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आज का पंचांग, 16 अक्टूबर 2024, बुधवार

आज आश्विन पूर्णिमा है। आज के दिन शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी। पौराणिक मान्यता है कि आज के दिन पूर्ण कलाओं से युक्त चंद्रमा अमृत की वर्षा करता है। जिसे ग्रहण करने से मनुष्य के सारे रोग और मानसिक संकट दूर हो जाते हैं। आज के दिन प्रत्येक व्यक्ति को खीर बनाकर उसे रात्रि 12 बजे चंद्रमा की चांदनी में रखना चाहिए और इसका सेवन करना चाहिए। इससे शारीरिक रोग दूर होते हैं। आज का दिन अति विशिष्ट है। इस दिन चंद्रमा से जुड़े अनेक उपाय करने से जन्म कुंडली में मौजूद चंद्र से जुड़े सारे दोष दूर हो जाते हैं। चंद्रमा की कृपा प्राप्त होती है और समस्त मानसिक संकटों का समाधान हो जाता है।

विक्रम संवत : 2081
शालिवाहन वाहन शके : 1946
मास : आश्विन शुक्ल पक्ष
ऋतु : शरद
अयन : दक्षिणायन

तिथि : चतुर्दशी रात्रि 8:40 तक पश्चात पूर्णिमा
नक्षत्र : उत्तरा भाद्रपद सायं 7:16 तक
योग : ध्रुव प्रात: 10:08 तक पश्चात व्याघात
करण : गर प्रात: 10:30 तक पश्चात वणिज

सूर्योदय : 6:24:51
सूर्यास्त : 5:59:02

चंद्रोदय : सायं 5:12
चंद्रास्त : प्रात: 5:59 दूसरे दिन

आज की ग्रह स्थिति
सूर्य: कन्या
चंद्र: मीन
मंगल : मिथुन
बुध : तुला
गुरु : वृषभ, वक्री
शुक्र : वृश्चिक
शनि : कुंभ, वक्री
राहु : मीन
केतु : कन्या

दिन का चौघड़िया
लाभ : प्रात: 6:25 से 7:52
शुभ : प्रात: 10:45 से दोप 12:12
चर : दोप 3:05 से सायं 4:32
लाभ : सायं 4:32 से 5:59
प्रदोष काल : सायं 5:59 से रात्रि 8:29

रात्रि का चौघड़िया
शुभ : सायं 7:32 से रात्रि 9:06
अमृत : रात्रि 9:06 से 10:39

त्याज्य समय
राहु काल : दोप 12:12 से 1:39
यम घंट : प्रात: 7:52 से 9:18

आज विशेष : शरद पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा व्रत
आज का शुभ अंक : 7
आज का शुभ रंग : हरा, सफेद
आज के पूज्य : श्री गणेशजी
आज का मंत्र : ऊं गं गणपतये नम:

आज चंद्र किरणों से बरसेगा अमृत, व्रत भी आज ही

आश्विन पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा या कोजागर पूर्णिमा कहा जाता है। यह पूर्णिमा आज 16 अक्टूबर 2024 बुधवार को है। पौराणिक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि में पूर्ण चंद्र अपनी शीतल किरणों के साथ अमृत की बूंदें पृथ्वी पर बरसाता है। जिसे ग्रहण करके करके मनुष्य के सारे रोगों का निवारण हो जाता है। हालांकि पूर्णिमा को लेकर भी कई लोगों में भ्रम है कि यह 16 को की जाए या 17 अक्टूबर को तो इसका उत्तर है पूर्णिमा 16 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी।

पंचांग के अनुसार 16 अक्टूबर को पूर्णिमा रात्रि 8:40 बजे से प्रारंभ होकर 17 अक्टूबर को सायं 4:55 बजे तक रहेगी। चूंकि पूर्णिमा में अर्द्धरात्रि में पूर्ण चंद्र का महत्व होता है इसलिए शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी। इसी दिन शरद पूर्णिमा व्रत और कोजागर व्रत भी किया जाएगा।

17 को सूर्योदय व्यापिनी पूर्णिमा रहने से सत्यनारायण व्रत और आश्विन पूर्णिमा व्रत इस दिन किया जाएगा। इसी दिन से कार्तिक स्नान भी प्रारंभ हो जाएगा।

खीर का महत्व
शरद पूर्णिमा के खीर का बड़ा महत्व बताया गया है। पौराणिक मान्यताएं हैं कि शरद पूर्णिमा की रात्रि में पूर्ण चंद्र अपनी संपूर्ण कलाओं से युक्त रहता है जिसमें एक कला अमृत वर्षा भी है। इसलिए इस दिन खीर या दूध को रात्रि 12 बजे चंद्र की पूर्ण चांदनी में रखा जाता है। चंद्र से निकलने वाली अमृत बूंदे उस खीर या दूध में पड़ती हैं जिसका सेवन करने से मनुष्य के सारे रोग और मानसिक संताप दूर हो जाते हैं। इस दिन मेवे युक्त दूध या खीर बनाकर उसे चंद्र की चांदनी में रखें और पूरा परिवार निष्ष्ठा के साथ इसका सेवन करें।

शरद पूर्णिमा पर क्या करें
1. शरद पूर्णिमा की रात्रि में मून मेडिटेशन (Moon Meditation) करना चाहिए। इसके लिए अपने घर की छत या किसी खुली शांत जगह में दरी या चटाई बिछाकर बैठ जाएं। अपनी कमर सीधी रखें और चंद्र पर सीधी दृष्टि डालते हुए बिना पलक झपकाए उसे अधिक से अधिक समय तक देखने का प्रयास करें। इससे आपके अंदर एकाग्रता आएगी और मानसिक रूप से आप मजबूत होंगे।

2. बंद आंखों से ध्यान Meditation करें। खुली शांत जगह में कुछ बिछाकर बैठ जाएं और अपनी कमर सीधी रखते हुए आंखों को बंद करें और अपनी दोनों भौहों के मध्य में पूर्ण चंद्र का ध्यान करें। जितना अधिक देर बैठेंगे उतना मन शांत होगा।

3. आज के दिन एक सूखे नारियल के गोले में छोटा सा छेद करें और उसमें उबालकर ठंडा किया हुआ मीठा दूध भर दें। गोले को पुन: बंद करके रात भर शरद पूर्णिमा की चंद्र की चांदनी में रख दें। सुबह यह दूध जो भी पियेगा उसके सारे मानसिक रोग दूर हो जाएंगे।

4. सौंदर्य में वृद्धि के लिए शरद पूर्णिमा की रात्रि में एक चांदी के कटोरे में गुलाब जल, हल्दी और चंदन का पाउडर मिलाकर चांदनी में रख दें। इसका उबटन बनाकर लगाने से सौंदर्य में निखार आता है।

5. एक मोती शंख में गुलाबजल भरकर रातभर चांदनी में छोड़ दें। इस गुलाबजल को चेहरे पर लगाने से शुक्र बलवान होगा। सौंदर्य और आकर्षण प्रभाव में वृद्धि होगी।

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घर की इस दिशा में लगाएं शीशा, चमक उठेगी किस्मत

क्या आप जानते हैं घर में शीशा लगाने का भी एक विज्ञान है। वास्तु शास्त्र कहता है घर में गलत दिशा में लगा हुआ शीशा आपकी बर्बादी का कारण भी बन सकता है। वहीं यदि शीशा सही दिशा में लगा हुआ है तो आपकी किस्मत चमक उठेगी। इसलिए शीशा लगाते समय वास्तु के नियमों का ध्यान रखना आवश्यक है। आइए आज हम आपको बताते हैं घर में किस दिशा में शीशा लगाना शुभ है और कहां अशुभ।

इस दिशा में लगाएं शीशा
1. शीशा घर के किसी भी कमरे की उत्तरी दीवार पर लगाना शुभ रहता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और उस घर में सुख-समृद्धि आती है। घर में कैश फ्लो बढ़ता है।
2. शीशा पूर्वी दीवार पर लगाना भी शुभ रहता है। पूर्वी दीवार पर शीशा लगाने से घर-परिवार के सदस्यों में आपसी सामंजस्य अच्छा बना रहता है। पति-पत्नी में प्रेम बढ़ता है।
3. पश्चिमी दीवार पर शीशा लगाने से बचना चाहिए। पश्चिमी दीवार पर लगा शीशा नकारात्मक ऊर्जा का कारक होता है। इस दिशा में लगा शीशा मानसिक तनाव भी देता है। इससे मन विचलित सा रहता है।
4. घर के भीतर दक्षिणी दीवार पर शीशा नहीं लगाना चाहिए। इससे परिवार के लोगों में विवाद होता रहता है। मानसिक शांति नहीं रहती और सब एक-दूसरे को नीचा दिखाने का प्रयास करते रहते हैं। किंतु यदि शीशा घर के बाहर की ओर दक्षिण दिशा में लगा हुआ है तो शुभ फल देगा। यह दक्षिण की ओर से घर में प्रवेश करने वाली नकारात्मक ऊर्जा को परावर्तित कर देता है।

ड्रेसिंग टेबल कहां रखें
घर में ड्रेसिंग टेबल रखते समय भी सावधानी रखनी चाहिए। इसे अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी दिशा में नहीं रख देना चाहिए। ड्रेसिंग टेबल का मुंह हमेशा पश्चिम की ओर होना चाहिए अर्थात् उसमें जब आप मुंह देखें तो आपका मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। इसी तरह इसे दक्षिणमुखी रखा जा सकता है ताकि जब आप मुंह देखें तो आपका मुंह उत्तर की ओर होना चाहिए।

ये गलतियां कभी न करें
1. घर में ड्रेसिंग टेबल, आलमारी या अन्य जगह शीशा लगा हुआ है तो ध्यान रखें कि यह टूटा फूटा न हो।
2. शीशे के किनारे तीखे न हों। ये घिसे हुए और चिकने होने चाहिए।
3. शीशे का आकार गोल, चौकोर या आयताकार होना चाहिए। अष्टकोणीय, त्रिकोणीय या पंचकोणीय शीशा भूलकर भी न लगाएं।
4. शीशे की फ्रेम लकड़ी की होनी चाहिए। धातु की फ्रेम वास्तु के अनुसार ठीक नहीं मानी गई है।
5. शीशा चाहे किसी भी दिशा में लगा हो लेकिन उसकी सफाई करते रहना चाहिए। शीशे पर धूल-मिट्टी गंदगी नहीं होनी चाहिए।

विवाह नहीं हो रहा, कहीं आपकी कुंडली में ये दोष तो नहीं

अपनी संतानों का विवाह समय पर नहीं होने के कारण अनेक माता-पिता परेशान रहते हैं। विशेषकर लड़की है और उसके विवाह में कोई बाधा आ रही है तो परेशानी और भी बढ़ जाती है। उपाय जानने के लिए वे अनेक ज्योतिषीयों और पंडितों के पास भटकते रहते हैं किंतु उन्हें उचित समाधान नहीं मिल पाता और विवाह की उम्र बीतती चली जाती है।

वस्तुत: विवाह नहीं हो पाने का सबसे बड़ा कारण युवक-युवती की जन्मकुंडली में छुपा होता है। एक विद्वान ज्योतिषी कुंडली का गहन अध्ययन करके विवाह बाधा दोष और उसे दूर करने के उपाय बता सकता है। आइए सबसे पहले जानते हैं कैसे बनता है विवाह बाधा योग-

विवाह-बाधा योग
1. विवाह सुख का कारक भाव कुंडली का सप्तम भाव होता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी अर्थात् सप्तमेश शुभ ग्रहों से युक्त न होकर छठे, आठवें या बारहवें भाव में बैठा हो और साथ में वह अस्त होकर या नीच राशि का होकर बैठा हो, तो जातक का विवाह कभी नहीं हो पाता है। वह जीवनभर अविवाहित ही रहता है।

2. सप्तम भाव का स्वामी द्वादश भाव में बैठा हो तथा जन्म राशि का स्वामी सप्तम भाव में बैठा हो, तो जातक के विवाह में अनेक बाधाएं आती हैं।

3. जन्मकुंडली के किसी भी स्थान में चंद्र तथा शुक्र दोनों एक साथ बैठे हों और उनसे सप्तम भाव में मंगल तथा शनि दोनों बैठे हों अर्थात चंद्र एवं शुक्र की युति से सातवें भाव में मंगल-शनि की युति हो तो भी विवाह नहीं हो पाता है।

4. सप्तम भाव में शुक्र और मंगल दोनों एक साथ बैठे हों तो भी विवाह में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे जातक का विवाह अक्सर नहीं हो पाता है।

5. जातक की जन्मकुंडली में शुक्र एवं मंगल दोनों ग्रह पंचम या नवम भाव में बैठे हों और इन पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो तो भी विवाह बाधा योग बनता है।

6. जातक की जन्मकुंडली में शुक्र किसी पाप ग्रह के साथ पंचम, सप्तम या नवम भाव में हो तो जातक का विवाह नहीं हो पाता, वह स्त्री वियोग से पीड़ित रहता है।

7. जन्मकुंडली में यदि शुक्र-बुध-शनि तीनों ही नीच या शत्रु नवांश में हों, तो भी जातक विवाह विहीन होता है। अनेक प्रयासों के बाद भी जातक का विवाह नहीं हो पाता है।

8. जिसकी जन्मकुंडली में सातवें तथा बारहवें भाव में दो-दो या इससे अधिक पाप ग्रह बैठे हों तथा पंचम भाव में चंद्र बैठा हो तो जातक का विवाह नहीं होता।

9. कुंडली में सप्तम भाव में बुध तथा शुक्र दोनों हों, तो विवाह अनेक बाधाओं के बाद अधेड़ उम्र में होता है।

10. सप्तम भाव में दो पाप ग्रह एक साथ बैठें हों तथा इन पर सूर्य की सीधी दृष्टि पड़ रही हो तो भी विवाह में अनेक बाधाएं आती हैं।

कैसे दूर करें विवाह बाधा
– विवाह बाधा दोष काटने के लिए युवक या युवती को भगवान शिव पार्वती का नियमित रूप से पूजन करना चाहिए।
– किसी शिव मंदिर में विवाह बाधा निवारण पूजा करवानी चाहिए।
– विवाह बाधा निवारण यंत्र को घर में रखकर नियमित रूप से उसके दर्शन पूजन करना चाहिए।
– प्रत्येक मास की शिवरात्रि पर शिवजी का अभिषेक केसर के दूध से करें और मां पार्वती को सुहाग की सामग्री भेंट करें। यह उपाय केवल युवतियां करें।

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आजकल आय के साधन सीमित हैं और खर्च अधिक। इसलिए व्यक्ति को न चाहते हुए भी अपने परिवार की जरूरतें पूरी करने के लिए कर्ज लेना ही पड़ता है। होम लोन, कार लोन, एजुकेशन लोन, बच्चों की शादी के लिए लोन, बीमारी के लिए लोन और अन्य आवश्यकताओं के लिए व्यक्ति एक बार लोन ले लेता है तो फिर कर्ज के जाल में उलझता चला जाता है। यदि आपके साथ भी कुछ ऐसा हो रहा है। आप कर्ज के दलदल में फंस चुके हैं और लाख प्रयासों के बाद भी इससे बाहर नहीं निकल पा रहे हैं और कर्ज बढ़ता ही जा रहा है तो हमारे शास्त्रों में इसके लिए विशिष्ट उपाय बताए गए हैं। ये उपाय भौम प्रदोष के दिन करने से शीघ्र ही कर्ज मुक्ति होती है।

भौम प्रदोष 15 अक्टूबर 2024 मंगलवार को आ रहा है। इसदिन व्रत रखें या न रखें लेकिन शिवजी का पूजन अभिषेक अवश्य करें। हम आपको कुछ उपाय बता रहे हैं जो करके आप अपने घर में आने वाले धन का प्रवाह बढ़ा सकते हैं और शीघ्र कर्ज के जाल से मुक्त हो सकते हैं।

पहला उपाय
भौम प्रदोष के दिन प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर लाल रंग के कपड़े पहनें और किसी शिव मंदिर में जाएं। अपने साथ सवा सौ ग्राम लाल मसूर की दाल लेकर जाएं। शिवजी को पहले शुद्ध जल से अभिषेक करवाएं उसके बाद ऊं ऋण मुक्तेश्वराय नम: मंत्र का जाप मन ही मन करते हुए मसूर की दाल शिवलिंग पर अर्पित करें। यह प्रयोग भौम प्रदोष से प्रारंभ करके लगातार 11 मंगलवार करें। शीघ्र ही आपका कर्ज कम होने लगेगा।

दूसरा उपाय
भौम प्रदोष के दिन शिवजी का अभिषेक केसर युक्त गाय के दूध से करें। और अभिषेक करते समय 108 बार ऊं वित्तेश्वराय नम: मंत्र का जाप करें। इस प्रयोग से आपके घर में धन का प्रवाह बढ़ने लगेगा। अनेक माध्यमों से धन आएगा।

तीसरा उपाय
भौम प्रदोष के दिन तांबे के मंगल यंत्र की स्थापना अपने घर में करें। इसे गंगाजल से स्नान करवाएं। इस पर लाल चंदन की नौ बिंदियां लगाएं। लाल गुड़हल का पुष्प अर्पित करें और ऋण मोचक मंगल स्तोत्र का 21 बार पाठ करें। कर्ज जल्द ही उतरने लगेगा।

चौथा उपाय
21 लाल गुड़हल के पुष्प लेकर हनुमान मंदिर में जाएं। हनुमान जी को चमेली के तेल से सिंदूर का चोला चढ़ाएं। उन्हें नया लंगोट पहनाएं। आकर्षक श्रृंगार करें, गुड़-चने का नैवेद्य लगाएं और फिर एक-एक करके 21 गुड़हल के पुष्प उन्हें अर्पित करें और प्रत्येक पुष्प के साथ उनसे मन ही मन अपने कर्ज से छुटकारा दिलाने की प्रार्थना करें। इस दौरान ऊं हं हनुमते नम: मंत्र भी मन ही मन बोलते जाएं। धन की वर्षा होने लगेगी।

पांचवां उपाय
भौम प्रदोष के लिए एक लाल चंदन की माला लें। इस माला का संस्कार करें, अर्थात् इसे गंगाजल से धोकर शुद्ध कर लें, पूजन करें और ऊं ऋण मुक्तेश्वराय नम: मंत्र की 11 माला हनुमानजी या शिवजी के सामने बैठकर करें। इससे आपके पास अनेक माध्यमों से धन आने लगेगा और कर्ज मुक्ति होगी।

साप्ताहिक अंकफल: 14 से 20 अक्टूबर 2024

इस सप्ताह का प्रारंभ 14 अक्टूबर 2024 सोमवार को हो रहा है। इसके अनुसार सप्ताह का मूलांक 5 और भाग्यांक भी 5 है। अंक 5 का स्वामी बुध है। इसलिए यह सप्ताह सभी मूलांक वालों के लिए अपनी बौद्धिक क्षमता का बेहतर उपयोग करने की ओर इशारा कर रहा है। इस सप्ताह आपके निर्णय सटीक होंगे, शिक्षा के क्षेत्र में अच्छी सफलता मिलने वाली है। व्यापार-व्यवसाय से उत्तम लाभ अर्जित करने में सफल होंगे। यह सप्ताह नए कामकाज प्रारंभ करने के लिए भी उत्तम रहेगा।

मूलांक 1 : (जन्म तारीख 1, 10, 19, 28)
मूलांक 1 का स्वामी सूर्य है और सप्ताह का मूलांक-भाग्यांक 5 है जिसका स्वामी बुध है। सूर्य और बुध के तालमेल से यह सप्ताह आपके लिए सर्वश्रेष्ठ साबित होने वाला है। आपके काम तेजी से होंगे। पुराने समय से जो काम अटके हुए थे उन्हें पूरा करने के प्रयास सार्थक होंगे। पारिवारिक जीवन में तालमेल अच्छा बना रहेगा। व्यापारिक अनुबंध होंगे। स्टार्टअप में युवा अच्छा कर सकते हैं।

मूलांक 2 : (जन्म तारीख 2, 11, 20, 29)
मूलांक 2 का स्वामी चंद्र है और सप्ताह का मूलांक-भाग्यांक 5 है जिसका स्वामी बुध है। चंद्र और बुध की मैत्री होने के कारण यह सप्ताह आपके लिए शुभ रहने वाला है। विदेश से जिनका व्यापार है उन्हें अपेक्षा से अधिक लाभ मिलेगा। परिवार में सभी से तालमेल अच्छा रहेगा। विद्यार्थियों को शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलेगी। नए काम प्रारंभ करें लाभ होगा। आय के नए साधन मिलने वाले हैं।

मूलांक 3 : (जन्म तारीख 3, 12, 21, 30)
मूलांक 3 का स्वामी बृहस्पति है और सप्ताह का मूलांक-भाग्यांक 5 है जिसका स्वामी बुध है। चूंकि बृहस्पति और बुध मैत्रीपूर्ण व्यवहार करते हैं इसलिए यह सप्ताह आपके लिए शुभ कहा जा सकता है। धार्मिक-आध्यात्मिक कार्यों में मन लगेगा। नए कार्यों में हाथ आजमाएंगे। दांपत्य जीवन में मधुरता आएगी। आर्थिक संकट कुछ कम होगा। निवेश से लाभ होगा। मन प्रसन्न रहेगा। सेहत ठीक रहेगी।

मूलांक 4 : (जन्म तारीख 4, 13, 22, 31)
मूलांक 4 का स्वामी राहु है और सप्ताह का मूलांक-भाग्यांक 5 है जिसका स्वामी बुध है। राहु और बुध मिलकर संयमित व्यवहार नहीं करते हैं और दोनों ग्रहों में शत्रुता है इसलिए आपके लिए यह सप्ताह उठापटक वाल रह सकता है। मन में भ्रम और कार्यों में भटकाव रहेगा। काम चलते चलते अचानक रूक जाएंगे। धन की तंगी महसूस होगी और अनावश्यक खर्च भी होगा। तनाव महसूस होगा।

मूलांक 5 : (जन्म तारीख 5, 14, 23)
मूलांक 5 का स्वामी बुध है और सप्ताह का मूलांक-भाग्यांक भी 5 है जिसका स्वामी बुध है। यह सप्ताह आपके लिए सर्वश्रेष्ठ रहने वाला है। आप जो भी काम करेंगे उसमें सफलता सुनिश्चित है। धन के अनेक माध्यम बनने वाले हैं। आपके लिए हुए सभी निर्णय सही साबित होंगे। विद्यार्थियों को सफलता मिलेगी। वैवाहिक जीवन सुखी रहने वाला है। प्रेम संबंधों में विवेकपूर्ण निर्णय लेंगे।

मूलांक 6 : (जन्म तारीख 6, 15, 24)
मूलांक 6 का स्वामी शुक्र है और सप्ताह का मूलांक-भाग्यांक 5 है जिसका स्वामी बुध है। शुक्र और बुध का तालमेल मिलाजुला प्रभाव देने वाला है। आपके भौतिक सुखों में वृद्धि तो होगी किंतु कुछ निर्णय गलत भी हो सकते हैं। काम कुछ होंगे तो कुछ अटके रह सकते हैं। स्वास्थ्य में कमजोरी आएगी। वैवाहिक और दांपत्य जीवन में कटुता आ सकती है। करियर में ठहराव सा महसूस होगा।

मूलांक 7 : (जन्म तारीख 7, 16, 25)
मूलांक 7 का स्वामी केतु है और सप्ताह का मूलांक-भाग्यांक 5 है जिसका स्वामी बुध है। यह सप्ताह भारी उठापटक वाला रह सकता है। कार्यों को करने को लेकर भ्रम में रहेंगे। परिवार और मित्रों का साथ भी नहीं मिलेगा जिससे तनाव में रहेंगे। नौकरीपेशा लोगों को मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ सकता है। उच्चाधिकारियों से टकराव होगा। कारोबार में अपेक्षित लाभ नहीं मिलेगा।

मूलांक 8 : (जन्म तारीख 8, 17, 26)
मूलांक 8 का स्वामी शनि है और सप्ताह का मूलांक-भाग्यांक 5 है जिसका स्वामी बुध है। यह सप्ताह दौड़भाग में बीत जाएगा। छोटे-छोटे काम पूरे करने के लिए बहुत मेहनत और दौड़भाग करनी पड़ेगी। कार्यस्थल पर सहयोग नहीं मिलने से काम की अधिकता रहेगी। स्वास्थ्य गड़बड़ा सकता है। आर्थिक तंगी महसूस होगी। खर्च की अधिकता रहने से चिंता होगी। मित्रों से टकराव हो सकता है।

मूलांक 9 : (जन्म तारीख 9, 18, 27)
मूलांक 9 का स्वामी मंगल है और सप्ताह का मूलांक-भाग्यांक 5 है जिसका स्वामी बुध है। मंगल-बुध का तालमेल ठीक नहीं कहा जा सकता है। एक तरफ आपके लिए हुए निर्णय गलत साबित होंगे तो दूसरी तरफ आपके क्रोध में वृद्धि होगी। इससे रिश्ते खराब होंगे। धन का अपव्यय होगा। इस सप्ताह किसी से सहयोग मिलने की अपेक्षा न रखें। स्वास्थ्य में कमजोरी आएगी। प्रेम संबंध टूट सकते हैं।

यह भी देखें
आज का पंचांग, 13 अक्टूबर 2024, रविवार

आज का पंचांग, 13 अक्टूबर 2024, रविवार

आज प्रात: 9:09 से एकादशी तिथि प्रारंभ हो रही है। जो लोग स्मार्त मन मानते हैं वे आज एकादशी का व्रत करेंगे जबकि कल 14 अक्टूबर को वैष्णव मतानुसार पापांकुशा एकादशी का व्रत किया जाएगा। आज दोपहर 3 बजकर 43 मिनट से पंचक प्रारंभ हो रहा है। शुभ कार्यों को करने के लिए पंचक का विचार नहीं किया जाता है किंतु अशुभ कार्यों में पंचक अवश्य देखा जाता है। पंचक काल में घर में नया पलंग लाना, गादी-बिस्तर लाना, लकड़ी-कंडे आदि का भंडारण करना वर्जित होता है। पंचक काल में यदि किसी की मृत्यु हो जाती है तो शव के साथ आटे के पांच पुतले बनाकर उनका भी अंतिम संस्कार किया जाता है, ताकि परिवार में अन्य कोई आपदा न आए।

विक्रम संवत : 2081
शालिवाहन वाहन शके : 1946
मास : आश्विन शुक्ल पक्ष
ऋतु : शरद
अयन : दक्षिणायन

तिथि : दशमी प्रात: 9:08 तक पश्चात एकादशी
नक्षत्र : धनिष्ठा रात्रि 2:50 तक
योग : शूल रात्रि 9:24 तक
करण : गर प्रात: 9:08 तक पश्चात वणिज

सूर्योदय : 6:23:39
सूर्यास्त : 6:01:35

चंद्रोदय : दोप 3:16
चंद्रास्त : रात्रि 2:46

आज की ग्रह स्थिति
सूर्य: कन्या
चंद्र: मकर, दोप 3:43 से कुंभ में
मंगल : मिथुन
बुध : तुला
गुरु : वृषभ, वक्री
शुक्र : वृश्चिक
शनि : कुंभ, वक्री
राहु : मीन
केतु : कन्या

दिन का चौघड़िया
चर : प्रात: 7:51 से 9:18
लाभ : प्रात: 9:18 से 10:45
अमृत : प्रात: 10:45 से दोप 12:13
शुभ : दोप 1:40 से 3:07
अभिजित : प्रात: 11:49 से दोप 12:36
प्रदोष काल : सायं 6:02 से 9:44

रात्रि का चौघड़िया
शुभ : सायं 6:02 से 7:34
अमृत : सायं 7:34 से रात्रि 9:07
चर : रात्रि 9:07 से 10:40

त्याज्य समय
राहु काल : सायं 4:34 से 6:02
यम घंट : दोप 12:13 से 1:40

आज विशेष : पापांकुश एकादशी स्मार्त मतानुसार
आज का शुभ अंक : 4
आज का शुभ रंग : कत्थई, लाल
आज के पूज्य : सूर्यदेव
आज का मंत्र : ऊं सूर्याय नम:
पंचक प्रारंभ : दोपहर 3:43 से

दशहरा : नीलकंठ को देख लिया तो समझो हो गई जीत

दशहरा हिंदू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण और प्रमुख त्योहार है। वृहद रूप में यह त्योहार भगवान राम द्वारा रावण का वध किए जाने के रूप में मनाया जाता है। जब प्रभु श्रीराम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ चौदह वर्ष के वनवास पर गए थे, तब लंका के राजा रावण ने सीता का अपहरण कर उन्हें लंका की अशोक वाटिका में बंदी बनाकर रखा था और उन पर त्रिजटा समेत अनेक राक्षसियों का पहरा लगा दिया था। दशहरा अर्थात विजयादशी आज 12 अक्टूबर 2024 को मनाया जा रहा है। आइए जानते हैं दशहरा और इससे जुड़ी अन्य मान्यताओं और परंपराओं के बारे में-

नीलकंठ का दर्शन
दशहरा के दिन नीलकंठ का दर्शन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। नीलकंठ एक पक्षी होता है जो गहरे और हल्के नीले रंगों के मिश्रण वाला होता है। इसका गला अर्थात् कंठ पूरा नीला होता है। इस पक्षी को साक्षात भगवान शिव का स्वरूप कहा जाता है। भगवान राम ने रावण का वध करने से पूर्व इस पक्षी का दर्शन किया था। यदि दशहरे के दिन यह पक्षी दिखाई दे जाए तो इसे प्रणाम अवश्य करना चाहिए। इससे सर्वत्र आपकी जीत होगी।

शमी पत्र का महत्व
दशहरे के दिन रावण दहन के पश्चात एक-दूसरे को शमी पत्र दिया जाता है। जिसे आम बोलचाल की भाषा में सोना पत्ती कहा जाता है। पौराणिक मान्यता है कि आश्विन शुक्ल दशमी के दिन धनपति कुबेर ने राजा रघु को शमी की पत्तियां देते हुए उन्हें स्वर्ण में बदल दिया था। इसलिए शमी पत्र देने का महत्व है। इस दिन शमी के वृक्ष का पूजन भी किया जाता है। इससे जुड़ी महाभारत काल की कथा है कि जब पांडव अज्ञात वास पर थे तब अर्जुन ने शमी के पेड़ पर अपना गांडीव धनुष छुपाकर रखा था और जब महाभारत युद्ध प्रारंभ हुआ तो इसी पेड़ से धनुष निकालकर युद्ध में विजय पाई थी।

देवी ने किया था महिषासुर वध
विजयादशमी महिषासुर वध का दिन भी है। इस दिन देवी दुर्गा के कात्यायिनी स्वरूप ने महिषासुर का वध करके तीनों लोगों को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। इसलिए इस दिन शस्त्र पूजा करने की परंपरा भी है।

अबूझ या सर्वसिद्ध मुहूर्त दशहरा
दशहरा अर्थात विजयादशमी का दिन अबूझ मुहूर्त वाला कहलाता है। अर्थात् इस दिन कोई भी काम प्रारंभ करने के लिए पंचांग शुद्धि देखने की आवश्यकता नहीं रहती है। इसलिए इस दिन भूमि, भवन, वाहन, आभूषण आदि की खरीदी बड़ी संख्या में की जाती है। इस दिन की गई खरीदी सुख समृद्धि देने वाली होती है। इस दिन गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण आदि काम भी किए जाते हैं।

आज का पंचांग, 12 अक्टूबर 2024, शनिवार

आज मनाएं विजयादशमी
आज का दिन अत्यंत शुभ है। आज शारदीय नवरात्र का अंतिम दिवस महानवमी और विजयादशमी का पर्व दोनों साथ मनाए जाएंगे। नवरात्र का उत्थापना आज होगा। हवन, कन्या पूजन, कन्या भोजन, ब्राह्मण भोजन जैसे कर्म आज ही किए जाएंगे, वहीं दशमी तिथि लग जाने के कारण सायंकाल में रावण दहन होगा। आज के दिन नवमी तिथि प्रात: 10:57 पर पूर्ण हो जाएगी और दशमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। आज के दिन शमी का पूजन करने से सर्वत्र विजय की प्राप्ति होगी। क्षत्रियों में आज के दिन शस्त्र पूजा करने की परंपरा भी है। आज के दिन रावण दहन के बाद घर-परिवार के बुजुर्गों के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। बुजुर्ग आशीर्वाद के साथ बच्चों को कोई वस्तु भेंट करते हैं।

विक्रम संवत : 2081
शालिवाहन वाहन शके : 1946
मास : आश्विन शुक्ल पक्ष
ऋतु : शरद
अयन : दक्षिणायन

तिथि : नवमी प्रात: 10:57 तक पश्चात दशमी
नक्षत्र : श्रवण दूसरे दिन प्रात: 4:26 तक
योग : धृति रात्रि 12:20 तक
करण : कौलव प्रात: 10:57 तक पश्चात तैतिल

सूर्योदय : 6:23:15
सूर्यास्त : 6:02:27

चंद्रोदय : दोप 2:32
चंद्रास्त : रात्रि 1:42

आज की ग्रह स्थिति
सूर्य: कन्या
चंद्र: मकर में
मंगल : मिथुन
बुध : तुला
गुरु : वृषभ, वक्री
शुक्र : तुला, वृश्चिक में कल प्रात: 6 बजे से
शनि : कुंभ, वक्री
राहु : मीन
केतु : कन्या

दिन का चौघड़िया
शुभ : प्रात: 7:51 से 9:18
चर : दोप 12:13 से 1:40
अमृत : दोप 3:08 से सायं 4:35
अभिजित : प्रात: 11:50 से दोप 12:36
प्रदोष काल : सायं 6:02 से रात्रि 8:31

रात्रि का चौघड़िया
लाभ : सायं 6:02 से 7:35
शुभ : रात्रि 9:08 से 10:40

त्याज्य समय
राहु काल : प्रात: 9:18 से 10:45
यम घंट : दोप 1:40 से 3:08

आज विशेष : महानवमी कन्या पूजन, नवरात्रि उत्थापन, विजयादशमी
आज का शुभ अंक : 3
आज का शुभ रंग : नीला, काला, धूसर
आज के पूज्य : शनिदेव
आज का मंत्र : ऊं शं शनैश्चराय नम:

आज का पंचांग, 11 अक्टूबर 2024, शुक्रवार

विक्रम संवत : 2081
शालिवाहन वाहन शके : 1946
मास : आश्विन शुक्ल पक्ष
ऋतु : शरद
अयन : दक्षिणायन

तिथि : अष्टमी दोपहर 12:06 तक पश्चात नवमी
नक्षत्र : उत्तराषाढ़ा दूसरे दिन प्रात: 5:24 तक
योग : सुकर्मा रात्रि 2:45 तक
करण : बव दोप 12:06 तक पश्चात बालव

सूर्योदय : 6:22:52
सूर्यास्त : 6:03:21

चंद्रोदय : दोप 1:45
चंद्रास्त : रात्रि 12:38

आज की ग्रह स्थिति
सूर्य: कन्या
चंद्र: धनु, प्रात: 11:40 से मकर में
मंगल : मिथुन
बुध : तुला
गुरु : वृषभ, वक्री
शुक्र : तुला
शनि : कुंभ, वक्री
राहु : मीन
केतु : कन्या

दिन का चौघड़िया
चर : प्रात: 6:23 से 7:50
लाभ : प्रात: 7:50 से 9:18
अमृत : प्रात: 9:18 से 10:46
शुभ : दोप 12:13 से 1:41
चर : सायं 4:36 से 6:03
अभिजित : प्रात: 11:50 से दोप 12:36
प्रदोष काल : सायं 6:03 से रात्रि 8:32

रात्रि का चौघड़िया
लाभ : रात्रि 9:08 से 22:41

त्याज्य समय
राहु काल : प्रात: 10:46 से दोप 12:13
यम घंट : दोप 3:08 से सायं 4:36

आज विशेष : आश्विन नवरात्र की अष्टमी-नवमी
आज का शुभ अंक : 2
आज का शुभ रंग : सफेद, गुलाबी
आज के पूज्य : श्री कृष्ण
आज का मंत्र : ऊं कृं कृष्णाय नम: