लाजवर्त के फायदे जानकर चौंक जाएंगे आप


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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रत्न शास्त्र एक बहुत बड़ा विज्ञान है, जिसमें विभिन्न प्रकार के रत्न और मणियों का उपयोग करके जीवन को सुंदर सुखद बनाया जा सकता है। ये रत्न पहनने वाले मनुष्य को न केवल नाम, सम्मान, शौर्य, साहस और आत्मविश्वास देते हैं, बल्कि उसे धन-संपत्ति भी प्रदान करते हैं।

रत्न शास्त्र में अनेक मणियों का वर्णन मिलता है। जैसे घृत मणि, तैल मणि, भीष्मक मणि, उपलक मणि, स्फटिक मणि, पारस मणि, उलूक मणि, मासर मणि और लाजवर्त मणि। ये सभी मणियां विशिष्ट गुणों वाली होती है और धारण करने वालों को मनचाहा लाभ देती हैं। इन्हीं में से आज हम बात करने जा रहे हैं लाजवर्त मणि की। इसे लाजावर्त मणि भी कहा जाता है।


लाजवर्त के गुण और प्रकार
लाजवर्त एक चिकना, ठोस, अपारदर्शी, गहरे नीले रंग का रत्न होता है। इसमें नीले रंग के साथ हल्के नीले रंग की धारियां भी दिखाई देती हैं। शास्त्रों में इसका वर्णन करते हुए लिखा गया है कि लाजवर्त का रंग मोर की गर्दन के नीले रंग के समान होता है। लाजवर्त को शनि, राहु और केतु की पीड़ा को दूर करने के लिए धारण किया जाता है। यदि कुंडली में ये तीनों ग्रह दूषित हों, पीड़ा दे रहे हों तो इसे धारण करने से बहुत लाभ होता है।

रत्न ज्योतिष में नौ ग्रहों के नौ मुख्य रत्न और उनके सैकड़ों उपरत्न बताए गए हैं। इन्हें ग्रहों के अनुसार धारण करने से उन ग्रहों की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। शनि की पीड़ा से बचने के लिए नीलम, राहु के लिए गोमेद और केतु के लिए लहसुनिया पहनने की सलाह दी जाती है, लेकिन यदि तीनों ग्रह खराब हों तो तीन रत्न पहनने की जगह एक ही रत्न पहनाया जाता है, जिससे तीनों ग्रहों की पीड़ा से एक साथ मुक्ति मिल जाती है। वह रत्न है लाजवर्त। अंग्रेजी में इसे लेपिज लाजुली (lapis lazuli) कहा जाता है। लाजवर्त को ब्रेसलेट के रूप में, अंगूठी के रूप में, माला के रूप, पेंडेंट के रूप में धारण किया जा सकता है।

सिद्ध लाजवर्त मणि पहनने के लाभ
* सिद्ध लाजवर्त मणि माला शनि, राहु, केतु के दोषों और बुरे प्रभावों को दूर करती है।
* यदि बार-बार दुर्घटनाएं हो रही हों तो सिद्ध लाजवर्त मणि माला धारण करना चाहिए।
* यह आकस्मिक रूप से होने वाली धन हानि, स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव करने में मदद करती है।
* सिद्ध लाजवर्त मणि माला बुरी नजर, जादू-टोना, नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करती है।
* राहु-केतु के कारण पितृ दोष का निर्माण भी होता है। सिद्ध लाजवर्त मणि माला पहनने से पितृ दोष शांत होता है।
* व्यापार-व्यवसाय या नौकरी में बाधा आ रही हो तो सिद्ध लाजवर्त मणि माला धारण करना उचित रहता है।
* यह दिमाग को शांत रखने का काम भी करती है। मानसिक स्थिरता सिद्ध लाजवर्त मणि माला से आती है।
* इसे पहनने से आर्थिक तंगी दूर होती है, पैसों के आगमन में आ रही रुकावटें दूर होती हैं।
* जिनकी जन्म कुंडली में सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण दोष है उन्हें भी यह पहनना चाहिए।
* घर में पैसों की बचत नहीं होती, सदस्यों को तनाव-डिप्रेशन रहता है तो लाजवर्त मणि की माला को घर की पश्चिम दिशा में लटकाएं।

कैसे धारण करें
सिद्ध लाजवर्त को धारण करने का सबसे शुभ दिन शनिवार है। इसे रत्न संस्कार करवाकर पहना जा सकता है। संस्कारित लाजवर्त ही धारण करना चाहिए। सीधे बाजार से लाकर नहीं पहनना चाहिए। इसके मोतियों की माला भी गले में धारण की जा सकती है। सिद्ध संस्कारित करने से पहले इसको सरसों या तिल के तेल में पांच घंटे तक डुबोकर रखा जाता है । इसके बाद नीले रंग के वस्त्र पर रखकर ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम: मंत्र की पांच माला जाप कर इसे संस्कारित किया जाता है । धूप-दीप, नैवेद्य करके पंचोपचार से पूजन किया जाता है । फिर इसे उसी नीले कपड़े से पोंछकर धारण करवाया जाता है।

टोने-टोटके, भूत-प्रेत बाधा दूर करती है
सिद्ध लाजावर्त मणि धारण करने से टोने-टोटके का असर समाप्त होता है। इसे पहनने से भूत-प्रेत की बाधा दूर होती है। नकारात्मक ऊर्जा से बचाव होता है। इसे पहनने से सभी तरह का काला जादू और किया-कराया समाप्त हो जाता है। यह सिद्ध मणि की माला पितृदोष को भी समाप्त कर देती है।

यदि आप भी सिद्ध लाजवर्त मणि की माला, ब्रेसलेट, अंगूठी या पेंडेंट सिद्ध संस्कारित किया हुआ पाना चाहते हैं तो हमसे तुरंत संपर्क करें। हमारे विद्वान पुरोहितों द्वारा इसे संस्कारित करके दिया जाता है।

संपर्क करें
पं. गजेंद्र शर्मा
वाट्सएप : 9516141614

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