17 मार्च को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी, ये उपाय करेंगे गणेशजी को प्रसन्न


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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17 मार्च को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी, ये उपाय करेंगे गणेशजी को प्रसन्न
चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की संकट चतुर्थी को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। सभी चतुर्थियों में यह चतुर्थी भगवान श्रीगणेश को अत्यंत प्रिय है। इस दिन भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए भक्त कठिन व्रत-उपवास तो करते ही हैं लेकिन इस दिन अपनी कामनाओं की पूर्ति के लिए अनेक उपाय भी किए जाते हैं। भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से संकट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। यह चतुर्थी 17 मार्च 2025 सोमवार को आ रही है। इस दिन चंद्रोदय उज्जैन के समयानुसार रात्रि 9 बजकर 16 मिनट पर होगा।

इस व्रत की पूजा विधि और व्रत के नियम लोग जानते ही हैं, हम यहां विभिन्न कार्यों और कामनाओं की पूर्ति के लिए गणेशजी से जुड़े पूजा विधान और मंत्र प्रयोग दे रहे हैं, जिन्हें सात्विक रूप से घर में ही करके गणेशजी को प्रसन्न किया जा सकता है-

धन वृद्धि और धन प्राप्ति के लिए
गणेशजी का पूजन सदैव देवी महालक्ष्मी के साथ किया जाता है। भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के दिन दिन में दो बार आपको यह प्रयोग करना है। एक बार प्रात:काल और दूसरा सायंकाल। इस चतुर्थी के दिन गणेशजी के सिंदूरी रंग के चित्र या मूर्ति की स्थापना करके उनका पूजन करें। दूर्वा भेंट करें और मंत्र ऊं नमो गणपतये कुबेरयेकद्रिको फट् स्वाहा, इस मंत्र का एक माला स्फटिक की माला से जाप करें। फिर देखिए आपके घर में धन के भंडार भरने लगते हैं।

आकर्षण प्रभाव बढ़ाने और सभी को वश में करने के लिए
आज के जीवन में आपका लोकप्रिय और सभी का प्रिय होना आवश्यक हो गया है। यदि आप किसी को प्रभावित नहीं कर पाते हैं तो आपके अनेक काम अटके रह सकते हैं। जब किसी को प्रभावित कर लेते हैं तो आपके काम भी सहज रूप से होने लगते हैं। गणेशजी को प्रसन्न करने के अपने आकर्षण में वृद्धि करने के लिए निम्न मंत्र का प्रयोग करें-
ऊं श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा
इस मंत्र को गणेशजी को एक-एक दूर्वा अर्पित करते हुए 108 बार जपें। मंत्र जप करते समय अपने मस्तक और कंठ पर सिंदूर का तिलक लगाएं।

संतान प्राप्ति के लिए
कई दंपतियों को विवाह के लंबे समय बाद तक संतान नहीं होती है। ऐसे दंपतियों के लिए यह भालचंद्र संकष्ट चतुर्थी व्रत अत्यंत विशेष है। इस चतुर्थी का विधिवत व्रत रखें और संतान गणपति स्तोत्र के पाठ दंपति साथ बैठकर करें। इस स्तोत्र के 51 या 108 पाठ करें और गणेशजी के बाल स्वरूप का पूजन करें।

विद्या और व्यापार के लिए
शिक्षा में सफलता और व्यापार में वृद्धि के लिए संकट चतुर्थी के दिन गणेशजी की हरे रंग की मूर्ति को स्थापित करके उसका पूजन करें। गणेशजी को दूर्वा अर्पित करें। मीठी बूंदी का भोग लगाएं।

शीघ्र विवाह के लिए
यदि युवक-युवतियों के विवाह में बाधा आ रही है तो इस दिन गणेशजी की पीले रंग की मूर्ति घर में स्थापित करें। पीले पुष्पों से गणेशजी का श्रृंगार करें, पीली मिठाई का नैवेद्य लगाएं और गणेशजी का तिलक हल्दी से करें। इस हल्दी का तिलक युवक या युवती अपने मस्तक पर करें और फिर ऊं सर्वेश्वराय नम: मंत्र का जाप हल्दी की माला से करें। पांच माला जाप करने के बाद गणेशजी की मूर्ति को विसर्जित कर दें।

विवाह के लिए दूसरा प्रयोग
केले के पेड़ के नीचे गणेशजी की पीले रंग की मूर्ति को स्थापित करके पूजन करें और ऊं महाकर्णाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्ने दंती प्रचोयदात, मंत्र का 108 बार जाप करें। केले के वृक्ष में हल्दी का पानी डालें। शीघ्र विवाह का मार्ग खुलेगा।
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