शुभ कार्यों में क्यों बांधते हैं आम के पत्तों की वंदनवार


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
सनातन संस्कृति जिनती वैज्ञानिक है उतनी कोई संस्कृति नहीं। हिंदू सनातन संस्कृति में प्रत्येक रीति-रिवाज के पीछे एक गहन विज्ञान छुपा होता है। यह बात अलग है कि आमजन को विज्ञान की भाषा समझ नहीं आती इसलिए हर बात को धर्म से जोड़कर बताया गया ताकि व्यक्ति किसी भी तरह उन वैज्ञानिक बातों को अपने जीवन में अपनाए और सुखी-निरोगी रहे। ऐसा ही एक विज्ञान शुभ कार्यों में घर के दरवाजे पर पत्तों की वंदनवार बांधने से जुड़ा है। यह वंदनवार आम के पत्तों या अशोक के पत्तों की बांधी आती है। कहीं कहीं केले के पत्तों की वंदनवार भी सजाई जाती है।

हिंदू धर्मशास्त्रों में प्राय: किसी भी शुभ कार्य की बात आती है तो द्वार पर वंदनवार बांधने को कहा जाता है। यह वंदनवार क्या होती है और क्यों बांधी जाती है। आखिर इसका विधान क्या है? क्या वैज्ञानिक भी इस बात से सहमत हैं। आज हम इसी पर चर्चा करते हैं।

किसी भी शुभ कार्य जैसे विवाह, सगाई, मुंडन, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश, भगवान सत्यनारायण की कथा और अन्य अनेक शुभ कार्यो के समय घर के द्वारों पर आम के पत्तों की वंदनवार सजाई जाती है। वास्तव में शास्त्र कहते हैं कि वंदनवार नकारात्मक शक्तियों को उस घर से दूर रखती है जहां इसे बांधा जाता है। मुख्य द्वार पर आम के पत्तों की वंदनवार बांधने का विधान ही इसलिए बनाया गया कि हमारे शुभ कार्यों की सिद्धि हो सके और नकारात्मक शक्तियां, विकार दूर रह सकें।

यह है वंदनवार का विज्ञान
हमारे भारत देश और अनेक पश्चिमी देशों में किए गए अनेक शोधों में यह बात सामने आई है कि आम के पत्ते लंबे समय तक आक्सीजन उत्सर्जित करते रहते हैं। इससे वातावरण शुद्ध रहता है और दूषित वायु के कण, प्रदूषण, विषैली गैसें आदि उस जगह प्रवेश नहीं कर पाती जहां आम के पत्ते हों। इसीलिए हमारे यहां शुभ कार्यो में आम के पत्तों की वंदनवार बांधी जाती है। अमेरिका में किए गए शोध में यह सिद्ध हुआ कि आम के पत्ते अन्य पत्तों की अपेक्षा 8 घंटें अधिक तक आक्सीजन देते रहते हैं।

वंदनवार के क्या हैं लाभ
– आम के पत्तों की वंदनवार बांधने से वातावरण शुद्ध बना रहता है।
– आम के पत्तों का स्पर्श मन और मस्तिष्क को शीतलता प्रदान करता है।
– आम के पत्तों को शुभ कार्योँ में प्रयुक्त करने का उद्देश्य यह है कि वह सबसे ज्यादा और बहुत देर तक आक्सीजन देता है।
– हवन, यज्ञ आदि में आम की लकड़ी का उपयोग भी इसी उद्देश्य से किया जाता है।
– आम्र वृक्ष की छाल, पत्ते और इसके फूलों का उपयोग अनेक प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियों में किया जाता है।
– गृह प्रवेश के समय द्वार पर वंदनवार बांधने से अभीष्ट कार्य में बाधा नहीं आती और कार्य सिद्धि होती है।
– आम के पत्तों को माला के रूप में भगवान श्रीहरि को अर्पित करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।
– आम के पत्तों का चयन करते समय ध्यान रखें कि वे टूटे-फटे, कटे हुए न हों। उनमें कीड़े आदि न लगे हों। पत्ते जालीदार न हों। साफ-सुथरे और साबुत पत्तों की ही माला या वंदनवार बनाई जानी चाहिए।