कैसा रहेगा आज का दिन 12 नवंबर 2024 मंगलवार


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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12 नवंबर 2024 मंगलवार
विक्रम संवत : 2081
शालिवाहन वाहन शके : 1946
मास : कार्तिक शुक्ल पक्ष

तिथि : एकादशी सायं 4:04 तक
नक्षत्र : पूर्वाभाद्रपद प्रात: 7:51 तक पश्चात उत्तराभाद्रपद

दिन का चौघड़िया
लाभ : प्रात: 10:48 से दोप 12:11
अमृत : दोप 12:11 से 1:34
अभिजित : प्रात: 11:49 से दोप 12:33
प्रदोषकाल : सायं 5:42 से रात्रि 8:19

रात्रि का चौघड़िया
लाभ : सायं 7:20 से रात्रि 8:57

आज विशेष : देवोत्थान एकादशी
आज का शुभ अंक : 3
आज का शुभ रंग : लाल, पीला
आज के पूज्य : मां दुर्गा
आज का मंत्र : ऊं दुं दुर्गाये नम:

आज का राशिफल
मेष : दिन सफलतादायक रहेगा। आर्थिक लाभ होगा। संपत्ति सुख मिलेगा। स्वास्थ्य में सुधार आएगा।

वृषभ : धन की तंगी दूर हो जाएगी। उधार दिया पैसा लौट आएगा। प्रेम संबंधों में मजबूती आएगी।

मिथुन : परिवार में आनंदोत्सव होगा। स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आज आर्थिक संकटों से निजात मिल जाएगी।

कर्क : संबंधों को लेकर सतर्क रहें। किसी बात पर क्रोध न करें। अनावश्यक विवाद सामने आ सकते हैं।

सिंह : धन तंगी दूर होगी। संपत्ति सुख मिलेगा। स्वास्थ्य लाभ मिलेगा। करियर की चिंता दूर होने वाली है।

कन्या : मानसिक तनाव दूर होगा। काम सुगमता से होंगे। नौकरी और व्यवसाय में लाभ होने वाला है।

तुला : स्वास्थ्य ठीक रहेगा। परिवार में आनंदोत्सव होगा। आर्थिक लाभ होगा। प्रेम संबंधों में मजबूती आएगी।

वृश्चिक : कर्ज मुक्ति होगी। परिवार के साथ मनोरंजक यात्रा पर जाएंगे। स्वास्थ्य में सुधार होगा। प्रेम प्रगाढ़ होगा।

धनु : प्रेम प्रस्ताव मिलेगा। पैसा आएगा। युवाओं को नौकरी मिलेगी। नए काम प्रारंभ करने के लिए दिन ठीक है।

मकर : मन प्रसन्न रहेगा। मित्रों से मुलाकात होगी। पारिवारिक कार्यों पर खर्च करेंगे। स्वास्थ्य में सुधार आएगा।

कुंभ : दिन मंगलमय है। शारीरिक-मानसिक तनाव कम होंगे। प्रियजनों से मुलाकात होगी। प्यार-पैसा मिलेगा।

मीन : पद और पैसा मिलेगा। युवा नए स्टार्टअप में पैसा लगाएंगे। यात्रा होगी। प्रेमी-प्रेमिका की मुलाकात होगी।

आज का टोटका
आज लाल चंदन का तिलक अपने मस्तक और कंठ पर लगाएं। लाल पुष्प हनुमान जी या माता दुर्गा को अर्पित करें। गुड़-चने का नैवेद्य लगाएं। आज के दिन शिवलिंग पर लाल मसूर की दाल अर्पित करने से आर्थिक संकट दूर होंगे।

कैसा रहेगा आज का दिन : 11 नवंबर 2024 सोमवार


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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11 नवंबर 2024 सोमवार
विक्रम संवत : 2081
शालिवाहन वाहन शके : 1946
मास : कार्तिक शुक्ल पक्ष

तिथि : दशमी सायं 6:46 तक पश्चात एकादशी
नक्षत्र : शतभिषा प्रात: 9:39 तक

दिन का चौघड़िया
अमृत : प्रात: 6:38 से 8:01
शुभ : प्रात: 9:25 से 10:48
चर : दोप 1:34 से 2:57
लाभ : दोप 2:57 से सायं 4:20
अमृत : सायं 4:20 से 5:43
अभिजित : प्रात: 11:48 से दोप 12:33
प्रदोषकाल : सायं 5:43 से रात्रि 8:19

रात्रि का चौघड़िया
चर : सायं 5:43 से 7:20

आज विशेष :
आज का शुभ अंक : 2
आज का शुभ रंग : सफेद, पिंक
आज के पूज्य : श्री कृष्ण
आज का मंत्र : कृं कृष्णाय नम:

आज का राशिफल
मेष : दिन शुभ है। काम सफल होंगे। पैसा आएगा। परिवार में मेहमान आएंगे। रिश्तों में सुधार आएगा।
वृषभ : विवादों से बचें। दिन सामान्य है। अटके काम चल पड़ेंगे। धन आएगा, खर्च भी होता जाएगा।
मिथुन : स्वास्थ्य का ध्यान रखें। सामाजिक दायित्व बढ़ेंगे। धन आएगा, संपत्ति के मामले सुलझेंगे।
कर्क : कामकाज में सफलता मिलेगी, नए काम प्रारंभ करेंगे। अचानक यात्राएं करनी पड़ सकती हैं।
सिंह : मांगलिक प्रसंगों में जाएंगे। आध्यात्मिकता में रुचि होगी। नौकरी और करियर की चिंता दूर होगी।
कन्या : मन प्रसन्न रहेगा। पैसा आएगा और निवेश करेंगे। दांपत्य में मजबूती आएगी। नौकरी मिलेगी।
तुला : प्रेम प्रस्ताव मिलेगा। आर्थिक संकट कम होगा। काम में तेजी आएगी। आज यात्राएं हो सकती है।
वृश्चिक : रोग दूर होंगे। परिवार में मेहमान आएंगे। दोस्तों से मुलाकात होगी। धन का संकट दूर हो जाएगा।
धनु : नए काम प्रारंभ होंगे। प्रेम संबंध मजबूत होंगे। रोग दूर होंगे। करियर की चिंता दूर होगी। सम्मान मिलेगा।
मकर : यात्राएं होंगी। परिजनों से मिलना होगा। सेहत अच्छी रहेगी। मन प्रसन्न रहेगा। पैसे की तंगी दूर होगी।
कुंभ : धन का संकट कम होगा। मन में काम करने की उत्सुकता रहेगी। स्वास्थ्य में सुधार आएगा।
मीन : स्वास्थ्य ठीक रहेगा। परिवार से मिलना होगा। दांपत्य जीवन मधुर रहेगा। धन की तंगी दूर होने वाली है।

आज का टोटका
आज सभी राशि के जातक शिवजी के मंदिर जाएं और उन्हें पांच बिल्व पत्र और एक जनेऊ अर्पित करें। अपनी समस्या कहें और वहीं बैठकर शिव चालीसा का पाठ करें। संकट दूर होंगे।

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देवउठनी एकादशी से प्रारंभ हो जाएंगे विवाह, ये हैं मुहूर्त


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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देवउठनी एकादशी पर 12 नवंबर 2024 मंगलवार को श्रीहरि विष्णु के योग निद्रा से जाग जाने के साथ ही मांगलिक कार्यों पर लगा प्रतिबंध हट जाएगा और वैवाहिक आयोजन प्रारंभ हो जाएंगे। देवउठनी एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी, देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। इन दिन तुलसी विवाह के आयोजन भी होते हैं। मंदिरों- घरों में गन्ने से आकर्षक मंडप सजाकर उसमें तुलसी-शालिग्राम का विवाह करवाया जाता है। इसके साथ ही मनुष्यों के लिए भी वैवाहिक आयोजन प्रारंभ हो जाते हैं। देवउठनी एकादशी अबूझ मुहूर्त होता है इसलिए इस दिन बड़ी संख्या में निजी और सामूहिक विवाह के कार्यक्रम होते हैं।

यहां हम पाठकों की सुविधा के लिए नवंबर से मार्च तक के विवाह मुहूर्त प्रस्तुत कर रहे हैं। ये शुद्ध वैवाहिक मुहूर्त हैं। भावी वर-वधु के नाम की राशि से विवाह के मुहूर्त निकलवाने के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते हैं।

नवंबर में विवाह मुहूर्त
16 नवंबर शनिवार, मार्गशीर्ष कृष्ण प्रथम
22 नवंबर शुक्रवार, मार्गशीर्ष कृष्ण सप्तमी
26 नवंबर मंगलवार, मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी
27 नवंबर बुधवार, मार्गशीर्ष कृष्ण द्वादशी

दिसंबर में विवाह मुहूर्त
5 दिसंबर गुरुवार, मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्थी
6 दिसंबर शुक्रवार, मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी-षष्ठी
7 दिसंबर शनिवार, मार्गशीर्ष शुक्ल षष्ठी
14 दिसंबर शनिवार, मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्दशी

जनवरी 2025 में विवाह मुहूर्त
16 जनवरी गुरुवार, माघ कृष्ण तृतीया
17 जनवरी शुक्रवार, माघ कृष्ण चतुर्थी
22 जनवरी बुधवार, माघ कृष्ण अष्टमी

फरवरी 2025 में विवाह मुहूर्त
3 फरवरी सोमवार, माघ शुक्ल षष्ठी
4 फरवरी मंगलवार, माघ शुक्ल सप्तमी
7 फरवरी शुक्रवार, माघ शुक्ल दशमी
13 फरवरी गुरुवार, फाल्गुन कृष्ण प्रतिपदा
18 फरवरी मंगलवार, फाल्गुन कृष्ण षष्ठी
20 फरवरी गुरुवार, फाल्गुन कृष्ण सप्तमी
21 फरवरी शुक्रवार, फाल्गुन कृष्ण अष्टमी
25 फरवरी मंगलवार, फाल्गुन कृष्ण द्वादशी

मार्च 2025 में विवाह मुहूर्त
5 मार्च बुधवार, फाल्गुन शुक्ल षष्ठी
6 मार्च गुरुवार, फाल्गुन शुक्ल सप्तमी

विशेष :
15 दिसंबर 2024 से 14 जनवरी 2025 तक धनु मलमास रहने से विवाह नहीं होंगे।
19 मार्च 2025 से 23 मार्च 2025 तक चार दिन शुक्र अस्त रहने से विवाह नहीं होंगे।
14 मार्च 2025 से 14 अप्रैल 2025 तक मीन मलमास रहने से विवाह नहीं होंगे।

मंगलवार को करें यह काम, खुल जाएगी किस्मत


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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यदि आप संकटों से घिरे हुए हैं, जी-जान से मेहनत करने के बाद भी धन नहीं आ रहा है, कर्ज में डूबते जा रहे हैं, रोग आपको या आपके परिवार को घेरे हुए है, बार-बार दुर्घटना हो रही है तो मंगलवार के दिन आपको ये उपाय अवश्य करने चाहिए।

अष्टसिद्धि, नवनिधि के दाता हनुमानजी महाराज स्मरण करने मात्र से किसी न किसी रूप में प्रकट होकर आपकी समस्याओं का समाधान अवश्य करते हैं। मंगलवार हनुमानजी का सबसे प्रिय दिन होता है, क्योंकि इसी दिन उनका जन्म हुआ था। मंगलवार को हनुमानजी से जुड़े उपाय करने से, उनकी विशेष पूजा करने से, उनके मंत्रों का जाप करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और किसी न किसी रूप में आपकी समस्या का हल प्रदान करते हैं। आइए जानते हैं हनुमानजी को प्रसन्न करने के उपाय-

मंगलवार के दिन किसी ऐसे हनुमान मंदिर का चयन करें जो निर्जन स्थान में, जंगल में या शहर-गांव की सीमा से बाहर हो। ऐसे मंदिर में जाकर वहां साफ-सफाई करें। हनुमानजी को चमेली के तेल में घोलकर सिंदूर का चोला चढ़ाएं। उन्हें सुंदर लाल रंग की लंगोट पहनाएं। उत्तरीय वस्त्र पहनाएं। जनेऊ धारण करवाएं। आकर्षक श्रृंगार करें। चमेली के फूलों की माला पहनाएं। मीठे पान का बीड़ा भेंट करें। गुड़-चने का नैवेद्य लगाएं, श्रीफल अर्पित करें। फिर उसी मंदिर में बैठकर सात बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। इसके बाद उनसे अपने अभीष्ट कामना की पूर्ति का अनुरोध करें और फिर कर्पूर से आरती करें। आपकी सारी समस्याओं का समाधान सात दिन के अंदर हो जाएगा।

मंगलवार के दिन सिद्ध हनुमान कड़ा धारण करें। यह कड़ा पंचधातु से बना हुआ होना चाहिए। इस कड़े को हनुमानजी के चरणों में रखकर ऊं हं हनुमते नम: मंत्र की 11 माला से सिद्ध करें। मंगलवार के दिन इसे पहनने से आपके सारे संकट दूर हो जाएंगे। धन, संपत्ति, सुख, सम्मान, निरोगी शरीर की प्राप्ति होती है।

मंगलवार के दिन हनुमान यंत्र की स्थापना घर में करना चाहिए। यह यंत्र पंचधातु में बना हुआ होना चाहिए। इस यंत्र को घर के पूजा स्थान में रखकर इसका नित्य दर्शन-पूजन करने से सारे संकट दूर हो जाते हैं।

मंगलवार के दिन एक पानी वाला नारियल लें। इस पर सिंदूर से श्री राम लिखें। इसे आंकड़े के पत्तों में लपेटें और ऊपर से मौली से बांध दें। इस नारियल को हनुमानजी के चरणों में रखें और अपनी समस्याओं का समाधान करने की प्रार्थना करें। इसके बाद इस नारियल को ले जाकर नदी में विसर्जित कर आएं। नदी न हो तो तालाब, कुएं, बावड़ी में डाल आएं।

3 नवंबर को बंद हो जाएंगे केदारनाथ धाम के पट


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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12 ज्योतिर्लिंगों में से एक जन-जन की आस्था के केंद्र विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट 3 नवंबर 2024 को प्रात: ठीक 8:30 बजे बंद कर दिए जाएंगे। प्रतिवर्ष शीतकाल के दौरान मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। केदारनाथ धाम के कपाट छह महीने के लिए बंद किए जाते हैं। इसके बाद अप्रैल-मई में पुन: कपाट खोले जाते हैं।

शनिवार को विशेष पूजा अर्चना के बाद केदारबाबा की पंचमुखी डोली को मंदिर में विराजमान किया गया। केदारनाथ में कपाट बंद होने के कारण आगामी छह महीने की पूजा अर्चना एवं भोले बाबा के दर्शन ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में होते हैं।

क्या रहेगी योजना
3 नवंबर भाईदूज के अवसर पर परंपरानुसार रात्रि 2 बजे से 3:30 बजे तक भक्तों को जलाभिषेक करने की अनुमति रहेगी। इसके बाद गर्भगृह की साफ सफाई करने के बाद तड़के 4:30 बजे बाबा केदारनाथ को पूजा अर्चना, अभिषेक एवं आरती करने के साथ ही भोग लगाया जाएगा। इसके बाद समाधि पूजा करने के बाद भगवान को छह महीने की समाधि दी जाएगी। प्रात: ठीक 6 बजे गर्भगृह के कपाट बंद कर दिए जाएंगे और सभामंडप में स्थापित बाबा केदार की पंचमुखी डोली के सुबह 8:30 बजे मंदिर से बाहर आने के बाद पौराणिक विधिविधान के साथ मंदिर के मुख्य कपाट के साथ ही पीछे के कपाट को बंद कर सील कर दिया जाएगा।

रामपुर में पहला पड़ाव
केदारनाथ से रवाना होगा इसी दिन बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली रात्रि प्रवास के लिए अपने पहले पड़ाव रामपुर पहुंचेगी। 4 नवंबर को डोली रामपुर से प्रातः प्रस्थान कर फाटा, नारायकोटी होते हुए रात्रि विश्राम के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। 5 नवंबर को चल-विग्रह डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी से प्रस्थान कर 11 बजकर 20 बजे अपने शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी। पूर्व परंपरा के अनुसार अपने गद्दी स्थल पर डोली को विराजमान किया जाएगा।

खास बात
केदारनाथ मंदिर उत्तरी भारत के पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है, जो समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है। इस क्षेत्र का ऐतिहासिक नाम “केदार खंड” है। केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड में चार धाम और पंच केदार का एक हिस्सा है और भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

2025 में कब खुलेंगे कपाट
केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई 2025 को प्रात: 4 बजकर 15 मिनट पर मेष लग्न में खोले जाएंगे।

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अष्टमी, नवमी पूजन कब करें, दशहरा कब मनाएं

आश्विन मास की शारदीय नवरात्रि में इस बार चतुर्थी तिथि में वृद्धि के कारण आम जनमानस में अष्टमी-नवमी पूजन को लेकर भारी भ्रम बना हुआ है। अष्टमी-नवमी ऐसे दिन होते हैं जब घरों में कुलदेवी का पूजन किया जाता है। इस बार चतुर्थी तिथि दो दिन होने के कारण आगे की दो तिथियां संयुक्त हो गई हैं। इस लेख में आपको सटीक और सही शास्त्र सम्मत जानकारी दी जा रही है। पढ़ें और लाभ लें तथा इसे आगे भी प्रसारित करना न भूलें।

इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होकर 11 अक्टूबर 2024 आश्विन शुक्ल नवमी तक रहेंगे। अब इस बार सबसे ज्यादा भ्रम की स्थिति अष्टमी और नवमी पूजन को लेकर है। कई लोग 10 अक्टूबर को अष्टमी पूजन कर रहे हैं तो कई लोग 11 अक्टूबर को अष्टमी पूजन करेंगे।

पंचांगों के अनुसार 10 अक्टूबर को अष्टमी तिथि दोपहर 12 बजकर 32 मिनट से प्रारंभ होकर 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 06 मिनट तक रहेगी। शास्त्रों में सप्तमी युक्त अष्टमी तिथि में कुलदेवी पूजन निषेध बताया गया है। इसलिए 10 अक्टूबर को कुलदेवी पूजन नहीं किया जाएगा। इस दिन भद्रा भी रहेगी।

11 अक्टूबर को सूर्योदय के समय अष्टमी तिथि रहेगी और दोपहर 12:06 से नवमी लग जाएगी। इसलिए कुलदेवी का पूजन नवमी युक्त अष्टमी तिथि में 11 अक्टूबर को ही करें। नवमी युक्त अष्टमी तिथि में कुलदेवी का पूजन करना सर्वसुखदायक और श्रेष्ठ रहेगा।

अब यहां प्रश्न यह उठता है कि अनेक लोग सायंकाल में नवमी पूजन करते हैं। तो उनके लिए उत्तर यह है कि जो लोग सायंकाल में नवमी पूजन करते हैं वे 11 अक्टूबर को ही सायंकाल में नवमी पूजन कर लें। जो लोग प्रात:काल में नवमी पूजन करते हैं वे 12 अक्टूबर को प्रात: नवमी का कुलदेवी पूजन करें और कन्या भोजन, हवन, नवरात्रि पूजन आदि 12 अक्टूबर को प्रात: ही करें।

दशहरा कब
12 अक्टूबर को नवमी तिथि प्रात: 10:57 बजे तक रहेगी। इसके बाद दशमी लग जाएगी। इसलिए दशहरा विजयादशमी 12 अक्टूबर
को ही मनाया जाएगा।

प्रमुख तारीखें
11 अक्टूबर शुक्रवार- अष्टमी पूजन, सायंकाल नवमी पूजन
12 अक्टूबर शनिवार- प्रात:काल नवमी पूजन, कन्या पूजन, हवन आदि और सायंकाल में दशहरा

तिथि कब तक
11 अक्टूबर- अष्टमी दोपहर 12:06 बजे तक, पश्चात नवमी
12 अक्टूबर- नवमी प्रात: 10:57 बजे तक, पश्चात दशमी

यह समस्त जानकारी पंचांगों को शास्त्रों के आधार पर है। अत: किसी भी प्रकार का भ्रम न रखें।

दो दिन का भ्रम न पालें, आनंदपूर्वक दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनाएं

दीपावली मनाने को लेकर इस बार देशभर में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। दीपावली का पूजन 31 अक्टूबर को किया जाए या 1 नवंबर को इसे लेकर विद्वानों में मतभेद हैं। अधिकांश विद्वान 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने के पक्ष में हैं तो कुछ 1 नवंबर को मनाने की बात कह रहे हैं। पाठकों को किसी भ्रम में नहीं रहना चाहिए। आनंदपूर्वक, उल्लास के साथ पूर्ण भक्तिभाव सहित 31 अक्टूबर को ही दीपावली का पर्व मनाएं।

शास्त्रीय मान्यता और परंपरा है कि महालक्ष्मी का पूजन कार्तिक अमावस्या की रात्रि में महानिशिथ काल में किया जाता है। अमावस्या तिथि का प्रारंभ 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट से होगा और समापन 1 नवंबर को सायं 6 बजकर 16 मिनट पर होगा। चूंकि महालक्ष्मी पूजन अमावस्या तिथि में ही करने की शास्त्रीय मान्यता है और यह तिथि 31 अक्टूबर को ही मध्यरात्रि में मिल रही है इसलिए इसी दिन दीपावली पूजन करना श्रेष्ठ रहेगा।

प्रदोष काल दोनों दिन किंतु अमावस्या 31 को ही
महालक्ष्मी पूजन का मुहूर्त देखने के लिए प्रदोष काल महत्वपूर्ण होता है। प्रदोष काल 31 अक्टूबर और 1 नवंबर दोनों दिन मिल रहा है किंतु 1 नवंबर को महानिशिथ काल में अमावस्या तिथि नहीं रहेगी, प्रतिपदा लग जाएगी। जबकि 31 अक्टूबर को प्रदोष काल और अमावस्या तिथि दोनों मिल रहे हैं इसलिए दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनाना शास्त्रीय रहेगा। 31 अक्टूबर को प्रदोष काल सायं 5:48 से रात्रि 8:32 बजे तक रहेगा और महानिशिथ मुहूर्त रात्रि 11:45 से 12:36 तक रहेगा। इस समय में महालक्ष्मी पूजन करना सर्वश्रेष्ठ और सर्वसिद्धिदायक रहेगा।

कहां-कहां कब दीपावली
कालगणना के प्रमुख केंद्र भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन, दतिया, काशी, मथुरा, वृंदावन, देवघर, द्वारिका, प्रयागराज, तिरुपति समेत देश के अधिकांश भागों में दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनाई जा रही है। जबिक अयोध्या, रामेश्वरम और इस्कान मंदिरों में दीपावली 1 नवंबर को मनाई जाएगी। भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर में भी 31 अक्टूबर को ही दीपावली बताई गई है।

31 अक्टूबर को क्यों मनाई जाए दीपावली
– दीपावली का त्योहार और महालक्ष्मी पूजन कार्तिक अमावस्या के प्रदोष काल और महानिशिथ काल में ही किया जाता है। ये दोनों काल केवल 31 अक्टूबर को ही मिल रहे हैं।
– अमावस्या तिथि में महालक्ष्मी पूजन किया जाता है और यह तिथि 31 अक्टूबर को ही मिल रही है। 1 नवंबर को सायंकाल 6:16 से कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा लग जाएगी। प्रतिपदा में लक्ष्मी पूजन नहीं किया जाता है।
– महालक्ष्मी पूजन में रात्रि में अमावस्या होना आवश्यक है। दीपावली पूजन में उदया तिथि को मान्यता नहीं है। इस कारण दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनाई जाना शास्त्र सम्मत है।

मंगलदायक रहेगा चित्रा-स्वाति नक्षत्र और प्रीति योग में पूजन
महालक्ष्मी का पूजन चित्रा-स्वाति नक्षत्र के संयोग और प्रीति योग की साक्षी में 31 अक्टूबर की रात्रि में करना अत्यंत शुभ और श्रेष्ठ रहेगा। चित्रा नक्षत्र रात्रि 12:45 तक रहेगा उसके बाद स्वाति नक्षत्र प्रारंभ होगा और प्रीति योग 31 अक्टूबर को प्रात: 9:50 से प्रारंभ होकर संपूर्ण दिन-रात रहेगा।

कब कौन-से पर्व
29 अक्टूबर : धनतेरस
30 अक्टूबर : नरक चतुर्दशी
31 अक्टूबर : दीपावली, महालक्ष्मी पूजन

क्यों आ रहे हैं इतने हार्ट अटैक? कहीं हथेली में तो राज छुपा नहीं

सावधान रहिए, सतर्क रहिए आजकल कम उम्र में हार्ट अटैक के मामले बढ़ते जा रहे हैं। चलते-चलते, अच्छे भले काम करते हुए, गाड़ी चलाते हुए लोगों को हार्ट अटैक आ रहे हैं। ऐसी गंभीर घटनाओं का कारण मनुष्य की हथेली में छुपा हुआ है। यदि सूक्ष्मता से अध्ययन करेंगे तो पता चलेगा ऐसी घटनाएं हथेली में किसी खास चिन्ह की वजह से हो रही है। आइए आज हम इसी बात पर विचार करते हैं।

कहां होती है हृदय रेखा
हथेली में जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा के ऊपर हृदय रेखा होती है। हृदय रेखा बुध पर्वत के नीचे से निकलकर सूर्य पर्वत और शनि पर्वत से होती हुई गुरु पर्वत के नीचे समाप्त होती है।

क्यों आते हैं अटैक

– यदि हृदय रेखा बुध पर्वत के नीचे से निकलकर काफी पतली हो और शनि पर्वत के नीचे जाकर अचानक मोटी और गहरी हो गई हो तो व्यक्ति की मृत्यु हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट से होती है।

– यदि मस्तिष्क रेखा मणिबंध तक पहुंचकर उसे स्पर्श करती हो तो भी हृदयाघात से मनुष्य की मृत्यु होती है। इसे आकस्मिक मृत्यु योग भी कहते हैं।

– यदि हृदय रेखा चलते चलते सूर्य पर्वत के नीचे टूट जाए और उसके बाद पुन: प्रारंभ हो जाए तो ऐसे जातक को ब्लड प्रेशर के कारण हृदय रोग होते हैं और नींच में ही उसकी आकस्मिक मृत्यु हो जाती है।

– यदि हृदय रेखा शनि पर्वत को स्पर्श करती हो तथा साथ ही मस्तिष्क रेखा के बीच में क्रॉस का चिन्ह हो और जीवन रेखा भी कटी फटी हो तो मनुष्य की मृत्यु हृदय के गंभीर रोगों की वजह से होती है।

– यदि हृदय रेखा पर शनि पर्वत के नीचे गहरा क्रॉस हो तो मनुष्य के हृदय की बायपास सर्जरी होती है।

बच सकते हैं हृदय रोगों से

… तो बारीकी से अपने दोनों हाथों की हथेलियों का अध्ययन करें और देखें कि कहीं आपको भी तो ऐसे चिन्ह नहीं। यदि हैं तो आज से ही अपनी लाइफ स्टाइल को सुधार लें। स्वस्थ और अच्छा खानपान रखें, नियमित रूप से योग-व्यायाम करें। अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार अधिक से अधिक पैदल चलने का प्रयास करें। नियमित रूप से कम से कम 10 हजार कदम चलना ही चाहिए। यदि ये उपाय अपनाएंगे तो आपके हाथ की रेखाएं बदल भी सकती हैं और आप दीर्घायु होंगे।