शुक्र का उच्च राशि में प्रवेश, बनेगा साल का पहला मालव्य पूर्ण राजयोग


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
वर्ष 2025 में पहली बार शुक्र 28 जनवरी को प्रात: 7 बजे अपनी उच्च राशि मीन में प्रवेश करने जा रहा है। शुक्र के उच्च राशि में जाने के कारण मालव्य योग बन रहा है। इस बार यह योग लगभग चार महीने तक बना रहेगा। शुक्र 31 मई 2025 को राशि बदलेगा, तब तक मालव्य योग बना रहेगा और इसका फल वैसे तो सभी राशि के जातकों को मिलने वाला है लेकिन सात राशियों को विशेष फल मिलेंगे और यह योग उन्हें मालामाल करने वाला है।

मालव्य योग कैसे बनता है
मालव्य योग की गिनती पंचमहापुरुष योग में होती है। शुक्र जब अपनी उच्च राशि मीन में होकर शुभ स्थान में बैठता है तो मालव्य योग बनता है। इसे मालव्य योग को पूर्ण राजयोग कहा जाता है। इस योग के बनने से शुभ फलों में वृद्धि होती है। जिन जातकों की जन्म कुंडली में शुक्र उच्च का होकर केंद्र स्थानों प्रथम, चतुर्थ, सप्तम और दशम में बैठता है ऐसा व्यक्ति राजा की तरह जीवन व्यतीत करता है।

मालव्य योग के लाभ
1. मालव्य योग धन संपदा प्रदान करता है। इस योग के बनने से धन-समृद्धि में वृद्धि होगी।
2. मालव्य योग जिन जातकों की कुंडली में बना होता है वे अत्यंत भाग्यशाली होते हैं।
3. मालव्य योग के कारण धन आने के मार्ग खुलते हैं और धन कोष में वृद्धि होने लगती है।
4. मालव्य योग जिन जातकों की कुंडली में होता है वे सौंदर्य और कला प्रेमी होते हैं।
5. मालव्य योग के प्रभाव से व्यक्ति आकर्षक बनेगा, प्रेमी होगा, प्रेम संबंध प्राप्त होंगे।

सात राशियां होंगी मालामाल
शुक्र के मीन राशि में प्रवेश करने के साथ ही बनने वाले मालव्य राजयोग का प्रभाव विशेष रूप से पांच राशियों को मिलने वाला है। ये राशियां बुध, गुरु, शुक्र और चंद्र से संंबंधित हैं। वृषभ, मिथुन, कर्क, कन्या, तुला, धनु, मीन राशियों का भाग्य खुलने वाला है। इन राशियों के जातकों को अपार धन-संपदा मिलने वाली है। यदि लंबे समय से कहीं पैसा फंसा हुआ है तो इन्हें मिल जाएगा। निवेश से लाभ होगा। भौतिक सुखों में वृद्धि होगी। प्रेम संबंध प्रगाढ़ होंगे। नए प्रेम संबंध बनेंगे। पारिवारिक जीवन सुखद होगा। भूमि, भवन, वाहन खरीदने के योग बनेंगे। पैतृक संपत्ति प्राप्त होगी। आकर्षण प्रभाव में वृद्धि होगी। संतान सुख मिलेगा। इन सात राशियों के जातकों को भाग्य का बल मिलेगा और जिस काम में हाथ डालेंगे वह पूरा होगा। वहां से धन कमाने में सफल होंगे।

शेष पांच राशियों को मिलेगा मिलाजुला फल
उपरोक्त सात राशियों के अलावा शेष पांच राशियों मेष, सिंह, वृश्चिक, मकर, कुंभ के लिए शुक्र का मीन राशि में गोचर मिलाजुला फल देने वाला रहेगा। इन राशि के जातकों को धन की प्राप्ति तो होगी लेकिन खर्च भी उसी अनुपात में होगा। रिश्तों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। दांपत्य जीवन में कुछ कठिनाइयां आ सकती हैं। पति-पत्नी को एक-दूसरे के साथ तालमेल बनाने में परेशानी आएगी। इन राशि के जातकों के प्रभाव में कमी आएगी।

क्या करें
1. मालव्य योग का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए सभी राशि के जातक इस दौरान साफ-स्वच्छ रहें।
2. अधिक से अधिक दिन सफेद या हल्के रंग के कपड़े पहनें।
3. अच्छे मध्यम खुशबू वाले इत्र या परफ्यूम का उपयोग प्रतिदिन करें।
4. केसर का तिलक हर दिन लगाएं।
5. नहाने के पानी में थोड़ा सा गुलाबजल डालकर हर दिन नहाएं।
6. चांदी का छल्ला स्त्रियां अपने बाएं हाथ में और पुरुष दाहिने हाथ में धारण करें।
7. घर में गुलाब का रूम स्प्रे डालें।
8. गुलाब की अगरबत्ती या धूप बत्ती हर दिन घर में लगाएं।
9. प्रत्येक शुक्रवार को शिवजी का अभिषेक जल में गुलाब का इत्र डालकर करें।
10. शुक्र के मंत्र ऊं द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: का नियमित एक माला जाप पिंक स्फटिक की माला से करें।

ज्योतिष की महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए हमारे यूट्यूब चैनल को विजिट करें
Click on this link to visit our youtube channel

ग्रहों को करना है शांत तो कर लें ये उपाय


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.

प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में कोई न कोई ग्रह खराब या कमजोर होता है। उस ग्रह को ठीक करने के लिए उससे संबंधित वस्तुओं का दान किया जाता है। उस ग्रह के मंत्रों का जाप करवाया जाता है। आइए जानते हैं किस ग्रह की शांति के लिए किन वस्तुओं का दान करना चाहिए और कितने मंत्रों का जाप करवाना चाहिए।

सूर्य
सूर्य की शांति के लिए माणिक्य का दान सर्वश्रेष्ठ दान बताया गया है। इसके अलावा गोधूम, गुड़, गौ, कमलपुष्प, नया घर, लाल चंदन, लाल वस्त्र, सोना-तांबा, केसर, मूंगा का दान किया जाता है। सूर्य की शांति के लिए इसके 7000 मंत्रों का जाप किया जाता है किंतु कलयुग में इसका चार गुना अर्थात् 28 हजार जाप करवाना चाहिए।

चंद्र
चंद्र की शांति के लिए चांदी के बर्तन का दान किया जाता है। इसके अलावा चावल, श्वेत वस्त्र, श्वेत चंदन, श्वेत पुष्प, चीनी, चांदी, बैल, घी, शंख, दही, मोती, कपूर का दान करने से चंद्र की पीड़ा शांत होती है। चंद्र की शांति के लिए इसके 11 हजार मंत्रों का जाप किया जाता है किंतु कलयुग में इसका चार गुना अर्थात् 44 हजार मंत्रों का जाप करवाना चाहिए।

मंगल
मंगल ग्रह परेशान कर रहा है तो शांति के लिए मसूर की दाल, गोधूम, लाल बैल, गुड़, लाल चंदन, लाल वस्त्र, लाल पुष्प, सोना, तांबा, केसर, कस्तुरी आदि का दान किया जाता है। किसी ब्राह्मण को तांबे के कलश में गुड़ रखकर दान देना चाहिए। मंगल की शांति के लिए 10 हजार मंत्रों का जाप करवाना चाहिए। कलयुग में चार गुना 40 हजार मंत्रों का जाप करवाना चाहिए।

बुध
बुध की शांति के लिए कांसे का पात्र, हरे कपड़े, गजदंत, घी, पन्ना, सोना, सर्वपुष्प, रत्न, कपूर, शंख, अनेक प्रकार के फल, षटरस भोजन दान में देना चाहिए। बुध के लिए 9000 मंत्रों का जाप करवाना चाहिए। कलयुग में चार गुना अर्थात् 36 हजार जाप करवाना चाहिए।

गुरु
गुरु की शांति के लिए पीला अनाज, पीले कपड़े, सोना, घी, पीले पुष्प, पीले फल, पुखराज, हल्दी, धार्मिक पुस्तकें, शहद, नमक, शक्कर, भूमि, छत्र आदि का दान किया जाता है। गुरु के मंत्रों की जप संख्या 19 हजार होती है। कलयुग में इसका चार गुना अर्थात् 76 हजार जाप करवाना चाहिए।

शुक्र
शुक्र की शांति के लिए सफेद चावल, सफेद चंदन, सफेद वस्त्र या रंगबिरंगे वस्त्र, श्वेत पुष्प, चांदी, हीरा, घी, सोना, दही, सुगंधित द्रव्य, इत्र, शकर का दान करना चाहिए। शुक्र की शांति के लिए इसके 16 हजार मंत्रों का जाप करवाया जाता है। कलयुग में इसका चार गुना अर्थात् 64 हजार जप संख्या करवाना चाहिए।

शनि
शनि की शांति के लिए तिल या सरसो का तेल, नीलम, तिल, काले वस्त्र, लोहा, भैंस, काली गाय, काले पुष्प, सोना आदि का दान दिया जाता है। शनि के शांति मंत्रों की संख्या 23 हजार होती है। कलयुग में इसका चार गुना 92 हजार जाप करवाना चाहिए।

राहु
राहु की शांति के लिए पंचधातु का नाग, सप्तधान्य, नीले वस्त्र, गोमेद, काले पुष्प, तिल, खड्ग, तेल, लोहा, कंबल, तांबे का पात्र, सुवर्ण, रत्न आदि का दान दिया जाता है। राहु के मंत्र जाप की संख्या 18 हजार होती है। कलयुग में 72 हजार जाप करवाना चाहिए।

केतु
केतु की शांति के लिए उड़द, कंबल, कस्तुरी, वैदूर्यमणि, काले फूल, तिल, तेल, रत्न, सुवर्ण, लोहा, शस्त्र, सप्तधान्य का दान दिया जाता है। इसकी शांति के लिए 17 हजार मंत्रों का जाप करवाया जाता है। कलयुग में चार गुना अर्थात् 68 हजार जाप करवाए जाने चाहिए।

चार दिन बन रहा है अभिजीत योग, धन बरसाने वाला संयोग


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
माघ मास में सूर्य के अभिजीत नक्षत्र में प्रवेश करने के साथ ही अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है जिसे अभिजीत राजयोग कहा जाता है। मुख्य नक्षत्र 27 होते हैं किंतु अभिजीत की शुभता और श्रेष्ठ फलों के कारण इसे 28वें नक्षत्र के रूप में शामिल किया गया है। सूर्य जब भी इस नक्षत्र में आता है तब यह समय अत्यंत श्रेष्ठ और उत्तम होता है। इसमें धन प्रदायक योग बनता है। लक्ष्मी योग बनता है और कुबेर योग बनता है। अभिजीत नक्षत्र का स्वामी ब्रह्मा और ग्रह बुध होता है।

सूर्य 20 जनवरी 2025 सोमवार को रात्रि में 10 बजकर 5 मिनट पर अभिजीत नक्षत्र में प्रवेश करने वाला है और यह 24 जनवरी को मध्य रात्रि के बाद (25 जनवरी) 1 बजकर 42 मिनट पर अभिजीत नक्षत्र को छोड़ देगा। इस प्रकार चार दिन का अत्यंत श्रेष्ठ मुहूर्त बन रहा है। इस महामुहूर्त में प्रारंभ किया गया कोई भी कार्य अत्यंत शुभ फलदायी होता है। इन चार दिनों में धन प्रदायक योग भी बनता है इसलिए यदि आप कहीं पैसों का निवेश करना चाहते हैं तो अवश्य करें लाभ होगा। इसके अलावा अनेक उपाय हैं जो इस मुहूर्त में किए जा सकते हैं।

अभिजीत नक्षत्र और इसका महत्व
ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार प्रजापति दक्ष की 27 कन्याओं से चंद्र ने विवाह किया था। ये 27 कन्याएं 27 नक्षत्र हैं और इनका एक भाई है जो अभिजीत है। इसे 28वें नक्षत्र की संज्ञा दी गई है। इस नक्षत्र की गिनती सर्वश्रेष्ठ शुभ नक्षत्रों में होती है। सूर्य जब भी अभिजीत नक्षत्र में गोचर करता है तब मनुष्यों में आत्मविश्वास की अधिकता रहती है। इस कारण सारे काम सफलतापूर्वक पूरे होते हैं। इस नक्षत्र में शुभ कार्य करना श्रेष्ठ रहता है। उन कार्यों में सफलता मिलती है। सगाई, विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, वाहन, भूमि-भवन संपत्ति की खरीदी करना श्रेष्ठ रहता है। इस नक्षत्र के दौरान धन का निवेश करना चाहिए।

चार दिन के श्रेष्ठ अभिजीत मुहूर्त समय
21 जनवरी, मंगलवार : दोपहर 12:16 से 1:00 बजे
22 जनवरी, बुधवार : दोपहर 12:17 से 1:00 बजे
23 जनवरी, गुरुवार : दोपहर 12:17 से 1:01 बजे
24 जनवरी, शुक्रवार : दोपहर 12:17 से 1:01 बजे

अभिजीत नक्षत्र में क्या करें
1. सूर्य के अभिजीत नक्षत्र में गोचर के दौरान गेहूं और गुड़ का दान करने से सूर्य की पीड़ा शांत होती है और मनुष्य को मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
2. यदि पिता से विवाद चल रहा हो तो अभिजीत नक्षत्र के दौरान लाल चंदन की माला धारण करें और सूर्य को तांबे के कलश में लाल पुष्प डालकर जल का अर्घ्य दें। इससे पिता से संबंध सुधरने लगते हैं।
3. साहस, पराक्रम की प्राप्ति और शत्रुओं को परास्त करने के लिए सूर्य के अभिजीत नक्षत्र में गोचर करने के दौरान हर दिन 12 बार आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
4. धन की प्राप्ति के लिए सूर्य के अभिजीत नक्षत्र में गोचर के दौरान हर दिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ करना चाहिए।
5. भगवान श्रीहरि विष्णु को पीले पुष्प अर्पित करने से धन संबंधी समस्या दूर हो जाती है।
6. जिन लोगों का जन्म अभिजीत नक्षत्र में हो वे इन दिनों में अपने घर में सूर्य यंत्र की स्थापना करके नित्य पूजन करें।

अभिजीत नक्षत्र में जन्म का फल
अभिजीत नक्षत्र में जन्म लेने वाले बच्चे की राशि मकर, राशि स्वामी शनि, वर्ण वैश्य, योनि नकुल और महावैर योनि सर्प होती है। अभिजीत नक्षत्र में जन्म लेने वाला जातक धार्मिक प्रकृति का होता है। चतुर, बुद्धिमान, आभूषण एवं रत्नों का प्रेमी, क्रोधी, पर्यटन में रुचि रखने वाला होता है। ऐसा जातक दृढ़ निश्चयी, उत्साही, शोधकर्ता, अाविष्कारक होता है।

14 जनवरी को सूर्यदेव करेंगे मकर में प्रवेश, पूरे दिन रहेगा पुण्यकाल


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
सूर्य विभिन्न राशियों में गोचर करते हुए माघ कृष्ण प्रतिपदा दिनांक 14 जनवरी 2025 मंगलवार को प्रात: 8 बजकर 54 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही धनुर्मास (मलमास) समाप्त होगा और उत्तरायण प्रारंभ होगा। खगोलीय और ज्योतिषीय दृष्टि से यह दिन वर्ष का अत्यंत विशेष दिन होता है। इस दिन से सूर्य की गति उत्तरायण होती है जो देवताओं का दिन होता है। मकर संक्रांति से विवाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं।

मकर संक्रांति प्रवेश के समय पुनर्वसु नक्षत्र का चतुर्थ चरण, कर्क राशि, विष्कुंभ योग, तात्कालिक बालव करण और मकर लग्न रहेगा। इसलिए मकर संक्रांति का पुण्यकाल सूर्योदय प्रात: 7:10 से लेकर सूर्यास्त तक सायं 6:01 बजे तक रहेगा। इस दिन दान-पुण्य आदि कर्म किए जाएंगे।

दान का महत्व
मकर संक्रांति का दिन दान पुण्य करने के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन होता है। इस दिन किया गया दान राजसूय यज्ञ के पुण्य फल के बराबर होता है। इसलिए इस दिन गरीबों को यथाशक्ति भोजन, वस्त्र आदि देना चाहिए। गायों को चारा खिलाएं, पशुओं की सेवा करें, मछलियों को दाना डालें, पक्षियों के लिए दाना-पानी का प्रबंध करें। मकर संक्रांति के दिन यथाशक्ति नूतन पात्र, श्वेत तिल, श्वेत वस्त्र, श्वेत धान्य चावल आदि, धातु, सूखा अन्न, पकवान्न, दूध, पायस, गुड़, खिचड़ी तथा श्रीफल सहित दक्षिणा का दान करें। गायों को गोशाला में जाकर घास खिलाएं। पुण्यकाल की अवधि में सात्विक वृत्ति का निर्वाह करते हुए संयमपूर्वक रहें।

मकर संक्रांति पर क्या करें
मकर संक्रांति के पुण्यकाल में सफेद तिल मिश्रित जल से स्नान करें। यह स्नान पवित्र नदियों, सरोवरों में किया जाए तो अत्यधिक पुण्यदायी होता है। पवित्र नदियां आपके आसपास न हो तो अपने घर में ही गंगा, नर्मदा आदि नदियों का जल डालकर उन तीर्थों का स्मरण करते हुए स्नान करें। इसके बाद सूर्य को जल का अर्घ्य दें, शिवजी का अभिषेक करें। रुद्राभिषेक करें अथवा ऊं नम: शिवाय का उच्चारण करते हुए सामान्य जल से शिवजी का अभिषेक करें। इसके बाद सूर्यदेव की पूजा करें। आदित्यहृदय स्तोत्र, अष्टोत्तरशतनामात्मक सूर्यस्तोत्र, सूर्य सहस्रनामावली या वेदोक्त सूर्य सूक्त का विशेष पाठ करें। सूर्य के वैदिक-पौराणिक बीज मंत्र अथवा ऊं घृणि सूर्याय नम: का जाप करें। सूर्यसूक्त के मंत्रों से हवन करें।

किस राशि के लोग क्या दान करें
मेष : कंबल का दान करें।
वृषभ : सफेद रंग के वस्त्रों का दान करें।
मिथुन : हरे खड़े मूंग अथवा मूंग की खिचड़ी का दान करें।
कर्क : सफेद अनाज जैसे चावल या दूध का दान करें।
सिंह : गुड़ और गेहूं का दान करना लाभदायक रहेगा।
कन्या : हरे वस्त्र दान करें अथवा गायों को हरा चारा खिलाएं।
तुला : कंबल का दान करें, श्वेत वस्त्र दान करें।
वृश्चिक : फलों का दान करना लाभदायक रहेगा।
धनु : सूखा अनाज या फलों का दान करना चाहिए।
मकर : काले तिल का दान करें।
कुंभ : गुड़ के साथ काले तिल का दान करें।
मीन : फल, अनाज अथवा दूध-दही का दान करना चाहिए।

मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त
लाभ : प्रात: 11:15 से दोप 12:36
अभिजित : दोप 12:14 से 12:58
अमृत : दोप 12:36 से 1:57
लाभ : सायं 7:40 से रात्रि 9:19
प्रदोष : सायं 6:01 से 7:52