11 और 28 मई को आकाश में गोलाकार दिखेंगे तारे


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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मेसियर पांच और मेसियर चार तारे नजर आएंगे
मेसियर पांच पृथ्वी से लगभग 24,500 प्रकाश वर्ष दूर

इंदौर। मई में कई खगोलीय घटनाएं हो रही हैं। चांद तारों की दुनिया में रुचि रखने वाले जहां एटा लिरिड उल्का बौछार देख रहे हैं, वहीं 11 और 28 मई को तारों का गोलाकार समूह देखने को मिलेगा। आसमान में हजारों तारों का समूह एक साथ चमक बिखेरगा, जो ध्यान खींचने वाला होगा। यह गुरुत्वाकर्षण के कारण संभव होगा। इसमें क्रमश: मेसियर पांच और मेसियर चार तारे नजर आएंगे।

ये तारों के विशाल, गोलाकार समूह हैं, जो आकाशगंगा में पाए जाते हैं। मेसियर चार वृश्चिक राशि में है। पृथ्वी से लगभग 5,500 प्रकाश वर्ष दूर है। सन 1745 में फिलिप लोयस डी चेसेक्स ने इसकी खोज की थी। वर्ष 1764 में चार्ल्स मेसियर ने इसे सूचीबद्ध किया था। यह पृथ्वी के सबसे नजदीकी गोलाकार समूह में से एक है। इसी तरह मेसियर पांच सर्पेंस तारामंडल में स्थित है। पृथ्वी से लगभग 24,500 प्रकाश वर्ष दूर है। आसमान साफ होने व दूरबीन से देखने पर ही इसकी अच्छी तस्वीरें मिलेंगी। मेसियर पांच आकाशगंगा में सबसे बड़े गोलाकार समूह में से एक है। इसमें 105 ज्ञात परिवर्तनशील तारे हैं। समूह में एक बौना नोवा तारा भी है।

वर्तमान में एटा लिरिड उल्का बौछार हो रही है। इसे लिरिड्स भी कहते हैं। 14 मई तक जारी रहेगी। सबसे अधिक आठ मई की रात उल्का बारिश होगी। यह सबसे पुरानी उल्का बौछार में से एक है। इसका इतिहास लगभग 2,700 साल पुराना है। अप्रैल के अंत या मई की शुरुआत में जब पृथ्वी थैचर धूमकेतु के मलबे के रास्ते से गुजरती है तो इसे देखा जाता है। इसके अतिरिक्त राहु और केतु का गोचर 18 मई को हो रहा है। राहु कुंभ और केतु सिंह राशि में प्रवेश करेगा। अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं में 12 मई को पूर्णिमा है। इसे फुल चंद्रमा भी कहते हैं। प्राकृतिक घटनाओं के संदर्भ में इसका विशेष महत्व है। इसी समय उत्तरी अमेरिका में विशेष प्रकार के फूल खिलते हैं तो वहां के किसानों ने इसका नाम फूल चंद्रमा दे दिया।

22 को चंद्रमा शनि, 23 को शुक्र के साथ
जवाहर तारामंड ने खगोल में रुचि रखने वालों के लिए आकाश का मानचित्र जारी किया है। इसकी मदद से अपने ग्रह नक्षत्रों की पहचान आसानी से की जा सकती है। छह मई को शनि विषुव होगा अर्थात शनि विषुवत रेखा पर रहेगा। इससे उसके छल्ले नजर नहीं आएंगे। पृथ्वी पर प्रत्येक वर्ष दो विषुव होता है, उसी प्रकार शनि पर भी दो विषुव होते हैं। इसके अतिरिक्त 22 मई को चंद्रमा शनि ग्रह के निकट, 23 को शुक्र के करीब, 26 को बुध ग्रह के साथ और 28 को बृहस्पति के निकट रहेगा। माह के प्रारंभ अर्थात तीन मई को यह मंगल के करीब था।

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