विवाह नहीं हो रहा, कहीं आपकी कुंडली में ये दोष तो नहीं

अपनी संतानों का विवाह समय पर नहीं होने के कारण अनेक माता-पिता परेशान रहते हैं। विशेषकर लड़की है और उसके विवाह में कोई बाधा आ रही है तो परेशानी और भी बढ़ जाती है। उपाय जानने के लिए वे अनेक ज्योतिषीयों और पंडितों के पास भटकते रहते हैं किंतु उन्हें उचित समाधान नहीं मिल पाता और विवाह की उम्र बीतती चली जाती है।

वस्तुत: विवाह नहीं हो पाने का सबसे बड़ा कारण युवक-युवती की जन्मकुंडली में छुपा होता है। एक विद्वान ज्योतिषी कुंडली का गहन अध्ययन करके विवाह बाधा दोष और उसे दूर करने के उपाय बता सकता है। आइए सबसे पहले जानते हैं कैसे बनता है विवाह बाधा योग-

विवाह-बाधा योग
1. विवाह सुख का कारक भाव कुंडली का सप्तम भाव होता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी अर्थात् सप्तमेश शुभ ग्रहों से युक्त न होकर छठे, आठवें या बारहवें भाव में बैठा हो और साथ में वह अस्त होकर या नीच राशि का होकर बैठा हो, तो जातक का विवाह कभी नहीं हो पाता है। वह जीवनभर अविवाहित ही रहता है।

2. सप्तम भाव का स्वामी द्वादश भाव में बैठा हो तथा जन्म राशि का स्वामी सप्तम भाव में बैठा हो, तो जातक के विवाह में अनेक बाधाएं आती हैं।

3. जन्मकुंडली के किसी भी स्थान में चंद्र तथा शुक्र दोनों एक साथ बैठे हों और उनसे सप्तम भाव में मंगल तथा शनि दोनों बैठे हों अर्थात चंद्र एवं शुक्र की युति से सातवें भाव में मंगल-शनि की युति हो तो भी विवाह नहीं हो पाता है।

4. सप्तम भाव में शुक्र और मंगल दोनों एक साथ बैठे हों तो भी विवाह में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे जातक का विवाह अक्सर नहीं हो पाता है।

5. जातक की जन्मकुंडली में शुक्र एवं मंगल दोनों ग्रह पंचम या नवम भाव में बैठे हों और इन पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो तो भी विवाह बाधा योग बनता है।

6. जातक की जन्मकुंडली में शुक्र किसी पाप ग्रह के साथ पंचम, सप्तम या नवम भाव में हो तो जातक का विवाह नहीं हो पाता, वह स्त्री वियोग से पीड़ित रहता है।

7. जन्मकुंडली में यदि शुक्र-बुध-शनि तीनों ही नीच या शत्रु नवांश में हों, तो भी जातक विवाह विहीन होता है। अनेक प्रयासों के बाद भी जातक का विवाह नहीं हो पाता है।

8. जिसकी जन्मकुंडली में सातवें तथा बारहवें भाव में दो-दो या इससे अधिक पाप ग्रह बैठे हों तथा पंचम भाव में चंद्र बैठा हो तो जातक का विवाह नहीं होता।

9. कुंडली में सप्तम भाव में बुध तथा शुक्र दोनों हों, तो विवाह अनेक बाधाओं के बाद अधेड़ उम्र में होता है।

10. सप्तम भाव में दो पाप ग्रह एक साथ बैठें हों तथा इन पर सूर्य की सीधी दृष्टि पड़ रही हो तो भी विवाह में अनेक बाधाएं आती हैं।

कैसे दूर करें विवाह बाधा
– विवाह बाधा दोष काटने के लिए युवक या युवती को भगवान शिव पार्वती का नियमित रूप से पूजन करना चाहिए।
– किसी शिव मंदिर में विवाह बाधा निवारण पूजा करवानी चाहिए।
– विवाह बाधा निवारण यंत्र को घर में रखकर नियमित रूप से उसके दर्शन पूजन करना चाहिए।
– प्रत्येक मास की शिवरात्रि पर शिवजी का अभिषेक केसर के दूध से करें और मां पार्वती को सुहाग की सामग्री भेंट करें। यह उपाय केवल युवतियां करें।

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