करवा चतुर्थी पर बना शश, गजकेसरी, बुधादित्य योग


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन करवा चतुर्थी का व्रत किया जाता है। यह व्रत इस बार 20 अक्टूबर 2024 रविवार को आ रहा है। इस बार करवा चतुर्थी पर अनेक शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रहने के साथ ही अपने सबसे प्रिय नक्षत्र रोहिणी में तो रहेगा ही, इसके साथ ही इस दिन गजकेसरी, बुधादित्य और शश योग भी बन रहे हैं। इन अनेक शुभ योगों की साक्षी में व्रत और चंद्रमा का पूजन पति-पत्नी के जीवन में नए प्रेम का संचार करेगा। दोनों की निकटता बढ़ेगी और संबंधों में गर्माहट आएगी। यह व्रत मुख्य रूप से सुहागिन महिलाएं करती हैं।

गजकेसरी योग
किसी भी कुंडली में गजकेसरी योग गुरु और चंद्रमा की युति से बनता है। अगर चारों केंद्र स्थान यानी लग्न, चतुर्थ, सप्तम और दशम भाव में गुरु-चंद्र साथ हो और बलवान हो तो गजकेसरी योग बनता है। अगर त्रिकोण भाव में ये दोनों ग्रह हों तो भी गजकेसरी योग बनता है। इस दिन गुरु के साथ वृषभ राशि में चंद्र की युति हो रही है। इसलिए गजकेसरी योग बन रहा है। इस योग में करवा चतुर्थी का पूजन करना अत्यंत शुभ रहेगा।

बुधादित्य योग
सूर्य और बुध की युति से बनता है बुधादित्य योग। 20 अक्टूबर को तुला राशि में सूर्य और बुध एक साथ बैठे हुए हैं। इसलिए बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में करवा चतुर्थी का आना अपने आप में एक श्रेष्ठ संयोग है। इसके प्रभाव से पारिवारिक जीवन में शुभता और सौख्यता आती है।

शश योग
शश योग शनि से बनने वाला एक अत्यंत शुभ योग कहा जाता है। शनि जब केंद्र स्थानों में स्वराशि में होता है तो शश योग बनता है। शनि पूर्व से ही स्वराशि कुंभ में गोचर कर रहा है। 20 अक्टूबर को केंद्र स्थान में होने के कारण शश योग का निर्माण हो रहा है। चूंकि शनि स्थायित्व का प्रतीक है इसलिए इस दिन करवा चतुर्थी आने से पति-पत्नी के रिश्तों में स्थायी प्रेम का संचार होगा।

उच्च का चंद्र और प्रिय रोहिणी
करवा चतुर्थी के दिन चंद्र अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेगा और इसके साथ अपने सबसे प्रिय नक्षत्र रोहिणी में भी भ्रमण करेगा। यह
दांपत्य जीवन की सुख-सफलता के लिए श्रेष्ठ संयोग है। इतने सारे योग संयोग के कारण इस बार का करवा चतुर्थी व्रत अत्यंत श्रेष्ठ और शुभ बन गया है। इसलिए जो दंपती इस दिन एक-दूसरे के लिए व्रत रखेंगे उनका दांपत्य जीवन सदैव सुखमय रहने वाला है।

अधिक जानकारी के लिए हमसे संपर्क करें-
पं. गजेंद्र शर्मा
M : 95-1614-1614
Also Visit our youtube channel

आज का पंचांग, 19 अक्टूबर 2024, शनिवार

आज कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है। आज भरणी नक्षत्र रहेगा और सिद्धि योग सायं 5 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। सिद्धि योग में प्रारंभ किए कार्य सिद्ध होते हैं और इस योग में यदि कोई वस्तु खरीदी जाए तो वह शुभ रहती है। आज का दिन इसलिए भी अत्यंत विशेष है क्योंकि आज शनिवार है। हनुमानजी की आराधना, पूजा और दर्शन करने से अनेक संकटों का नाश होता है। हनुमान बजरंग बाण का पाठ करने से सारे शत्रु और रोग दूर हो जाते हैं। शनिदेव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो शनि मंदिर में जाकर शनि स्तोत्र का पाठ करें। शनिदेव को काला कपड़ा, काले उड़द, लोहा, काले तिल और सरसों का तेल अर्पित करें। शनि की साढ़ेसाती से पीड़ित लोगों को यह उपाय अवश्य करना चाहिए। आज के दिन शनि मंदिर या किसी भी मंदिर के बाहर बैठे भिखारियों को नमकीन चावल और इमरती खिलाएं, शनि की पीड़ा कम होगी।

विक्रम संवत : 2081
शालिवाहन वाहन शके : 1946
मास : कार्तिक कृष्ण पक्ष
ऋतु : शरद
अयन : दक्षिणायन

तिथि : द्वितीया प्रात: 9:48 तक पश्चात तृतीया
नक्षत्र : भरणी प्रात: 10:45 तक
योग : सिद्धि सायं 5:40 तक
करण : गर प्रात: 9:48 तक पश्चात वणिज

सूर्योदय : 6:26:08
सूर्यास्त : 5:56:35

चंद्रास्त : प्रात: 8:14
चंद्रोदय : सायं 7:22

आज की ग्रह स्थिति
सूर्य: तुला
चंद्र: मेष, सायं 4:09 से वृषभ में
मंगल : मिथुन
बुध : तुला
गुरु : वृषभ, वक्री
शुक्र : वृश्चिक
शनि : कुंभ, वक्री
राहु : मीन
केतु : कन्या

दिन का चौघड़िया
शुभ : प्रात: 7:52 से 9:19
चर : दोप 12:11 से 1:38
अमृत : दोप 3:04 से सायं 4:30
अभिजित : प्रात: 11:48 से दोप 12:34
प्रदोष काल : सायं 5:57 से रात्रि 8:27

रात्रि का चौघड़िया
लाभ : सायं 5:57 से 9:30
शुभ : रात्रि 9:04 से 10:38

त्याज्य समय
राहु काल : प्रात: 9:19 से 10:45
यम घंट : दोप 1:38 से 3:04

आज विशेष :
आज का शुभ अंक : 1
आज का शुभ रंग : नीला, काला
आज के पूज्य : शनिदेव
आज का मंत्र : ऊं शं शनैश्चराय नम:

अधिक जानकारी के लिए हमसे संपर्क करें-
पं. गजेंद्र शर्मा
M : 95-1614-1614
Also Visit our youtube channel

कार्तिक मास के प्रमुख व्रत-त्योहार

कार्तिक मास 18 अक्टूबर 2024 से 15 नवंबर 2024 तक रहेगा। कार्तिक मास के प्रधान देव भगवान श्रीहरि विष्णु हैं। इस पूरे मास में भगवान विष्णु और लक्ष्मी का पूजन, उनके मंत्रों का जाप आदि करने से अक्षय पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। इस मास में द्विदल अर्थात् दालों के सेवन का त्याग करने का निर्देश शास्त्रों में दिया गया है। यह वर्ष का सबसे प्रमुख मास होता है क्योंकि इसी मास में सनातन संस्कृति का सबसे बड़ा त्योहार दीपावली आता है। इस पूरे मास यदि मां लक्ष्मी की साधना की जाए तो मनुष्य को हर वो सुख प्राप्त हो सकता है जिसकी वह कामना करता है।

कार्तिक में अनेक बड़े व्रत, पर्व, त्योहार आते हैं। इस मास में देव प्रबोधिनी एकादशी भी आती है, जिस पर चातुर्मास समाप्त होता है और वैवाहिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। कई ग्रहों का राशि परिवर्तन भी इस मास में होने वाला है। आइए जानते हैं कार्तिक मास में आने वाले प्रमुख त्योहारों के बारे में-

प्रमुख शुभ योग
18 अक्टूबर- सर्वार्थसिद्धि योग प्रात: 6:29 से दोप 1:27
21 अक्टूबर- सर्वार्थसिद्धि योग प्रात: 6:30 से 6:50 पश्चात अमृतसिद्धि रात्रि 2:29 तक
22 अक्टूबर- रवियोग दिन-रात
23 अक्टूबर- रवियोग रात्रि 1:42 से दूसरे दिन प्रात: 6:15 तक
24 अक्टूबर- गुरु-पुष्य का संयोग संपूर्ण दिन-रात
30 अक्टूबर- सर्वार्थसिद्धि योग प्रात: 6:35 से रात्रि 9:43
4 नवंबर- सर्वार्थसिद्धि योग प्रात: 6:35 से 8:50 तक, रवियोग प्रात: 8:06 से
8 नवंबर- सर्वार्थसिद्धि योग दोप 12:02 से
12 नवंबर- सर्वार्थसिद्धि योग प्रात: 7:52 से संपूर्ण दिन रात

प्रमुख व्रत, त्योहार, पर्व
20 अक्टूबर- करवा चतुर्थी, संकट चतुर्थी, चंद्रोदय रात्रि 8:16 पर
24 अक्टूबर- अहोई अष्टमी, कालाष्टमी
28 अक्टूबर- रमा एकादशी, गोवत्स द्वादशी
29 अक्टूबर- भौम प्रदोष व्रत, धनतेरस, सायंकाल में दीपदान
30 अक्टूबर- रूप चतुर्दशी, नरक चतुर्दशी
31 अक्टूबर- कार्तिक अमावस्या, महालक्ष्मी पूजा, दीपावली
1 नवंबर- गोवर्धन पूजा, अन्नकूट महोत्सव, बलिपूजा
2 नवंबर- मत भिन्नता के कारण गोवर्धन पूजा और भाई दूज इस दिन भी मनाई जाएगी।
3 नवंबर- भाईदूज, यम द्वितीया, चित्रगुप्त पूजा।
5 नवंबर- विनायक चतुर्थी व्रत
6 नवंबर- सौभाग्य पंचमी, पांडव पंचमी
7 नवंबर- सूर्य षष्ठी, छठ पूजा
9 नवंबर- गोपाष्टमी
10 नवंबर- आंवला नवमी, कूष्मांड नवमी, अक्षय नवमी
11 नवंबर- भीष्म पंचक व्रत प्रारंभ
12 नवंबर- देव उठनी एकादशी, तुलसी विवाह
13 नवंबर- प्रदोष व्रत, चातुर्मास समाप्त
14 नवंबर- बैकुठ चतुर्दशी, हरिहर मिलन
15 नवंबर- कार्तिक पूर्णिमा, देव दीपावली, भीष्म पंचक व्रत पूर्ण, कार्तिक स्नान समाप्त

ग्रहों के राशि परिवर्तन
20 अक्टूबर- मंगल कर्क में दोप 2:19 से
21 अक्टूबर- बुध उदय पश्चिम में सायं 7:41 पर
29 अक्टूबर- बुध वृश्चिक में रात्रि 10:39 से
6 नवंबर- शुक्र धनु में रात्रि 3:32 से
15 नवंबर- शनि मार्गी सायं 7:52 से

आज का पंचांग, 17 अक्टूबर 2024, गुरुवार

आज आश्विन मास की परं पूर्णिमा है। आज के दिन सत्यनारायण व्रत और पूजन किया जाएगा। आज से कार्तिक स्नान भी प्रारंभ हो जाएगा। आश्विन पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक कार्तिक स्नान किया जाता है। कार्तिक स्नान में प्रात: ब्रह्ममुहूर्त में तारों की छाया में स्नान किया जाता है और सायंकाल में पुन: तारों के उदित होने पर भोजन किया जाता है। कार्तिक मास में भगवान विष्णु की आराधना, पूजन, मंत्र जाप का विशेष महत्व होता है। इस पूरे मास में व्रती को संयमपूर्ण जीवन व्यतीत करना चाहिए। बुरे कर्मों से दूर रहना चाहिए। अनैतिक कार्यों से बचना चाहिए। जो लोग व्रत रखते हैं उन्हें कार्तिक मास में पवित्र नदियों में प्रतिदिन दीपदान करना चाहिए, यदि उनके आसपास पवित्र नदियां हैं तो

विक्रम संवत : 2081
शालिवाहन वाहन शके : 1946
मास : आश्विन शुक्ल पक्ष
ऋतु : शरद
अयन : दक्षिणायन

तिथि : पूर्णिमा सायं 4:55 तक
नक्षत्र : रेवती सायं 4:19 तक
योग : हर्षण रात्रि 1:40 तक
करण : विष्टि भद्र प्रात: 6:47 तक, पश्चात बव, परं बालव

सूर्योदय : 6:25:17
सूर्यास्त : 5:58:12

चंद्रोदय : सायं 5:52
चंद्रास्त : प्रात: 6:51 दूसरे दिन

आज की ग्रह स्थिति
सूर्य: तुला
चंद्र: मीन, सायं 4:19 से मेष में
मंगल : मिथुन
बुध : तुला
गुरु : वृषभ, वक्री
शुक्र : वृश्चिक
शनि : कुंभ, वक्री
राहु : मीन
केतु : कन्या

दिन का चौघड़िया
चर : प्रात: 10:45 से दोप 12:12
लाभ : दोप 12:12 से 1:38
शुभ : सायं 4:32 से 5:58
अभिजित : प्रात: 11:49 से दोप 12:35
प्रदोष काल : सायं 5:58 से रात्रि 8:28

रात्रि का चौघड़िया
अमृत : सायं 5:58 से 7:32
चर : सायं 7:32 से रात्रि 9:05

त्याज्य समय
राहु काल : दोप 1:38 से 3:05
यम घंट : प्रात: 6:25 से 7:52

आज विशेष : सत्यनारायण व्रत, कार्तिक स्नान प्रारंभ
आज का शुभ अंक : 8
आज का शुभ रंग : पीला, नीला
आज के पूज्य : श्री हरि विष्णु
आज का मंत्र : ऊं विष्णवे नम:

शरद पूर्णिमा की रात्रि में एक उपाय से होगी धन की बरसात

आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर 2024 को है। यह पूर्णिमा अत्यंत सिद्ध और चमत्कारिक होती है। शरद पूर्णिमा की रात्रि में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय भी किए जाते हैं। अनेक तांत्रिक लोग इस पूर्णिमा पर लक्ष्मी साधनाएं करते हैं।

लक्ष्मी साधना के लिए सामग्री
मां लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र, श्रीयंत्र धातु का या चित्र, एक कलश, नारियल, लकड़ी की चौकी, लाल कपड़ा, पूजन की समस्त सामग्री, सिंदूर, कुमकुम, मौली, अक्षत, केसर, चंदन, एक मोती शंख, पांच गोमती चक्र, पांच पीली-सफेद कौड़ी, पांच प्रकार के फल, मखाने की खीर।

कैसे करें लक्ष्मी साधना
शरद पूर्णिमा की रात्रि में ठीक 12 बजे एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर मां लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इसके साथ ही श्रीयंत्र भी स्थापित करें। श्रीयंत्र किसी धातु का भी हो सकता है और चित्र भी। धातु को हो तो ज्यादा शुभ है। अब साबुत चावल की ढेरी बनाकर उस पर एक कलश में जल भरकर रखें और उसमें लाल पुष्प डालें और उस पर लाल कपड़ा रखकर नारियल रख दें। अब समस्त द्रव्यों से लक्ष्मी और श्रीयंत्र का पूजन करें। श्रीयंत्र पर केसर को घोलकर नौ बिंदियां लगाएं। लक्ष्मी मां को सुंदर वस्त्राभूषण से सुशोभित करें। गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, सुपारी, दक्षिणा आदि से पूजा करें। मोती शंख, गोमती चक्र और कौड़ियों का पूजन करें, केसर की बिंदी लगाएं। मां लक्ष्मी को मखाने की खीर का नैवेद्य लगाएं। अब श्रीसूक्त या कनकधारा स्तोत्र के 21 पाठ करें। लक्ष्मी मां की आरती करें। अगले दिन एक लाल कपड़े की पोटली सिलकर उसमें मोती शंख, गोमती चक्र और पीली कौड़ी बांधकर रख लें। इसे ऐसे स्थान पर सुरक्षित रख लें जहां आप अपना धन, पैसा, आभूषण रखते हों।

लक्ष्मी साधना के लाभ
1. लक्ष्मी साधना करने के लिए शरद पूर्णिमा सबसे उपयुक्त और श्रेष्ठ दिन होता है। इस दिन चंद्र अपनी पूर्ण कलाओं से युक्त होता है।
2. लक्ष्मी साधना करने से साधक के जीवन में शुभ संकल्पों का संचार होता है। उसके कार्यों की बाधाएं दूर होती जाती हैं और वह जीवन में निरंतर उन्नति करता जाता है। उसके जीवन में किसी चीज का अभाव नहीं रह जाता है।
3. शरद पूर्णिमा पर की गई लक्ष्मी साधना कार्तिक अमावस्या के समान फलदायी होती है और इस दिन मां लक्ष्मी अपनी कृपा बरसाने को आतुर रहती हैं।
4. इस रात्रि में जो साधक लक्ष्मी साधना करता है उसके घर में स्थायी रूप से लक्ष्मी का वास हो जाता है।
5. शरद पूर्णिमा पर श्रीयंत्र की साधना करने से धन-संपत्ति, सुख-वैभव, सम्मान की प्राप्ति होती है।
6. शरद पूर्णिमा भगवान श्रीकृष्ण का पूजन भी अवश्य करना चाहिए। इससे साधक के आकर्षण प्रभाव में वृद्धि होती है।

यह भी पढ़ें…
आज चंद्र किरणों से बरसेगा अमृत, व्रत भी आज ही

आज का पंचांग, 16 अक्टूबर 2024, बुधवार

आज आश्विन पूर्णिमा है। आज के दिन शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी। पौराणिक मान्यता है कि आज के दिन पूर्ण कलाओं से युक्त चंद्रमा अमृत की वर्षा करता है। जिसे ग्रहण करने से मनुष्य के सारे रोग और मानसिक संकट दूर हो जाते हैं। आज के दिन प्रत्येक व्यक्ति को खीर बनाकर उसे रात्रि 12 बजे चंद्रमा की चांदनी में रखना चाहिए और इसका सेवन करना चाहिए। इससे शारीरिक रोग दूर होते हैं। आज का दिन अति विशिष्ट है। इस दिन चंद्रमा से जुड़े अनेक उपाय करने से जन्म कुंडली में मौजूद चंद्र से जुड़े सारे दोष दूर हो जाते हैं। चंद्रमा की कृपा प्राप्त होती है और समस्त मानसिक संकटों का समाधान हो जाता है।

विक्रम संवत : 2081
शालिवाहन वाहन शके : 1946
मास : आश्विन शुक्ल पक्ष
ऋतु : शरद
अयन : दक्षिणायन

तिथि : चतुर्दशी रात्रि 8:40 तक पश्चात पूर्णिमा
नक्षत्र : उत्तरा भाद्रपद सायं 7:16 तक
योग : ध्रुव प्रात: 10:08 तक पश्चात व्याघात
करण : गर प्रात: 10:30 तक पश्चात वणिज

सूर्योदय : 6:24:51
सूर्यास्त : 5:59:02

चंद्रोदय : सायं 5:12
चंद्रास्त : प्रात: 5:59 दूसरे दिन

आज की ग्रह स्थिति
सूर्य: कन्या
चंद्र: मीन
मंगल : मिथुन
बुध : तुला
गुरु : वृषभ, वक्री
शुक्र : वृश्चिक
शनि : कुंभ, वक्री
राहु : मीन
केतु : कन्या

दिन का चौघड़िया
लाभ : प्रात: 6:25 से 7:52
शुभ : प्रात: 10:45 से दोप 12:12
चर : दोप 3:05 से सायं 4:32
लाभ : सायं 4:32 से 5:59
प्रदोष काल : सायं 5:59 से रात्रि 8:29

रात्रि का चौघड़िया
शुभ : सायं 7:32 से रात्रि 9:06
अमृत : रात्रि 9:06 से 10:39

त्याज्य समय
राहु काल : दोप 12:12 से 1:39
यम घंट : प्रात: 7:52 से 9:18

आज विशेष : शरद पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा व्रत
आज का शुभ अंक : 7
आज का शुभ रंग : हरा, सफेद
आज के पूज्य : श्री गणेशजी
आज का मंत्र : ऊं गं गणपतये नम:

आज चंद्र किरणों से बरसेगा अमृत, व्रत भी आज ही

आश्विन पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा या कोजागर पूर्णिमा कहा जाता है। यह पूर्णिमा आज 16 अक्टूबर 2024 बुधवार को है। पौराणिक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि में पूर्ण चंद्र अपनी शीतल किरणों के साथ अमृत की बूंदें पृथ्वी पर बरसाता है। जिसे ग्रहण करके करके मनुष्य के सारे रोगों का निवारण हो जाता है। हालांकि पूर्णिमा को लेकर भी कई लोगों में भ्रम है कि यह 16 को की जाए या 17 अक्टूबर को तो इसका उत्तर है पूर्णिमा 16 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी।

पंचांग के अनुसार 16 अक्टूबर को पूर्णिमा रात्रि 8:40 बजे से प्रारंभ होकर 17 अक्टूबर को सायं 4:55 बजे तक रहेगी। चूंकि पूर्णिमा में अर्द्धरात्रि में पूर्ण चंद्र का महत्व होता है इसलिए शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी। इसी दिन शरद पूर्णिमा व्रत और कोजागर व्रत भी किया जाएगा।

17 को सूर्योदय व्यापिनी पूर्णिमा रहने से सत्यनारायण व्रत और आश्विन पूर्णिमा व्रत इस दिन किया जाएगा। इसी दिन से कार्तिक स्नान भी प्रारंभ हो जाएगा।

खीर का महत्व
शरद पूर्णिमा के खीर का बड़ा महत्व बताया गया है। पौराणिक मान्यताएं हैं कि शरद पूर्णिमा की रात्रि में पूर्ण चंद्र अपनी संपूर्ण कलाओं से युक्त रहता है जिसमें एक कला अमृत वर्षा भी है। इसलिए इस दिन खीर या दूध को रात्रि 12 बजे चंद्र की पूर्ण चांदनी में रखा जाता है। चंद्र से निकलने वाली अमृत बूंदे उस खीर या दूध में पड़ती हैं जिसका सेवन करने से मनुष्य के सारे रोग और मानसिक संताप दूर हो जाते हैं। इस दिन मेवे युक्त दूध या खीर बनाकर उसे चंद्र की चांदनी में रखें और पूरा परिवार निष्ष्ठा के साथ इसका सेवन करें।

शरद पूर्णिमा पर क्या करें
1. शरद पूर्णिमा की रात्रि में मून मेडिटेशन (Moon Meditation) करना चाहिए। इसके लिए अपने घर की छत या किसी खुली शांत जगह में दरी या चटाई बिछाकर बैठ जाएं। अपनी कमर सीधी रखें और चंद्र पर सीधी दृष्टि डालते हुए बिना पलक झपकाए उसे अधिक से अधिक समय तक देखने का प्रयास करें। इससे आपके अंदर एकाग्रता आएगी और मानसिक रूप से आप मजबूत होंगे।

2. बंद आंखों से ध्यान Meditation करें। खुली शांत जगह में कुछ बिछाकर बैठ जाएं और अपनी कमर सीधी रखते हुए आंखों को बंद करें और अपनी दोनों भौहों के मध्य में पूर्ण चंद्र का ध्यान करें। जितना अधिक देर बैठेंगे उतना मन शांत होगा।

3. आज के दिन एक सूखे नारियल के गोले में छोटा सा छेद करें और उसमें उबालकर ठंडा किया हुआ मीठा दूध भर दें। गोले को पुन: बंद करके रात भर शरद पूर्णिमा की चंद्र की चांदनी में रख दें। सुबह यह दूध जो भी पियेगा उसके सारे मानसिक रोग दूर हो जाएंगे।

4. सौंदर्य में वृद्धि के लिए शरद पूर्णिमा की रात्रि में एक चांदी के कटोरे में गुलाब जल, हल्दी और चंदन का पाउडर मिलाकर चांदनी में रख दें। इसका उबटन बनाकर लगाने से सौंदर्य में निखार आता है।

5. एक मोती शंख में गुलाबजल भरकर रातभर चांदनी में छोड़ दें। इस गुलाबजल को चेहरे पर लगाने से शुक्र बलवान होगा। सौंदर्य और आकर्षण प्रभाव में वृद्धि होगी।

Tag : Sharad purnima 2024, kojagari purnima 2024, moon meditaion, night meditation, mental health, sharad purnima ke totke, sharad purnima ke upay, gajendra Sharma.

घर की इस दिशा में लगाएं शीशा, चमक उठेगी किस्मत

क्या आप जानते हैं घर में शीशा लगाने का भी एक विज्ञान है। वास्तु शास्त्र कहता है घर में गलत दिशा में लगा हुआ शीशा आपकी बर्बादी का कारण भी बन सकता है। वहीं यदि शीशा सही दिशा में लगा हुआ है तो आपकी किस्मत चमक उठेगी। इसलिए शीशा लगाते समय वास्तु के नियमों का ध्यान रखना आवश्यक है। आइए आज हम आपको बताते हैं घर में किस दिशा में शीशा लगाना शुभ है और कहां अशुभ।

इस दिशा में लगाएं शीशा
1. शीशा घर के किसी भी कमरे की उत्तरी दीवार पर लगाना शुभ रहता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और उस घर में सुख-समृद्धि आती है। घर में कैश फ्लो बढ़ता है।
2. शीशा पूर्वी दीवार पर लगाना भी शुभ रहता है। पूर्वी दीवार पर शीशा लगाने से घर-परिवार के सदस्यों में आपसी सामंजस्य अच्छा बना रहता है। पति-पत्नी में प्रेम बढ़ता है।
3. पश्चिमी दीवार पर शीशा लगाने से बचना चाहिए। पश्चिमी दीवार पर लगा शीशा नकारात्मक ऊर्जा का कारक होता है। इस दिशा में लगा शीशा मानसिक तनाव भी देता है। इससे मन विचलित सा रहता है।
4. घर के भीतर दक्षिणी दीवार पर शीशा नहीं लगाना चाहिए। इससे परिवार के लोगों में विवाद होता रहता है। मानसिक शांति नहीं रहती और सब एक-दूसरे को नीचा दिखाने का प्रयास करते रहते हैं। किंतु यदि शीशा घर के बाहर की ओर दक्षिण दिशा में लगा हुआ है तो शुभ फल देगा। यह दक्षिण की ओर से घर में प्रवेश करने वाली नकारात्मक ऊर्जा को परावर्तित कर देता है।

ड्रेसिंग टेबल कहां रखें
घर में ड्रेसिंग टेबल रखते समय भी सावधानी रखनी चाहिए। इसे अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी दिशा में नहीं रख देना चाहिए। ड्रेसिंग टेबल का मुंह हमेशा पश्चिम की ओर होना चाहिए अर्थात् उसमें जब आप मुंह देखें तो आपका मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। इसी तरह इसे दक्षिणमुखी रखा जा सकता है ताकि जब आप मुंह देखें तो आपका मुंह उत्तर की ओर होना चाहिए।

ये गलतियां कभी न करें
1. घर में ड्रेसिंग टेबल, आलमारी या अन्य जगह शीशा लगा हुआ है तो ध्यान रखें कि यह टूटा फूटा न हो।
2. शीशे के किनारे तीखे न हों। ये घिसे हुए और चिकने होने चाहिए।
3. शीशे का आकार गोल, चौकोर या आयताकार होना चाहिए। अष्टकोणीय, त्रिकोणीय या पंचकोणीय शीशा भूलकर भी न लगाएं।
4. शीशे की फ्रेम लकड़ी की होनी चाहिए। धातु की फ्रेम वास्तु के अनुसार ठीक नहीं मानी गई है।
5. शीशा चाहे किसी भी दिशा में लगा हो लेकिन उसकी सफाई करते रहना चाहिए। शीशे पर धूल-मिट्टी गंदगी नहीं होनी चाहिए।

विवाह नहीं हो रहा, कहीं आपकी कुंडली में ये दोष तो नहीं

अपनी संतानों का विवाह समय पर नहीं होने के कारण अनेक माता-पिता परेशान रहते हैं। विशेषकर लड़की है और उसके विवाह में कोई बाधा आ रही है तो परेशानी और भी बढ़ जाती है। उपाय जानने के लिए वे अनेक ज्योतिषीयों और पंडितों के पास भटकते रहते हैं किंतु उन्हें उचित समाधान नहीं मिल पाता और विवाह की उम्र बीतती चली जाती है।

वस्तुत: विवाह नहीं हो पाने का सबसे बड़ा कारण युवक-युवती की जन्मकुंडली में छुपा होता है। एक विद्वान ज्योतिषी कुंडली का गहन अध्ययन करके विवाह बाधा दोष और उसे दूर करने के उपाय बता सकता है। आइए सबसे पहले जानते हैं कैसे बनता है विवाह बाधा योग-

विवाह-बाधा योग
1. विवाह सुख का कारक भाव कुंडली का सप्तम भाव होता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी अर्थात् सप्तमेश शुभ ग्रहों से युक्त न होकर छठे, आठवें या बारहवें भाव में बैठा हो और साथ में वह अस्त होकर या नीच राशि का होकर बैठा हो, तो जातक का विवाह कभी नहीं हो पाता है। वह जीवनभर अविवाहित ही रहता है।

2. सप्तम भाव का स्वामी द्वादश भाव में बैठा हो तथा जन्म राशि का स्वामी सप्तम भाव में बैठा हो, तो जातक के विवाह में अनेक बाधाएं आती हैं।

3. जन्मकुंडली के किसी भी स्थान में चंद्र तथा शुक्र दोनों एक साथ बैठे हों और उनसे सप्तम भाव में मंगल तथा शनि दोनों बैठे हों अर्थात चंद्र एवं शुक्र की युति से सातवें भाव में मंगल-शनि की युति हो तो भी विवाह नहीं हो पाता है।

4. सप्तम भाव में शुक्र और मंगल दोनों एक साथ बैठे हों तो भी विवाह में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे जातक का विवाह अक्सर नहीं हो पाता है।

5. जातक की जन्मकुंडली में शुक्र एवं मंगल दोनों ग्रह पंचम या नवम भाव में बैठे हों और इन पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो तो भी विवाह बाधा योग बनता है।

6. जातक की जन्मकुंडली में शुक्र किसी पाप ग्रह के साथ पंचम, सप्तम या नवम भाव में हो तो जातक का विवाह नहीं हो पाता, वह स्त्री वियोग से पीड़ित रहता है।

7. जन्मकुंडली में यदि शुक्र-बुध-शनि तीनों ही नीच या शत्रु नवांश में हों, तो भी जातक विवाह विहीन होता है। अनेक प्रयासों के बाद भी जातक का विवाह नहीं हो पाता है।

8. जिसकी जन्मकुंडली में सातवें तथा बारहवें भाव में दो-दो या इससे अधिक पाप ग्रह बैठे हों तथा पंचम भाव में चंद्र बैठा हो तो जातक का विवाह नहीं होता।

9. कुंडली में सप्तम भाव में बुध तथा शुक्र दोनों हों, तो विवाह अनेक बाधाओं के बाद अधेड़ उम्र में होता है।

10. सप्तम भाव में दो पाप ग्रह एक साथ बैठें हों तथा इन पर सूर्य की सीधी दृष्टि पड़ रही हो तो भी विवाह में अनेक बाधाएं आती हैं।

कैसे दूर करें विवाह बाधा
– विवाह बाधा दोष काटने के लिए युवक या युवती को भगवान शिव पार्वती का नियमित रूप से पूजन करना चाहिए।
– किसी शिव मंदिर में विवाह बाधा निवारण पूजा करवानी चाहिए।
– विवाह बाधा निवारण यंत्र को घर में रखकर नियमित रूप से उसके दर्शन पूजन करना चाहिए।
– प्रत्येक मास की शिवरात्रि पर शिवजी का अभिषेक केसर के दूध से करें और मां पार्वती को सुहाग की सामग्री भेंट करें। यह उपाय केवल युवतियां करें।

ये भी पढ़ें–
कर्ज मुक्ति चाहते हैं, आज भौम प्रदोष पर करें ये उपाय
दो दिन का भ्रम न पालें, आनंदपूर्वक दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनाएं

कर्ज मुक्ति चाहते हैं, आज भौम प्रदोष पर करें ये उपाय

आजकल आय के साधन सीमित हैं और खर्च अधिक। इसलिए व्यक्ति को न चाहते हुए भी अपने परिवार की जरूरतें पूरी करने के लिए कर्ज लेना ही पड़ता है। होम लोन, कार लोन, एजुकेशन लोन, बच्चों की शादी के लिए लोन, बीमारी के लिए लोन और अन्य आवश्यकताओं के लिए व्यक्ति एक बार लोन ले लेता है तो फिर कर्ज के जाल में उलझता चला जाता है। यदि आपके साथ भी कुछ ऐसा हो रहा है। आप कर्ज के दलदल में फंस चुके हैं और लाख प्रयासों के बाद भी इससे बाहर नहीं निकल पा रहे हैं और कर्ज बढ़ता ही जा रहा है तो हमारे शास्त्रों में इसके लिए विशिष्ट उपाय बताए गए हैं। ये उपाय भौम प्रदोष के दिन करने से शीघ्र ही कर्ज मुक्ति होती है।

भौम प्रदोष 15 अक्टूबर 2024 मंगलवार को आ रहा है। इसदिन व्रत रखें या न रखें लेकिन शिवजी का पूजन अभिषेक अवश्य करें। हम आपको कुछ उपाय बता रहे हैं जो करके आप अपने घर में आने वाले धन का प्रवाह बढ़ा सकते हैं और शीघ्र कर्ज के जाल से मुक्त हो सकते हैं।

पहला उपाय
भौम प्रदोष के दिन प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर लाल रंग के कपड़े पहनें और किसी शिव मंदिर में जाएं। अपने साथ सवा सौ ग्राम लाल मसूर की दाल लेकर जाएं। शिवजी को पहले शुद्ध जल से अभिषेक करवाएं उसके बाद ऊं ऋण मुक्तेश्वराय नम: मंत्र का जाप मन ही मन करते हुए मसूर की दाल शिवलिंग पर अर्पित करें। यह प्रयोग भौम प्रदोष से प्रारंभ करके लगातार 11 मंगलवार करें। शीघ्र ही आपका कर्ज कम होने लगेगा।

दूसरा उपाय
भौम प्रदोष के दिन शिवजी का अभिषेक केसर युक्त गाय के दूध से करें। और अभिषेक करते समय 108 बार ऊं वित्तेश्वराय नम: मंत्र का जाप करें। इस प्रयोग से आपके घर में धन का प्रवाह बढ़ने लगेगा। अनेक माध्यमों से धन आएगा।

तीसरा उपाय
भौम प्रदोष के दिन तांबे के मंगल यंत्र की स्थापना अपने घर में करें। इसे गंगाजल से स्नान करवाएं। इस पर लाल चंदन की नौ बिंदियां लगाएं। लाल गुड़हल का पुष्प अर्पित करें और ऋण मोचक मंगल स्तोत्र का 21 बार पाठ करें। कर्ज जल्द ही उतरने लगेगा।

चौथा उपाय
21 लाल गुड़हल के पुष्प लेकर हनुमान मंदिर में जाएं। हनुमान जी को चमेली के तेल से सिंदूर का चोला चढ़ाएं। उन्हें नया लंगोट पहनाएं। आकर्षक श्रृंगार करें, गुड़-चने का नैवेद्य लगाएं और फिर एक-एक करके 21 गुड़हल के पुष्प उन्हें अर्पित करें और प्रत्येक पुष्प के साथ उनसे मन ही मन अपने कर्ज से छुटकारा दिलाने की प्रार्थना करें। इस दौरान ऊं हं हनुमते नम: मंत्र भी मन ही मन बोलते जाएं। धन की वर्षा होने लगेगी।

पांचवां उपाय
भौम प्रदोष के लिए एक लाल चंदन की माला लें। इस माला का संस्कार करें, अर्थात् इसे गंगाजल से धोकर शुद्ध कर लें, पूजन करें और ऊं ऋण मुक्तेश्वराय नम: मंत्र की 11 माला हनुमानजी या शिवजी के सामने बैठकर करें। इससे आपके पास अनेक माध्यमों से धन आने लगेगा और कर्ज मुक्ति होगी।