गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य
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12 फरवरी 2025, बुधवार को है महाकुंभ का पांचवां स्नान पर्व
स्नान करने के बाद महाकुंभ मेले से विदा होने लगेंगे संत और कल्पवासी
महाकुंभ नगर : प्रयागराज में इन दिनों विश्व का सबसे बड़ा आस्था का समागम महाकुंभ लगा हुआ है। दैहिक, दैविक, भौतिक तापों (कष्टों) से मुक्ति, मनोवांछित फलों की प्राप्ति की संकल्पना को पूरा करने के लिए देश-विदेश के करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना, सरस्वती के त्रिवेणी संगम के पवित्र जल में अध्यात्म की पुण्यदायी डुबकी लगा चुके हैं। महाकुंभ में अभी भी स्नानार्थियों के आने का क्रम जारी है।
महाकुंभ का पांचवां स्नान पर्व माघी पूर्णिमा 12 फरवरी 2025 बुधवार को पड़ रहा है। इस बार माघी पूर्णिमा पर ग्रह-नक्षत्रों का अद्भुत योग बन रहा है। इस शुभ योग में पुण्य की डुबकी लगाने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु संगम नगरी पहुंच रहे हैं। पंचांगों के अनुसार 11 फरवरी की शाम 6 बजकर 54 मिनट से पूर्णिमा तिथि प्रारंभ हो जाएगी, जो 12 फरवरी को शाम 7 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। इस कारण बुधवार को पूरे दिन पूर्णिमा का संयोग रहेगा। इसके अलावा 12 फरवरी को शाम 7.34 बजे तक आश्लेषा नक्षत्र और सुबह 8:05 तक सौभाग्य योग रहेगा। इसके बाद शोभन योग लग जाएगा। कुंभ राशि में बुध व शनि, मीन राशि में शुक्र व राहु गोचर करेंगे। यह अत्यंत उत्तम योग माना जाता है। इस पुण्यदायी योग में पवित्र संगम में डुबकी लगाने से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होगी और समस्त पापों का क्षय होगा।
समाप्त होगा कल्पवास
माघी पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ संगम क्षेत्र में एक महीने से चल रहा कल्पवास समाप्त हो जाएगा। स्नान के बाद अधिकतर संत व श्रद्धालु मेला क्षेत्र से प्रस्थान कर जाएंगे।
स्नान-दान का है विशेष महत्व
माघ महीने की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। पूर्णिमा के बाद फाल्गुन मास की शुरुआत हो जाती है। पौराणिक वर्णन के अनुसार इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने मत्स्य के रूप में अवतार लिया था। इस दिन गंगा स्नान, दान करने और भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने, भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और चंद्रदेव की पूजा करने का विशेष महत्व है। माघी पूर्णिमा पर गाय, तिल, गुड़ और कंबल का दान विशेष पुण्य फल देता है। मोक्ष की कामना रखने वालों को इस दिन संगम और गंगा में डुबकी अवश्य लगाना चाहिए। जो गंगा आदि पवित्र नदियों में न जा पाएं उन्हें अपने घर में गंगा जल डालकर उस पानी से स्नान करना चाहिए।