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2025 में शनि बदलेगा राशि, मेष को लगेगी साढ़ेसाती


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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साल 2025 में सबसे बड़ा राशि परिवर्तन होने जा रहा है। यह राशि परिवर्तन है शनि का। शनि ढाई साल बाद अपनी राशि बदलने जा रहा है। 29 मार्च 2025 को शनि कुंभ राशि को छोड़कर मीन राशि में प्रवेश करने जा रहा है। कुंभ शनि की स्वयं की राशि है और अब वह गुरु की राशि मीन में प्रवेश करने जा रहा है। शनि के इस गोचर से साढ़ेसाती का गणित भी बदलने वाला है। मकर राशि साढ़ेसाती से मुक्त हो जाएगी, जबकि मेष राशि पर साढ़ेसाती प्रारंभ हो जाएगी। शनि 29 मार्च 2025 से 3 जून 2027 तक मीन राशि में ही रहेगा। शनि के मीन राशि में जाने से कुंभ, मीन, मेष पर साढ़ेसाती रहेगी जबकि सिंह और धनु राशि पर लघु कल्याणी ढैया प्रारंभ हो जाएगा।

आइए विस्तार से जानते हैं किस राशि पर शनि का क्या प्रभाव होने वाला है-

मेष राशि
मेष राशि के जातकों को लोहे के पाये से मस्तक पर शनि की साढ़ेसाती का प्रथम ढैय्या प्रारंभ होगा। शनि का दसवें और ग्यारहवें स्थान का स्वामी होकर बारहवें स्थान में भ्रमण करना शुभप्रद नहीं है। शासन की तरफ से परेशानी, निरर्थक यात्राएं, व्यापार-व्यवसाय व नौकरी में अड़चनें, पारिवारिक क्लेश, आर्थिक क्षेत्र में उतार-चढ़ाव, अपव्यय, स्वयं, पति-पत्नि एवं संतान को शारीरिक कष्ट, भाग्य में मंदी तथा कर्जा (ऋण) लेने की स्थिति आएगी। जन्मकालीन मंगल, शनि अथवा सूर्य पर से शनि का भ्रमण अत्यंत अरिष्टप्रद रह सकता है। आय के स्रोत में कमी आएगी। जन्मकुंडली में शनि बलवान हो तो उपर्युक्त अशुभ फलों में कमी आकर व्यावसायिक उन्नति, मित्रों से सहयोग तथा धनलाभ के योग बनेंगे।

वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों पर शनि स्वर्ण पद से भ्रमण करेगा। नौकरी और व्यापार-व्यवसाय में अच्छी सफलता मिलेगी, धन लाभ, लोहा-भूमि- सीमेंट के कामकाजों से अच्छा लाभ अर्जित करेंगे। वाहन, मशीनरी और आटो पार्ट्स के काम से अच्छा लाभ कमाएंगे, जिनका विवाह नहीं हुआ है उनके विवाह का योग 2025 में बन जाएगा, यशोमान में वृद्धि होगी। इस राशि के जातकों को साल 2025 में कन्या संतान की प्राप्ति होगी। शारीरिक रोग दूर होंगे। जन्मकुंडली में यदि शनि निर्बल होगा तो पति/पत्नि व संतान पीड़ा रहेगी, मित्रों व आत्मीयजनों से विश्वासघात एवं आशा भंग होगी।

मिथुन राशि
शनि के मीन राशि में गोचर करने से मिथुन राशि के जातकों को विशेष लाभ प्राप्त होने वाले हैं। आपका भाग्योदय होगा जिससे बड़े आर्थिक लाभ मिलने वाले हैं। नौकरी, व्यवसाय में आशातीत उन्नति होगी, कोर्ट-कचहरी के मामलों में अनुकूलता, प्रभावशाली व्यक्तियों से परिचय होगा एवं उनसे लाभ होगा। पारिवारिक और सामाजिक जीवन में प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। यदि जन्मांग अर्थात् आपकी कुंडली में जन्मकालीन शनि बलहीन होगा तो माता-पिता को पीड़ा, राजभय, नौकरी-व्यवसाय में परिवर्तन-बाधा, दांपत्य जीवन में विरोध की स्थिति बनेगी। शारीरिक स्वास्थ्य कमजोर रहेगा।

कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए शनि का मीन राशि में गोचर करना मिलजुला फलदायी रहने वाला है। शनि का लघु कल्याणी ढैया इस राशि से हट जाएगा। इस राशि के जिन जातकों की जन्मकुंडली में शनि मजबूत और शुभ स्थानों में होगा उन्हें तो अच्छी सफलताएं मिलने वाली है किंतु जिनकी कुंडली में शनि खराब स्थिति में है उन्हें विपरीत परिणाम भोगने पड़ेंगे। नौकरी-धन्धे में सफलता, धनलाभ, धर्म-कर्म में अभिरुचि, संत समागम, लाभकारी यात्राएं, यश-प्रतिष्ठा में वृद्धि एवं संतान सुख प्राप्त होगा। जन्मतः शनि निर्बल होने पर भाई- बहन व मित्रों को कष्ट, संतति से पीड़ा, शत्रुभय, आर्थिक परेशानी, अनिष्ट प्रसंग, पति/पत्नि के स्वास्थ्य में खराबी एवं कार्यों में विघ्न आएंगे।

सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों को शनि के मीन राशि में गोचर करने से लघुकल्याणी ढैय्या अष्टम स्थान में लौह पाद से प्रारंभ होगा। शनि आपके छठे एवं सातवें स्थान का स्वामी होकर अष्टम स्थान में भ्रमण करेगा जो शुभप्रद नहीं है। स्वयं व जीवनसाथी को शारीरिक पीड़ा, नौकरी-व्यवसाय में परेशानी, आर्थिक हानि, कोर्ट के मामलों में प्रतिकूलता, मित्र, वाहन व पशु हानि, निरर्थक यात्राएं, दुर्जनों से संगति, मनस्ताप तथा स्वजनों को कष्ट होंगे। जन्मत: शनि की स्थिति अच्छी होने पर भागदौड़ के साथ धनलाभ होगा, सफलता मिलेगी एवं अटके हुए कार्य पूर्ण होगे। स्वास्थ्य में लाभ होगा।

कन्या राशि
मीन राशिगत शनि का कन्या राशि पर प्रभाव ज्यादा शुभ नहीं रहेगा। पति/पत्नि में दीर्घ रोग, नौकरी-व्यवसाय में परेशानी, भागीदारी के कार्यों में हानि, शारीरिक पीड़ा, परदेशवास, कष्टदायक प्रवास, पुरुष की जन्मकुंडली में द्विभार्या योग होने पर पत्नि को अनिष्ट, कार्यों में विलंब तथा धन हानि के योग बनेंगे। इस राशि के जिन लोगों की जन्मकुंडली में शनि शुभप्रद होगा उन्हें आर्थिक लाभ, व्यावसायिक उन्नति, कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय एवं द्विभार्या योग होने में पुनर्विवाह के भी योग बनेंगे। जिन लोगों का विवाह नहीं हुआ है और कहीं तय भी नहीं हो पा रहा उनका विवाह इस साल होने के पूरे योग बनेंगे। धार्मिक यात्राएं होंगी।

तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए शनि का राशि परिवर्तन कुछ मामलों में अत्यंत लाभदायक रहने वाला है। इस साल आपके सारे शत्रु समाप्त हो जाएंगे, आरोग्यता प्राप्त होगी, द्रव्यलाभ होगा, कोर्ट के मामलों में विजय, ऋण (कर्ज) से छुटकारा, नौकरी-व्यवसाय में सफलता, नए कामकाज प्रारंभ करेंगे, मित्रों से लाभ, स्थायी संपत्ति प्राप्ति होगी तथा पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी । जिन जातकों का जन्मकालीन शनि निर्बल होगा उन्हें एकाधिक बार स्थान परिवर्तन का सामना करना पड़ेगा, अनावश्यक व्यय होंगे, माता व संतान को पीड़ा होगी तथा विद्यार्थियों को शिक्षा में विघ्न बाध की स्थिति बनेगी। साल 2025 में बड़े बदलावों का सामन करना होगा।

वृश्चिक राशि
शनि के मीन राशि में जाने के कारण वृश्विक राशि के जातकों पर से लघु कल्याणी ढैया हट जाएगा। इसलिए मिलाजुला फल मिलने वाला है। संतति को लेकर चिंता, परिवार में अनिष्ट प्रसंग, स्थान परिवर्तन, शेयर्स में हानि, विद्याध्ययन में रूकावट, आय से अधिक व्यय, नौकरी-धन्धे में उतार-चढ़ाव, पति/पत्नि को शारीरिक पीड़ा एवं बुद्धि भ्रम होगा । इस राशि के जिन जातकों की जन्मकुंडली मंक शनि श्रेष्ठ और मजबूत होगा उन्हें शिक्षा में पूर्णता का योग, कन्या संतान सुख, स्थायी संपत्ति की प्राप्ति, मित्रों से सुख एवं नौकरी-व्यवसाय में उन्नति प्राप्त होगी।

धनु राशि
शनि के मीन राशि में जाने से धनु राशि के जातकों को शनि का लघुकल्याणी ढैय्या चतुर्थ स्थान में लोहे के पाये से प्रारंभ होगा। इनके लिए शनि द्वितीय व तृतीय स्थान का स्वामी है। इसलिए स्थान परिवर्तन के योग बन रहे हैं, यात्रा में कष्ट हो सकता है, सौख्यता में कमी आएगी, स्वजनों से विरोध का सामना करना पड़ेगा, माता-पिता को शारीरिक पीड़ा एवं राजकीय संकट की स्थिति बन सकती है। जन्मकुंडली में शनि बलवान हो तो जमीन-जायदाद व वाहन सुख प्राप्त होगा, नौकरी-व्यवसाय में सफलता, फंसा हुआ- डूबा हुआ (नष्टांश) धन की प्राप्ति एवं कार्य सिद्धि होगी।

मकर राशि
शनि के मीन राशि में जाने से मकर राशि के जातकों पर से शनि की साढ़ेसाती समाप्त हो जाएगी। इससे लाभ प्राप्त होने लगेगा। उद्योग-धन्धा-नौकरी में उत्कर्ष प्राप्त करेंगे, अनेक माध्यमों से धनलाभ होगा, सर्वत्र अनुकूलता प्राप्त होगी, पद-पराक्रम में वृद्धि होगी, भातृसुख में वृद्धि, शत्रुनाश, आरोग्यता, भूमिलाभ, अभीष्ट कार्यों में सफलता एवं यशोमान की प्राप्ति होगी। सामाजिक जीवन में नए और बड़े पद मिल सकते हैं। जन्मकुंडली में शनि कमजोर होने पर कष्टप्रद यात्राएं, भाई-बहन व सन्तान को पीड़ा, मानसिक अशांति, इच्छा विरूद्ध स्थान परिवर्तन, अपयश तथा कुटुंबिक क्लेश होगा।

कुम्भ राशि
कुंभ राशि के जातकों को चांदी के पाये से शनि की साढ़ेसाती का अंतिम ढैय्या चरणों से प्रारंभ होगा। आपकी राशि कुंडली के अनुसार शनि बारहवें और प्रथम स्थान का स्वामी होकर द्वितीय स्थान में भ्रमण करेगा जो शुभप्रद नहीं है। प्रियजन का वियोग, धनहानि, पैतृक संपत्ति में विवाद, कुटुंबिक क्लेश, कदाचित गृहत्याग, पति/पत्नि को शारीरिक कष्ट, यश में कमी, नकारात्मक विचार एवं ऋण (कर्ज) लेने की स्थिति बनेगी। यदि जन्मांग में शनि बलवान होगा तो आय में वृद्धि के योग बनेंगे। कोर्ट में अनुकूलता होगी। स्थायी संपत्ति की प्राप्ति होगी। यशोमान में वृद्धि होगी।

मीन राशि
मीन राशि के जातकों को सुवर्ण के पाद से शनि की साढ़ेसाती का दूसरा ढैय्या हृदय पर प्रारंभ होगा। शनि एकादश व द्वादश स्थान का स्वामी होकर प्रथम भाव में भ्रमण करने पर स्वास्थ्य में गड़बड़ी, नौकरी-धन्धे में उतार-चढ़ाव, कार्यों में रूकावट, स्वजनों का वियोग, स्थानांतरण, प्रवास योग, भागीदारी से हानि, नैराश्य भाव एवं पति/पत्नि को पीड़ा होगी। जन्म का शनि श्रेष्ठप्रद हो तो रूके हुए कार्य पूर्ण होंगे, आत्मबल में वृद्धि, लाभकारी यात्राएं व धनसुख योग बनेगा। प्रेम संबंध या विवाहेत्तर संबंध बन सकते हैं। उच्च शिक्षा के विद्यार्थी के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण होगा।

शनि बदलेगा राशि
29 मार्च 2025 से मीन में
3 जून 2027 से मेष में

शनि वक्री समय
13 जुलाई 2025 से
28 नवंबर 2025 तक
कुल अवधि 138 दिन

शनि अस्त समय
28 फरवरी 2025 से
6 अप्रैल 2025 तक
अवधि कुल 37 दिन

29 मार्च 2025 तक साढ़ेसाती और लघु ढैया
मकर : अंतिम ढैया
कुंभ : दूसरा ढैया
मीन : पहला ढैया
कर्क और वृश्चिक पर लघु ढैया

29 मार्च 2025 से साढ़ेसाती और लघु ढैया
कुंभ : अंतिम ढैया
मीन : दूसरा ढैया
मेष : पहला ढैया
सिंह और धनु पर लघु ढैया

सावधान रहें! सतर्क रहें! 2025 मंगल का साल है


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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अंग्रेजी नववर्ष शुरू होने वाला है। नए साल से लोगों को अपने सपने पूरे होने की उम्मीदें हैं। किसी ने करियर बनाने का सपना देख रखा है तो किसी ने विवाह का, किसी को परिवार का साथ और समृद्धि चाहिए तो किसी को रोगों से मुक्ति, कोई अमीर बनना चाहता है तो किसी को दुनिया घूमने का शौक है। हर व्यक्ति की अपनी-अपनी आकांक्षाएं और सपने हैं। साल 2025 किसकी कितनी उम्मीदें पूरी कर पाता है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन हम यहां अंक ज्योतिष की दृष्टि से जानने का प्रयास करने हैं कि नया साल कैसा रहने वाला है।

सत्य का होगा खुलासा
अंक ज्योतिष की नजर से देखें तो साल 2025 मंगल का साल है। मंगल अग्नि तत्व का प्रतीक है। यह शौर्य, पराक्रम, बल, भूमि, कृषि, शरीर में रक्त, धन-संपत्ति का कारक ग्रह होता है। इन सभी क्षेत्रों पर मंगल का आधिपत्य होता है। चूंकि यह मंगल का साल है इसलिए ये सभी क्षेत्र इस साल प्रभावित होने वाले हैं। इसके अलावा मंगल को निर्दोष और सत्य का ग्रह भी कहा जाता है इसलिए इस साल बड़े-बड़े सत्य उजागर होने वाले हैं। कई रहस्य खुलेंगे। जो लोग गलत काम-धंधे करते हैं उनके नाम सार्वजनिक रूप से सामने आएंगे।

घटना-दुर्घटनाएं, आगजनी के संकेत
मंगल के वर्ष में आगजनी, बड़े अग्निकांड, वाहन दुर्घटना में आगजनी, जंगलों में आग जैसे बड़े मामले सामने आते हैं। इससे जुड़ी प्राकृतिक आपदाएं भी आती हैं। कुछ रहस्यमयी और नई महामारी फैलने के संकेत भी मिलते हैं जो रक्त से संबंधित हो। कोई ऐसा अनजाना वायरस जो लोगों के रक्त में जाकर उन्हें अनियंत्रित कर सकता है। देशों में भीषण युद्ध की आशंकाएं रहती हैं।

क्रोध बढ़ेगा, संयम से रहें
मंगल के वर्ष में लोगों की मानसिक स्थिति में बड़े बदलाव देखने को मिलते हैं। क्रोध की अधिकता रहती है। छोटी-छोटी बातों में लोग क्रोधित होकर अपना ही नुकसान कर बैठते हैं, इसलिए सलाह है कि संयम से रहें। जहां क्रोध जैसी स्थिति बन रही हो वहां से कुछ समय के लिए तत्काल दूर चले जाएं। मंगल दांपत्य जीवन को भी प्रभावित करता है। इसलिए तलाक के मामले भी बढ़ सकते हैं।

शुभ प्रभाव भी मिलते हैं
मंगल के साल में अनेक शुभ प्रभाव भी देखने को मिलते हैं। मंगल भूमि, संपत्ति, कृषि और धन से जुड़ा होता है। इसलिए इस साल में अनेक लोगों का अपने घर का सपना पूरा होगा। जो लोग लंबे समय से अपना मकान, बंगला बनाने की इच्छा रखते थे वे प्रयास करें उनका सपना इस साल पूरा होगा। जो लोग कृषि, खेती, फार्महाउस आदि खरीदना चाहते हैं या पूर्व से उपलब्ध इनसे जुड़े कार्यों को आगे बढ़ाना चाहते हैं वे प्रयास अवश्य करें। धन संपदा प्राप्त होगी। लोगों की कर्ज मुक्ति होगी। अनाज, खेती आदि से संबंधित कामों से खूब पैसा आएगा। जो लोग भूमि, भवन में निवेश करने की योजना बना रहे हैं उनकी इच्छा भी पूरी होगी।

मूलांकों पर असर

मूलांक-1 : (जन्म तारीख 1, 10, 19, 28)
क्रोध की अधिकता रहेगी। लड़ाई-झगड़े विवाद होंगे। परिवार से बनेगी नहीं। धन का संकट बना रहेगा। यात्राएं होंगी।

मूलांक-2 : (जन्म तारीख 2, 11, 20, 29)
मानसिक रूप से अस्थिर रहेंगे। तकनीकी कार्यों से पैसा आएगा। विदेशों से धन आएगा। दांपत्य जीवन में टकराव होगा।

मूलांक-3 : (जन्म तारीख 3, 12, 21, 30)
किस्मत चमकेगी, मान-सम्मान मिलेगा, अनेक माध्यमों से पैसा आएगा। बीच-बीच में क्रोध की अधिकता रहेगी।

मूलांक-4 : (जन्म तारीख 4, 13, 22, 31)
अंगारक योग बन रहा है। सतर्क रहें। व्यर्थ के विवाद होंगे। धन हानि हो सकती है। बड़ा निवेश करने से इस साल बचें।

मूलांक-5 : (जन्म तारीख 5, 14, 23)
धन आएगा, शिक्षा में सफलता, भूमि, भवन खरीदेंगे, यात्राएं होंगी, करियर में ग्रोथ मिलेगी किंतु परिवार से दूरी रहेगी।

मूलांक-6 : (जन्म तारीख 6, 15, 24)
नए प्रेम संबंध बनेंगे, वैवाहिक जीवन सुखद रहेगा, भौतिक सुख-सुविधाएं प्राप्त होंगी किंतु विवादों से दूर रहने का प्रयास करें।

मूलांक-7 : (जन्म तारीख 7, 16, 25)
स्वयं के भवन में जाने का योग है, कृषि भूमि खरीदेंगे, पैसा आएगा और निवेश करेंगे, दांपत्य जीवन में टकराव हो सकता है।

मूलांक-8 : (जन्म तारीख 8, 17, 26)
साल उत्तम रहेगा, भरपूर पैसा आएगा, सुखद यात्राएं होंगी, परिवार से विवाद दूर होंगे, विवाह के योग बन रहे हैं।

मूलांक-9 : (जन्म तारीख 9, 18, 27)
यह आपका ही साल है। सारी इच्छाएं पूरी होने वाली है। भाग्य चमकेगा, पैसा आएगा, प्रेम मिलेगा, संपत्ति खरीदने के योग बनेंगे।

वशीकरण के ऐसे प्रयोग जो हर किसी को कर देंगे वश में


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि वह आकर्षक दिखे और लोग उससे प्रभावित रहे, उसकी बात मानें और जो वह कहे वे करें। लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है। व्यक्ति दूसरों को अपने कंट्रोल में नहीं कर सकता लेकिन तंत्र शास्त्र में कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं जिनसे व्यक्ति दूसरों के मन पर अपना अधिकार जमा सकता है और फिर वह वैसा ही करने लगता है जैसा आप चाहते हैं। इसे वशीकरण तंत्र कहा जाता है।

तंत्र शास्त्र और ज्योतिष की विभिन्न विधाओं में वशीकरण करने के अनेक उपाय बताए गए हैं। उनमें वशीकरण तिलक, वशीकरण इत्र, वशीकरण मंत्र, वशीकरण यंत्र, वशीकरण माला या लौंग-इलायची-सुपारी-पान आदि के माध्यम से भी वशीकरण किया जा सकता है। आइए हम कुछ ऐसे ही प्रयोगों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं।

ध्यान रखने वाली बात यह है कि ये सारे प्रयोग तभी काम करते हैं जब आप सामने वाले व्यक्ति से पर्सनली एक-दो बार मिले हों या उनके आपका पहले से परिचय है। अनजान लोगों को आप ऐसे किसी भी प्रयोग के माध्यम से वश में नहीं कर सकते हैं।

ये हैं खास वशीकरण प्रयोग
1. आप जिस स्त्री-पुरुष को वश में करना चाहते हैं उसका नाम भोजपत्र पर अनार की कलम और केसर की स्याही से लिखना है। इस भोजपत्र को आठ तह करके एक शहद की डिब्बी में डुबोकर रख दें। इस डिब्बी को चुपचाप किसी सुनसान जगह में जाकर जमीन में गड्ढा खोदकर दबा दें। एक सप्ताह में संबंधित व्यक्ति के मन में आपके प्रति स्नेह उमड़ने लगेगा।

2. केसर, गोरोचन, हरताल, मेनसील को समान भाग में लेकर गुलाबजल में घोट लें। इसका तिलक शुक्रवार को करके जहां भी जाएंगे सभी लोग आपके वश में हो जाएंगे और आपसे प्रभावित होकर आपकी बात मानने लगेंगे। यह तिलक लगाकर यदि सार्वजनिक मंच से भाषण दिया जाए तो लाखों लोगों को प्रभावित किया जा सकता है।

3. यदि किसी महिला का पति उसका कहना नहीं मानता और घर-परिवार पर ध्यान नहीं देता है तो स्त्री- ऊं नमो महायक्षिणी ममपति वश्य मानय कुरु कुरु स्वाहा, मंत्र को 1008 बार गुरुवार को जपे। इसके बाद कदली के रस में सिंदूर मिलाकर इस मंत्र से अभिमंत्रित करके मस्तक पर लगाएं तो कैसा भी निष्ठुर पति हो वशीभूत हो जाता है।

4. ऊं कुंभनी स्वाहा, इस मंत्र को 10 हजार बार जपकर सिद्ध कर लें। इसके बाद जब इसका प्रयोग करना हो तब एक लाल फूल पर इस मंत्र को 108 बार जपकर वह फूल जिसे भी सुंघा देंगे वह वशीभूत हो जाएगा।

5. ऊं नमो तिलक ईश्वर, तिलक महेश्वर, तिलक जय-विजयकार, तिलक काढ़ी ने निसरू घर से, मोहु सकल संसार।
इस मंत्र से गोरोचन, कपूर, कस्तूरी, केसर इन सभी वस्तुओं को अभिमंत्रित करके तिलक करें तो लोग मोहित होकर आपके सेवक बन जाएंगे।

6. क्लीं कामदेवाय नम:, इस मंत्र को नित्य प्रतिदिन एक माला जपने से व्यक्ति में जबर्दस्त आकर्षण शक्ति पैदा हो जाती है। ऐसे व्यक्ति को देखते ही लोग मोहित हो जाते हैं और सारी बात मानने लगते हैं।

7. गुरुवार के दिन काली हल्दी को सिंदूर के साथ घिसें और इसका तिलक करें। यह वशीकरण तिलक हर दिन लगाएं। इससे आप जहां भी जाएंगे सभी के आकर्षण का केंद्र रहेंगे। आप जो भी बात कहेंगे लोग उसे मानंगे।

8. ऊं नमो आदिरूपाय अमुकस्य आकर्षणं कुरु कुरु स्वाहा, इस मंत्र को 1008 जाप करके शहद से भोजपत्र पर मंत्र लिखें। अमुकस्य की जगह उसका नाम लिखें जिसे वश में करना चाहते हैं। इस भोजपत्र को शहद में डुबोकर रख दें तो वह व्यक्ति आपके वश में हो जाएगा।

9. भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र में भी किसी भी व्यक्ति को वशीभूत करने की शक्ति होती है। क्लीं कृष्णाय नम: मंत्र की नित्य एक माला जाप करने वाले व्यक्ति में आकर्षण शक्ति पैदा हो जाती है। वह सभी जन को अपने वश में कर लेता है।

10. जो व्यक्ति अपनी दोनों हथेलियों के शुक्र पर्वत पर अर्थात अपने अंगूठे के नीचे वाले स्थान पर इत्र लगाकर दूसरे हाथ के अंगूठे से क्लॉकवाइज रगड़ते हुए क्लीं मंत्र का जाप करता है, ऐसे व्यक्ति में सभी को वशीभूत करने की शक्ति आ जाती है। इससे चेहरे पर भी आकर्षण बढ़ता है।

बुध हुआ मार्गी, पांच उपायों से बनेंगे सारे काम


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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जन्मकुंडली में बुध के शुभ अवस्था में रहने के कारण अनेक काम स्वत: ही सही होने लगते हैं। जन्म कुंडली में बुध यदि अपनी नीच राशि मीन में हो, अस्त हो, वक्री हो या पाप ग्रहों राहु-केतु के साथ हो तो जातक द्वारा लिए गए सभी निर्णय गलत साबित होते हैं। उसके व्यापार-व्यवसाय में अनेक उतार-चढ़ाव आते हैं और वह स्थिर दिमाग का नहीं रह पाता है। वहीं इसके उलट बुध यदि अपनी उच्च राशि कन्या में हो और शुभ ग्रहों के साथ बैठा हो या शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो जातक द्वारा लिए गए छोटे से छोटे निर्णय भी सही साबित हो जाते हैं और उसे अनेक प्रकार के लाभ होते हैं। उसकी वाणी में साक्षात सरस्वती का वास हो जाता है।

बुध 15 दिसंबर 2024 को रात्रि 2 बजकर 28 मिनट पर मार्गी हो रहा है। बुध के मार्गी होने से सभी राशि के जातकों को लाभ होगा। किंतु हम आपको ऐसे पांच उपाय बताने जा रहे हैं जो आपके कमजोर बुध को भी मजबूत कर देंगे और फिर आपको अपने कार्यों में स्वत: सफलता मिलने लग जाएगी।

पहला उपाय
बुध को मजबूत करने के लिए सबसे पहला और सटीक उपाय है पेड़-पौधों की सेवा करना। अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाना चाहिए। यदि आपके घर-आंगन में पौधे लगे हुए हैं तो ध्यान रखें कि उनकी नियमित रूप से देखभाल करते रहें। उन्हें पानी दें, यदि किसी पौधे पर पत्तियां या टहनी खराब हो गई हैं, सूख गई हैं तो उन्हें काट दें, हटा दें। फूलदार पौधे लगाएं। इससे आपका बुध मजबूत होगा और उसके शुभ परिणाम मिलने लगेंगे।

दूसरा उपाय
बुध को मजबूत करने के लिए हरी वस्तुओं का दान किया जाता है। गाय को हरा चारा खिलाएं। ब्राह्मण को हरे फल और हरी सब्जियां दान में दें। हरे खड़े मूंग का दान करें। कन्याओं को हरे रंग के वस्त्र दान करना चाहिए। कांसे के बर्तनों का दान गणेश मंदिर में करने से बुध की पीड़ा दूर होती हैं।

तीसरा उपाय
पांच बुधवार को किसी गणेश मंदिर में जाएं और गणेशजी को 108 दूर्वा अर्पित करें। मंदिर में बैठकर बुध के मंत्र ऊं ब्रां ब्रीं ब्रूं स: बुधाय स्वाहा का एक माला जाप करें। इससे बुध से जुड़ी सारी पीड़ाएं दूर हो जाएंगी। पांच बुधवार यह प्रयोग हो जाने के बाद छठे बुधवार को किसी ब्राह्मण दंपती को भोजन करवाकर उन्हें हरे रंग के वस्त्र भेंट करें।

चौथा उपाय
बुधवार के दिन यदि कोई किन्नर मिल जाए तो इससे शुभ कुछ और हो ही नहीं सकता। किन्नर को अपने घर में आमंत्रित करके उसे भोजन करवाएं, और यदि वह भोजन करने का इच्छुक न हो तो भोजन के लिए आवश्यक रूपये दें। उनके पैर पूजकर हरे रंग के वस्त्र भेंट करें। उनसे आशीर्वाद लें। इससे बुध की कृपा प्राप्त होगी और आपके सारे निर्णय सही साबित होने लगेंगे।

पांचवा उपाय
बुधवार के दिन एक मिट्टी के कलश में हरे खड़े मूंग भरें और कलश का मुंह हरे रंग के कपड़े से बांध दें। इस कलश का पूजन करें और इसे किसी सुनसान जगह में गड्ढा खोदकर दबा दें या किसी नदी में प्रवाहित कर दें। यह प्रयोग बुधवार के दिन ही करना है और इसके बारे में किसी को बताना नहीं है। आपने ऐसा किया है यह गुप्त रखना है।

15 दिसंबर से लगेगा मलमास, बंद हो जाएंगे मांगलिक कार्य


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने के साथ ही 15 दिसंबर 2024 से धनुर्मास प्रारंभ हो जाएगा। इसे मलमास या खरमास भी कहा जाता है। मलमास में सगाई, विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। इसके बाद सूर्य जब 14 जनवरी 2025 को मकर राशि में प्रवेश करेगा तब मलमास समाप्त होगा और मांगलिक कार्य पुन: प्रारंभ हो जाएंगे। यह मास सूर्य के दक्षिणायन का अंतिम मास भी होता है। सूर्य के मकर में प्रवेश करने के साथ ही उत्तरायण प्रारंभ हो जाता है।

सूर्य का धनु में प्रवेश और मकर संक्रांति
सूर्य प्रत्येक राशि में 30 दिन रहता है। इस प्रकार 12 महीनों में 12 राशियों में अपना भ्रमण पूरा कर लेता है। सूर्य 15 दिसंबर 2024 को रात्रि 10 बजकर 10 मिनट पर धनु राशि में प्रवेश करेगा। 30 दिन बाद 14 जनवरी 2025 को मकर राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का पर्व मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है।

मलमास और मांगलिक कार्य
सूर्य जब-जब गुरु की राशि धनु और मीन में रहता है तब-तब मलमास होता है। चूंकि किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य के लिए गुरु का शुद्ध होना आवश्यक है और जब गुरु की राशि में सूर्य आता है तब गुरु अस्त के समान निस्तेज और दूषित हो जाता है इसलिए इसे मलमास कहा जाता है और इसमें मांगलिक कार्य रोक दिए जाते हैं। इनमें मुख्य रूप से सगाई, विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि नहीं किए जाते हैं।

सूर्य का धनु में प्रभाव
सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने के साथ ही सभी राशियों पर इसका शुभाशुभ प्रभाव पड़ता है। यह प्रभाव प्रत्येक जातक की अपनी जन्मकुंडली में सूर्य और गुरु की स्थिति के अनुसार पड़ता है। जिन जातकों की जन्मकुंडली में सूर्य शुभ स्थानों में हो और पाप ग्रहों राहु केतु की दृष्टि में न हो उन्हें शुभ प्रभाव मिलते हैं। जिनकी कुंडली में सूर्य के साथ राहु, केतु हो उन्हें इसके विपरीत परिणाम देखने को मिल सकते हैं। कुंडली में गुरु अस्त, नीच राशि में हो तो जातक को खराब परिणाम भोगने पड़ सकते हैं। मान-सम्मान, प्रतिष्ठा में कमी और संकटों का सामना करना पड़ सकता है।

धनुर्मास में क्या करें
सूर्य के धनु राशि में गोचर करने के दौरान भगवान विष्णु और सूर्य की आराधना करना चाहिए। हर दिन सूर्य को जल में लाल पुष्प या लाल चंदन डालकर अर्घ्य दें। भगवान विष्णु के नित्य दर्शन करके उन्हें पीले पुष्प अर्पित करें, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।

ये उपाय भी अवश्य करें
– आंकड़े का पौधा कहीं हो तो उसके आसपास सफाई करके सुंदर क्यारी बनाएं और पौधे का पूजन करके।
– मलमास में भगवान विष्णु की आराधना करना चाहिए। पूरे मास में श्रीहरि को पीले पुष्प और तुलसी अवश्य अर्पित करें।
– मलमास में पवित्र नदियों में स्नान करें। दान-पुण्य करें। गरीबों को भोजन करवाएं। पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी रखें।
– इस मास में सूर्य को प्रतिदिन तांबे के कलश में लाल पुष्प डालकर जल का अर्घ्य अर्पित करें।

घोड़े की नाल चमका देगी किस्मत, बनाएगी धनवान


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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घोड़े के पैरों में लोहे की यू आकार की नाल लगाई जाती है ताकि उसे चलने और दौड़ने में आसानी हो। इसे हार्स शू भी कहते हैं। यह नाल घोड़े के पैरों की सुरक्षा करती है, लेकिन क्या आप जानते हैं यही घोड़े की नाल इंसानों को भी अनेक परेशानियों से बचाती है और उनकी रक्षा करती है। जी हां, अक्सर आपने सुना-पढ़ा होगा कि घोड़े की नाल से बनी अंगूठी पहनने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। यह शनि के दुष्प्रभावों से बचाती है, लेकिन इसके अलावा भी अनेक परेशानियों से घोड़े की नाल आपकी रक्षा करती है। यह बुरी नजर और नकारात्मक शक्तियों से तो बचाती ही है, इसका उपयोग धन-समृद्धि में वृद्धि के लिए भी किया जाता है।

ये हैं घोड़े की नाल के लाभ
1. घोड़े की नाल को शनिवार के दिन घर के मुख्य द्वार पर सीधा लगाने से उस घर पर सदैव दैवीय कृपा बनी रहती है।
2. घोड़े की नाल को उल्टा करके घर के मुख्य द्वार पर लगाने से भूत-प्रेत बाधा और नकारात्मक शक्तियां घर में प्रवेश नहीं करती।
3. काले घोड़े के पैरों से निकली हुई नाल का छल्ला बनवाएं। शनिवार के दिन पीपल पेड़ के नीचे एक लोहे (स्टील) की कटोरी में सरसों का तेल भरकर उसमें यह छल्ला डालें और उसमें अपना चेहरा देखें। इसके बाद यह तेल दान कर दें। ऐसा करने से शनि की साढ़ेसाती या ढैया के दुष्प्रभाव में कमी आने लगती है।
4. यदि आप या आपके परिवार में कोई अक्सर बीमार रहता है तो उसके पलंग के चारों कोने में काले घोड़े की नाल से बनी कीलें ठोंक दें। रोगी शीघ्र स्वस्थ होने लगेगा।
5. शनिवार के दिन घोड़े की नाल से बनी अंगूठी मध्यमा अंगुली में पहनने से शनि के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है।
6. यदि आपका व्यापार-व्यवसाय अच्छा नहीं चल रहा है तो शनिवार के दिन काले घोड़े की नाल को अपने व्यावसायिक स्थल पर लगाएं। व्यापार में उन्नति होने लगेगी।
7. घोड़े की नाल को काले कपड़े में बांधकर अपने धन रखने के स्थान पर रखने से आपके धन कोष में वृद्धि होने लगती है।
8. खिलाड़ियों के लिए घोड़े की नाल का छल्ला पहनना काफी लाभदायक रहता है। इससे उनमें जोश और ऊर्जा बनी रहती है।
9. महिलाओं को घोड़े की नाल का छल्ला जरूर पहनना चाहिए। यदि पहन नहीं सकती तो इसे अपने पर्स में हमेशा रखें। यह आत्मविश्वास बढ़ाता है।
10. कमर दर्द की शिकायत रहती है तो अपनी कमर में घोड़े की नाल का छल्ला काले धागे में पहनने से लाभ मिलता है।

कैसे धारण करें घोड़े की नाल की अंगूठी
मान्यता है कि घोड़े की नाल तभी प्रभावी रहती है जब वह अपने आप घोड़े के पैर से उखड़कर गिरी हो और शनिवार के दिन किसी को मिले। लेकिन ऐसा अक्सर संभव नहीं होना। यह अत्यंत दुर्लभ है। इसलिए यदि आप घोड़े की नाल चाहते हैं तो किसी घोड़े रखने वाले व्यक्ति से शनिवार के दिन घोड़े के पैर से नाल निकलवाकर ले सकते हैं।

इस नाल को ॐ श्री शनिदेवाय नमः का उच्चारण करते हुए अपने घर ले आएं। इसे घर में न रखते हुए बाहर कहीं सुरक्षित स्थान रख दें। दूसरे दिन रविवार को उसे सुनार के पास ले जाकर उसमें से टुकड़ा कटवाकर उसमें थोड़ा सा तांबा मिलवा दें। ऐसी मिश्रित धातु की अंगूठी बनवाएं और उस पर नगीने लगाने के स्थान पर शिवमस्तु अंकित करा लें। अब उसे घर लाकर पूजन करें और पूजा स्थान पर नीले रंग के कपड़े के आसन पर स्थापित कर दें।

अगले शनिवार को व्रत रखें। शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे शनिदेव की पूजा करें और तिल या सरसों के तेल का दीपक लगाकर ॐ शं शनैश्चराय नमः मंत्र का जाप करें। एक माला जाप के बाद पुनः अंगूठी को उठाएं और सात बार यही मंत्र पढ़ते हुए पीपल की जड़ से स्पर्श कराकर उसे पहन लें। यह अंगूठी मध्यमा अंगुली में धारण करनी चाहिए। उस दिन केवल एक बार संध्या को पूजनोपरांत भोजन करें और संभव हो तो प्रति शनिवार को व्रत रखकर पीपल के वृक्ष के नीचे शनिदेव की पूजा करते रहें। कम से कम सात शनिवार तक यही क्रम रखें तो शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है और धन-धान्य में वृद्धि होती है। दरिद्रता दूर होती है।

शुक्र खराब है तो मिलेंगे ये संकेत, कैसे करें मजबूत


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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प्रत्येक मनुष्य के जीवन में शुक्र ग्रह का बड़ा महत्व होता है। शुक्र से ही धन-संपत्ति, सुख, पारिवारिक-दांपत्य सुख, संतान सुख और लग्जरी लाइफ मिलती है। आप लोगों के बीच में कितने लोकप्रिय होंगे यह भी शुक्र तय करता है। इसलिए शुक्र का मजबूत होना अत्यंत आवश्यक है। शुक्र की खराब स्थिति जीवन को नष्ट कर देती है। आइए जानते हैं आपकी कुंडली में शुक्र खराब हैं तो क्या लक्षण होते हैं और शुक्र को कैसे मजबूत किया जा सकता है।

खराब शुक्र के लक्षण
1. यदि आपकी कुंडली में शुक्र खराब है तो आप इसे आसानी से समझ सकते हैं। यदि अचानक लोग आपसे दूर जाने लगें, आपकी बातों को महत्व न दें और आपका कहना न मानें तो समझिए शुक्र खराब हो गया है।
2. यदि अचानक आपका आकर्षण प्रभाव कम होने लगे। विशेषकर विपरीतलिंगी व्यक्ति जो आपके करीब रहे हों वो अचानक दूर होने लगे तो समझिए शुक्र कमजोर हो गया है।
3. आपके चेहरे का आकर्षण खो जाए, आपके चेहरे पर चमक न रहे, किसी काम को करने की उत्तेजना, उत्साह आपमें न रहे, आपको जीवन नीरस सा लगने तो शुक्र में कहीं न कहीं गड़बड़ी हुई है।
4. यदि आपको यौन संबंध बनाने में रुचि न हो, अपने पार्टनर के साथ आप प्रेमपूर्ण व्यवहार नहीं कर पा रहे हैं। आपके अंदर प्रेम और कामेच्छा की कमी हो जाए तो निश्चित रूप से शुक्र खराब हुआ है।
5. आपकी लाइफ में लग्जरी नहीं आ पा रही है। खर्च अधिक हो रहा है, पैसों की बचत नहीं हो रही है तो भी यह कमजोर शुक्र का लक्षण है।
6. प्रेमी-प्रेमिकाओं में अनबन हो रही है, दोनों एक-दूसरे से दूर होने का सोच रहे हों और आपस में तालमेल का अभाव हो जाए तो शुक्र खराब हो गया है।

शुक्र को मजबूत कैसे करें
1. शुक्र को मजबूत करने के लिए अधिक से अधिक सफेद, पिंक या जामुनी रंग के कपड़े पहनें। शुक्रवार के दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचें।
2. हमेशा साफ-स्वच्छ रहें, अच्छा परफ्यूम या इत्र लगाएं। गंदे कपड़े बिलकुल न पहनें।
3. फटे हुए कपड़े, फटे हुए जूते-चप्पल न पहनें।
4. अपने मस्तक पर केसर का तिलक प्रतिदिन लगाएं।
5. शुक्रवार के दिन श्रीकृष्ण भगवान को चांदी की बांसुरी भेंट करें।
6. चांदी का कड़ा पहनें या चांदी का छल्ला अंगूठे में पहनें।
7. शुक्रवार के दिन सफेद चीजों का दान करें। जैसे दूध, दही, सफेद वस्त्र, मिश्री, चावल आदि।
8. शुक्रवार के दिन व्रत रखें और मां लक्ष्मी का पूजन करें।
9. शुक्रवार के दिन ऊं द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: मंत्र का एक माला जाप स्फटिक की माला से करें।
10. घर में सफेद फूलों का पौधा लगाएं।
11. शुक्रवार के दिन चांदी के बर्तन में पानी पीएं।
12. स्त्रियों का अपमान न करें। शुक्रवार को स्त्रियों को सफेद मिठाई खिलाएं।
13. श्रीकृष्ण की पूजा करने से शुक्र को मजबूती मिलती है।
14. अपनी प्रेमिका या पत्नी को शुक्रवार के दिन परफ्यूम या चांदी का आभूषण भेंट करें।
15 . शिवजी को शुक्रवार के दिन दूध में मिश्री डालकर अभिषेक करें।

शुभ कार्यों में क्यों बांधते हैं आम के पत्तों की वंदनवार


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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सनातन संस्कृति जिनती वैज्ञानिक है उतनी कोई संस्कृति नहीं। हिंदू सनातन संस्कृति में प्रत्येक रीति-रिवाज के पीछे एक गहन विज्ञान छुपा होता है। यह बात अलग है कि आमजन को विज्ञान की भाषा समझ नहीं आती इसलिए हर बात को धर्म से जोड़कर बताया गया ताकि व्यक्ति किसी भी तरह उन वैज्ञानिक बातों को अपने जीवन में अपनाए और सुखी-निरोगी रहे। ऐसा ही एक विज्ञान शुभ कार्यों में घर के दरवाजे पर पत्तों की वंदनवार बांधने से जुड़ा है। यह वंदनवार आम के पत्तों या अशोक के पत्तों की बांधी आती है। कहीं कहीं केले के पत्तों की वंदनवार भी सजाई जाती है।

हिंदू धर्मशास्त्रों में प्राय: किसी भी शुभ कार्य की बात आती है तो द्वार पर वंदनवार बांधने को कहा जाता है। यह वंदनवार क्या होती है और क्यों बांधी जाती है। आखिर इसका विधान क्या है? क्या वैज्ञानिक भी इस बात से सहमत हैं। आज हम इसी पर चर्चा करते हैं।

किसी भी शुभ कार्य जैसे विवाह, सगाई, मुंडन, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश, भगवान सत्यनारायण की कथा और अन्य अनेक शुभ कार्यो के समय घर के द्वारों पर आम के पत्तों की वंदनवार सजाई जाती है। वास्तव में शास्त्र कहते हैं कि वंदनवार नकारात्मक शक्तियों को उस घर से दूर रखती है जहां इसे बांधा जाता है। मुख्य द्वार पर आम के पत्तों की वंदनवार बांधने का विधान ही इसलिए बनाया गया कि हमारे शुभ कार्यों की सिद्धि हो सके और नकारात्मक शक्तियां, विकार दूर रह सकें।

यह है वंदनवार का विज्ञान
हमारे भारत देश और अनेक पश्चिमी देशों में किए गए अनेक शोधों में यह बात सामने आई है कि आम के पत्ते लंबे समय तक आक्सीजन उत्सर्जित करते रहते हैं। इससे वातावरण शुद्ध रहता है और दूषित वायु के कण, प्रदूषण, विषैली गैसें आदि उस जगह प्रवेश नहीं कर पाती जहां आम के पत्ते हों। इसीलिए हमारे यहां शुभ कार्यो में आम के पत्तों की वंदनवार बांधी जाती है। अमेरिका में किए गए शोध में यह सिद्ध हुआ कि आम के पत्ते अन्य पत्तों की अपेक्षा 8 घंटें अधिक तक आक्सीजन देते रहते हैं।

वंदनवार के क्या हैं लाभ
– आम के पत्तों की वंदनवार बांधने से वातावरण शुद्ध बना रहता है।
– आम के पत्तों का स्पर्श मन और मस्तिष्क को शीतलता प्रदान करता है।
– आम के पत्तों को शुभ कार्योँ में प्रयुक्त करने का उद्देश्य यह है कि वह सबसे ज्यादा और बहुत देर तक आक्सीजन देता है।
– हवन, यज्ञ आदि में आम की लकड़ी का उपयोग भी इसी उद्देश्य से किया जाता है।
– आम्र वृक्ष की छाल, पत्ते और इसके फूलों का उपयोग अनेक प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियों में किया जाता है।
– गृह प्रवेश के समय द्वार पर वंदनवार बांधने से अभीष्ट कार्य में बाधा नहीं आती और कार्य सिद्धि होती है।
– आम के पत्तों को माला के रूप में भगवान श्रीहरि को अर्पित करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।
– आम के पत्तों का चयन करते समय ध्यान रखें कि वे टूटे-फटे, कटे हुए न हों। उनमें कीड़े आदि न लगे हों। पत्ते जालीदार न हों। साफ-सुथरे और साबुत पत्तों की ही माला या वंदनवार बनाई जानी चाहिए।

उत्पन्ना एकादशी के दिन ये उपाय करेंगे सारे संकट दूर


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को उत्पन्ना या उत्पत्ति एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। इस दिन एकादशी की उत्पत्ति हुई थी इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। भोग और मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है। इस एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि को बादाम का नैवेद्य लगाकर बादाम को प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए। उत्पन्ना एकादशी 26 नवंबर 2024 मंगलवार को आ रही है। हस्त नक्षत्र और प्रीति योग में आ रही यह एकादशी विशेष पूजनीय है और इसका व्रत करने से पारिवारिक सुख, सामंजस्य बना रहता है और सभी के बीच प्रीति रहती है। विधि विधान से व्रत रखकर उत्पन्ना एकादशी व्रत की कथा अवश्य सुनना चाहिए।

उत्पन्ना एकादशी व्रत की कथा
सतयुग में मूर नामक राक्षस था। वह त्रिलोक पर अपना आधिपत्य करना चाहता था। इसी क्रम में उसने देवताओं पर विजय प्राप्त कर इंद्र को अपने अधीन बना लिया। मूर के इस कृत्य से रक्षा की गुहार लगाने सभी देवता भगवान शंकर की शरण में पहुंचे। भगवान शंकर ने देवताओं को विष्णुजी के पास भेजा। विष्णुजी ने दानवों की सेना को तो परास्त कर दिया लेकिन बचकर मूर भाग गया। विष्णु ने मूर को भागता देखकर युद्ध बंद कर दिया और स्वयं बद्रिकाश्रम की गुफा में आराम करने लगे। मूर ने वहां पहुंचकर विष्णुजी को मारना चाहा तभी विष्णुजी के शरीर से एक कन्या का जन्म हुआ जिसने तत्काल मूर का वध कर दिया। उस कन्या ने भगवान विष्णु को बताया कि मैं आपके अंश से उत्पन्न शक्ति हूं। विष्णुजी ने प्रसन्न होकर उस कन्या को आशीर्वाद दिया कि तुम संसार के माया जाल में उलझे तथा मोह के कारण मुझसे विमुख प्राणियों को मुझ तक लाने में सक्षम बनोगी। तुम्हारी आराधना करने वाले प्राणी आजीवन सुखी रहेंगे। इस कन्या को भगवान विष्णु ने एकादशी नाम दिया।

उत्पन्ना एकादशी का समय
एकादशी प्रारंभ 26 नवंबर रात्रि 1:01
एकादशी पूर्ण 27 नवंबर रात्रि 3:30
व्रत का पारणा 27 नवंबर दोप 1:20 से 3:30

उत्पन्ना एकादशी के दिन क्या करें
1. उत्पन्ना एकादशी के दिन धन संबंधी संकट दूर करने के लिए किसी हनुमान मंदिर में लगे हुए पीपल के पेड़ से सात पत्ते लें। इन पत्तों पर अष्टगंध से श्रीं लिखें और इन पत्तों को एक मौली से बांधकर हनुमानजी के समक्ष रखें। 11 मिनट रखे रहने के बाद इन पत्तों को कुएं में डाल आएं। धन का संकट दूर होने लगेगा।

2. एक पीपल के पत्ते पर कपूर रखकर श्रीहरि विष्णु भगवान के समक्ष प्रज्वलित करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। इस उपाय को करने से आर्थिक तंगी शीघ्र दूर होने लगती है।

3. इस एकादशी के दिन विष्णु भगवान को तुलसी पत्र डालकर पंचमेवों का भोग लगाने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।

4. उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप का पूजन करना चाहिए। माखन-मिश्री का भोग लगाकर उन्हें सुंदर मोरपंख सजाएं। आपकी सारी इच्छाएं पूरी होंगी।

कहीं आपके हाथ में भी तो नहीं है अतिकामुकता रेखा


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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वैवाहिक जीवन की सफलता व्यक्ति की यौन इच्छाओं पर निर्भर करती है। यह सामान्य बात है कि स्त्री और पुरुष का समान रूप से कामेच्छु होना आवश्यक है। तभी दोनों वैवाहिक जीवन का पूर्ण आनंद ले पाते हैं। कामेच्छा होना संतान प्राप्ति के लिए हमारे धर्म शास्त्रों में अनिवार्य कर्म बताया गया है। तभी तो जीवन के चार पुरुषार्थों धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष में काम को भी स्थान दिया गया है। हालांकि शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि व्यक्ति का एक सीमा तक कामुक होना अच्छा है किंतु जब यह इच्छाएं उग्र हो जाती है तो व्यक्ति अतिकामुक हो जाता है और वह गलत यौन व्यवहार करने लगता है।

हस्तरेखा शास्त्र में वैसे तो प्रत्येक रेखा का अपना महत्व होता है, लेकिन एक ऐसी रेखा होती है जिससे व्यक्ति में मौजूद कामुकता का पता लगाया जा सकता है। यदि व्यक्ति अतिकामुक है तो वह उसके और परिवार के लिए ठीक नहीं होता है। क्योंकि अतिकामुक व्यक्ति के अनेक स्त्री या पुरुषों से संबंध हो सकते हैं। हस्तरेखा शास्त्र में इसी कामुकता रेखा को असंयम रेखा के नाम से भी जाना जाता है। आज हम हस्तरेखा के माध्यम से जानेंगे कामुकता रेखा के बारे में-

हथेली में कहां होती है कामुकता रेखा
कामुकता रेखा बुध पर्वत के नीचे अर्धचंद्राकार रूप में स्थित होती है, जो चंद्र पर्वत को शुक्र पर्वत से जोड़ती है। यह रेखा जिस स्त्री-पुरुष के हाथ में होती है, उनमें संयम की कमी होती है। ऐसे लोगों का स्वयं पर नियंत्रण नहीं रहता। मुख्यतया यह रेखा व्यक्ति की काम वासना से जुड़ी होती है। जिस स्त्री या पुरुष के हाथ में असंयम रेखा होती है वे यौन संबंधों के मामले में उग्र होते हैं। ऐसे लोग विपरित लिंगी व्यक्ति से यौन संबंध बनाने के लिए कई बार हिंसक भी होते देखे गए हैं।

कामुकता रेखा से जुड़े योग
– यदि हथेली में बुध रेखा या चंद्र रेखा के समानांतर एक छोटी रेखा चल रही हो तो यह रेखा बुध रेखा को विशेष शक्ति प्रदान करती है और यह शक्ति केवल अधिक कामुकता के रूप में सामने आती है। चूंकि यह रेखा शुक्र तथा चंद्र पर्वतों को जोड़ने का काम करती है, इसलिए यह चंद्र तथा शुक्र दोनों ग्रहों का फल प्रदान करती है। अगर इस रेखा वाले व्यक्ति के हाथ में मस्तिष्क रेखा कमजोर हो और उसका अंगूठा भी छोटा हो तथा अंगूठे का पहला पोर बड़ा हो तो व्यक्ति अति कामुक हो जाता है और वह काम वासना में अंधा होकर अच्छा-बुरा भूल जाता है।

– यदि कामुकता रेखा जीवन रेखा को काटती हुई चंद्र पर्वत तक पहुंच जाती है और जीवन रेखा कमजोर हो तब ऐसा व्यक्ति अत्यधिक कामुकता के कारण अस्वस्थ रहता है। उसका किसी अन्य काम में मन नहीं लगता, बस दिनरात काम वासना के बारे में ही सोचता रहता है।

– यदि यह रेखा भारी हाथ वाले व्यक्ति के हाथ में स्थित है और साथ ही उसका शुक्र पर्वत भी उन्नत हो तब ऐसा व्यक्ति काम की तृप्ति में किसी नियम को नहीं मानता है। परिवार के विपरीत जाकर संबंध बनाता है।

– यदि हथेली में मस्तिष्क रेखा चंद्र पर्वत की ओर झुकी हुई हो तो ऐसे व्यक्ति में मानसिक शक्ति कमजोर रहती है। वह हकीकत के मुकाबले कल्पना में अधिक जीवन जीता है। ऐसे में यदि हाथ में असंयम रेखा भी है तो व्यक्ति कितना ही बुद्धिमान क्यों ना हो वह जरा सी बात में उग्र हो जाता है और किसी पर यौन हमला भी कर सकता है।

– जिस व्यक्ति के हाथ में डबल असंयम रेखा होती है वह दुष्कर्मी, दुराचारी और भयानक नशे का आदी होता है।

– यदि किसी व्यक्ति के हाथ में कामुकता रेखा पर नक्षत्र का चिह्न हो तो ऐसा व्यक्ति अनेक विपरीतलिंगी लोगों के साथ संबंध बनाता है।