरु की राशि धनु में प्रवेश कर रहा है और गुरु पूर्व से ही शुक्र की राशि वृषभ में है। इन दोनों ग्रहों का एक-दूसरे की राशि में गोचर करना शुभ नहीं होता है। यह एक प्रकार के द्वंद्व योग का निर्माण करता है। इस योग के प्रभाव में लोगों में आपसी मतभेद उभरते हैं, विवाद होते हैं और संबंध खराब होते हैं। दांपत्य, वैवाहिक जीवन में परेशानी आती है और लोग कई निर्णय लेने में भ्रम की स्थिति में रहते हैं। शुक्र 2 दिसंबर 2024 को राशि बदलकर मकर में जाएगा तब तक का 26 दिन का समय सभी राशि के जातकों को संयमपूर्वक और शांति से रहना होगा।

राशियों पर असर
मेष : संपत्ति और धन को लेकर भाई-बहनों से विवाद होगा। आपकी बात को महत्व नहीं मिलने से परेशान रहेंगे।
वृषभ : आर्थिक कष्ट आएगा। परिवार में संबंध खराब होंगे। आपकी वाणी खराब होने से लोग आपसे दूर जाएंगे।
मिथुन : दांपत्य जीवन में टकराव हो सकता है, विवादों में फंस सकते हैं। साझेदारी के कार्यों में सतर्कता रखें।
कर्क : मानसिक रूप से विचलित रहेंगे। शत्रु परेशान करेंगे। धन आएगा किंतु खर्च उससे अधिक हो जाएगा।
सिंह : प्रेम संबंध टूट सकते हैं। हालांकि पैसा अच्छा आएगा। भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि होने के संकेत हैं।
कन्या : सुख प्राप्त होगा, पैसा आएगा, दांपत्य जीवन में विवाद हो सकता है। अपनी बात मनवाने पर जोर न दें।
तुला : समय कष्टकारी है। भाई-बहनों से विवाद बढ़ सकता है। शारीरिक कष्ट आएगा। धन की हानि हो सकती है।
वृश्चिक : अपनी वाणी के कारण स्वयं ही मुसीबत में फंसेंगे, पैसों को लेकर विवाद होगा। स्वास्थ्य बिगड़ेगा।
धनु : पैसों का अपव्यय होगा। शारीरिक कष्ट के उपचार में धन खर्च होगा। पति-पत्नी में विवाद हो सकता है।
मकर : परिवार के साथ सामंजस्य बनाने का प्रयास करें। पति-पत्नी में टकराव होगा। शारीरिक कष्ट होगा।
कुंभ : धन आएगा किंतु खर्च भी हो जाएगा। परिवार से विवाद होगा। आपकी वाणी का प्रभाव कम होगा।
मीन : पिता से विवाद हो सकता है। शारीरिक कष्ट आ सकता है। साझेदारी में कोई कार्य प्रारंभ न करें।

क्या उपाय करें
शुक्र के धनु में गोचर के दौरान 24 दिन सभी राशियों के जातक भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण का नित्य दर्शन-पूजन करें। भगवान विष्णु को तुलसीदल नियमित रूप से अर्पित करें। सायंकाल तुलसी के समीप दीपक लगाएं।

बुध ने बदली राशि, व्यापार में होगा खूब लाभ


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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व्यापार व्यवसाय के प्रतिनिधि ग्रह बुध ने 29 अक्टूबर 2024 की रात में 10 बजकर 39 मिनट पर अपनी राशि बदली है। बुध तुला से निकलकर वृश्चिक राशि में पहुंच गया है। बुध के मंगल की राशि में गोचर करने से व्यापारी वर्ग पर विशेष प्रभाव पड़ने वाला है। चूंकि मंगल धन का ग्रह है और बुध व्यापार का तो इस गोचर का लाभ व्यापारी वर्ग को अधिक मिलने वाला है। इस गोचर के दौरान व्यापारी वर्ग का काम शानदार तरीके से चलेगा। बिजनेस में अपेक्षा से अधिक लाभ होगा और नए कामकाज भी प्रारंभ करेंगे। राशियों पर भी इसका विशिष्ट प्रभाव पड़ने वाला है। बुध के वृश्चिक राशि में शुक्र के साथ संयोग होने से लक्ष्मीनारायण योग बन रहा है जो धन प्रदायक है।

आइए जानते हैं सभी राशियों पर प्रभाव
मेष : अष्टम भाव में बुध का गोचर होने के कारण यहां आपके खर्च में कमी आने वाली है, हालांकि आपको नए कामकाज प्रारंभ करने में सतर्कता रखनी होगी। अनावश्यक और बिना सोचे-समझे निवेश करना भारी पड़ सकता है।

वृषभ : बुध का गोचर आपके सप्तम भाव में होगा। साझेदारी में व्यापार खूब फलेगा। धन की प्राप्ति होगी। कर्ज मुक्ति होगी। आर्थिक संकट दूर होगा। जीवनसाथी की ओर से कामकाज में पूरा सहयोग मिलने वाला है।

मिथुन : छठे भाव में बुध आने से आप विवेकपूर्ण तरीके से निर्णय लेकर अपने विरोधियों को परास्त करने में सफल होंगे। धन आएगा, पुराना कर्ज चुकाने की स्थिति में आ जाएंगे। संपत्ति का निर्माण करेंगे। नए काम शुरू करें लाभ होगा।

कर्क : पंचम का बुध आपको नए काम की ओर प्रेरित करेगा। इसमें आपका कोई करीबी व्यक्ति सहयोग करेगा। हालांकि आपको स्थिर निर्णय लेना होगा। बार-बार निर्णय बदलेंगे तो लाभ की बजाय हानि भी हो सकती है।

सिंह : चतुर्थ का बुध धन लाभ भरपूर करवाने वाला है। कर्ज मुक्ति होगी, आर्थिक संकट दूर होगा। नए व्यापारिक अनुबंध होंगे और नए कामकाज भी प्रारंभ करेंगे। माता की ओर से धन मिलने वाला है। संपत्ति सुख प्राप्त होगा।

कन्या : तृतीय का बुध संकेत दे रहा है कि नए काम प्रारंभ तो कर सकते हैं किंतु भाई-बहनों के साथ मिलकर शुरू न करें। स्वतंत्र रूप से प्रारंभ करेंगे तो ही लाभ होगा। संपत्ति संबंधी कार्यों का सही निर्णय सही समय पर ले पाएंगे।

तुला : द्वितीय धन भाव का बुध आपको लिए शुभ है, किंतु खर्च की अधिकता भी रहेगी। अनावश्यक खर्चों से बचना होगा। व्यापार में किसी कम जान पहचान वाले व्यक्ति को जोड़ना हानिप्रद हो सकता है। इसलिए सतर्क रहें।

वृश्चिक : इसी राशि में बुध आ रहा है जो आपके लिए बेहतर रहने वाला है। बुध के गोचर के दौरान आप जो काम प्रारंभ करना चाहते हैं वे सफलतापूर्व शुरू हो कर सकेंगे। साझेदारी के काम भी फलीभूत होंगे। पैसा आएगा। कर्ज चुकाएंगे।

धनु : द्वादश का बुध लाभ तो देगा किंतु अचानक बड़ा झटका भी दे सकता है। कोर्ट-कचहरी के निर्णय आपके विरूद्ध आ सकते हैं। धन खर्च भी अधिक होगा। किसी नए व्यक्ति को अपने बिजनेस से न जोड़े, नुकसान हो सकता है।

मकर : लाभ भाव का बुध व्यापार में बड़ी सफलता देने का संकेत दे रहा है। यदि पूर्व से कोई योजना तैयार कर रखी है तो उसे धरातल पर उतारने का प्रयास करें। प्रिय व्यक्ति का साथ मिलने से कामकाज श्रेष्ठता हासिल करेगा।

कुंभ : बुध का गोचर दशम में होगा जो संकेत दे रहा है कि वर्तमान काम के साथ-साथ आप दूसरे अन्य काम भी शुरू करेंगे। हालांकि बड़े व्यापार के लिए कर्ज लेना पड़ सकता है। महिला मित्रों के साथ मिलकर काम करेंगे।

मीन : भाग्य भाव का बुध आपको प्रबल सुख प्रदान करने वाला है। कामकाज के लिहाज से तो यह गोचर श्रेष्ठ रहेगा ही, आर्थिक लाभ भी होंगे। आय के नए स्रोत प्राप्त होंगे। कर्ज मुक्ति होगी। वर्तमान व्यापार से उत्तम लाभ मिलेगा।

धनतेरस पर धन की वर्षा करने वाले पांच टोटके


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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धन त्रयोदशी की रात्रि को धन की वर्षा करवाने वाली रात्रि कहा गया है। यह रात्रि भी दीपावली की रात्रि की तरह सिद्ध रात होती है। तांत्रिक लोग कार्तिक अमावस्या से पूर्व कार्तिक त्रयोदशी की रात में भी अनेक तांत्रिक क्रियाएं करते हैं। इनमें से कई क्रियाएं ऐसी होती हैं जो आमजन भी अपने घर में कर सकते हैं। उनसे हानि कुछ नहीं होती बल्कि धन लाभ ही होता है। ये सारे उपाय और टोटके तंत्र शास्त्रों में वणित हैं। इस धन तेरस 29 अक्टूबर को आप इन्हें आजमाकर अपने घर में धन की वर्षा कर सकते हैं।

1. धनतेरस पर प्रदोषकाल में कुबेर का पूजन करें। इसके बाद मिट्टी के 13 चौकोर दीपक लगाएं। इन दीपों में एक-एक सफेद कौड़ी डालें और सरसों का तेल भरकर प्रज्वलित करें। जब दीपक पूर्ण हो जाए तो इन कौड़ियों को निकालकर आधी रात के बाद घर के उत्तरी भाग में दबा दें। इससे आपको धन लाभ होने लगेगा और पैसों की बचत भी होने लगेगी।

2. धनतेरस के दिन मिट्टी के 13 दीपक लेकर इनका विधिवत पूजन करें। इन दीपकों में एक-एक केसर का धागा डालें। कुबेर देवता से प्रसन्न होने की प्रार्थना करें और इन्हें अपने घर के चारों ओर चारों दिशाओं में रख दें।

3. धनतेरस की मध्यरात्रि में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। इस पर कुबेर यंत्र स्थापित करें। इसे गंगाजल से स्नान करवाकर केसर की नौ बिंदियां लगाएं। पूजन में केसर रंगे चावल का प्रयोग करें। श्रीसूक्त का पाठ करें और फिर इस यंत्र को उसी लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें। धन की वृद्धि होगी। ध्यान रहे यह पूरी पूजा उत्तरमुखी बैठकर करना चाहिए। बैठने के लिए लाल कंबल के आसन का प्रयोग करें।

4. धनतेरस से पूर्व पेड़ देख आएं जिस पर उल्लू बैठता हो। फिर धनतेरस की रात्रि में उस पेड़ की एक टहनी तोड़कर ले आएं। उस टहनी का पूजन कर तिजोरी में रखने से कभी धन की कमी नहीं होती है। जो धन पास में होता है वह बढ़ने लगता है।

5. धनतेरस के दिन एक पीतल का कलश खरीदें। इसमें जल भरकर एक चौकी पर स्थापित करें। इस पर केसर-चंदन से स्वस्तिक बनाएं और इस पर श्रीं लिखें। कलश के मुख पर मौली बांधें। इसके ऊपर एक मिट्टी का दीपक रखकर प्रज्वलित करें। दीपक प्रदोष काल से लेकर रात्रि में 3.30 बजे तक जलना चाहिए। इससे धन का संकट दूर हो जाता है।

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दीपावली पूजन मुहूर्त, गुरुवार 31 अक्टूबर 2024

दीपावली पूजन मुहूर्त, गुरुवार 31 अक्टूबर 2024


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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कार्तिक अमावस्या पर 31 अक्टूबर 2024 गुरुवार को दीपावली मनाई जाएगी। इस दिन प्रदोषकाल में अमावस्या और मध्यरात्रि निशिथकाल में भी अमावस्या होने के कारण इसी दिन महालक्ष्मी पूजन होगा। इसलिए किसी भी प्रकार के भ्रम में न पड़ते हुए 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाएं।

31 अक्टूबर को अमावस्या दोपहर 3:52 बजे से प्रारंभ होगी जो 1 नवंबर को सायं 6:16 बजे तक रहेगी। 31 अक्टूबर को प्रदोष काल और निशिथकाल में अमावस्या मिलेगी। इसलिए यही दिन लक्ष्मीपूजन के लिए श्रेष्ठ रहेगा।

लक्ष्मी पूजन में क्या विशेष
लक्ष्मी पूजन में कुछ चीजों का विशेष महत्व होता है। सभी लोग पूजा तो अपनी परंपरा से प्राप्त विधि के अनुसार करते ही हैं किंतु लक्ष्मी पूजा में कुछ विशेष सामग्री होना आवश्यक है। जैसे लक्ष्मी की पूजा में कमल गट्टे की माला, लाल कमल का पुष्प, पीली-लाल कौड़ी, गोमती चक्र, मोती शंख या दक्षिणावर्ती शंख, केसर बिंदी लगाने के लिए होना चाहिए। मां लक्ष्मी को नैवेद्य में मखाने की खीर अर्पित करना चाहिए जिसमें गुलाब जल और गुलाब की पत्तियां डली हुई हों। पूजा में गुलाब की धूप और गुलाब के इत्र का प्रयोग भी करना चाहिए। लक्ष्मी पूजा के साथ गणेशजी और सरस्वती माता का पूजन भी अवश्य करना चाहिए। इस दिन पूजा में कलम-दवात, पेन, डायरी, झाड़ू भी रखना चाहिए।

31 अक्टूबर के लक्ष्मी पूजन मुहूर्त
चौघड़िया अनुसार
शुभ : सायं 4:24 से 5:48
अमृत : सायं 5:48 से 7:24
चर : सायं 7:24 से रात्रि 8:59
लाभ (निशिथ काल) : रात्रि 12:10 से 1:46

प्रदोष काल मुहूर्त
सायं 5:48 से रात्रि 8:22
अवधि : 2 घंटा 34 मिनट

स्थिर लग्न मुहूर्त
वृषभ : सायं 6:39 से रात्रि 8:38
अवधि 1 घंटा 59 मिनट

सिंह : मध्यरात्रि 1:07 से 3:18
अवधि : 2 घंटे 11 मिनट

व्यापारी कब करें
कर्क लग्न : रात्रि 10:51 से 1:07
अवधि : 2 घंटे 16 मिनट

नोट : उपरोक्त सभी मुहूर्त पंचांगों के अनुसार मानक उज्जैन के सूर्योदय के अनुसार हैं और शुद्ध मुहूर्त हैं। इन सभी मुहूर्तों में सभी सामान्य जन, व्यापारी-कारोबारी महालक्ष्मी पूजन संपन्न कर सकते हैं।

अंधेरी रात में इन जगहों पर लगाएं दीपक, कुबेर बरसाएंगे धन


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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देवताओं के कोषाध्यक्ष और धनपति यक्षराज कुबेर का पूजन कभी दिन में नहीं किया जाता है। कुबेर का पूजन रात्रि में ही किया जाता है। इसलिए कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अंधेरी रातों में धनतेरस से लेकर दीपावली तक रात्रि में लक्ष्मी और कुबेर पूजन किया जाता है। धनतेरस की रात्रि में तो विशेष रूप से कुबेर का पूजन किया जाता है।

शास्त्रों में कुछ दीपदान का बड़ा महत्व बताया गया है और यह दीपदान भी ऐसी जगह पर किया जाता है जहां पूर्ण अंधेरा रहता हो। यदि आप कुबेर को प्रसन्न करना चाहते हैं तो धनतेरस की रात्रि में दीप प्रज्वलित करने के उपाय अवश्य करने चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है कि धनतेरस की रात्रि में जिस जगह रोशनी होती है। दीपों का उजास होता है वहां कुबेर की दृष्टि पड़ती है और वे उस स्थान को अपने स्वर्णिम आलोक से प्रकाशित कर देते हैं। अर्थात् उस स्थान पर वे अपनी कृपा बरसाते हैं।

निर्जन स्थान के शिव मंदिर में
रात्रि में शिव मंदिर में दीप लगाने का बड़ा महत्व बताया गया है। शिव महापुराण में वर्णन आया है कि ऐस शिव मंदिर जो निर्जन स्थान पर हो, जो वन में हो, जहां कई-कई दिनों तक कोई आता-जाता न हो, उस शिव मंदिर में धनतेरस की रात्रि में अखंड दीप प्रज्वलित करना चाहिए। इससे कुबेर बहुत प्रसन्न होते हैं और उस मनुष्य के घर में धन के भंडार भर देते हैं।

पीपल वृक्ष के नीचे
पीपल के वृक्ष में साक्षात भगवान विष्णु का वास होता है। इसलिए धनतेरस की रात्रि में पीपल के पेड़ के नीचे अखंड दीपक लगाना चाहिए। उस दीपक में शुद्ध घी भरकर आलोकित करना चाहिए। इससे श्रीहरि विष्णु, माता लक्ष्मी और कुबेर तीनों की कृपा प्राप्त होती है। पीपल के नीचे दीपक लगाकर वापस आते समय पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए

चार रास्तों पर दीपक
धनतेरस की अंधियारी रात में गांव-शहर के बाहर कोई ऐसा स्थान देखें जहां चार रास्ते आकर मिलते हों। वहां मध्यरात्रि में दीपक लगाएं।

इन जगहों पर भी लगाएं दीपक
– धनतेरस की रात्रि में अपने घर में अखंड दीपक प्रज्वलित करें।
– घर की तिजोरी, दुकान का गल्ला, जहां आप अपना धन रखते हैं, स्वर्णाभूषण रखते हैं ऐसे स्थानों पर दीपक लगाएं।
– धनतेरस की रात्रि में कुएं की पाल पर आटे के सात दीपक बनाकर लगाएं इससे कुबेर की कृपा प्राप्त होती है।
– तुलसी, शमी, बरगद-नीम-पीपल की त्रिवेणी में दीपक लगाएं।

रमा एकादशी पर भाग्य बदलने वाला उपाय


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी या रमणा एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी 28 अक्टूबर 2024 सोमवार को आ रही है। सभी एकादशियों में भगवान श्रीहरि विष्णु को रमा एकादशी अत्यंत प्रिय है क्योंकि योगनिद्रा में होने के बाद भी इस एकादशी के दिन उनका मन पृथ्वीलोक के प्राणियों में रमण करता है। कार्तिक अमावस्या महालक्ष्मी पूजा से पूर्व भगवान विष्णु योग माया से पृथ्वीलोक में यह जानने आते हैं कि मनुष्यगण मां लक्ष्मी के आगमन की तैयारी कैसी कर रहे हैं। इसलिए इस एकादशी का सर्वाधिक महत्व है।

रमा एकादशी का व्रत करने वाले मनुष्यों को भगवान विष्णु समस्त सुख प्रदान करते हैं। इसलिए इस एकादशी को भाग्य बदलने वाली एकादशी भी कहा जाता है। व्रती के जीवन के सारे अभाव दूर हो जाते हैं। धन, संपत्ति, सुख, सम्मान, उत्तम संतान, श्रेष्ठ वैवाहिक जीवन सबकुछ रमा एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है। रमा एकादशी का व्रत पति-पत्नी को जोड़े से करना चाहिए तो अधिक उत्तम फलों की प्राप्ति होती है।

चूंकि यह एकादशी भाग्य बदलने वाली एकादशी कहलाती है इसलिए हम आपको ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं जिन्हें करके आप भगवान विष्णु के कृपा पात्र बन सकते हैं और भाग्य भाग्य चमक उठेगा।

रमा एकादशी भगवान विष्णु की प्रिय एकादशी है और वे इस दिन पृथ्वी पर लक्ष्मी पूजा की तैयारी परखने आते हैं इसलिए इस दिन अपने घर को अच्छे से साफ-स्वच्छ करके सजावट करें। घर पर सुंदर वंदनवार सजाएं, फूल मालाओं से घर को सजाएं, द्वार पर फूलों और रंगों से आकर्षक रंगोली बताएं। इस दिन घर के सभी सदस्य साफ स्वच्छ वस्त्र धारण करें। सायंकाल में घर और बाहर दीप मालिकाएं सजाएं।

क्या है वह चमत्कारिक उपाय
1. रमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पीले पुष्पों से श्रृंगार करें, उन्हें तुलसी दल अर्पित करें। देसी घी का नैवेद्य लगाएं। एक पीला चौकोर कपड़ा लें और इस पर केसर की स्याही से ऊं हूं विष्णवे नम: 11 बार लिखें। इसका पूजन करें, धूप दीप करें और थोड़े से अक्षत डालें। फिर एक बार विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। पूजा के बाद इस कपड़े की पोटली बनाकर घर में उस स्थान पर रखें जहां आप धन आभूषण आदि रखते हैं।
2. रमा एकादशी के दिन विष्णु यंत्र की विधिवत स्थापना अपने घर में करें।
3. रमा एकादशी की शाम को किसी निर्जन स्थान पर जाएं वहां एक घी का दीपक लगाएं। दीपक के चारों ओर हल्दी का गोल घेरा बनाएं और दीपक में पीली कौड़ी डालें। वहां बैठकर ऊं हूं विष्णवे नम: मंत्र की एक माला हल्दी की माला से जपें। जाप पूरा होने के बाद चुपचाप बिना पीछे देखें वापस अपने घर लौट आएं।

रमा एकादशी का समय
एकादशी प्रारंभ : 27 अक्टूबर प्रात: 5:56
एकादशी पूर्ण : 28 अक्टूबर प्रात: 7:50
पारणा : 29 अक्टूबर प्रात: 6.30 से 8.46