गुरु 119 दिन बाद हो रहे हैं मार्गी, जानिए क्या होगा आप पर असर


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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बृहस्पति अर्थात् गुरु 119 दिन वक्री रहने के बाद 4 फरवरी 2025 मंगलवार को मार्गी होने जा रहा है। गुरु 9 अक्टूबर 2024 को वक्री हुआ था जो अब 4 फरवरी को दोपहर 3 बजकर 09 मिनट पर मार्गी होने जा रहा है। गुरु का मार्गी होना लगभग सभी राशि के जातकों को विशेष शुभ फल देने वाला रहेगा। जिन लोगों के विवाह की बात अटकी हुई है, या विवाह में कोई बाधा आ रही है, वह बाधा गुरु के मार्गी होने से दूर होगी और अविवाहितों के विवाह के योग बनेंगे।

गुरु का प्रभाव
जातक की जन्मकुंडली में विवाह का योग तभी बनता है जब उनकी कुंडली में गुरु की स्थिति ठीक हो। गुरु के बलवान, शुभ ग्रहों से दृष्ट और शुभ स्थानों में शुभ ग्रहों के साथ होने के कारण विवाह के योग बनते हैं। जिन युवक-युवतियों का गुरु कमजोर होता है उनके विवाह में विलंब होता है, विवाह में बाधा आती रहती है या विवाह होने के बाद वह सफल नहीं होता है। अब जब गुरु मार्गी हो रहा है तो ऐसे युवक-युवतियों का विवाह निर्विघ्न तय होकर संपन्न होने के प्रबल योग बनेंगे, जिनका विवाह अब तक अटका हुआ है।

राशियों पर असर
मेष : गुरु के मार्गी होेने से वाणी का शुभ प्रभाव मिलेगा। अपने व्यवहार से लोगों को जीत लेंगे। आर्थिक मजबूती आएगी।
वृषभ : गुरु मार्गी होने से आपको लोकप्रियता प्राप्त होगी, सप्तम पर दृष्टि होने से विवाह के उत्तम योग बनने वाले हैं।
मिथुन : गुरु मार्गी होने से खर्च पर लगाम लगेगी। पारिवारिक सौख्यता आएगी। सम्मान प्राप्त होगा। पद प्राप्त होने वाला है।
कर्क : गुरु का मार्गी होना सम्मान के साथ आपको पद और प्रतिष्ठा भी दिलाएगा। अटके हुए काम निर्विघ्न संपन्न होंगे।
सिंह : आपके अटके हुए कार्य और व्यवसाय में उन्नति होगी। समाज में पद और प्रतिष्ठा बढ़ेगी। मानसिक शांति रहेगी।
कन्या : भाग्योदय होने वाला है। सम्मान, धन, प्रेम, सुख, वैवाहिक जीवन मधुर रहेगा। विवाह के उत्तम योग बनने वालेे हैं।
तुला : वैवाहिक जीवन सुखद होने वाला है। अविवाहितों के विवाह के योग बनेंगे। धन आएगा, स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
वृश्चिक : वैवाहिक जीवन की अनबन दूर होगी। प्रेम और सामंजस्य बढ़ेगा। स्वास्थ्य खराब होगा। पैसा आएगा खर्च भी होगा।
धनु : गुरु छठे भाव में मार्गी होने से पुराने रोग दूर होंगे। शत्रुओं पर विजय हासिल होगी। पैसा आने के योग हैं।
मकर : प्रेम संबंध मजबूत होंगे। विवाह की बाधा दूर होगी। शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलेगी। मान-सम्मान प्राप्त होगा।
कुंभ : किसी वरिष्ठ के मार्गदर्शन से अटके काम पूरे होंगे। पैसा आएगा। सुख और सम्मान के साथ प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
मीन : धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी। प्रेम संबंध प्रगाढ़ होगा। भाई-बहनों की ओर से सुख मिलेगा। पराक्रम बढ़ेगा।

गुरु मार्गी होने पर क्या करें
गुरु के मार्गी होने वाले दिन अर्थात् 4 फरवरी को सभी राशियों के जातक अपने गुरुजनों का पूजन करें, उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। उन्हें पीली मिठाई या पीले फल भेंट करें। भगवान दत्तात्रेय का पूजन करें। चने की दाल और हल्दी की गांठ भेंट करें।

गुरु की स्थति
राशि परिवर्तन : मिथुन में प्रवेश 14 मई 2025 बुधवार रात्रि 11:20 बजे

वक्री : 11 नवंबर 2025 मंगलवार रात्रि 10:11 बजे
मार्गी : 11 मार्च 2026 बुधवार प्रात: 8:58 बजे
कुल वक्री अवधि : 120 दिन

गुरु अस्त : 13 जून 2025 शुक्रवार सायं 7:46बजे
गुरु उदय : 9 जुलाई 2025 बुधवार प्रात: 5:03 बजे
कुल अस्त अवधि : 26 दिन

शुक्र का उच्च राशि में प्रवेश, बनेगा साल का पहला मालव्य पूर्ण राजयोग


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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वर्ष 2025 में पहली बार शुक्र 28 जनवरी को प्रात: 7 बजे अपनी उच्च राशि मीन में प्रवेश करने जा रहा है। शुक्र के उच्च राशि में जाने के कारण मालव्य योग बन रहा है। इस बार यह योग लगभग चार महीने तक बना रहेगा। शुक्र 31 मई 2025 को राशि बदलेगा, तब तक मालव्य योग बना रहेगा और इसका फल वैसे तो सभी राशि के जातकों को मिलने वाला है लेकिन सात राशियों को विशेष फल मिलेंगे और यह योग उन्हें मालामाल करने वाला है।

मालव्य योग कैसे बनता है
मालव्य योग की गिनती पंचमहापुरुष योग में होती है। शुक्र जब अपनी उच्च राशि मीन में होकर शुभ स्थान में बैठता है तो मालव्य योग बनता है। इसे मालव्य योग को पूर्ण राजयोग कहा जाता है। इस योग के बनने से शुभ फलों में वृद्धि होती है। जिन जातकों की जन्म कुंडली में शुक्र उच्च का होकर केंद्र स्थानों प्रथम, चतुर्थ, सप्तम और दशम में बैठता है ऐसा व्यक्ति राजा की तरह जीवन व्यतीत करता है।

मालव्य योग के लाभ
1. मालव्य योग धन संपदा प्रदान करता है। इस योग के बनने से धन-समृद्धि में वृद्धि होगी।
2. मालव्य योग जिन जातकों की कुंडली में बना होता है वे अत्यंत भाग्यशाली होते हैं।
3. मालव्य योग के कारण धन आने के मार्ग खुलते हैं और धन कोष में वृद्धि होने लगती है।
4. मालव्य योग जिन जातकों की कुंडली में होता है वे सौंदर्य और कला प्रेमी होते हैं।
5. मालव्य योग के प्रभाव से व्यक्ति आकर्षक बनेगा, प्रेमी होगा, प्रेम संबंध प्राप्त होंगे।

सात राशियां होंगी मालामाल
शुक्र के मीन राशि में प्रवेश करने के साथ ही बनने वाले मालव्य राजयोग का प्रभाव विशेष रूप से पांच राशियों को मिलने वाला है। ये राशियां बुध, गुरु, शुक्र और चंद्र से संंबंधित हैं। वृषभ, मिथुन, कर्क, कन्या, तुला, धनु, मीन राशियों का भाग्य खुलने वाला है। इन राशियों के जातकों को अपार धन-संपदा मिलने वाली है। यदि लंबे समय से कहीं पैसा फंसा हुआ है तो इन्हें मिल जाएगा। निवेश से लाभ होगा। भौतिक सुखों में वृद्धि होगी। प्रेम संबंध प्रगाढ़ होंगे। नए प्रेम संबंध बनेंगे। पारिवारिक जीवन सुखद होगा। भूमि, भवन, वाहन खरीदने के योग बनेंगे। पैतृक संपत्ति प्राप्त होगी। आकर्षण प्रभाव में वृद्धि होगी। संतान सुख मिलेगा। इन सात राशियों के जातकों को भाग्य का बल मिलेगा और जिस काम में हाथ डालेंगे वह पूरा होगा। वहां से धन कमाने में सफल होंगे।

शेष पांच राशियों को मिलेगा मिलाजुला फल
उपरोक्त सात राशियों के अलावा शेष पांच राशियों मेष, सिंह, वृश्चिक, मकर, कुंभ के लिए शुक्र का मीन राशि में गोचर मिलाजुला फल देने वाला रहेगा। इन राशि के जातकों को धन की प्राप्ति तो होगी लेकिन खर्च भी उसी अनुपात में होगा। रिश्तों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। दांपत्य जीवन में कुछ कठिनाइयां आ सकती हैं। पति-पत्नी को एक-दूसरे के साथ तालमेल बनाने में परेशानी आएगी। इन राशि के जातकों के प्रभाव में कमी आएगी।

क्या करें
1. मालव्य योग का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए सभी राशि के जातक इस दौरान साफ-स्वच्छ रहें।
2. अधिक से अधिक दिन सफेद या हल्के रंग के कपड़े पहनें।
3. अच्छे मध्यम खुशबू वाले इत्र या परफ्यूम का उपयोग प्रतिदिन करें।
4. केसर का तिलक हर दिन लगाएं।
5. नहाने के पानी में थोड़ा सा गुलाबजल डालकर हर दिन नहाएं।
6. चांदी का छल्ला स्त्रियां अपने बाएं हाथ में और पुरुष दाहिने हाथ में धारण करें।
7. घर में गुलाब का रूम स्प्रे डालें।
8. गुलाब की अगरबत्ती या धूप बत्ती हर दिन घर में लगाएं।
9. प्रत्येक शुक्रवार को शिवजी का अभिषेक जल में गुलाब का इत्र डालकर करें।
10. शुक्र के मंत्र ऊं द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: का नियमित एक माला जाप पिंक स्फटिक की माला से करें।

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ग्रहों को करना है शांत तो कर लें ये उपाय


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में कोई न कोई ग्रह खराब या कमजोर होता है। उस ग्रह को ठीक करने के लिए उससे संबंधित वस्तुओं का दान किया जाता है। उस ग्रह के मंत्रों का जाप करवाया जाता है। आइए जानते हैं किस ग्रह की शांति के लिए किन वस्तुओं का दान करना चाहिए और कितने मंत्रों का जाप करवाना चाहिए।

सूर्य
सूर्य की शांति के लिए माणिक्य का दान सर्वश्रेष्ठ दान बताया गया है। इसके अलावा गोधूम, गुड़, गौ, कमलपुष्प, नया घर, लाल चंदन, लाल वस्त्र, सोना-तांबा, केसर, मूंगा का दान किया जाता है। सूर्य की शांति के लिए इसके 7000 मंत्रों का जाप किया जाता है किंतु कलयुग में इसका चार गुना अर्थात् 28 हजार जाप करवाना चाहिए।

चंद्र
चंद्र की शांति के लिए चांदी के बर्तन का दान किया जाता है। इसके अलावा चावल, श्वेत वस्त्र, श्वेत चंदन, श्वेत पुष्प, चीनी, चांदी, बैल, घी, शंख, दही, मोती, कपूर का दान करने से चंद्र की पीड़ा शांत होती है। चंद्र की शांति के लिए इसके 11 हजार मंत्रों का जाप किया जाता है किंतु कलयुग में इसका चार गुना अर्थात् 44 हजार मंत्रों का जाप करवाना चाहिए।

मंगल
मंगल ग्रह परेशान कर रहा है तो शांति के लिए मसूर की दाल, गोधूम, लाल बैल, गुड़, लाल चंदन, लाल वस्त्र, लाल पुष्प, सोना, तांबा, केसर, कस्तुरी आदि का दान किया जाता है। किसी ब्राह्मण को तांबे के कलश में गुड़ रखकर दान देना चाहिए। मंगल की शांति के लिए 10 हजार मंत्रों का जाप करवाना चाहिए। कलयुग में चार गुना 40 हजार मंत्रों का जाप करवाना चाहिए।

बुध
बुध की शांति के लिए कांसे का पात्र, हरे कपड़े, गजदंत, घी, पन्ना, सोना, सर्वपुष्प, रत्न, कपूर, शंख, अनेक प्रकार के फल, षटरस भोजन दान में देना चाहिए। बुध के लिए 9000 मंत्रों का जाप करवाना चाहिए। कलयुग में चार गुना अर्थात् 36 हजार जाप करवाना चाहिए।

गुरु
गुरु की शांति के लिए पीला अनाज, पीले कपड़े, सोना, घी, पीले पुष्प, पीले फल, पुखराज, हल्दी, धार्मिक पुस्तकें, शहद, नमक, शक्कर, भूमि, छत्र आदि का दान किया जाता है। गुरु के मंत्रों की जप संख्या 19 हजार होती है। कलयुग में इसका चार गुना अर्थात् 76 हजार जाप करवाना चाहिए।

शुक्र
शुक्र की शांति के लिए सफेद चावल, सफेद चंदन, सफेद वस्त्र या रंगबिरंगे वस्त्र, श्वेत पुष्प, चांदी, हीरा, घी, सोना, दही, सुगंधित द्रव्य, इत्र, शकर का दान करना चाहिए। शुक्र की शांति के लिए इसके 16 हजार मंत्रों का जाप करवाया जाता है। कलयुग में इसका चार गुना अर्थात् 64 हजार जप संख्या करवाना चाहिए।

शनि
शनि की शांति के लिए तिल या सरसो का तेल, नीलम, तिल, काले वस्त्र, लोहा, भैंस, काली गाय, काले पुष्प, सोना आदि का दान दिया जाता है। शनि के शांति मंत्रों की संख्या 23 हजार होती है। कलयुग में इसका चार गुना 92 हजार जाप करवाना चाहिए।

राहु
राहु की शांति के लिए पंचधातु का नाग, सप्तधान्य, नीले वस्त्र, गोमेद, काले पुष्प, तिल, खड्ग, तेल, लोहा, कंबल, तांबे का पात्र, सुवर्ण, रत्न आदि का दान दिया जाता है। राहु के मंत्र जाप की संख्या 18 हजार होती है। कलयुग में 72 हजार जाप करवाना चाहिए।

केतु
केतु की शांति के लिए उड़द, कंबल, कस्तुरी, वैदूर्यमणि, काले फूल, तिल, तेल, रत्न, सुवर्ण, लोहा, शस्त्र, सप्तधान्य का दान दिया जाता है। इसकी शांति के लिए 17 हजार मंत्रों का जाप करवाया जाता है। कलयुग में चार गुना अर्थात् 68 हजार जाप करवाए जाने चाहिए।

चार दिन बन रहा है अभिजीत योग, धन बरसाने वाला संयोग


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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माघ मास में सूर्य के अभिजीत नक्षत्र में प्रवेश करने के साथ ही अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है जिसे अभिजीत राजयोग कहा जाता है। मुख्य नक्षत्र 27 होते हैं किंतु अभिजीत की शुभता और श्रेष्ठ फलों के कारण इसे 28वें नक्षत्र के रूप में शामिल किया गया है। सूर्य जब भी इस नक्षत्र में आता है तब यह समय अत्यंत श्रेष्ठ और उत्तम होता है। इसमें धन प्रदायक योग बनता है। लक्ष्मी योग बनता है और कुबेर योग बनता है। अभिजीत नक्षत्र का स्वामी ब्रह्मा और ग्रह बुध होता है।

सूर्य 20 जनवरी 2025 सोमवार को रात्रि में 10 बजकर 5 मिनट पर अभिजीत नक्षत्र में प्रवेश करने वाला है और यह 24 जनवरी को मध्य रात्रि के बाद (25 जनवरी) 1 बजकर 42 मिनट पर अभिजीत नक्षत्र को छोड़ देगा। इस प्रकार चार दिन का अत्यंत श्रेष्ठ मुहूर्त बन रहा है। इस महामुहूर्त में प्रारंभ किया गया कोई भी कार्य अत्यंत शुभ फलदायी होता है। इन चार दिनों में धन प्रदायक योग भी बनता है इसलिए यदि आप कहीं पैसों का निवेश करना चाहते हैं तो अवश्य करें लाभ होगा। इसके अलावा अनेक उपाय हैं जो इस मुहूर्त में किए जा सकते हैं।

अभिजीत नक्षत्र और इसका महत्व
ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार प्रजापति दक्ष की 27 कन्याओं से चंद्र ने विवाह किया था। ये 27 कन्याएं 27 नक्षत्र हैं और इनका एक भाई है जो अभिजीत है। इसे 28वें नक्षत्र की संज्ञा दी गई है। इस नक्षत्र की गिनती सर्वश्रेष्ठ शुभ नक्षत्रों में होती है। सूर्य जब भी अभिजीत नक्षत्र में गोचर करता है तब मनुष्यों में आत्मविश्वास की अधिकता रहती है। इस कारण सारे काम सफलतापूर्वक पूरे होते हैं। इस नक्षत्र में शुभ कार्य करना श्रेष्ठ रहता है। उन कार्यों में सफलता मिलती है। सगाई, विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, वाहन, भूमि-भवन संपत्ति की खरीदी करना श्रेष्ठ रहता है। इस नक्षत्र के दौरान धन का निवेश करना चाहिए।

चार दिन के श्रेष्ठ अभिजीत मुहूर्त समय
21 जनवरी, मंगलवार : दोपहर 12:16 से 1:00 बजे
22 जनवरी, बुधवार : दोपहर 12:17 से 1:00 बजे
23 जनवरी, गुरुवार : दोपहर 12:17 से 1:01 बजे
24 जनवरी, शुक्रवार : दोपहर 12:17 से 1:01 बजे

अभिजीत नक्षत्र में क्या करें
1. सूर्य के अभिजीत नक्षत्र में गोचर के दौरान गेहूं और गुड़ का दान करने से सूर्य की पीड़ा शांत होती है और मनुष्य को मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
2. यदि पिता से विवाद चल रहा हो तो अभिजीत नक्षत्र के दौरान लाल चंदन की माला धारण करें और सूर्य को तांबे के कलश में लाल पुष्प डालकर जल का अर्घ्य दें। इससे पिता से संबंध सुधरने लगते हैं।
3. साहस, पराक्रम की प्राप्ति और शत्रुओं को परास्त करने के लिए सूर्य के अभिजीत नक्षत्र में गोचर करने के दौरान हर दिन 12 बार आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
4. धन की प्राप्ति के लिए सूर्य के अभिजीत नक्षत्र में गोचर के दौरान हर दिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ करना चाहिए।
5. भगवान श्रीहरि विष्णु को पीले पुष्प अर्पित करने से धन संबंधी समस्या दूर हो जाती है।
6. जिन लोगों का जन्म अभिजीत नक्षत्र में हो वे इन दिनों में अपने घर में सूर्य यंत्र की स्थापना करके नित्य पूजन करें।

अभिजीत नक्षत्र में जन्म का फल
अभिजीत नक्षत्र में जन्म लेने वाले बच्चे की राशि मकर, राशि स्वामी शनि, वर्ण वैश्य, योनि नकुल और महावैर योनि सर्प होती है। अभिजीत नक्षत्र में जन्म लेने वाला जातक धार्मिक प्रकृति का होता है। चतुर, बुद्धिमान, आभूषण एवं रत्नों का प्रेमी, क्रोधी, पर्यटन में रुचि रखने वाला होता है। ऐसा जातक दृढ़ निश्चयी, उत्साही, शोधकर्ता, अाविष्कारक होता है।

14 जनवरी को सूर्यदेव करेंगे मकर में प्रवेश, पूरे दिन रहेगा पुण्यकाल


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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सूर्य विभिन्न राशियों में गोचर करते हुए माघ कृष्ण प्रतिपदा दिनांक 14 जनवरी 2025 मंगलवार को प्रात: 8 बजकर 54 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही धनुर्मास (मलमास) समाप्त होगा और उत्तरायण प्रारंभ होगा। खगोलीय और ज्योतिषीय दृष्टि से यह दिन वर्ष का अत्यंत विशेष दिन होता है। इस दिन से सूर्य की गति उत्तरायण होती है जो देवताओं का दिन होता है। मकर संक्रांति से विवाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं।

मकर संक्रांति प्रवेश के समय पुनर्वसु नक्षत्र का चतुर्थ चरण, कर्क राशि, विष्कुंभ योग, तात्कालिक बालव करण और मकर लग्न रहेगा। इसलिए मकर संक्रांति का पुण्यकाल सूर्योदय प्रात: 7:10 से लेकर सूर्यास्त तक सायं 6:01 बजे तक रहेगा। इस दिन दान-पुण्य आदि कर्म किए जाएंगे।

दान का महत्व
मकर संक्रांति का दिन दान पुण्य करने के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन होता है। इस दिन किया गया दान राजसूय यज्ञ के पुण्य फल के बराबर होता है। इसलिए इस दिन गरीबों को यथाशक्ति भोजन, वस्त्र आदि देना चाहिए। गायों को चारा खिलाएं, पशुओं की सेवा करें, मछलियों को दाना डालें, पक्षियों के लिए दाना-पानी का प्रबंध करें। मकर संक्रांति के दिन यथाशक्ति नूतन पात्र, श्वेत तिल, श्वेत वस्त्र, श्वेत धान्य चावल आदि, धातु, सूखा अन्न, पकवान्न, दूध, पायस, गुड़, खिचड़ी तथा श्रीफल सहित दक्षिणा का दान करें। गायों को गोशाला में जाकर घास खिलाएं। पुण्यकाल की अवधि में सात्विक वृत्ति का निर्वाह करते हुए संयमपूर्वक रहें।

मकर संक्रांति पर क्या करें
मकर संक्रांति के पुण्यकाल में सफेद तिल मिश्रित जल से स्नान करें। यह स्नान पवित्र नदियों, सरोवरों में किया जाए तो अत्यधिक पुण्यदायी होता है। पवित्र नदियां आपके आसपास न हो तो अपने घर में ही गंगा, नर्मदा आदि नदियों का जल डालकर उन तीर्थों का स्मरण करते हुए स्नान करें। इसके बाद सूर्य को जल का अर्घ्य दें, शिवजी का अभिषेक करें। रुद्राभिषेक करें अथवा ऊं नम: शिवाय का उच्चारण करते हुए सामान्य जल से शिवजी का अभिषेक करें। इसके बाद सूर्यदेव की पूजा करें। आदित्यहृदय स्तोत्र, अष्टोत्तरशतनामात्मक सूर्यस्तोत्र, सूर्य सहस्रनामावली या वेदोक्त सूर्य सूक्त का विशेष पाठ करें। सूर्य के वैदिक-पौराणिक बीज मंत्र अथवा ऊं घृणि सूर्याय नम: का जाप करें। सूर्यसूक्त के मंत्रों से हवन करें।

किस राशि के लोग क्या दान करें
मेष : कंबल का दान करें।
वृषभ : सफेद रंग के वस्त्रों का दान करें।
मिथुन : हरे खड़े मूंग अथवा मूंग की खिचड़ी का दान करें।
कर्क : सफेद अनाज जैसे चावल या दूध का दान करें।
सिंह : गुड़ और गेहूं का दान करना लाभदायक रहेगा।
कन्या : हरे वस्त्र दान करें अथवा गायों को हरा चारा खिलाएं।
तुला : कंबल का दान करें, श्वेत वस्त्र दान करें।
वृश्चिक : फलों का दान करना लाभदायक रहेगा।
धनु : सूखा अनाज या फलों का दान करना चाहिए।
मकर : काले तिल का दान करें।
कुंभ : गुड़ के साथ काले तिल का दान करें।
मीन : फल, अनाज अथवा दूध-दही का दान करना चाहिए।

मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त
लाभ : प्रात: 11:15 से दोप 12:36
अभिजित : दोप 12:14 से 12:58
अमृत : दोप 12:36 से 1:57
लाभ : सायं 7:40 से रात्रि 9:19
प्रदोष : सायं 6:01 से 7:52

2025 में शनि बदलेगा राशि, मेष को लगेगी साढ़ेसाती


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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साल 2025 में सबसे बड़ा राशि परिवर्तन होने जा रहा है। यह राशि परिवर्तन है शनि का। शनि ढाई साल बाद अपनी राशि बदलने जा रहा है। 29 मार्च 2025 को शनि कुंभ राशि को छोड़कर मीन राशि में प्रवेश करने जा रहा है। कुंभ शनि की स्वयं की राशि है और अब वह गुरु की राशि मीन में प्रवेश करने जा रहा है। शनि के इस गोचर से साढ़ेसाती का गणित भी बदलने वाला है। मकर राशि साढ़ेसाती से मुक्त हो जाएगी, जबकि मेष राशि पर साढ़ेसाती प्रारंभ हो जाएगी। शनि 29 मार्च 2025 से 3 जून 2027 तक मीन राशि में ही रहेगा। शनि के मीन राशि में जाने से कुंभ, मीन, मेष पर साढ़ेसाती रहेगी जबकि सिंह और धनु राशि पर लघु कल्याणी ढैया प्रारंभ हो जाएगा।

आइए विस्तार से जानते हैं किस राशि पर शनि का क्या प्रभाव होने वाला है-

मेष राशि
मेष राशि के जातकों को लोहे के पाये से मस्तक पर शनि की साढ़ेसाती का प्रथम ढैय्या प्रारंभ होगा। शनि का दसवें और ग्यारहवें स्थान का स्वामी होकर बारहवें स्थान में भ्रमण करना शुभप्रद नहीं है। शासन की तरफ से परेशानी, निरर्थक यात्राएं, व्यापार-व्यवसाय व नौकरी में अड़चनें, पारिवारिक क्लेश, आर्थिक क्षेत्र में उतार-चढ़ाव, अपव्यय, स्वयं, पति-पत्नि एवं संतान को शारीरिक कष्ट, भाग्य में मंदी तथा कर्जा (ऋण) लेने की स्थिति आएगी। जन्मकालीन मंगल, शनि अथवा सूर्य पर से शनि का भ्रमण अत्यंत अरिष्टप्रद रह सकता है। आय के स्रोत में कमी आएगी। जन्मकुंडली में शनि बलवान हो तो उपर्युक्त अशुभ फलों में कमी आकर व्यावसायिक उन्नति, मित्रों से सहयोग तथा धनलाभ के योग बनेंगे।

वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों पर शनि स्वर्ण पद से भ्रमण करेगा। नौकरी और व्यापार-व्यवसाय में अच्छी सफलता मिलेगी, धन लाभ, लोहा-भूमि- सीमेंट के कामकाजों से अच्छा लाभ अर्जित करेंगे। वाहन, मशीनरी और आटो पार्ट्स के काम से अच्छा लाभ कमाएंगे, जिनका विवाह नहीं हुआ है उनके विवाह का योग 2025 में बन जाएगा, यशोमान में वृद्धि होगी। इस राशि के जातकों को साल 2025 में कन्या संतान की प्राप्ति होगी। शारीरिक रोग दूर होंगे। जन्मकुंडली में यदि शनि निर्बल होगा तो पति/पत्नि व संतान पीड़ा रहेगी, मित्रों व आत्मीयजनों से विश्वासघात एवं आशा भंग होगी।

मिथुन राशि
शनि के मीन राशि में गोचर करने से मिथुन राशि के जातकों को विशेष लाभ प्राप्त होने वाले हैं। आपका भाग्योदय होगा जिससे बड़े आर्थिक लाभ मिलने वाले हैं। नौकरी, व्यवसाय में आशातीत उन्नति होगी, कोर्ट-कचहरी के मामलों में अनुकूलता, प्रभावशाली व्यक्तियों से परिचय होगा एवं उनसे लाभ होगा। पारिवारिक और सामाजिक जीवन में प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। यदि जन्मांग अर्थात् आपकी कुंडली में जन्मकालीन शनि बलहीन होगा तो माता-पिता को पीड़ा, राजभय, नौकरी-व्यवसाय में परिवर्तन-बाधा, दांपत्य जीवन में विरोध की स्थिति बनेगी। शारीरिक स्वास्थ्य कमजोर रहेगा।

कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए शनि का मीन राशि में गोचर करना मिलजुला फलदायी रहने वाला है। शनि का लघु कल्याणी ढैया इस राशि से हट जाएगा। इस राशि के जिन जातकों की जन्मकुंडली में शनि मजबूत और शुभ स्थानों में होगा उन्हें तो अच्छी सफलताएं मिलने वाली है किंतु जिनकी कुंडली में शनि खराब स्थिति में है उन्हें विपरीत परिणाम भोगने पड़ेंगे। नौकरी-धन्धे में सफलता, धनलाभ, धर्म-कर्म में अभिरुचि, संत समागम, लाभकारी यात्राएं, यश-प्रतिष्ठा में वृद्धि एवं संतान सुख प्राप्त होगा। जन्मतः शनि निर्बल होने पर भाई- बहन व मित्रों को कष्ट, संतति से पीड़ा, शत्रुभय, आर्थिक परेशानी, अनिष्ट प्रसंग, पति/पत्नि के स्वास्थ्य में खराबी एवं कार्यों में विघ्न आएंगे।

सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों को शनि के मीन राशि में गोचर करने से लघुकल्याणी ढैय्या अष्टम स्थान में लौह पाद से प्रारंभ होगा। शनि आपके छठे एवं सातवें स्थान का स्वामी होकर अष्टम स्थान में भ्रमण करेगा जो शुभप्रद नहीं है। स्वयं व जीवनसाथी को शारीरिक पीड़ा, नौकरी-व्यवसाय में परेशानी, आर्थिक हानि, कोर्ट के मामलों में प्रतिकूलता, मित्र, वाहन व पशु हानि, निरर्थक यात्राएं, दुर्जनों से संगति, मनस्ताप तथा स्वजनों को कष्ट होंगे। जन्मत: शनि की स्थिति अच्छी होने पर भागदौड़ के साथ धनलाभ होगा, सफलता मिलेगी एवं अटके हुए कार्य पूर्ण होगे। स्वास्थ्य में लाभ होगा।

कन्या राशि
मीन राशिगत शनि का कन्या राशि पर प्रभाव ज्यादा शुभ नहीं रहेगा। पति/पत्नि में दीर्घ रोग, नौकरी-व्यवसाय में परेशानी, भागीदारी के कार्यों में हानि, शारीरिक पीड़ा, परदेशवास, कष्टदायक प्रवास, पुरुष की जन्मकुंडली में द्विभार्या योग होने पर पत्नि को अनिष्ट, कार्यों में विलंब तथा धन हानि के योग बनेंगे। इस राशि के जिन लोगों की जन्मकुंडली में शनि शुभप्रद होगा उन्हें आर्थिक लाभ, व्यावसायिक उन्नति, कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय एवं द्विभार्या योग होने में पुनर्विवाह के भी योग बनेंगे। जिन लोगों का विवाह नहीं हुआ है और कहीं तय भी नहीं हो पा रहा उनका विवाह इस साल होने के पूरे योग बनेंगे। धार्मिक यात्राएं होंगी।

तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए शनि का राशि परिवर्तन कुछ मामलों में अत्यंत लाभदायक रहने वाला है। इस साल आपके सारे शत्रु समाप्त हो जाएंगे, आरोग्यता प्राप्त होगी, द्रव्यलाभ होगा, कोर्ट के मामलों में विजय, ऋण (कर्ज) से छुटकारा, नौकरी-व्यवसाय में सफलता, नए कामकाज प्रारंभ करेंगे, मित्रों से लाभ, स्थायी संपत्ति प्राप्ति होगी तथा पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी । जिन जातकों का जन्मकालीन शनि निर्बल होगा उन्हें एकाधिक बार स्थान परिवर्तन का सामना करना पड़ेगा, अनावश्यक व्यय होंगे, माता व संतान को पीड़ा होगी तथा विद्यार्थियों को शिक्षा में विघ्न बाध की स्थिति बनेगी। साल 2025 में बड़े बदलावों का सामन करना होगा।

वृश्चिक राशि
शनि के मीन राशि में जाने के कारण वृश्विक राशि के जातकों पर से लघु कल्याणी ढैया हट जाएगा। इसलिए मिलाजुला फल मिलने वाला है। संतति को लेकर चिंता, परिवार में अनिष्ट प्रसंग, स्थान परिवर्तन, शेयर्स में हानि, विद्याध्ययन में रूकावट, आय से अधिक व्यय, नौकरी-धन्धे में उतार-चढ़ाव, पति/पत्नि को शारीरिक पीड़ा एवं बुद्धि भ्रम होगा । इस राशि के जिन जातकों की जन्मकुंडली मंक शनि श्रेष्ठ और मजबूत होगा उन्हें शिक्षा में पूर्णता का योग, कन्या संतान सुख, स्थायी संपत्ति की प्राप्ति, मित्रों से सुख एवं नौकरी-व्यवसाय में उन्नति प्राप्त होगी।

धनु राशि
शनि के मीन राशि में जाने से धनु राशि के जातकों को शनि का लघुकल्याणी ढैय्या चतुर्थ स्थान में लोहे के पाये से प्रारंभ होगा। इनके लिए शनि द्वितीय व तृतीय स्थान का स्वामी है। इसलिए स्थान परिवर्तन के योग बन रहे हैं, यात्रा में कष्ट हो सकता है, सौख्यता में कमी आएगी, स्वजनों से विरोध का सामना करना पड़ेगा, माता-पिता को शारीरिक पीड़ा एवं राजकीय संकट की स्थिति बन सकती है। जन्मकुंडली में शनि बलवान हो तो जमीन-जायदाद व वाहन सुख प्राप्त होगा, नौकरी-व्यवसाय में सफलता, फंसा हुआ- डूबा हुआ (नष्टांश) धन की प्राप्ति एवं कार्य सिद्धि होगी।

मकर राशि
शनि के मीन राशि में जाने से मकर राशि के जातकों पर से शनि की साढ़ेसाती समाप्त हो जाएगी। इससे लाभ प्राप्त होने लगेगा। उद्योग-धन्धा-नौकरी में उत्कर्ष प्राप्त करेंगे, अनेक माध्यमों से धनलाभ होगा, सर्वत्र अनुकूलता प्राप्त होगी, पद-पराक्रम में वृद्धि होगी, भातृसुख में वृद्धि, शत्रुनाश, आरोग्यता, भूमिलाभ, अभीष्ट कार्यों में सफलता एवं यशोमान की प्राप्ति होगी। सामाजिक जीवन में नए और बड़े पद मिल सकते हैं। जन्मकुंडली में शनि कमजोर होने पर कष्टप्रद यात्राएं, भाई-बहन व सन्तान को पीड़ा, मानसिक अशांति, इच्छा विरूद्ध स्थान परिवर्तन, अपयश तथा कुटुंबिक क्लेश होगा।

कुम्भ राशि
कुंभ राशि के जातकों को चांदी के पाये से शनि की साढ़ेसाती का अंतिम ढैय्या चरणों से प्रारंभ होगा। आपकी राशि कुंडली के अनुसार शनि बारहवें और प्रथम स्थान का स्वामी होकर द्वितीय स्थान में भ्रमण करेगा जो शुभप्रद नहीं है। प्रियजन का वियोग, धनहानि, पैतृक संपत्ति में विवाद, कुटुंबिक क्लेश, कदाचित गृहत्याग, पति/पत्नि को शारीरिक कष्ट, यश में कमी, नकारात्मक विचार एवं ऋण (कर्ज) लेने की स्थिति बनेगी। यदि जन्मांग में शनि बलवान होगा तो आय में वृद्धि के योग बनेंगे। कोर्ट में अनुकूलता होगी। स्थायी संपत्ति की प्राप्ति होगी। यशोमान में वृद्धि होगी।

मीन राशि
मीन राशि के जातकों को सुवर्ण के पाद से शनि की साढ़ेसाती का दूसरा ढैय्या हृदय पर प्रारंभ होगा। शनि एकादश व द्वादश स्थान का स्वामी होकर प्रथम भाव में भ्रमण करने पर स्वास्थ्य में गड़बड़ी, नौकरी-धन्धे में उतार-चढ़ाव, कार्यों में रूकावट, स्वजनों का वियोग, स्थानांतरण, प्रवास योग, भागीदारी से हानि, नैराश्य भाव एवं पति/पत्नि को पीड़ा होगी। जन्म का शनि श्रेष्ठप्रद हो तो रूके हुए कार्य पूर्ण होंगे, आत्मबल में वृद्धि, लाभकारी यात्राएं व धनसुख योग बनेगा। प्रेम संबंध या विवाहेत्तर संबंध बन सकते हैं। उच्च शिक्षा के विद्यार्थी के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण होगा।

शनि बदलेगा राशि
29 मार्च 2025 से मीन में
3 जून 2027 से मेष में

शनि वक्री समय
13 जुलाई 2025 से
28 नवंबर 2025 तक
कुल अवधि 138 दिन

शनि अस्त समय
28 फरवरी 2025 से
6 अप्रैल 2025 तक
अवधि कुल 37 दिन

29 मार्च 2025 तक साढ़ेसाती और लघु ढैया
मकर : अंतिम ढैया
कुंभ : दूसरा ढैया
मीन : पहला ढैया
कर्क और वृश्चिक पर लघु ढैया

29 मार्च 2025 से साढ़ेसाती और लघु ढैया
कुंभ : अंतिम ढैया
मीन : दूसरा ढैया
मेष : पहला ढैया
सिंह और धनु पर लघु ढैया

बुध हुआ मार्गी, पांच उपायों से बनेंगे सारे काम


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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जन्मकुंडली में बुध के शुभ अवस्था में रहने के कारण अनेक काम स्वत: ही सही होने लगते हैं। जन्म कुंडली में बुध यदि अपनी नीच राशि मीन में हो, अस्त हो, वक्री हो या पाप ग्रहों राहु-केतु के साथ हो तो जातक द्वारा लिए गए सभी निर्णय गलत साबित होते हैं। उसके व्यापार-व्यवसाय में अनेक उतार-चढ़ाव आते हैं और वह स्थिर दिमाग का नहीं रह पाता है। वहीं इसके उलट बुध यदि अपनी उच्च राशि कन्या में हो और शुभ ग्रहों के साथ बैठा हो या शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो जातक द्वारा लिए गए छोटे से छोटे निर्णय भी सही साबित हो जाते हैं और उसे अनेक प्रकार के लाभ होते हैं। उसकी वाणी में साक्षात सरस्वती का वास हो जाता है।

बुध 15 दिसंबर 2024 को रात्रि 2 बजकर 28 मिनट पर मार्गी हो रहा है। बुध के मार्गी होने से सभी राशि के जातकों को लाभ होगा। किंतु हम आपको ऐसे पांच उपाय बताने जा रहे हैं जो आपके कमजोर बुध को भी मजबूत कर देंगे और फिर आपको अपने कार्यों में स्वत: सफलता मिलने लग जाएगी।

पहला उपाय
बुध को मजबूत करने के लिए सबसे पहला और सटीक उपाय है पेड़-पौधों की सेवा करना। अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाना चाहिए। यदि आपके घर-आंगन में पौधे लगे हुए हैं तो ध्यान रखें कि उनकी नियमित रूप से देखभाल करते रहें। उन्हें पानी दें, यदि किसी पौधे पर पत्तियां या टहनी खराब हो गई हैं, सूख गई हैं तो उन्हें काट दें, हटा दें। फूलदार पौधे लगाएं। इससे आपका बुध मजबूत होगा और उसके शुभ परिणाम मिलने लगेंगे।

दूसरा उपाय
बुध को मजबूत करने के लिए हरी वस्तुओं का दान किया जाता है। गाय को हरा चारा खिलाएं। ब्राह्मण को हरे फल और हरी सब्जियां दान में दें। हरे खड़े मूंग का दान करें। कन्याओं को हरे रंग के वस्त्र दान करना चाहिए। कांसे के बर्तनों का दान गणेश मंदिर में करने से बुध की पीड़ा दूर होती हैं।

तीसरा उपाय
पांच बुधवार को किसी गणेश मंदिर में जाएं और गणेशजी को 108 दूर्वा अर्पित करें। मंदिर में बैठकर बुध के मंत्र ऊं ब्रां ब्रीं ब्रूं स: बुधाय स्वाहा का एक माला जाप करें। इससे बुध से जुड़ी सारी पीड़ाएं दूर हो जाएंगी। पांच बुधवार यह प्रयोग हो जाने के बाद छठे बुधवार को किसी ब्राह्मण दंपती को भोजन करवाकर उन्हें हरे रंग के वस्त्र भेंट करें।

चौथा उपाय
बुधवार के दिन यदि कोई किन्नर मिल जाए तो इससे शुभ कुछ और हो ही नहीं सकता। किन्नर को अपने घर में आमंत्रित करके उसे भोजन करवाएं, और यदि वह भोजन करने का इच्छुक न हो तो भोजन के लिए आवश्यक रूपये दें। उनके पैर पूजकर हरे रंग के वस्त्र भेंट करें। उनसे आशीर्वाद लें। इससे बुध की कृपा प्राप्त होगी और आपके सारे निर्णय सही साबित होने लगेंगे।

पांचवा उपाय
बुधवार के दिन एक मिट्टी के कलश में हरे खड़े मूंग भरें और कलश का मुंह हरे रंग के कपड़े से बांध दें। इस कलश का पूजन करें और इसे किसी सुनसान जगह में गड्ढा खोदकर दबा दें या किसी नदी में प्रवाहित कर दें। यह प्रयोग बुधवार के दिन ही करना है और इसके बारे में किसी को बताना नहीं है। आपने ऐसा किया है यह गुप्त रखना है।

घोड़े की नाल चमका देगी किस्मत, बनाएगी धनवान


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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घोड़े के पैरों में लोहे की यू आकार की नाल लगाई जाती है ताकि उसे चलने और दौड़ने में आसानी हो। इसे हार्स शू भी कहते हैं। यह नाल घोड़े के पैरों की सुरक्षा करती है, लेकिन क्या आप जानते हैं यही घोड़े की नाल इंसानों को भी अनेक परेशानियों से बचाती है और उनकी रक्षा करती है। जी हां, अक्सर आपने सुना-पढ़ा होगा कि घोड़े की नाल से बनी अंगूठी पहनने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। यह शनि के दुष्प्रभावों से बचाती है, लेकिन इसके अलावा भी अनेक परेशानियों से घोड़े की नाल आपकी रक्षा करती है। यह बुरी नजर और नकारात्मक शक्तियों से तो बचाती ही है, इसका उपयोग धन-समृद्धि में वृद्धि के लिए भी किया जाता है।

ये हैं घोड़े की नाल के लाभ
1. घोड़े की नाल को शनिवार के दिन घर के मुख्य द्वार पर सीधा लगाने से उस घर पर सदैव दैवीय कृपा बनी रहती है।
2. घोड़े की नाल को उल्टा करके घर के मुख्य द्वार पर लगाने से भूत-प्रेत बाधा और नकारात्मक शक्तियां घर में प्रवेश नहीं करती।
3. काले घोड़े के पैरों से निकली हुई नाल का छल्ला बनवाएं। शनिवार के दिन पीपल पेड़ के नीचे एक लोहे (स्टील) की कटोरी में सरसों का तेल भरकर उसमें यह छल्ला डालें और उसमें अपना चेहरा देखें। इसके बाद यह तेल दान कर दें। ऐसा करने से शनि की साढ़ेसाती या ढैया के दुष्प्रभाव में कमी आने लगती है।
4. यदि आप या आपके परिवार में कोई अक्सर बीमार रहता है तो उसके पलंग के चारों कोने में काले घोड़े की नाल से बनी कीलें ठोंक दें। रोगी शीघ्र स्वस्थ होने लगेगा।
5. शनिवार के दिन घोड़े की नाल से बनी अंगूठी मध्यमा अंगुली में पहनने से शनि के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है।
6. यदि आपका व्यापार-व्यवसाय अच्छा नहीं चल रहा है तो शनिवार के दिन काले घोड़े की नाल को अपने व्यावसायिक स्थल पर लगाएं। व्यापार में उन्नति होने लगेगी।
7. घोड़े की नाल को काले कपड़े में बांधकर अपने धन रखने के स्थान पर रखने से आपके धन कोष में वृद्धि होने लगती है।
8. खिलाड़ियों के लिए घोड़े की नाल का छल्ला पहनना काफी लाभदायक रहता है। इससे उनमें जोश और ऊर्जा बनी रहती है।
9. महिलाओं को घोड़े की नाल का छल्ला जरूर पहनना चाहिए। यदि पहन नहीं सकती तो इसे अपने पर्स में हमेशा रखें। यह आत्मविश्वास बढ़ाता है।
10. कमर दर्द की शिकायत रहती है तो अपनी कमर में घोड़े की नाल का छल्ला काले धागे में पहनने से लाभ मिलता है।

कैसे धारण करें घोड़े की नाल की अंगूठी
मान्यता है कि घोड़े की नाल तभी प्रभावी रहती है जब वह अपने आप घोड़े के पैर से उखड़कर गिरी हो और शनिवार के दिन किसी को मिले। लेकिन ऐसा अक्सर संभव नहीं होना। यह अत्यंत दुर्लभ है। इसलिए यदि आप घोड़े की नाल चाहते हैं तो किसी घोड़े रखने वाले व्यक्ति से शनिवार के दिन घोड़े के पैर से नाल निकलवाकर ले सकते हैं।

इस नाल को ॐ श्री शनिदेवाय नमः का उच्चारण करते हुए अपने घर ले आएं। इसे घर में न रखते हुए बाहर कहीं सुरक्षित स्थान रख दें। दूसरे दिन रविवार को उसे सुनार के पास ले जाकर उसमें से टुकड़ा कटवाकर उसमें थोड़ा सा तांबा मिलवा दें। ऐसी मिश्रित धातु की अंगूठी बनवाएं और उस पर नगीने लगाने के स्थान पर शिवमस्तु अंकित करा लें। अब उसे घर लाकर पूजन करें और पूजा स्थान पर नीले रंग के कपड़े के आसन पर स्थापित कर दें।

अगले शनिवार को व्रत रखें। शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे शनिदेव की पूजा करें और तिल या सरसों के तेल का दीपक लगाकर ॐ शं शनैश्चराय नमः मंत्र का जाप करें। एक माला जाप के बाद पुनः अंगूठी को उठाएं और सात बार यही मंत्र पढ़ते हुए पीपल की जड़ से स्पर्श कराकर उसे पहन लें। यह अंगूठी मध्यमा अंगुली में धारण करनी चाहिए। उस दिन केवल एक बार संध्या को पूजनोपरांत भोजन करें और संभव हो तो प्रति शनिवार को व्रत रखकर पीपल के वृक्ष के नीचे शनिदेव की पूजा करते रहें। कम से कम सात शनिवार तक यही क्रम रखें तो शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है और धन-धान्य में वृद्धि होती है। दरिद्रता दूर होती है।

कैसा रहेगा आज का दिन : 14 नवंबर 2024 गुरुवार


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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दिनांक : 14 नवंबर 2024 गुरुवार
विक्रम संवत : 2081
शालिवाहन वाहन शके : 1946
मास : कार्तिक शुक्ल पक्ष

तिथि : त्रयोदशी प्रात: 9:42 तक पश्चात चतुर्दशी (क्षय)
नक्षत्र : अश्विनी रात्रि 12:32 तक

दिन का चौघड़िया
चर : प्रात: 10:48 से दोप 12:11
लाभ : दोप 12:11 से 1:34
शुभ : सायं 4:19 से 5:42
अभिजित : प्रात: 11:49 से दोप 12:33

रात्रि का चौघड़िया
अमृत : सायं 5:42 से 7:19
चर : सायं 7:19 से रात्रि 8:57
प्रदोषकाल : सायं 5:42 से रात्रि 8:19

आज विशेष : बैकुंठ चतुर्दशी
आज का शुभ अंक : 5
आज का शुभ रंग : पीला, सफेद
आज के पूज्य : श्री हरि विष्णु
आज का मंत्र : ऊं विष्णवे नम:

आज का राशिफल
मेष : दिन सामान्य है। आवश्यक सभी काम पूरे होंगे, किंतु दौड़भाग करनी होगी। सेहत का ध्यान रखें।

वृषभ : यात्राएं होंगी, परिवार को समय देना होगा, मित्रों का सहयोग करना पड़ेगा, धन की आवक होगी।

मिथुन : आय कमजोर रहेगी, मानसिक तनाव होगा, परिवार से विवाद संभव है, कार्यस्थल पर ध्यान दें।

कर्क : मन किसी बात से विचलित रहेगा, धन अधिक खर्च होगा, सेहत प्रभावित होगी, मित्रों से मिलेंगे।

सिंह : संपत्ति के काम होंगे। मांगलिक प्रसंग आएंगे, स्वास्थ्य ठीक रहेगा, कोई सम्मान मिल सकता है।

कन्या : काम पूरे करने के लिए दौड़भाग रहेगी, करियर में ग्रोथ आएगी, धन आएगा, संपत्ति सुख मिलेगा।

तुला : कार्यस्थल पर तनाव महसूस होगा। विवाद होगा, धन तंगी रहेगी। स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।

वृश्चिक : संतान के कार्यों पर नजर रखें, किसी को पैसा उधार न दें, अचानक यात्राएं हो सकती हैं।

धनु : आर्थिक लाभ होगा, वाहन सुख मिलेगा, समाज में सम्मान मिलेगा, परिवार से संबंध सुधरेंगे।

मकर : मानसिक शांति रहेगी, दौड़भाग थमेगी, पद और पैसे में वृद्धि होगी, प्रेम संबंध मजबूत होंगे।

कुंभ : रोग दूर होंगे, मन प्रसन्न रहेगा, आज सारे काम सफल होंगे, नए काम प्रारंभ कर सकते हैं।

मीन : धन आएगा, मानसिक शांति रहेगी, धार्मिक यात्राएं कर सकते हैं, युवाओं को नई नौकरी मिलेगी।

आज का टोटका
आज गुरुवार के दिन अपने कार्यों में सफलता प्राप्त करने के लिए पीले कागज का पंचकोणीय टुकड़ा काटकर अपने पर्स में रखें। धन आएगा, सम्मान मिलेगा, सुख-संपत्ति प्राप्त होगी।

शनि हो रहा मार्गी, संकटों से बचना है तो करें ये उपाय


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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मनुष्य को उसके अच्छे-बुरे कर्मों का फल देने वाला ग्रह शनि 15 नवंबर 2024 शुक्रवार को सायं 7:51 बजे मार्गी होने जा रहे हैं। शनि 30 जून 2024 को वक्री हुआ था। 139 दिनों तक वक्री रहने के बाद शनि अब मार्गी हो रहा है। शनि के मार्गी हो जाने के कारण कुछ राशियों को लाभ होगा तो कुछ राशि के जातकों की परेशानी बढ़ सकती है।

साढ़ेसाती और अन्य राशि वालों पर प्रभाव
शनि वर्तमान में कुंभ राशि में गोचर कर रहा है। इसलिए मकर पर साढ़ेसाती का अंतिम ढैया, कुंभ पर दूसरा ढैया और मीन राशि पर साढ़ेसाती का पहला ढैया चल रहा है। कर्क और वृश्चिक राशि पर लघु ढैया चल रहा है। शनि के मार्गी होने से साढ़ेसाती और लघु ढैया वाले जातकों की परेशानी कुछ कम होगी। जो काम अब तक अटके हुए थे वे आगे बढ़ने लगेंगे। धन आएगा। रोग मुक्ति होगी। अन्य राशि के जातकों को भी उनकी कुंडली में शनि की स्थिति के अनुसार शुभाशुभ फल प्राप्त होंगे।
(राशियों के बारे में विस्तृत जानकारी हम अगली पोस्ट में देंगे।)

कैसे बचें साढ़ेसाती के दुष्प्रभाव से
मकर, कुंभ और मीन राशि के जातकों को काले घोड़े की नाल से बना छल्ला अपनी मध्यमा अंगुली में धारण करना चाहिए। इससे साढ़ेसाती के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलेगी। काले घोड़े की नाल से बना छल्ला न मिले तो नाव की कील से बना छल्ला भी उपयोग में लिया जा सकता है।

शनिवार के दिन शनि मंदिर में बैठकर शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। ऊं शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप रुद्राक्ष या काले हकीक की माला से करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।

पीपल के पेड़ की पूजा शनिवार को करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। शनिवार के दिन दोपहर 12 बजे से पूर्व पीपल के पेड़ में कच्चे दूध में काले तिल मिलाकर अर्पित करें। सायंकाल उसी पीपल के पेड़ के नीचे आटे के सात दीपक लगाएं। इससे शनि दोष शांत होगा।

शनिवार के दिन हनुमानजी को चमेली के तेल से सिंदूर का चोला चढ़ाकर हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। हनुमान जी को देसी घी के हलवे का नैवेद्य लगाने से शनि की शांति होती है।

शनिवार के दिन घर में लोबान की धूप लगाना चाहिए। जिन लोगों को शनि की साढ़ेसाती और ढैया है उन्हें तो विशेष रूप से यह प्रयोग करना ही चाहिए।

यदि किसी जातक की कुंडली में शनि वक्री, नीच राशि में या चौथे-आठवें-बारहवें भाव में है तो उन्हें मार्गी होने के अनेक दुष्परिणाम देखने पड़ सकते हैं। धन हानि, करियर में बाधा, रोग, विवाद जैसी स्थितियां बन सकती हैं। इनसे बचने के लिए हनुमानजी की नित्य आराधना करना आवश्यक है।