आज का पंचांग : 24 अक्टूबर 2024, गुरुवार


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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गुरु-पुष्य का शुभ संयोग आज संपूर्ण दिन-रात

आज का दिन अत्यंत विशेष है। आज गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र होन के कारण गुरु-पुष्य का शुभ संयोग बना है। दीपावली से पूर्व पुष्य नक्षत्र खरीदी का सबसे बड़ा महामुहूर्त होता है। आज के दिन आभूषण के साथ वाहन, भूमि, भवन आदि की खरीदी करना अत्यंत शुभ रहता है। आज सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि योग भी है इसलिए आज के दिन खरीदी गई वस्तुएं सदैव फलदायी रहती है और उनमें उत्तरोत्तर वृद्धि होती है। इस महामुहूर्त में आप भी अपने घर में सुख-समृद्धि की कामना से कोई भी वस्तु खरीदकर लाएं महालक्ष्मी और कुबेर का पूजन करें।

विक्रम संवत : 2081
शालिवाहन वाहन शके : 1946
मास : कार्तिक कृष्ण पक्ष
ऋतु : हेमंत
अयन : दक्षिणायन

तिथि :अष्टमी रात्रि 1:57 तक
नक्षत्र : पुष्य दूसरे दिन प्रात: 6:38 तक
योग : साध्य दूसरे दिन प्रात: 5:21 तक
करण : बालव दोप 1:31 तक पश्चात कौलव

सूर्योदय : 6:28:26
सूर्यास्त : 5:52:47

चंद्रास्त : दोप 1:16
चंद्रोदय : रात्रि 12:13

आज की ग्रह स्थिति
सूर्य: तुला
चंद्र: कर्क
मंगल : कर्क
बुध : तुला
गुरु : वृषभ, वक्री
शुक्र : वृश्चिक
शनि : कुंभ, वक्री
राहु : मीन
केतु : कन्या

दिन का चौघड़िया
चर : प्रात: 10:45 से दोप 12:11
लाभ : दोप 12:11 से 1:36
शुभ : सायं 4:27 से 5:53
अभिजित : प्रात: 11:48 से दोप 12:33
प्रदोष काल : सायं 5:53 से रात्रि 8:25

रात्रि का चौघड़िया
अमृत : सायं 5:53 से 7:27
चर : सायं 7:27 से रात्रि 9:02

त्याज्य समय
राहु काल : दोप 1:36 से 3:02
यम घंट : प्रात: 6:28 से 7:54

आज विशेष :
आज का शुभ अंक : 6
आज का शुभ रंग : पीला, सफेद
आज के पूज्य : श्री हरि विष्णु
आज का मंत्र : ऊं नमो भगवते वासुदेवाय

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धन की तंगी है, लाल किताब के ये टोटके आजमाकर देखिए


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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पैसा कौन नहीं पाना चाहता। प्रत्येक व्यक्ति पैसा कमाने के लिए दिन-रात एक करता रहता है लेकिन अधिकांश लोग सफल नहीं हो पाते या जितनी जरूरत है उतना भी पैसा नहीं कमा पाते। धन की आवश्यकता तो कभी समाप्त हो ही नहीं सकती, जिसके पास जितना धन है वह उससे ज्यादा पाने की लालसा रखता है। किंतु फिर कम से कम इतना धन तो आ ही जाए कि परिवार की जरूरतें पूरी हो सकें। यदि आप भी मेहनत कर करके थक चुके हैं तो आज हम आपको लाल किताब से जुड़े ऐसे ही चमत्कारिक टोटके बता रहे हैं जो आपको धन पाने में मदद करेंगे।

पहला उपाय
किसी भी मंगलवार को मिट्टी का लाल छोटा सा कलश लें। इसे लाल मसूर की दाल से पूरा भर दें। इसके ऊपर मिट्टी का ही दीया रखें। अब इस कलश को परिवार के प्रत्येक व्यक्ति से हाथ लगवाकर किसी निर्जन स्थान में गड्ढा खोदकर मिट्टी में दबा आएं। यह प्रयोग आपको लगातार पांच मंगलवार करना होगा। इससे आपकी धन से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाएंगी।

दूसरा उपाय
मंगलवार या शनिवार के दिन चींटियों की बांबी से थोड़ी सी मिट्टी ले आएं। इस मिट्टी को गंगाजल छिड़करकर शुद्ध कर लें। फिर इस मिट्टी से एक पीपल के पत्ते पर अष्टकोणीय सितारा बनाएं और इसके बिलकुल बीचोंबीच लाल चंदन की लकड़ी का टुकड़ा रखें। अब इसके ऊपर पीपल का दूसरा पत्ता रखकर इसे ढंक दें। इसे पूरी रात घर के पूजा स्थान में रखा रहने दें। अगले दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व जब अंधेरा रहे तब किसी चौराहे पर रख आएं। इससे आपके घर की अलक्ष्मी दूर होगी और लक्ष्मी का आगमन होगा।

तीसरा उपाय
आटे में सरसों का तेल डालकर इसकी 108 गोलियां बनाएं और इन गोलियों को किसी नदी, तालाब, कुएं आदि में मछलियों को खिला आएं। यह प्रयोग आपको लगातार 21 दिन करना होगा। इससे धन आने के मार्ग खुलेंगे।

चौथा उपाय
सफेद आंकड़े का पौधा किसी सोमवार के दिन देख आएं और मंगलवार को सुबह जल्दी उस पौधे की जड़ में थोड़ा सा जल डालकर उससे थोड़ी सी जड़ निकाल लाएं। इस जड़ को पहले साधारण जल से, फिर कच्चे दूध से, फिर साधारण जल से और फिर गंगाजल से शुद्ध कर लें। इसे लाल कपड़े पर रखकर कुमकुम से पूजन करें और इसे उसी कपड़े में बांधकर पूजा स्थान में रखें। धूप-दीप नित्य करते रहें। 21 दिन में धन से जुड़े संकट दूर हो जाएंगे।

पांचवां उपाय
शनिवार के दिन एक मिट्टी के बड़े से दीये में चार बातियां लगाएं। इस चौमुखी दीये में सरसों का तेल भरकर, थोड़ी सी काली तिल डालकर किसी चौराहे पर रात के समय जला आएं। दीपक रखने के बाद इसके चारों ओर आटे से गोल घेरा बना दें। वापस आते समय पीछे मुड़कर न देखें। धन संकट दूर होगा। धन में वृद्धि होगी।

गुरु-पुष्य 24 अक्टूबर पर बना लक्ष्मीनारायण योग


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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महालक्ष्मी पूजा दीपावली से पूर्व हर साल पुष्य नक्षत्र आने की प्रतीक्षा रहती है। इस साल 24 अक्टूबर 2024 को गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र आने से गुरु-पुष्य का अत्यंत शुभ संयोग बना है। इस बार यह योग इसलिए भी अधिक प्रभावी है क्योंकि इस बार गुरु पुष्य के साथ धन संपदा के भंडार भर देने वाला लक्ष्मीनारायण योग भी बन रहा है। इसके साथ ही सर्वार्थसिद्धि और अमृत सिद्धि योग संयुक्त रूप से होने के कारण गुरु पुष्य के इस महायोग में वाहन, भूमि, भवन, संपत्ति, सोना-चांदी, आभूषण, रत्नों आदि की खरीदी करना अत्यंत शुभ और श्रेष्ठ रहेगा। इसलिए यदि आप धन संपदा में वृद्धि करना चाहते हैं तो इस दिन वस्तुओं की खरीदी अवश्य करें और जो आपके पास पहले से उपलब्ध है उनका पूजन अवश्य करें।

25 घंटे 24 मिनट रहेगा पुष्य
पंचांगों के अनुसार पुष्य नक्षत्र 24 अक्टूबर को सूर्योदय पूर्व प्रात: 6 बजकर 14 मिनट से प्रारंभ हो जाएगा जो 25 अक्टूबर को प्रात: 7: बजकर 38 मिनट तक रहेगा। इस प्रकार पुष्य नक्षत्र का संयोग संपूर्ण दिनरात मिलने वाला है। 25 घंटे 24 मिनट का पुष्य मा महामुहूर्त खरीदी आदि के लिए अत्यंत श्रेष्ठ रहेगा।

लक्ष्मीनारायण योग बना
इस बार गुरु पुष्य के संयोग के साथ लक्ष्मीनारायण योग भी बना है। लक्ष्मीनारायण योग अनेक प्रकार से बनता है। गोचर में जब बुध और शुक्र साथ आ जाएं तो लक्ष्मीनारायण योग बनता है। इसके साथ ही जब चंद्र और मंगल गोचर में एक ही राशि में साथ में आते हैं और चंद्र स्वराशि में हो तो भी लक्ष्मीनारायण योग बनता है। इसे लक्ष्मी योग भी कहा जाता है। इस बार गोचर में चंद्र और मंगल कर्क राशि में स्थित हैं और कर्क चंद्र की ही राशि है इसलिए यह योग धनप्रदायक है। 24 अक्टूबर को ही सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग भी संपूर्ण दिन रात मिलने वाला है।

गुरु पुष्य में खरीदी के महामुहूर्त

चौघड़िया अनुसार
चर : प्रात: 10:45 से 12:11
लाभ : दोप 12:11 से 1:36
अमृत : सायं 5:53 से 7:27
चर : सायं 7:27 से रात्रि 9:02
लाभ (मध्यरात्रि मुहूर्त) : रात्रि 12:11 से 1:45

अभिजित मुहूर्त
प्रात: 11:48 से दोप 12:33

प्रदोष काल मुहूर्त
सायं 5:53 से रात्रि 8:25

लग्न अनुसार मुहूर्त
वृश्चिक : प्रात: 8:14 से 10:30
कुंभ : दोप 2:22 से 3:55
वृषभ : सायं 7:07 से रात्रि 9:05
सिंह : मध्यरात्रि 1:34 से 3:36

लक्ष्मीनारायण योग में क्या करें
1. संपत्ति में वृद्धि और स्थायी संपत्ति की प्राप्ति के लिए लक्ष्मीनारायण योग में मां लक्ष्मी का पूजन अवश्य करें। सामान्य पूजन करें किंतु माता को लाल कमल या लाल गुड़हल का पुष्प अर्पित करें।
2. इस योग में सुंदरकांड का पाठ करना अत्यंत श्रेष्ठ होता है। इससे लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
3. इस दिन किसी अंधेरे कमरे के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व के मध्य) में घी का दीया लगाएं। दीये में एक पीली कौड़ी जरूर डालें
4. इस दिन अपने घर में रखे आभूषणों का पूजन करें।
5. एक मुट्ठी में थोड़े से पीले सरसों लेकर उसे अपने घर से उसारकर घर के बाहर फेंक दें इससे घर से दुर्भिक्षा और अभाव दूर हो जाता है।

आज का पंचांग : 23 अक्टूबर 2024, बुधवार


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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आज का दिन अत्यंत विशेष है। आज दोपहर 1 बजकर 16 मिनट तक भद्रा रहेगी, इसलिए यदि आप कोई काम प्रारंभ करना चाहते हैं या किसी शुभ कार्य के लिए प्रस्थान करना चाहते हैं तो थोड़ा ठहर जाएं। 1:16 बजे के बाद आप वो काम प्रारंभ करें या कहीं प्रस्थान करें तो लाभ होगा। आज पुनर्वसु नक्षत्र भी है। पुष्य से ठीक पहले आने वाले इस नक्षत्र का महत्व भी कुछ कम नहीं है। यह नक्षत्र स्थायित्व प्रदान करता है और इसमें प्रारंभ किए गए कार्य भी अपनी उचित नियती तक अवश्य पहुंचते हैं। आज बुधवार है और आज के दिन भगवान गणेशजी को दूर्वा अवश्य अर्पित करें, वे आपके सारे काम सफल करेंगे।

विक्रम संवत : 2081
शालिवाहन वाहन शके : 1946
मास : कार्तिक कृष्ण पक्ष
ऋतु : शरद
अयन : दक्षिणायन

तिथि : सप्तमी रात्रि 1:18 तक
नक्षत्र : पुनर्वसु दूसरे दिन प्रात: 6:14 तक
योग : शिव प्रात: 6:57 तक पश्चात सिद्ध
करण : विष्टि भद्र दोप 1:16 तक पश्चात बव

सूर्योदय : 6:27:58
सूर्यास्त : 5:53:31

चंद्रास्त : दोप 12:28
चंद्रोदय : रात्रि 11:14

आज की ग्रह स्थिति
सूर्य: तुला
चंद्र: मिथुन, रात्रि 12 से कर्क में
मंगल : कर्क
बुध : तुला
गुरु : वृषभ, वक्री
शुक्र : वृश्चिक
शनि : कुंभ, वक्री
राहु : मीन
केतु : कन्या

दिन का चौघड़िया
लाभ : प्रात: 6:28 से 7:54
शुभ : प्रात: 10:45 से दोप 12:11
चर : दोप 3:02 से सायं 4:28
लाभ : सायं 4:28 से 5:54
प्रदोष काल : सायं 5:54 से 7:29

रात्रि का चौघड़िया
शुभ : सायं 7:28 से रात्रि 9:02
अमृत : रात्रि 9:02 से 10:37

त्याज्य समय
राहु काल : दोप 12:11 से 1:36
यम घंट : प्रात: 7:54 से 9:19

आज विशेष :
आज का शुभ अंक : 5
आज का शुभ रंग : हरा, सफेद
आज के पूज्य : गणेशजी
आज का मंत्र : ऊं गणाध्यक्षाय नम:

क्यों आता है मोटापा? कौन-सा ग्रह है जिम्मेदार…


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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मोटापे को चाहे लाइफ स्टाइल से जुड़ा मान लें या अनियंत्रित खानपान की आदत के कारण होना, मोटापा जब भी आता है अपने साथ अनेक रोग लेकर आता है। मोटापे के कारण डायबिटीज, बीपी, कोलेस्ट्राल की समस्या होने लगती है जो जानलेवा भी हो सकती है। आजकल जिस तरह ये रोग बढ़ते जा रहे हैं उसको देखते हुए लोग अब अपनी हेल्थ के प्रति जागरूक हुए हैं और मोटापे से छुटकारा पाने के प्रयास भी कर रहे हैं, इसके लिए वे जिमिंग, एक्सरसाइज, योग आदि तरीके अपना रहे हैं लेकिन फिर भी अनेक लोग अपना वजन अधिक कम नहीं कर पा रहे हैं।

यदि तमाम उपाय करने के बाद भी आपका वजन कम नहीं हो रहा है और मोटापा बढ़ता ही जा रहा है तो एक बार अपनी जन्मकुंडली किसी अच्छे ज्योतिषी को दिखा लें। आपके मोटापे का सबसे बड़ा कारण आपकी कुंडली में छुपा हो सकता है।

मोटापे का कारण
वैदिक ज्योतिष के अनुसार मोटापे का कारक ग्रह गुरु होता है। जिस किसी जातक की कुंडली में गुरु ग्रह अत्यंत बलवान, सशक्त, शुभ ग्रहों से युक्त होता है, उसके साथ मोटापे की समस्या होती है। गुरु का सीधा आधिपत्य शरीर में चर्बी और खानपान की आदतों पर होता है। गुरु के मजबूत होने पर मनुष्य खानपान का शौकीन होता है और वह अच्छा बुरा सोचे बिना खाए चला जाता है। इससे मोटापा और चर्बी बढ़ती है। यदि गुरु अत्यंत खराब अवस्था में होता है तो मनुष्य की खानपान की आदतें बहुत अनियंत्रित और बिगड़ जाती है, इस कारण मोटापा भी बढ़ता जाता है।

मोटापे का दूसरा कारण चंद्र का दूषित होना भी है। चंद्र शरीर में जल तत्व को नियंत्रित करता है। अत्यधिक जल का सेवन करने वाला मनुष्य कभी मोटा नहीं होता यह बात मेडिकल साइंस भी कहता है लेकिन जिस जातक का चंद्र खराब होता है वह जल कम पीता है और खाता अधिक है। इसलिए मोटापा बढ़ता जाता है।

दुबला करने वाले ग्रह
मोटापे के विपरीत मनुष्य को दुबला करने वाले जिम्मेदार ग्रह मंगल और शनि हैं। जिस जातक का शनि अत्यंत मजबूत होता है वह स्लिम शरीर का मालिक होता है। ऐसा व्यक्ति हमेशा फिट और दुबला बना रहता है। उस पर कभी मोटापा नहीं चढ़ता। मंगल भी शरीर में रक्त का कारक ग्रह है। यदि मंगल ठीक है तो मनुष्य के शरीर में रक्त भी ठीक रहेगा और शुद्ध रक्त से कभी मोटापा नहीं होता।

मोटापा कम करने के उपाय
यदि मोटापा बढ़ता जा रहा है तो उसे नियंत्रित या कम करने के लिए ये उपाय आपको करने चाहिए। इसके लिए बृहस्पति यानी गुरु ग्रह को प्रसन्न करने के उपाय करने चाहिए।
1. एक पीला धागा अपनी दाहिनी कलाई और दाहिने पैर में बांधकर रखें।
2. सोने या पीतल का छल्ला दाहिने हाथ की तर्जनी अंगुली में धारण करें।
3. सोने की अंगूठी में सवा पांच कैरेट का पीला पुखराज धारण करें।
4. बृहस्पति यंत्र को घर में रखकर नित्य दर्शन पूजन करने से मोटापा कम होगा।
5. हल्दी की सात गांठ लेकर इन्हें प्रत्येक गुरुवार को केले के पेड़ की जड़ के नीचे दबा दें। ऐसा सात गुरुवार करें।

आज का पंचांग 21 अक्टूबर 2024, सोमवार


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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आज कार्तिक कृष्ण पंचमी है। आज के दिन भगवान शिव, चंद्र और गणेशजी का पूजन करने का विशेष महत्व होता है। आज के दिन चंद्र को प्रसन्न करने के उपाय किए जाने चाहिए। जिन लोगों की कुंडली में चंद्र नीच राशि में या पाप ग्रहों के साथ बैठा हुआ है तो उसके बुरे परिणाम होते हैं। चंद्र की खराबी से व्यक्ति श्वसन, फेफड़े और अन्य प्रकार के रोगों से पीड़ित रहता है। मानसिक रूप से भी हमेशा तनाव में रहता है। इसलिए आज सोमवार के दिन शिवजी को कच्चा दूध अर्पित करें और सायंकाल चंद्रोदय होने पर चंद्र को जल का अर्घ्य दें। इस उपाय से चंद्र मजबूत होगा। मां या माता के समान किसी स्त्री को सफेद मावे की मिठाई खिलाने से भी चंद्र की प्रसन्नता प्राप्त होती है।

विक्रम संवत : 2081
शालिवाहन वाहन शके : 1946
मास : कार्तिक कृष्ण पक्ष
ऋतु : शरद
अयन : दक्षिणायन

तिथि : पंचमी रात्रि 2:28 तक
नक्षत्र : मृगशिरा दूसरे दिन प्रात: 5:49 तक
योग : वरियान प्रात: 11:10 तक
करण : कौलव दोप 3:17 तक पश्चात तैतिल

सूर्योदय : 6:27:02
सूर्यास्त : 5:55:01

चंद्रास्त : प्रात: 10:31
चंद्रोदय : रात्रि 9:13

आज की ग्रह स्थिति
सूर्य: तुला
चंद्र: वृषभ, सायं 6:14 से मिथुन में
मंगल : कर्क
बुध : तुला, सायं 7:41 से उदय पश्चिम में
गुरु : वृषभ, वक्री
शुक्र : वृश्चिक
शनि : कुंभ, वक्री
राहु : मीन
केतु : कन्या

दिन का चौघड़िया
चर : दोप 1:37 से 3:03
लाभ : दोप 3:03 से सायं 4:29
अमृत : सायं 4:29 से 5:55
अभिजित : प्रात: 11:48 से दोप 12:34
प्रदोष काल : सायं 5:55 से रात्रि 8:26

रात्रि का चौघड़िया
चर : सायं 5:55 से 7:29

त्याज्य समय
राहु काल : प्रात: 7:53 से 9:19
यम घंट : प्रात: 10:45 से दोप 12:11

आज विशेष :
आज का शुभ अंक : 3
आज का शुभ रंग : सफेद, हल्का पीला
आज के पूज्य : चंद्र
आज का मंत्र : ऊं चंद्रमसे नम:

साप्ताहिक अंकफल: 21 से 27 अक्टूबर 2024


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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इस सप्ताह का प्रारंभ 21 अक्टूबर 2024 सोमवार को हो रहा है। इसके अनुसार सप्ताह का मूलांक 3 और भाग्यांक भी 3 है। अंक 3 का स्वामी बृहस्पति है। इसलिए यह सप्ताह सभी मूलांक वालों के लिए संयमपूर्ण व्यतीत होने वाला है। आपकी सात्विकता और आध्यात्मिकता में वृद्धि होगी। कार्य कुशलता से पूरे होंगे। व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलने वाला है।

मूलांक 1 : (जन्म तारीख 1, 10, 19, 28)
मूलांक 1 का स्वामी सूर्य है और सप्ताह का मूलांक-भाग्यांक 3 है जिसका स्वामी बृहस्पति है। सूर्य और बृहस्पति संयुक्त रूप से मिलकर आपको अनेक प्रकार से सफलता देने वाले हैं। यह सप्ताह पारिवारिक कार्यों पर ध्यान देने का है। वैवाहिक और दांपत्य जीवन में मधुता आएगी। आर्थिक रूप से सुदृढ़ रहेंगे। सभी के तालमेल से अपने कार्यों को पूर्ण करने में सफल होंगे। स्वास्थ्य में सुधार आएगा।

मूलांक 2 : (जन्म तारीख 2, 11, 20, 29)
मूलांक 2 का स्वामी चंद्र है और सप्ताह का मूलांक-भाग्यांक 3 है जिसका स्वामी बृहस्पति है। चंद्र और बृहस्पति के गुण संयुक्त रूप से आपके लिए गजकेसरी योग जैसे लाभ देने वाले हैं। यह सप्ताह आपके लिए बेहतरीन रहने वाला है। नौकरी में पद-प्रमोशन, कार्य में लाभ। नए कामकाम प्रारंभ करेंगे। आर्थिक लाभ होगा। रिश्ते मजबूत होंगे, चाहे वे दांपत्य के हों या प्रेम संबंधों के।

मूलांक 3 : (जन्म तारीख 3, 12, 21, 30)
मूलांक 3 का स्वामी बृहस्पति है और सप्ताह का मूलांक-भाग्यांक 3 है जिसका स्वामी बृहस्पति है। दोनों ही अंक बृहस्पति के हैं इसलिए यह सप्ताह आपको चारों ओर से उन्नति देने वाला रहेगा। पारिवारिक से लेकर आर्थिक, सामाजिक, वैवाहिक, करियर सभी के लिए यह सप्ताह अत्यंत लाभदायक रहने वाला है। लंबे समय से चली आ रही अनेक शारीरिक परेशानियां भी इस सप्ताह दूर हो जाएंगी।

मूलांक 4 : (जन्म तारीख 4, 13, 22, 31)
मूलांक 4 का स्वामी राहु है और सप्ताह का मूलांक-भाग्यांक 3 है जिसका स्वामी बृहस्पति है। राहु और गुरु मिलकर गुरु चांडाल जैसे योग बना रहे हैं। यह सप्ताह आपके लिए भारी उठापटक वाला रह सकता है। आर्थिक रूप से झटके पड़ सकते हैं। खर्च की अधिकता रहेगी। स्वास्थ्यगत समस्याएं आ सकती हैं। परिवार में विवाद और करियर में चिंता बढ़ सकती है। दुर्घटना की आशंका है।

मूलांक 5 : (जन्म तारीख 5, 14, 23)
मूलांक 5 का स्वामी बुध है और सप्ताह का मूलांक-भाग्यांक 3 है जिसका स्वामी बृहस्पति है। बुध और गुरु दोनों ही शुभ अंकों वाला है यह सप्ताह, इसलिए आपको अनायास सफलताएं मिलने लगेंगी। स्वास्थ्य में सुधार आएगा। करियर में गति आएगी। अनेक माध्यमों से धन आएगा। पद और पैसा मिलेगा। पारिवारिक जीवन सुखद होगा। नए कामकाम प्रारंभ करेंगे तो उनमें भी लाभ मिलेगा।

मूलांक 6 : (जन्म तारीख 6, 15, 24)
मूलांक 6 का स्वामी शुक्र है और सप्ताह का मूलांक-भाग्यांक 3 है जिसका स्वामी बृहस्पति है। शुक्र और गुरु मिलकर यह सप्ताह मिलाजुला बना रहे हैं। कुछ काम चलते-चलते अटक सकते हैं। अनेक विरोधाभासी बातें साथ में होंगी। आप किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पाएंगे। धन आएगा और खर्च के रास्ते भी बनेंगे। स्वास्थ्य ठीक रहेगा। कामकाज में उन्नति होने वाली है।

मूलांक 7 : (जन्म तारीख 7, 16, 25)
मूलांक 7 का स्वामी केतु है और सप्ताह का मूलांक-भाग्यांक 3 है जिसका स्वामी बृहस्पति है। आपके काम पूरे होने में संदेह रहेगा। किंतु किसी पारिवारिक सदस्य या करीबी मित्र के सहयोग से काम हो सकेंगे। यात्राएं और भटकाव काफी रह सकता है। स्वास्थ्य में कुछ खराबी आ सकती है। धन का अनावश्यक खर्च होगा। करियर में ग्रोथ मिलेगी। नए पद की बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है।

मूलांक 8 : (जन्म तारीख 8, 17, 26)
मूलांक 8 का स्वामी शनि है और सप्ताह का मूलांक-भाग्यांक 3 है जिसका स्वामी बृहस्पति है। आपके लिए यह सप्ताह स्थायित्व वाला रहेगा। आप जिन कार्यों में सेटल होने का सोच रहे थे वे ठीक हो सकते हैं और आपको जीवन में स्थायित्व प्राप्त होगा। आर्थिक रूप से इस सप्ताह सुदृढ़ रहेंगे। पैसा आएगा, भौतिक सुख सुविधाएं प्राप्त होंगी। प्रेम संबंध मजबूत होंगे। प्रेमी प्रेमिका साथ वक्त बिताएंगे।

मूलांक 9 : (जन्म तारीख 9, 18, 27)
मूलांक 9 का स्वामी मंगल है और सप्ताह का मूलांक-भाग्यांक 3 है जिसका स्वामी बृहस्पति है। आपके लिए यह सप्ताह अति श्रेष्ठ रहने वाला है। मंगल और बृहस्पति मिलकर शुभ योग-संयोग बनाते दिख रहे हैं। सप्ताह सफलता वाला रहेगा। पारिवारिक कार्य तेजी से होंगे। नौकरी में बदलाव के साथ प्रमोशन मिल सकता है। व्यर्थ की दौड़भाग थमेगी। पैसा आएगा। कर्ज चुकाने की स्थिति बनेगी।

सावधान रहें! मंगल का नीच राशि कर्क में हो रहा गोचर


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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क्रोध, युद्ध, सैन्य शक्ति, रक्त विकार, साहस, बल, पराक्रम का ग्रह मंगल 20 अक्टूबर 2024 रविवार को दोपहर 2:19 बजे से अपनी नीच राशि कर्क में प्रवेश करने जा रहा है। कर्क चंद्र की राशि है और जल तत्व व शीत प्रकृति की राशि है जबकि मंगल अग्नि तत्व का प्रतीक। अग्नि और जल का कभी मिलन नहीं हो सकता इसलिए जब जब भी मंगल का गोचर कर्क राशि में होता है तब-तब प्रकृति, पर्यावरण, जीव-जंतु और मनुष्यों पर अनेक प्रकार के विपरीत असर पड़ते हैं। मंगल 21 जनवरी 2025 तक इसी राशि में रहने वाला है। इस बीच 6 दिसंबर को वक्री हो जाने के कारण कर्क राशि में ही उल्टा चलने लगेगा जिससे इसका कर्क राशि में समय बढ़ जाएगा। मंगल आमतौर पर एक राशि में 45 दिन रहता है किंतु वक्री हो जाने के कारण यह समय लगभग 93 दिन हो जाएगा।

नीच राशि में प्रभाव
कर्क राशि मंगल की नीच राशि होती है। इसलिए इस राशि में प्रवेश करते ही मंगल के प्रभावों में वृद्धि हो जाएगी। जिन लोगों की जन्मकुंडली में मंगल पूर्व से ही वक्री बैठा हुआ है उनके लिए यह समय अधिक संकटपूर्ण रह सकता है। क्रोध में वृद्धि होगी। अनावश्यक विवादों में फंस सकते हैं। पारिवारिक टकराव हो सकते हैं। आर्थिक हानि की आशंका रहेगी। यहां तक कि उन्हें रक्त संबंधी बड़े विकार भी सामने आ सकते हैं। इसलिए यह समय शांतिपूर्ण तरीके से निकालने का प्रयास करें।

राजनीतिक प्रभाव
नीच राशि में मंगल का गोचर होने से देश-दुनिया में युद्ध जैसे हालात बनते हैं। अनेक देशों के बीच टकराव बढ़ते हैं और फलस्वरूप युद्ध की स्थितियां निर्मित होती हैं। वर्तमान में पृथ्वी के जिस भी भूभाग पर युद्ध चल रहे हैं वे भीषणतम स्थिति में पहुंच सकते हैं। सैन्य बलों की हानि हो सकती है। देशों के टुकड़े हो सकते हैं। शांति पसंद करने वाले देश भी उग्र व्यवहार दिखा सकते हैं।

प्रकृति-पर्यावरण पर प्रभाव
मंगल का जब भी गोचर होता है, बड़ी प्राकृतिक विपदाएं आती हैं। विमान-ट्रेन दुर्घटनाएं, भीषण अग्निकांड, जल प्लावन, सूनामी, समुद्र में हलचल, भूकंप, बाढ़ जैसी विभीषिका आ सकती हैं। मानव निर्मित आपदाएं भी इस दौरान अधिक सिर उठाती हैं। संक्रामक रोगों में वृद्धि, कोई नया वायरस आतंक मचा सकता है।

मनुष्यों पर प्रभाव
इस गोचर के दौरान मनुष्य अजीब व्यवहार कर सकते हैं। सहन शक्ति कम होगी। मानसिक तनाव बढ़ेगा। एक-दूसरे के साथ विवाद कर सकते हैं। क्रोध बढ़ने के कारण अनेक हानिकारक घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं।

शुभ क्या
मंगल चूंकि धन का ग्रह भी है। इसलिए जिन लोगों की जन्मकुंडली में मंगल उच्च का या स्वराशि में बैठा हुआ है उनके लिए यह गोचर श्रेष्ठ रहने वाला है। धन-संपत्ति से लाभ होगा। आर्थि लाभ होगा। कर्ज मुक्ति का समय रहेगा।

राशियों पर प्रभाव
शुभ : वृषभ, तुला, धनु, मीन
मध्यम : मकर, कुंभ, मिथुन, कन्या
अशुभ : मेष, वृश्चिक, कर्क, सिंह

क्या करें
मंगल के कर्क राशि में गोचर के दौरान सभी राशि के जातकों को मंगल यंत्र का नित्य पूजन दर्शन करना चाहिए। तांबे का कड़ा या छल्ला पहनकर रखें। ओवल शेप का लाल मूंगा सोने या पंच धातु की अंगूठी में बनवाकर अनामिका अंगुली में धारण करें। प्रत्येक मंगलवार को हनुमानजी को नारियल चढ़ाएं।

आज का पंचांग : 20 अक्टूबर 2024, रविवार


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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आज का दिन सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत विशेष है। आज करवा चतुर्थी व्रत किया जाएगा। आज महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला रहकर व्रत रखेंगी और गणेजी का पूजन करके रात्रि में चंद्र के दर्शन कर व्रत खोलेंगी। आज रविवार है इसलिए सूर्यदेव की कृपा के लिए आज के दिन लाल वस्त्र पहनें और लाल चंदन का तिलक मस्तक पर लगाएं। नीचे दिए गए सूर्य के मंत्र का एक माला जाप करने से सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होगी और आप स्वस्थ और निरोगी बनेंगे। आपके कार्यों को उन्नति मिलेगी। चतुर्थी तिथि होने के कारण आज भगवान श्री गणेशजी का पूजन दर्शन करना भी सुख-समृद्धिदायक रहेगा। आज गणेशजी को दूर्वा अवश्य अर्पित करें।

विक्रम संवत : 2081
शालिवाहन वाहन शके : 1946
मास : कार्तिक कृष्ण पक्ष
ऋतु : शरद
अयन : दक्षिणायन

तिथि : तृतीया प्रात: 6:45 तक पश्चात चतुर्थी (क्षय)
नक्षत्र : कृतिका प्रात: 8:30 तक पश्चात रोहिणी
योग : व्यतिपात दोप 2:10 तक
करण : विष्टि भद्र प्रात: 6:45 तक पश्चात बव- बालव

सूर्योदय : 6:26:35
सूर्यास्त : 5:55:47

चंद्रास्त : प्रात: 9:23
चंद्रोदय : रात्रि 8:15

आज की ग्रह स्थिति
सूर्य: तुला
चंद्र: वृषभ
मंगल : मिथुन, कर्क में दोप 2:19 से
बुध : तुला
गुरु : वृषभ, वक्री
शुक्र : वृश्चिक
शनि : कुंभ, वक्री
राहु : मीन
केतु : कन्या

दिन का चौघड़िया
चर : प्रात: 7:53 से 9:19
लाभ : प्रात: 9:19 से 10:45
अमृत : प्रात: 10:45 से दोप 12:11
शुभ : दोप 1:37 से 3:03
अभिजित : प्रात: 11:48 से दोप 12:34
प्रदोष काल : सायं 5:56 से रात्रि 8:27

रात्रि का चौघड़िया
शुभ : सायं 5:56 से 7:30
अमृत : सायं 7:30 से रात्रि 9:04
चर : रात्रि 9:04 से 10:38

त्याज्य समय
राहु काल : सायं 4:30 से 5:56
यम घंट : दोप 12:11 से 1:37

आज विशेष : करवा चतुर्थी व्रत
आज का शुभ अंक : 2
आज का शुभ रंग : लाल, कत्थई
आज के पूज्य : सूर्यदेव, गणेशजी
आज का मंत्र : ऊं गं गणपतये नम:, ऊं घृणि: सूर्याय नम:

जानिए करवा चतुर्थी व्रत की संपूर्ण पूजन विधि, कथा


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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करवा चतुर्थी का व्रत 20 अक्टूबर 2024 रविवार को किया जाएगा। सुहागिन महिलाएं अपने पति के स्वस्थ और दीर्घायु होने की कामना से यह व्रत निर्जला रहकर करती हैं। इस व्रत को करने के कुछ विशिष्ट विधान और नियम हैं, उनका पालन किया जाना अत्यंत आवश्यक होता है। यहां हम आपको संपूर्ण सामग्री और पूजा करने की विधि की जानकारी दे रहे हैं।

क्या पूजन सामग्री आवश्यक
करवा चौथ की पूजन सामग्री में सबसे आवश्यक वस्तु करवा होता है। यह मिट्टी का बना टोंटी वाला छोटा सा कलश होता है जिसके ऊपर ढंकने के लिए मिट्टी का दीया होता है। अनेक लोग मिट्टी की जगह धातु का करवा भी लेते हैं, लेकिन मिट्टी के करवे की अधिक मान्यता होती है और इसे अत्यंत पवित्र बताया गया है। इसके अलावा मिट्टी के दो दीये। करवे में लगाने के लिए कांस की तीलियां। पूजन के लिए कुमकुम, चावल, हल्दी, गुलाल, अबीर, मेहंदी, मौली, फूल, फल, प्रसाद आदि। पति का चेहरा देखने के लिए छलनी। जल से भरा कलश-लोटा । चौकी, करवा चतुर्थी पूजन का पाना अर्थात् चित्र जिसमें चंद्रमा, शिव, पार्वती, कार्तिकेय आदि के चित्र बने होते हैं। करवा चौथ कथा की पुस्तक, धूप, दीप। सुहाग की सामग्री जिसमें हल्दी, मेहंदी, काजल, कंघा, सिंदूर, छोटा कांच, बिंदी, चुनरी, चूड़ी। करवे में भरने के लिए गेहूं, शकर, खड़े मूंग।

करवा चौथ की पूजन विधि
– करवा चतुर्थी के दिन सूर्योदय पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत होकर साफ-स्वच्छ वस्त्र पहनें। श्रृंगार करें और अपने घर के पूजा स्थान को साफ स्वच्छ कर लें। भगवान श्री गणेश का ध्यान करते हुए करवा चौथ व्रत का संकल्प लें। पूरे दिन निर्जला रहें।
– सामने दीवार पर करवा चौथ पूजा का पाना चिपकाएं। नीचे चौकी पर वस्त्र बिछाकर एक करवा रखें जिसमें गेहूं, चावल या शकर भरे जाते हैं। सामने पाने पर गणेशजी से प्रारंभ करके समस्त पूजन सामग्री से पूजन करें। फिर करवे का पूजन करें। करवे पर स्वस्तिक बनाएं फल रखें, फूल अर्पित करें, कुछ मुद्रा अर्पित करें। करवे के ढक्कन में खड़े हरे मूंग या शकर भर दें।
– गणेश गौरी का पूजन करें। गौरी को समस्त सुहाग की सामग्री भेंट करें।
– इसके बाद करवा चतुर्थी व्रत की कथा सुनें या पढ़ें। कथा सुनने से पहले हाथ में चावल के 13 दानें लें। इन दानों को साड़ी के छोर पर बांध लें।
– इस प्रकार तीन बार पूजन किया जाता है। सुबह पूजा करने के बाद दोपहर में चार बजे और फिर रात्रि में चंद्रोदय के पूर्व। तीनों बार की पूजा हो जाने के बाद रात्रि में चंद्रोदय की प्रतीक्षा की जाती है।
– चंद्रोदय होने पर चंद्र देव का पूजन करें। जल का अर्घ्य दें, साड़ी के छोर में बंधे चावल के 13 दानें निकालकर उन्हें अर्घ्य के साथ चंद्र को अर्पित करें। दीपक से चंद्र की आरती करें। फिर छलनी में से पति का चेहरा देखें। इसके बाद पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलें और भोजन ग्रहण करें।
– पूजा में उपयोग किया हुआ करवा सास या सास के समान किसी सुहागिन महिला को भेंट करें।

करवा चतुर्थी व्रत की कथा
करवा चतुर्थी का व्रत के संबंध में अनेक कथाएं प्रचलित हैं किंतु सर्वाधिक चर्चित कथा यहां प्रस्तुत की जा रही है।

किसी समय इंद्रप्रस्थ नामक नगर में वेद शर्मा नामक ब्राह्मण अपनी पत्नी लीलावती के साथ सुखपूर्वक निवास करता था। उसके सात योग्य और सुशील पुत्र थे और वीरावती नाम की एक सुंदर पुत्री थी। सातों भाइयों का विवाह हो जाने के पश्चात वीरावती का भी विवाह संपन्न कर दिया गया।

जब कार्तिक कृष्ण चतुर्थी आई तो वीरावती ने अपनी समस्त भाभियों के साथ करवा चौथ का व्रत रखा। वीरावती ने विवाह के बाद पहली बार यह व्रत रखा था इसलिए वह भूख-प्यास सहन नहीं कर पाई और मूर्छित हो गई। भाभियां जैसे-तैसे वीरावती के मुख पर जल के छींटे मारकर उसे अर्द्धचेतनावस्था में लेकर आई।

सातों भाई जब व्यापार करके भोजन करने घर आए तो उनसे अपनी प्यारी बहन की ऐसी हालत देखी नहीं गई। उन्होंने अपनी बहन से भोजन करने को कहा तो उसने इन्कार कर दिया कि जब तक वह चंद्र का दर्शन नहीं कर लेगी, तब तक भोजन ग्रहण नहीं करेगी। इस पर भाइयों को चिंता सताने लगी कि कहीं बहन की हालत और बुरी न हो जाए तो उन्होंने एक उपाय सोचा। दो भाई घर से दूर चले गए और दूर जंगल में जाकर एक पेड़ पर चढ़कर उन्होंने मशाल की रोशनी दिखाई। घर पर मौजूद अन्य भाइयों ने बहन को दूर से आती रोशनी दिखाई और कहा कि चंद्रमा का उदय हो गया है। बहन भ्रम में पड़ गई और मशाल की रोशनी को चंद्रमा की रोशनी समझकर पूजन कर व्रत तोड़ दिया।

चूंकि वास्तव में व्रत पूरा नहीं हुआ था इसलिए इसका दुखद परिणाम हुआ और कुछ समय बाद ही उसके पति की मृत्यु हो गई। उसी रात इंद्राणी पृथ्वी पर आई। वीरावती ने उससे इस घटना का कारण पूछा तो इंद्राणी ने कहा कि तुमने भ्रम में फंसकर चंद्रोदय होने से पहले ही भोजन कर लिया। इसलिए तुम्हारे साथ यह घटना हुई है। पति को पुनर्जीवित करने के लिए तुम विधिपूर्वक करवा चतुर्थी व्रत का संकल्प करो और अगली करवा चतुर्थी आने पर व्रत पूर्ण करो। वीरावती से संकल्प लिया तो उसका पति जीवित हो गया। फिर अगला करवा चतुर्थी आने पर वीरावती से विधि विधान से व्रत पूर्ण किया। इस प्रकार करवा चतुर्थी व्रत कथा पूर्ण हुई।