कुंडली निर्माण
कुंडली जातक के भूत, भविष्य और वर्तमान के सारे राज खोल देती है। लेकिन कुंडली के आधार पर की जाने वाली भविष्यवाणी तभी सही होती है, जब कुंडली का निर्माण सही ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार किया गया हो। यदि कुंडली गलत बनी है तो फल कथन भी गलत हो जाता है। हम प्राचीन वैदिक पंचांगों और सूक्ष्ण गणनाओं के आधार पर सटीक कुंडली का निर्माण करते हैं।
कुंडली मिलान
भारतीय परंपरा में विवाह से पहले भावी दंपती की कुंडली का मिलान करना अनिवार्य कर्म बताया गया है। स्त्री-पुरुष की कुंडली का मिलान करके शुभाशुभ योगों के बारे में जाना जा सकता है। कुंडली मिलान इसलिए भी आवश्यक है ताकि भविष्य में होने वाली अशुभ घटनाओं से बचा जा सके। हम अष्टकूट मिलान करके भावी दंपती के जीवन को समृद्ध और खुशहाल बनाने का काम करते हैं।
रत्न परामर्श
समुद्र मंथन से निकले नौ रत्नों को समस्त देवताओं ने धारण किया और राक्षसों पर विजय पाई। ज्योतिष में रत्नों का विशेष महत्व होता है। नौ ग्रहों से संबंधित नौ रत्न जीवन की दशा और दिशा बदलने में समर्थ हैं। लेकिन रत्न धारण करने से पहले अपनी कुंडली का अध्ययन विद्वान ज्योतिषी से करवा लेना चाहिए। बिना ज्योतिषीय परामर्श के रत्न पहनना ग्रहों को क्रोधित कर सकता है।
रुद्राक्ष परामर्श
शिव महापुराण के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के नेत्रों से उत्पन्न अश्रु से हुई है। इसलिए यह अत्यंत पवित्र और चमत्कारी होता है। रुद्राक्ष धारण करने से मन-मस्तिष्क शांत होते हैं। परेशानियां कम होती हैं, आर्थिक संकट दूर होता है, स्वास्थ्य में सुधार आता है। आपकी जन्मकुंडली के आधार पर कौन सा रुद्राक्ष आपके लिए सही होगा, यह जानने के लिए हमारी सेवाएं ले सकते हैं।
यंत्र निर्माण
मंत्र देवताओं की आत्मा है, तो यंत्र उनका शरीर। भौतिक रूप से जब हम यंत्र की साधना करते हैं, तो हमारे जीवन में बड़े सकारात्मक बदलाव आने लगते हैं। यंत्र विविध प्रकार की धातुओं से बने होते हैं किंतु शास्त्रों में भोजपत्र पर बने यंत्र को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। हमारे दीर्घ अनुभव वाले विद्वान वैदिक पद्धति से यंत्र का निर्माण करके उन्हें मंत्रों से सिद्ध करते हैं।
मंगल दोष निवारण
मंगल दोष के कारण जीवन में अनेक प्रकार की परेशानियां आती हैं। वैवाहिक मामलों में तो मंगल काफी अड़चनें पैदा करता ही है, आर्थिक समृद्धि भी रोक देता है। मंगल दोष निवारण के अनेक उपाय शास्त्रों में बताए गए हैं। हम जातक की जन्मकुंडली के आधार पर मंत्र जाप, यंत्र, जड़ी, रत्न आदि के साथ-साथ लालकिताब के सरल उपायों के माध्यम से पूर्ण दोष निवारण करते हैं।
कालसर्प दोष निवारण
कुंडली में राहु और केतु के मध्य समस्त ग्रहों के आ जाने से कालसर्प दोष बनता है। यह दोष जीवन को तहस-नहस कर देता है। व्यक्ति की उन्नति रुक जाती है। परिवार के सदस्यों को रोग परेशान करते हैं। आय से अधिक खर्च होने लगता है। दुर्घटनाएं होने लगती हैं। इसलिए दोष का निवारण आवश्यक होता है। हम वैदिक पूजा, मंत्र जाप आदि उपायों से कालसर्प दोष की शांति करवाते हैं।
ग्रह दोष निवारण
जातक को जब नौ ग्रहों की पीड़ा सताती है तो उसका पूरा जीवन अस्थिर हो जाता है। वह चारों ओर से संकटों से घिर जाता है। यहां तक कि अपने ही परिवार में उसे विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए ग्रहों की शांति करना आवश्यक है। प्रत्येक ग्रहों के यंत्र, उनके मंत्र जाप, औषधीय स्नान आदि के माध्यम से ग्रहों की शांति की जा सकती है।