पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य
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कार्तिक अमावस्या पर 31 अक्टूबर 2024 गुरुवार को दीपावली मनाई जाएगी। इस दिन प्रदोषकाल में अमावस्या और मध्यरात्रि निशिथकाल में भी अमावस्या होने के कारण इसी दिन महालक्ष्मी पूजन होगा। इसलिए किसी भी प्रकार के भ्रम में न पड़ते हुए 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाएं।
31 अक्टूबर को अमावस्या दोपहर 3:52 बजे से प्रारंभ होगी जो 1 नवंबर को सायं 6:16 बजे तक रहेगी। 31 अक्टूबर को प्रदोष काल और निशिथकाल में अमावस्या मिलेगी। इसलिए यही दिन लक्ष्मीपूजन के लिए श्रेष्ठ रहेगा।
लक्ष्मी पूजन में क्या विशेष
लक्ष्मी पूजन में कुछ चीजों का विशेष महत्व होता है। सभी लोग पूजा तो अपनी परंपरा से प्राप्त विधि के अनुसार करते ही हैं किंतु लक्ष्मी पूजा में कुछ विशेष सामग्री होना आवश्यक है। जैसे लक्ष्मी की पूजा में कमल गट्टे की माला, लाल कमल का पुष्प, पीली-लाल कौड़ी, गोमती चक्र, मोती शंख या दक्षिणावर्ती शंख, केसर बिंदी लगाने के लिए होना चाहिए। मां लक्ष्मी को नैवेद्य में मखाने की खीर अर्पित करना चाहिए जिसमें गुलाब जल और गुलाब की पत्तियां डली हुई हों। पूजा में गुलाब की धूप और गुलाब के इत्र का प्रयोग भी करना चाहिए। लक्ष्मी पूजा के साथ गणेशजी और सरस्वती माता का पूजन भी अवश्य करना चाहिए। इस दिन पूजा में कलम-दवात, पेन, डायरी, झाड़ू भी रखना चाहिए।
31 अक्टूबर के लक्ष्मी पूजन मुहूर्त
चौघड़िया अनुसार
शुभ : सायं 4:24 से 5:48
अमृत : सायं 5:48 से 7:24
चर : सायं 7:24 से रात्रि 8:59
लाभ (निशिथ काल) : रात्रि 12:10 से 1:46
प्रदोष काल मुहूर्त
सायं 5:48 से रात्रि 8:22
अवधि : 2 घंटा 34 मिनट
स्थिर लग्न मुहूर्त
वृषभ : सायं 6:39 से रात्रि 8:38
अवधि 1 घंटा 59 मिनट
सिंह : मध्यरात्रि 1:07 से 3:18
अवधि : 2 घंटे 11 मिनट
व्यापारी कब करें
कर्क लग्न : रात्रि 10:51 से 1:07
अवधि : 2 घंटे 16 मिनट
नोट : उपरोक्त सभी मुहूर्त पंचांगों के अनुसार मानक उज्जैन के सूर्योदय के अनुसार हैं और शुद्ध मुहूर्त हैं। इन सभी मुहूर्तों में सभी सामान्य जन, व्यापारी-कारोबारी महालक्ष्मी पूजन संपन्न कर सकते हैं।