दशहरा : नीलकंठ को देख लिया तो समझो हो गई जीत

दशहरा हिंदू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण और प्रमुख त्योहार है। वृहद रूप में यह त्योहार भगवान राम द्वारा रावण का वध किए जाने के रूप में मनाया जाता है। जब प्रभु श्रीराम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ चौदह वर्ष के वनवास पर गए थे, तब लंका के राजा रावण ने सीता का अपहरण कर उन्हें लंका की अशोक वाटिका में बंदी बनाकर रखा था और उन पर त्रिजटा समेत अनेक राक्षसियों का पहरा लगा दिया था। दशहरा अर्थात विजयादशी आज 12 अक्टूबर 2024 को मनाया जा रहा है। आइए जानते हैं दशहरा और इससे जुड़ी अन्य मान्यताओं और परंपराओं के बारे में-

नीलकंठ का दर्शन
दशहरा के दिन नीलकंठ का दर्शन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। नीलकंठ एक पक्षी होता है जो गहरे और हल्के नीले रंगों के मिश्रण वाला होता है। इसका गला अर्थात् कंठ पूरा नीला होता है। इस पक्षी को साक्षात भगवान शिव का स्वरूप कहा जाता है। भगवान राम ने रावण का वध करने से पूर्व इस पक्षी का दर्शन किया था। यदि दशहरे के दिन यह पक्षी दिखाई दे जाए तो इसे प्रणाम अवश्य करना चाहिए। इससे सर्वत्र आपकी जीत होगी।

शमी पत्र का महत्व
दशहरे के दिन रावण दहन के पश्चात एक-दूसरे को शमी पत्र दिया जाता है। जिसे आम बोलचाल की भाषा में सोना पत्ती कहा जाता है। पौराणिक मान्यता है कि आश्विन शुक्ल दशमी के दिन धनपति कुबेर ने राजा रघु को शमी की पत्तियां देते हुए उन्हें स्वर्ण में बदल दिया था। इसलिए शमी पत्र देने का महत्व है। इस दिन शमी के वृक्ष का पूजन भी किया जाता है। इससे जुड़ी महाभारत काल की कथा है कि जब पांडव अज्ञात वास पर थे तब अर्जुन ने शमी के पेड़ पर अपना गांडीव धनुष छुपाकर रखा था और जब महाभारत युद्ध प्रारंभ हुआ तो इसी पेड़ से धनुष निकालकर युद्ध में विजय पाई थी।

देवी ने किया था महिषासुर वध
विजयादशमी महिषासुर वध का दिन भी है। इस दिन देवी दुर्गा के कात्यायिनी स्वरूप ने महिषासुर का वध करके तीनों लोगों को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। इसलिए इस दिन शस्त्र पूजा करने की परंपरा भी है।

अबूझ या सर्वसिद्ध मुहूर्त दशहरा
दशहरा अर्थात विजयादशमी का दिन अबूझ मुहूर्त वाला कहलाता है। अर्थात् इस दिन कोई भी काम प्रारंभ करने के लिए पंचांग शुद्धि देखने की आवश्यकता नहीं रहती है। इसलिए इस दिन भूमि, भवन, वाहन, आभूषण आदि की खरीदी बड़ी संख्या में की जाती है। इस दिन की गई खरीदी सुख समृद्धि देने वाली होती है। इस दिन गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण आदि काम भी किए जाते हैं।