बुध ने बदली राशि, व्यापार में होगा खूब लाभ


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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व्यापार व्यवसाय के प्रतिनिधि ग्रह बुध ने 29 अक्टूबर 2024 की रात में 10 बजकर 39 मिनट पर अपनी राशि बदली है। बुध तुला से निकलकर वृश्चिक राशि में पहुंच गया है। बुध के मंगल की राशि में गोचर करने से व्यापारी वर्ग पर विशेष प्रभाव पड़ने वाला है। चूंकि मंगल धन का ग्रह है और बुध व्यापार का तो इस गोचर का लाभ व्यापारी वर्ग को अधिक मिलने वाला है। इस गोचर के दौरान व्यापारी वर्ग का काम शानदार तरीके से चलेगा। बिजनेस में अपेक्षा से अधिक लाभ होगा और नए कामकाज भी प्रारंभ करेंगे। राशियों पर भी इसका विशिष्ट प्रभाव पड़ने वाला है। बुध के वृश्चिक राशि में शुक्र के साथ संयोग होने से लक्ष्मीनारायण योग बन रहा है जो धन प्रदायक है।

आइए जानते हैं सभी राशियों पर प्रभाव
मेष : अष्टम भाव में बुध का गोचर होने के कारण यहां आपके खर्च में कमी आने वाली है, हालांकि आपको नए कामकाज प्रारंभ करने में सतर्कता रखनी होगी। अनावश्यक और बिना सोचे-समझे निवेश करना भारी पड़ सकता है।

वृषभ : बुध का गोचर आपके सप्तम भाव में होगा। साझेदारी में व्यापार खूब फलेगा। धन की प्राप्ति होगी। कर्ज मुक्ति होगी। आर्थिक संकट दूर होगा। जीवनसाथी की ओर से कामकाज में पूरा सहयोग मिलने वाला है।

मिथुन : छठे भाव में बुध आने से आप विवेकपूर्ण तरीके से निर्णय लेकर अपने विरोधियों को परास्त करने में सफल होंगे। धन आएगा, पुराना कर्ज चुकाने की स्थिति में आ जाएंगे। संपत्ति का निर्माण करेंगे। नए काम शुरू करें लाभ होगा।

कर्क : पंचम का बुध आपको नए काम की ओर प्रेरित करेगा। इसमें आपका कोई करीबी व्यक्ति सहयोग करेगा। हालांकि आपको स्थिर निर्णय लेना होगा। बार-बार निर्णय बदलेंगे तो लाभ की बजाय हानि भी हो सकती है।

सिंह : चतुर्थ का बुध धन लाभ भरपूर करवाने वाला है। कर्ज मुक्ति होगी, आर्थिक संकट दूर होगा। नए व्यापारिक अनुबंध होंगे और नए कामकाज भी प्रारंभ करेंगे। माता की ओर से धन मिलने वाला है। संपत्ति सुख प्राप्त होगा।

कन्या : तृतीय का बुध संकेत दे रहा है कि नए काम प्रारंभ तो कर सकते हैं किंतु भाई-बहनों के साथ मिलकर शुरू न करें। स्वतंत्र रूप से प्रारंभ करेंगे तो ही लाभ होगा। संपत्ति संबंधी कार्यों का सही निर्णय सही समय पर ले पाएंगे।

तुला : द्वितीय धन भाव का बुध आपको लिए शुभ है, किंतु खर्च की अधिकता भी रहेगी। अनावश्यक खर्चों से बचना होगा। व्यापार में किसी कम जान पहचान वाले व्यक्ति को जोड़ना हानिप्रद हो सकता है। इसलिए सतर्क रहें।

वृश्चिक : इसी राशि में बुध आ रहा है जो आपके लिए बेहतर रहने वाला है। बुध के गोचर के दौरान आप जो काम प्रारंभ करना चाहते हैं वे सफलतापूर्व शुरू हो कर सकेंगे। साझेदारी के काम भी फलीभूत होंगे। पैसा आएगा। कर्ज चुकाएंगे।

धनु : द्वादश का बुध लाभ तो देगा किंतु अचानक बड़ा झटका भी दे सकता है। कोर्ट-कचहरी के निर्णय आपके विरूद्ध आ सकते हैं। धन खर्च भी अधिक होगा। किसी नए व्यक्ति को अपने बिजनेस से न जोड़े, नुकसान हो सकता है।

मकर : लाभ भाव का बुध व्यापार में बड़ी सफलता देने का संकेत दे रहा है। यदि पूर्व से कोई योजना तैयार कर रखी है तो उसे धरातल पर उतारने का प्रयास करें। प्रिय व्यक्ति का साथ मिलने से कामकाज श्रेष्ठता हासिल करेगा।

कुंभ : बुध का गोचर दशम में होगा जो संकेत दे रहा है कि वर्तमान काम के साथ-साथ आप दूसरे अन्य काम भी शुरू करेंगे। हालांकि बड़े व्यापार के लिए कर्ज लेना पड़ सकता है। महिला मित्रों के साथ मिलकर काम करेंगे।

मीन : भाग्य भाव का बुध आपको प्रबल सुख प्रदान करने वाला है। कामकाज के लिहाज से तो यह गोचर श्रेष्ठ रहेगा ही, आर्थिक लाभ भी होंगे। आय के नए स्रोत प्राप्त होंगे। कर्ज मुक्ति होगी। वर्तमान व्यापार से उत्तम लाभ मिलेगा।

धनतेरस पर धन की वर्षा करने वाले पांच टोटके


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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धन त्रयोदशी की रात्रि को धन की वर्षा करवाने वाली रात्रि कहा गया है। यह रात्रि भी दीपावली की रात्रि की तरह सिद्ध रात होती है। तांत्रिक लोग कार्तिक अमावस्या से पूर्व कार्तिक त्रयोदशी की रात में भी अनेक तांत्रिक क्रियाएं करते हैं। इनमें से कई क्रियाएं ऐसी होती हैं जो आमजन भी अपने घर में कर सकते हैं। उनसे हानि कुछ नहीं होती बल्कि धन लाभ ही होता है। ये सारे उपाय और टोटके तंत्र शास्त्रों में वणित हैं। इस धन तेरस 29 अक्टूबर को आप इन्हें आजमाकर अपने घर में धन की वर्षा कर सकते हैं।

1. धनतेरस पर प्रदोषकाल में कुबेर का पूजन करें। इसके बाद मिट्टी के 13 चौकोर दीपक लगाएं। इन दीपों में एक-एक सफेद कौड़ी डालें और सरसों का तेल भरकर प्रज्वलित करें। जब दीपक पूर्ण हो जाए तो इन कौड़ियों को निकालकर आधी रात के बाद घर के उत्तरी भाग में दबा दें। इससे आपको धन लाभ होने लगेगा और पैसों की बचत भी होने लगेगी।

2. धनतेरस के दिन मिट्टी के 13 दीपक लेकर इनका विधिवत पूजन करें। इन दीपकों में एक-एक केसर का धागा डालें। कुबेर देवता से प्रसन्न होने की प्रार्थना करें और इन्हें अपने घर के चारों ओर चारों दिशाओं में रख दें।

3. धनतेरस की मध्यरात्रि में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। इस पर कुबेर यंत्र स्थापित करें। इसे गंगाजल से स्नान करवाकर केसर की नौ बिंदियां लगाएं। पूजन में केसर रंगे चावल का प्रयोग करें। श्रीसूक्त का पाठ करें और फिर इस यंत्र को उसी लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें। धन की वृद्धि होगी। ध्यान रहे यह पूरी पूजा उत्तरमुखी बैठकर करना चाहिए। बैठने के लिए लाल कंबल के आसन का प्रयोग करें।

4. धनतेरस से पूर्व पेड़ देख आएं जिस पर उल्लू बैठता हो। फिर धनतेरस की रात्रि में उस पेड़ की एक टहनी तोड़कर ले आएं। उस टहनी का पूजन कर तिजोरी में रखने से कभी धन की कमी नहीं होती है। जो धन पास में होता है वह बढ़ने लगता है।

5. धनतेरस के दिन एक पीतल का कलश खरीदें। इसमें जल भरकर एक चौकी पर स्थापित करें। इस पर केसर-चंदन से स्वस्तिक बनाएं और इस पर श्रीं लिखें। कलश के मुख पर मौली बांधें। इसके ऊपर एक मिट्टी का दीपक रखकर प्रज्वलित करें। दीपक प्रदोष काल से लेकर रात्रि में 3.30 बजे तक जलना चाहिए। इससे धन का संकट दूर हो जाता है।

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दीपावली पूजन मुहूर्त, गुरुवार 31 अक्टूबर 2024

दीपावली पूजन मुहूर्त, गुरुवार 31 अक्टूबर 2024


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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कार्तिक अमावस्या पर 31 अक्टूबर 2024 गुरुवार को दीपावली मनाई जाएगी। इस दिन प्रदोषकाल में अमावस्या और मध्यरात्रि निशिथकाल में भी अमावस्या होने के कारण इसी दिन महालक्ष्मी पूजन होगा। इसलिए किसी भी प्रकार के भ्रम में न पड़ते हुए 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाएं।

31 अक्टूबर को अमावस्या दोपहर 3:52 बजे से प्रारंभ होगी जो 1 नवंबर को सायं 6:16 बजे तक रहेगी। 31 अक्टूबर को प्रदोष काल और निशिथकाल में अमावस्या मिलेगी। इसलिए यही दिन लक्ष्मीपूजन के लिए श्रेष्ठ रहेगा।

लक्ष्मी पूजन में क्या विशेष
लक्ष्मी पूजन में कुछ चीजों का विशेष महत्व होता है। सभी लोग पूजा तो अपनी परंपरा से प्राप्त विधि के अनुसार करते ही हैं किंतु लक्ष्मी पूजा में कुछ विशेष सामग्री होना आवश्यक है। जैसे लक्ष्मी की पूजा में कमल गट्टे की माला, लाल कमल का पुष्प, पीली-लाल कौड़ी, गोमती चक्र, मोती शंख या दक्षिणावर्ती शंख, केसर बिंदी लगाने के लिए होना चाहिए। मां लक्ष्मी को नैवेद्य में मखाने की खीर अर्पित करना चाहिए जिसमें गुलाब जल और गुलाब की पत्तियां डली हुई हों। पूजा में गुलाब की धूप और गुलाब के इत्र का प्रयोग भी करना चाहिए। लक्ष्मी पूजा के साथ गणेशजी और सरस्वती माता का पूजन भी अवश्य करना चाहिए। इस दिन पूजा में कलम-दवात, पेन, डायरी, झाड़ू भी रखना चाहिए।

31 अक्टूबर के लक्ष्मी पूजन मुहूर्त
चौघड़िया अनुसार
शुभ : सायं 4:24 से 5:48
अमृत : सायं 5:48 से 7:24
चर : सायं 7:24 से रात्रि 8:59
लाभ (निशिथ काल) : रात्रि 12:10 से 1:46

प्रदोष काल मुहूर्त
सायं 5:48 से रात्रि 8:22
अवधि : 2 घंटा 34 मिनट

स्थिर लग्न मुहूर्त
वृषभ : सायं 6:39 से रात्रि 8:38
अवधि 1 घंटा 59 मिनट

सिंह : मध्यरात्रि 1:07 से 3:18
अवधि : 2 घंटे 11 मिनट

व्यापारी कब करें
कर्क लग्न : रात्रि 10:51 से 1:07
अवधि : 2 घंटे 16 मिनट

नोट : उपरोक्त सभी मुहूर्त पंचांगों के अनुसार मानक उज्जैन के सूर्योदय के अनुसार हैं और शुद्ध मुहूर्त हैं। इन सभी मुहूर्तों में सभी सामान्य जन, व्यापारी-कारोबारी महालक्ष्मी पूजन संपन्न कर सकते हैं।

अंधेरी रात में इन जगहों पर लगाएं दीपक, कुबेर बरसाएंगे धन


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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देवताओं के कोषाध्यक्ष और धनपति यक्षराज कुबेर का पूजन कभी दिन में नहीं किया जाता है। कुबेर का पूजन रात्रि में ही किया जाता है। इसलिए कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अंधेरी रातों में धनतेरस से लेकर दीपावली तक रात्रि में लक्ष्मी और कुबेर पूजन किया जाता है। धनतेरस की रात्रि में तो विशेष रूप से कुबेर का पूजन किया जाता है।

शास्त्रों में कुछ दीपदान का बड़ा महत्व बताया गया है और यह दीपदान भी ऐसी जगह पर किया जाता है जहां पूर्ण अंधेरा रहता हो। यदि आप कुबेर को प्रसन्न करना चाहते हैं तो धनतेरस की रात्रि में दीप प्रज्वलित करने के उपाय अवश्य करने चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है कि धनतेरस की रात्रि में जिस जगह रोशनी होती है। दीपों का उजास होता है वहां कुबेर की दृष्टि पड़ती है और वे उस स्थान को अपने स्वर्णिम आलोक से प्रकाशित कर देते हैं। अर्थात् उस स्थान पर वे अपनी कृपा बरसाते हैं।

निर्जन स्थान के शिव मंदिर में
रात्रि में शिव मंदिर में दीप लगाने का बड़ा महत्व बताया गया है। शिव महापुराण में वर्णन आया है कि ऐस शिव मंदिर जो निर्जन स्थान पर हो, जो वन में हो, जहां कई-कई दिनों तक कोई आता-जाता न हो, उस शिव मंदिर में धनतेरस की रात्रि में अखंड दीप प्रज्वलित करना चाहिए। इससे कुबेर बहुत प्रसन्न होते हैं और उस मनुष्य के घर में धन के भंडार भर देते हैं।

पीपल वृक्ष के नीचे
पीपल के वृक्ष में साक्षात भगवान विष्णु का वास होता है। इसलिए धनतेरस की रात्रि में पीपल के पेड़ के नीचे अखंड दीपक लगाना चाहिए। उस दीपक में शुद्ध घी भरकर आलोकित करना चाहिए। इससे श्रीहरि विष्णु, माता लक्ष्मी और कुबेर तीनों की कृपा प्राप्त होती है। पीपल के नीचे दीपक लगाकर वापस आते समय पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए

चार रास्तों पर दीपक
धनतेरस की अंधियारी रात में गांव-शहर के बाहर कोई ऐसा स्थान देखें जहां चार रास्ते आकर मिलते हों। वहां मध्यरात्रि में दीपक लगाएं।

इन जगहों पर भी लगाएं दीपक
– धनतेरस की रात्रि में अपने घर में अखंड दीपक प्रज्वलित करें।
– घर की तिजोरी, दुकान का गल्ला, जहां आप अपना धन रखते हैं, स्वर्णाभूषण रखते हैं ऐसे स्थानों पर दीपक लगाएं।
– धनतेरस की रात्रि में कुएं की पाल पर आटे के सात दीपक बनाकर लगाएं इससे कुबेर की कृपा प्राप्त होती है।
– तुलसी, शमी, बरगद-नीम-पीपल की त्रिवेणी में दीपक लगाएं।

रमा एकादशी पर भाग्य बदलने वाला उपाय


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी या रमणा एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी 28 अक्टूबर 2024 सोमवार को आ रही है। सभी एकादशियों में भगवान श्रीहरि विष्णु को रमा एकादशी अत्यंत प्रिय है क्योंकि योगनिद्रा में होने के बाद भी इस एकादशी के दिन उनका मन पृथ्वीलोक के प्राणियों में रमण करता है। कार्तिक अमावस्या महालक्ष्मी पूजा से पूर्व भगवान विष्णु योग माया से पृथ्वीलोक में यह जानने आते हैं कि मनुष्यगण मां लक्ष्मी के आगमन की तैयारी कैसी कर रहे हैं। इसलिए इस एकादशी का सर्वाधिक महत्व है।

रमा एकादशी का व्रत करने वाले मनुष्यों को भगवान विष्णु समस्त सुख प्रदान करते हैं। इसलिए इस एकादशी को भाग्य बदलने वाली एकादशी भी कहा जाता है। व्रती के जीवन के सारे अभाव दूर हो जाते हैं। धन, संपत्ति, सुख, सम्मान, उत्तम संतान, श्रेष्ठ वैवाहिक जीवन सबकुछ रमा एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है। रमा एकादशी का व्रत पति-पत्नी को जोड़े से करना चाहिए तो अधिक उत्तम फलों की प्राप्ति होती है।

चूंकि यह एकादशी भाग्य बदलने वाली एकादशी कहलाती है इसलिए हम आपको ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं जिन्हें करके आप भगवान विष्णु के कृपा पात्र बन सकते हैं और भाग्य भाग्य चमक उठेगा।

रमा एकादशी भगवान विष्णु की प्रिय एकादशी है और वे इस दिन पृथ्वी पर लक्ष्मी पूजा की तैयारी परखने आते हैं इसलिए इस दिन अपने घर को अच्छे से साफ-स्वच्छ करके सजावट करें। घर पर सुंदर वंदनवार सजाएं, फूल मालाओं से घर को सजाएं, द्वार पर फूलों और रंगों से आकर्षक रंगोली बताएं। इस दिन घर के सभी सदस्य साफ स्वच्छ वस्त्र धारण करें। सायंकाल में घर और बाहर दीप मालिकाएं सजाएं।

क्या है वह चमत्कारिक उपाय
1. रमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पीले पुष्पों से श्रृंगार करें, उन्हें तुलसी दल अर्पित करें। देसी घी का नैवेद्य लगाएं। एक पीला चौकोर कपड़ा लें और इस पर केसर की स्याही से ऊं हूं विष्णवे नम: 11 बार लिखें। इसका पूजन करें, धूप दीप करें और थोड़े से अक्षत डालें। फिर एक बार विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। पूजा के बाद इस कपड़े की पोटली बनाकर घर में उस स्थान पर रखें जहां आप धन आभूषण आदि रखते हैं।
2. रमा एकादशी के दिन विष्णु यंत्र की विधिवत स्थापना अपने घर में करें।
3. रमा एकादशी की शाम को किसी निर्जन स्थान पर जाएं वहां एक घी का दीपक लगाएं। दीपक के चारों ओर हल्दी का गोल घेरा बनाएं और दीपक में पीली कौड़ी डालें। वहां बैठकर ऊं हूं विष्णवे नम: मंत्र की एक माला हल्दी की माला से जपें। जाप पूरा होने के बाद चुपचाप बिना पीछे देखें वापस अपने घर लौट आएं।

रमा एकादशी का समय
एकादशी प्रारंभ : 27 अक्टूबर प्रात: 5:56
एकादशी पूर्ण : 28 अक्टूबर प्रात: 7:50
पारणा : 29 अक्टूबर प्रात: 6.30 से 8.46

आज का पंचांग : 26 अक्टूबर 2024, शनिवार


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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आज कार्तिक कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि है। शनिवार का दिन है। हनुमानजी और शनिवार का दिन है। आज हनुमान मंदिर जाएं, दर्शन करें, हनुमानजी को गुड़ और चने का नैवेद्य लगाएं और मंदिर में बैठकर ही हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें। जिन लोगों को शनि की साढ़ेसाती चल रही है वे आज के दिन शनि मंदिर में बैठकर शनि स्तोत्र का पाठ करें। शनिदेव को पांच चीजें चढ़ाएं। एक काले कपड़े में काले उड़द, काले तिल, पीली सरसों और लोहा बांधकर चुपचाप शनिदेव के चरणों में रख आएं और पीड़ा से मुक्ति देने की प्रार्थना करें। मकर, कुंभ और मीन राशि के जातकों को यह उपाय अवश्य करना चाहिए।

विक्रम संवत : 2081
शालिवाहन वाहन शके : 1946
मास : कार्तिक कृष्ण पक्ष
ऋतु : हेमंत
अयन : दक्षिणायन

तिथि : दशमी दूसरे दिन प्रात: 5:23 तक
नक्षत्र : आश्लेषा प्रात: 9:44 तक
योग : शुक्ल दूसरे दिन प्रात: 5:56 तक
करण : वणिज सायं 4:18 तक पश्चात भद्रा

सूर्योदय : 6:29:25
सूर्यास्त : 5:51:22

चंद्रास्त : दोप 2:33
चंद्रोदय : रात्रि 2:02

आज की ग्रह स्थिति
सूर्य: तुला
चंद्र: कर्क, प्रात: 9:44 से सिंह में
मंगल : कर्क
बुध : तुला
गुरु : वृषभ, वक्री
शुक्र : वृश्चिक
शनि : कुंभ, वक्री
राहु : मीन
केतु : कन्या

दिन का चौघड़िया
शुभ : प्रात: 7:55 से 9:20
चर : दोप 12:10 से 1:36
अमृत : दोप 3:01 से सायं 4:26
अभिजित : प्रात: 11:48 से दोप 12:33
प्रदोष काल : सायं 5:51 से रात्रि 8:24

रात्रि का चौघड़िया
लाभ : सायं 5:51 से 7:26

त्याज्य समय
राहु काल : प्रात: 9:20 से 10:45
यम घंट : दोप 1:36 से 3:01

आज विशेष :
आज का शुभ अंक : 8
आज का शुभ रंग : काला, नीला, आसमानी
आज के पूज्य : हनुमानजी
आज का मंत्र : ऊं हं हनुमते नम:

धनतेरस : 29 अक्टूबर के पूजन मुहूर्त, विधि और योग


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस या धन त्रयोदशी मनाई जाती है। इसी दिन आयुर्वेद के देवता धनवंतरि समुद्र मंथन में से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस दिन उनकी जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष धनतेरस 29 अक्टूबर 2024 मंगलवार को मनाई जाएगी। इस दिन मंगलवार और त्रयोदशी का संयोग होने के कारण भौम प्रदोष का शुभ संयोग भी बना है। 29 अक्टूबर को त्रयोदशी तिथि प्रात: 10:32 से प्रारंभ होकर 30 अक्टूबर को दोपहर 1:14 बजे तक रहेगी। इसलिए धनतेरस की पूजा 29 अक्टूबर को सायंकाल में ही की जाएगी।

क्या खरीदें
धनतेरस के दिन स्वर्णाभूषण, वाहन, संपत्ति, भूमि-भवन, पीतल, तांबे, कांसे के बर्तन आदि खरीदे जाते हैं। 29 अक्टूबर को ऐंद्र योग रहेगा। इसलिए धनतेरस के दिन शुभ मुहूर्त में वस्तुओं की खरीदी अवश्य करें।

विशेष योग-संयोग
29 अक्टूबर को खरीदी के लिए पूरा दिन अत्यंत शुभ रहेगा। इस दिन भौम प्रदोष का संयोग होने से आभूषण, पीतल के बर्तन, सोना-चांदी खरीदना शुभ रहेगा। इस दिन सायं 5.49 से रात्रि 8.23 तक प्रदोष वेला रहेगी जिसमें धन का पूजन, बही खातों का लेखन-पूजन आदि करना चाहिए।

धनतेरस के पूजन मुहूर्त
सायं 7.25 से रात्रि 8.59 बजे तक
अवधि 1 घंटा 34 मिनट

प्रदोष काल मुहूर्त
सायं 5.49 से रात्रि 8.23 बजे तक
अवधि 2 घंटे 34 मिनट

वृषभ लग्न मुहूर्त
सायं 6:47 से रात्रि 8:45 बजे तक
अवधि 1 घंटा 58 मिनट

सिंह लग्न मुहूर्त
मध्य रात्रि 1:15 से 3:26
अवधि 2 घंटे 11 मिनट

धनतेरस पूजा विधि
धनतेरस के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर घर की साफ-सफाई करें। घर के बाहर भी आंगन को बुहारें। स्नानादि से निवृत्त होकर विभिन्न रंगों और फूलों से घर के मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर सुंदर सुंदर रंगोली सजाएं। रंगोली से देवी लक्ष्मी के चरण चिन्ह भी जरूर बनाएं। पूजा स्थान को भी साफ करके भी नियमित देवताओं का पूजन करें। धनतेरस की पूजा सायंकाल के समय की जाती है। प्रदोषकाल में या मुहूर्त काल में पूजा स्थान में उत्तर दिशा की ओर यक्षराज कुबेर और धनवंतरि की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इससे पहले भगवान गणेश और लक्ष्मी का पूजन भी करें। कुबेर को सफेद मिठाई या खीर का नैवेद्य लगाएं तथा धनवंतरि को पीली मिठाई का भोग लगाएं। पूजा में पीले-सफेद फूल, पांच प्रकार के फल अवश्य रखें।

व्यापारियों के लिए पूजा विधान
धनतेरस के दिन अपने प्रतिष्ठान, दुकान में साफ-सफाई करके नई गादी बिछाएं। जिस पर बैठकर नए बही खातों का पूजन करें। दुकान में लक्ष्मी और कुबेर का पूजन करें है। पूजा के पाने का भी पूजन किया जाता है।

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हड्डियों के रोग भूल जाइए, इन स्टोन को अपनाइए


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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Medical Astrology : Gemstone and crystals for bone health

आजकल की लाइफस्टाइल ऐसी हो गई है कि लोग धूप में कम निकल रहे हैं, खानपान का ध्यान नहीं रख रहे हैं। इसका असर उनकी हड्डियों पर पड़ रहा है। अधिकांश लोगों की हड्डियां कमजोर हो रही है और उन्हें कोई न कोई रोग हड्डियों से जुड़ा हो रहा है। घरों से लेकर कारपोरेट दफ्तरों तक में लोग पूरा दिन एसी की ठंडी हवा में बिता देते हैं। धूप में न जा पाने के कारण हड्डियों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है और इसी से जोड़ों में दर्द, कमर में दर्द, पीठ और कंधों में दर्द, पैरों और हाथों में सुन्नपन, झुनझुनी आने जैसी समस्या तेजी से बढ़ रही है।

हड्डियों की मजबूती के लिए विटामिन डी और धूप की आवश्यकता तो होती ही है लेकिन इसके साथ रत्न विज्ञान में कुछ ऐसे रत्न (Gemstone) बताए गए हैं जिन्हें पहनने से शरीर की विटामिन को ग्रहण करने की क्षमता बढ़ जाती है और इससे हड्डियों को मजबूती मिलती है। जेमस्टोन थेरेपी को अल्टरनेटिव थेरेपी के रूप में लेना चाहिए और इन दिनों यह बड़े पैमाने पर उपयोग किए जा रहे हैं। रत्न, पत्थर पहनने से कोई साइड इफेक्ट नहीं होते और यह आपकी हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।

आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ स्टोन के बारे में-

माणिक (Ruby): मनुष्य के शरीर में हड्डियों की मजबूती के लिए जिम्मेदार सबसे प्रमुख ग्रह सूर्य होता है। सूर्य अच्छा है तो हड्डी के रोग नहीं होंगे और सूर्य कमजोर है तो इस तरह की परेशानी अधिक आती हैं। सूर्य का रत्न है माणिक (RUBY), माणिक पहनने से हड्डी के रोगों से बचाव होता है। रूबी पहनने से जोड़ों के दर्द आदि की समस्या नहीं होती है।

विवियनाइट (Vivianite) : यह हरे-नीले रंग का चिकना पारदर्शी स्टोन होता है। यह हड्डियों को मजबूती देता है। इसे पहनने से और टूटी हड्डी पर लगाने से हड्डी जुड़ने की प्रक्रिया आसान और तेज हो जाती है। इस स्टोन के प्रयोग से हड्डी टूटने के बाद होने वाले दर्द से भी काफी हद तक राहत मिलती है।

ब्यू कायनाइट (Blue Kyanite) : यह नीले रंग का ठोस स्टोन होता है। जिन लोगों में विटामिन डी की कमी होती है और बार-बार हड्डी चटकने की समस्या होती है उनके लिए यह स्टोन बेस्ट है। इसका ब्रेसलेट बनाकर पहनने से हड्डी से जुड़े रोग दूर होते हैं।

टाइगर आई (Tiger Eye) : यह स्टोन हड्डियों का डाक्टर कहा गया है। इसे ब्रेसलेट, अंगूठी या पेंडेंट के रूप में पहनने से हड्डियों से जुड़े रोग दूर होते हैं। टूटी हड्डी जल्दी जुड़ जाती है और विटामिन डी और विटामिन बी-12 की मात्रा शरीर में बढ़ जाती है।

अजूराइट (Azurite) : यह एक कोमल चिकना नीले रंग का स्टोन होता है। इसका पेंडेंट या ब्रेसलेट पहनने से टूटी हड्डी के जुड़ने की प्रकिया में तेजी आ जाती है। फ्रैक्चर के दौरान जब व्यक्ति बेड पर होता है, उस समय यह काफी हील करने में काफी मदद करता है।

आज का पंचांग : 25 अक्टूबर 2024, शुक्रवार


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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आज प्रात:काल में 6 बजकर 38 मिनट तक पुष्य नक्षत्र रहने के कारण दिन में भी इस नक्षत्र का पूरा मान माना जाएगा। इसलिए जो लोग कल गुरु-पुष्य में कुछ खरीदारी करने से वंचित रह गए वे आज कर सकते हैं। आज शुक्र-पुष्य के संयोग में भी खरीदारी शुभ रहेगी। आज शुक्रवार है इसलिए यदि आप अपने आकर्षण प्रभाव में वृद्धि करना चाहते हैं तो आज के दिन साफ सुथरे सफेद या सिल्वर कलर के कपड़े पहनें, अच्छा सा इत्र या परफ्यूम लगाएं और मस्तक पर केसर का तिलक लगाएं। इससे आपके आकर्षण प्रभाव में वृद्धि होगी और लोग आपकी बात मानेंगे।

विक्रम संवत : 2081
शालिवाहन वाहन शके : 1946
मास : कार्तिक कृष्ण पक्ष
ऋतु : हेमंत
अयन : दक्षिणायन

तिथि : नवमी रात्रि 3:22 तक
नक्षत्र : पुष्य प्रात: 6:38 तक पश्चात आश्लेषा दूसरे दिन प्रात: 9:44 तक
योग : शुभ दूसरे दिन प्रात: 5:25 तक
करण : तैतिल दोप 2:34 तक पश्चात गर

सूर्योदय : 6:28:55
सूर्यास्त : 5:52:04

चंद्रास्त : दोप 1:57
चंद्रोदय : रात्रि 1:09

आज की ग्रह स्थिति
सूर्य: तुला
चंद्र: कर्क
मंगल : कर्क
बुध : तुला
गुरु : वृषभ, वक्री
शुक्र : वृश्चिक
शनि : कुंभ, वक्री
राहु : मीन
केतु : कन्या

दिन का चौघड़िया
चर : प्रात: 6:29 से 7:54
लाभ : प्रात: 7:54 से 9:20
अमृत : प्रात: 9:20 से 10:45
शुभ : दोप 12:11 से 1:36
चर : सायं 4:27 से 5:52
अभिजित : प्रात: 11:48 से दोप 12:33
प्रदोष काल : सायं 5:52 से रात्रि 8:24

रात्रि का चौघड़िया
लाभ : रात्रि 9:01 से 10:36

त्याज्य समय
राहु काल : प्रात: 10:45 से दोप 12:11
यम घंट : दोप 3:01 से 4:27

आज विशेष :
आज का शुभ अंक : 7
आज का शुभ रंग : सफेद, चमकदार सफेद, गुलाबी
आज के पूज्य : महालक्ष्मी
आज का मंत्र : ऊं महालक्ष्म्यै नम:

धनतेरस पर लाल किताब के ये टोटके कर देंगे मालामाल


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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पैसा कमाना हर व्यक्ति चाहता है, अमीर होना और अपने परिवार को सारी सुख-सुविधाएं देना हर व्यक्ति चाहता है। पैसा कमाने के लिए लोग दिन-रात दौड़धूप भी करते हैं, कड़ी मेहनत करते हैं लेकिन सफल नहीं हो पाते। मेहनत के बाद भी परिणाम आपके पक्ष में नहीं आता तो इसमें आपकी सहायता कर सकते हैं लाल किताब के टोटके। लाल किताब में दिए गए उपाय ऐसे सटीक होते हैं जो आपकी सारी समस्याओं को चुटकी में दूर कर सकते हैं। यदि आप भी मालामाल होना चाहते हैं तो धनतेरस 29 अक्टूबर को आ रही है, इस दिन लाल किताब के कुछ टोटके आजमाएं और भर लीजिए अपने धन के भंडार।

ये हैं वो चमत्कारी टोटके
1. धनतेरस के दिन सुबह ठीक नौ बजे किसी नदी या कुएं-बावड़ी में अखरोट और नारियल डाल आएं। इससे पैसों की आवक बढ़ने लगेगी और आपके सारे अभाव दूर हो जाएंगे।

2. धनतेरस के दिन मछलियों को आटे की गोली बनाकर खिलाएं। पक्षियों को दाना डालें, गाय को हरा चारा खिलाएं। इससे आपके धन आने की सारी रुकावटें समाप्त हो जाएंगी।

3. धनतेरस के दिन चांदी का चौकोर टुकड़ा और चांदी की ठोस गोली लेकर इस पर केसर की बिंदी लगाकर तिजोरी में रखें।

4. कागज का लाल चौकोर टुकड़ा पर्स में रखने से जेब हमेशा भरी रहेगी। यदि कर्ज है तो लाल कागज का तिकोना टुकड़ा धनतेरस के दिन अपने पर्स में रखें।

5. एक कांच की बोतल में शहद भरें। एक भोजपत्र पर केसर की स्याही और अनार की कलम से श्रीं लिखें और इसकी आठ तह करके शहद भरी बोतल में डालें। इस बोतल को अच्छे से बंद करके किसी निर्जन स्थान में धनतेरस की रात्रि में जाकर चुपचाप जमीन में गाढ़ दें। शीघ्र ही धन की आवक बढ़ने लगेगी।

6. सात लाल कौड़ी, सात गोमती चक्र लेकर इन पर केसर की बिंदी लगाएं। धनतेरस की रात्रि में पूजन कर तिजोरी में रखें।

7. धनतेरस की रात्रि में अंधेरे कमरे में बैठकर हनुमानजी की मूर्ति या चित्र के सामने घी का दीपक लगाएं और उनकी आराधना करें। सिंदूर का तिलक करें। जिस कामना से तिलक करेंगे वह शीघ्र पूरी होगी।

8. धनतेरस के दिन दोपहर ठीक 12 बजे मीठी रोटी बनाकर चींटीयों के बिल के पास रखें। जैसे-जैसे चीटियां वो रोटियां खाएंगी, आपकी धन की समस्या भी खत्म होती जाएगी।

9. धनतेरस की रात्रि में पीपल के पेड़ के नीचे आटे से बनाकर पांच दीपक लगाएं और लक्ष्मी सूक्त का पांच बार पाठ करें।

10. धनतेरस के दिन एक लाल कपड़े में लाल मसूर की दाल बांधें। पोटली का मुख मौली से बांध दें और इसे रात्रि में किसी चौराहे पर रख आएं।