करवा चतुर्थी पर बना शश, गजकेसरी, बुधादित्य योग


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन करवा चतुर्थी का व्रत किया जाता है। यह व्रत इस बार 20 अक्टूबर 2024 रविवार को आ रहा है। इस बार करवा चतुर्थी पर अनेक शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रहने के साथ ही अपने सबसे प्रिय नक्षत्र रोहिणी में तो रहेगा ही, इसके साथ ही इस दिन गजकेसरी, बुधादित्य और शश योग भी बन रहे हैं। इन अनेक शुभ योगों की साक्षी में व्रत और चंद्रमा का पूजन पति-पत्नी के जीवन में नए प्रेम का संचार करेगा। दोनों की निकटता बढ़ेगी और संबंधों में गर्माहट आएगी। यह व्रत मुख्य रूप से सुहागिन महिलाएं करती हैं।

गजकेसरी योग
किसी भी कुंडली में गजकेसरी योग गुरु और चंद्रमा की युति से बनता है। अगर चारों केंद्र स्थान यानी लग्न, चतुर्थ, सप्तम और दशम भाव में गुरु-चंद्र साथ हो और बलवान हो तो गजकेसरी योग बनता है। अगर त्रिकोण भाव में ये दोनों ग्रह हों तो भी गजकेसरी योग बनता है। इस दिन गुरु के साथ वृषभ राशि में चंद्र की युति हो रही है। इसलिए गजकेसरी योग बन रहा है। इस योग में करवा चतुर्थी का पूजन करना अत्यंत शुभ रहेगा।

बुधादित्य योग
सूर्य और बुध की युति से बनता है बुधादित्य योग। 20 अक्टूबर को तुला राशि में सूर्य और बुध एक साथ बैठे हुए हैं। इसलिए बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में करवा चतुर्थी का आना अपने आप में एक श्रेष्ठ संयोग है। इसके प्रभाव से पारिवारिक जीवन में शुभता और सौख्यता आती है।

शश योग
शश योग शनि से बनने वाला एक अत्यंत शुभ योग कहा जाता है। शनि जब केंद्र स्थानों में स्वराशि में होता है तो शश योग बनता है। शनि पूर्व से ही स्वराशि कुंभ में गोचर कर रहा है। 20 अक्टूबर को केंद्र स्थान में होने के कारण शश योग का निर्माण हो रहा है। चूंकि शनि स्थायित्व का प्रतीक है इसलिए इस दिन करवा चतुर्थी आने से पति-पत्नी के रिश्तों में स्थायी प्रेम का संचार होगा।

उच्च का चंद्र और प्रिय रोहिणी
करवा चतुर्थी के दिन चंद्र अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेगा और इसके साथ अपने सबसे प्रिय नक्षत्र रोहिणी में भी भ्रमण करेगा। यह
दांपत्य जीवन की सुख-सफलता के लिए श्रेष्ठ संयोग है। इतने सारे योग संयोग के कारण इस बार का करवा चतुर्थी व्रत अत्यंत श्रेष्ठ और शुभ बन गया है। इसलिए जो दंपती इस दिन एक-दूसरे के लिए व्रत रखेंगे उनका दांपत्य जीवन सदैव सुखमय रहने वाला है।

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