अंधेरी रात में इन जगहों पर लगाएं दीपक, कुबेर बरसाएंगे धन


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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देवताओं के कोषाध्यक्ष और धनपति यक्षराज कुबेर का पूजन कभी दिन में नहीं किया जाता है। कुबेर का पूजन रात्रि में ही किया जाता है। इसलिए कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अंधेरी रातों में धनतेरस से लेकर दीपावली तक रात्रि में लक्ष्मी और कुबेर पूजन किया जाता है। धनतेरस की रात्रि में तो विशेष रूप से कुबेर का पूजन किया जाता है।

शास्त्रों में कुछ दीपदान का बड़ा महत्व बताया गया है और यह दीपदान भी ऐसी जगह पर किया जाता है जहां पूर्ण अंधेरा रहता हो। यदि आप कुबेर को प्रसन्न करना चाहते हैं तो धनतेरस की रात्रि में दीप प्रज्वलित करने के उपाय अवश्य करने चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है कि धनतेरस की रात्रि में जिस जगह रोशनी होती है। दीपों का उजास होता है वहां कुबेर की दृष्टि पड़ती है और वे उस स्थान को अपने स्वर्णिम आलोक से प्रकाशित कर देते हैं। अर्थात् उस स्थान पर वे अपनी कृपा बरसाते हैं।

निर्जन स्थान के शिव मंदिर में
रात्रि में शिव मंदिर में दीप लगाने का बड़ा महत्व बताया गया है। शिव महापुराण में वर्णन आया है कि ऐस शिव मंदिर जो निर्जन स्थान पर हो, जो वन में हो, जहां कई-कई दिनों तक कोई आता-जाता न हो, उस शिव मंदिर में धनतेरस की रात्रि में अखंड दीप प्रज्वलित करना चाहिए। इससे कुबेर बहुत प्रसन्न होते हैं और उस मनुष्य के घर में धन के भंडार भर देते हैं।

पीपल वृक्ष के नीचे
पीपल के वृक्ष में साक्षात भगवान विष्णु का वास होता है। इसलिए धनतेरस की रात्रि में पीपल के पेड़ के नीचे अखंड दीपक लगाना चाहिए। उस दीपक में शुद्ध घी भरकर आलोकित करना चाहिए। इससे श्रीहरि विष्णु, माता लक्ष्मी और कुबेर तीनों की कृपा प्राप्त होती है। पीपल के नीचे दीपक लगाकर वापस आते समय पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए

चार रास्तों पर दीपक
धनतेरस की अंधियारी रात में गांव-शहर के बाहर कोई ऐसा स्थान देखें जहां चार रास्ते आकर मिलते हों। वहां मध्यरात्रि में दीपक लगाएं।

इन जगहों पर भी लगाएं दीपक
– धनतेरस की रात्रि में अपने घर में अखंड दीपक प्रज्वलित करें।
– घर की तिजोरी, दुकान का गल्ला, जहां आप अपना धन रखते हैं, स्वर्णाभूषण रखते हैं ऐसे स्थानों पर दीपक लगाएं।
– धनतेरस की रात्रि में कुएं की पाल पर आटे के सात दीपक बनाकर लगाएं इससे कुबेर की कृपा प्राप्त होती है।
– तुलसी, शमी, बरगद-नीम-पीपल की त्रिवेणी में दीपक लगाएं।

आज का पंचांग : 26 अक्टूबर 2024, शनिवार


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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आज कार्तिक कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि है। शनिवार का दिन है। हनुमानजी और शनिवार का दिन है। आज हनुमान मंदिर जाएं, दर्शन करें, हनुमानजी को गुड़ और चने का नैवेद्य लगाएं और मंदिर में बैठकर ही हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें। जिन लोगों को शनि की साढ़ेसाती चल रही है वे आज के दिन शनि मंदिर में बैठकर शनि स्तोत्र का पाठ करें। शनिदेव को पांच चीजें चढ़ाएं। एक काले कपड़े में काले उड़द, काले तिल, पीली सरसों और लोहा बांधकर चुपचाप शनिदेव के चरणों में रख आएं और पीड़ा से मुक्ति देने की प्रार्थना करें। मकर, कुंभ और मीन राशि के जातकों को यह उपाय अवश्य करना चाहिए।

विक्रम संवत : 2081
शालिवाहन वाहन शके : 1946
मास : कार्तिक कृष्ण पक्ष
ऋतु : हेमंत
अयन : दक्षिणायन

तिथि : दशमी दूसरे दिन प्रात: 5:23 तक
नक्षत्र : आश्लेषा प्रात: 9:44 तक
योग : शुक्ल दूसरे दिन प्रात: 5:56 तक
करण : वणिज सायं 4:18 तक पश्चात भद्रा

सूर्योदय : 6:29:25
सूर्यास्त : 5:51:22

चंद्रास्त : दोप 2:33
चंद्रोदय : रात्रि 2:02

आज की ग्रह स्थिति
सूर्य: तुला
चंद्र: कर्क, प्रात: 9:44 से सिंह में
मंगल : कर्क
बुध : तुला
गुरु : वृषभ, वक्री
शुक्र : वृश्चिक
शनि : कुंभ, वक्री
राहु : मीन
केतु : कन्या

दिन का चौघड़िया
शुभ : प्रात: 7:55 से 9:20
चर : दोप 12:10 से 1:36
अमृत : दोप 3:01 से सायं 4:26
अभिजित : प्रात: 11:48 से दोप 12:33
प्रदोष काल : सायं 5:51 से रात्रि 8:24

रात्रि का चौघड़िया
लाभ : सायं 5:51 से 7:26

त्याज्य समय
राहु काल : प्रात: 9:20 से 10:45
यम घंट : दोप 1:36 से 3:01

आज विशेष :
आज का शुभ अंक : 8
आज का शुभ रंग : काला, नीला, आसमानी
आज के पूज्य : हनुमानजी
आज का मंत्र : ऊं हं हनुमते नम:

धनतेरस : 29 अक्टूबर के पूजन मुहूर्त, विधि और योग


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस या धन त्रयोदशी मनाई जाती है। इसी दिन आयुर्वेद के देवता धनवंतरि समुद्र मंथन में से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस दिन उनकी जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष धनतेरस 29 अक्टूबर 2024 मंगलवार को मनाई जाएगी। इस दिन मंगलवार और त्रयोदशी का संयोग होने के कारण भौम प्रदोष का शुभ संयोग भी बना है। 29 अक्टूबर को त्रयोदशी तिथि प्रात: 10:32 से प्रारंभ होकर 30 अक्टूबर को दोपहर 1:14 बजे तक रहेगी। इसलिए धनतेरस की पूजा 29 अक्टूबर को सायंकाल में ही की जाएगी।

क्या खरीदें
धनतेरस के दिन स्वर्णाभूषण, वाहन, संपत्ति, भूमि-भवन, पीतल, तांबे, कांसे के बर्तन आदि खरीदे जाते हैं। 29 अक्टूबर को ऐंद्र योग रहेगा। इसलिए धनतेरस के दिन शुभ मुहूर्त में वस्तुओं की खरीदी अवश्य करें।

विशेष योग-संयोग
29 अक्टूबर को खरीदी के लिए पूरा दिन अत्यंत शुभ रहेगा। इस दिन भौम प्रदोष का संयोग होने से आभूषण, पीतल के बर्तन, सोना-चांदी खरीदना शुभ रहेगा। इस दिन सायं 5.49 से रात्रि 8.23 तक प्रदोष वेला रहेगी जिसमें धन का पूजन, बही खातों का लेखन-पूजन आदि करना चाहिए।

धनतेरस के पूजन मुहूर्त
सायं 7.25 से रात्रि 8.59 बजे तक
अवधि 1 घंटा 34 मिनट

प्रदोष काल मुहूर्त
सायं 5.49 से रात्रि 8.23 बजे तक
अवधि 2 घंटे 34 मिनट

वृषभ लग्न मुहूर्त
सायं 6:47 से रात्रि 8:45 बजे तक
अवधि 1 घंटा 58 मिनट

सिंह लग्न मुहूर्त
मध्य रात्रि 1:15 से 3:26
अवधि 2 घंटे 11 मिनट

धनतेरस पूजा विधि
धनतेरस के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर घर की साफ-सफाई करें। घर के बाहर भी आंगन को बुहारें। स्नानादि से निवृत्त होकर विभिन्न रंगों और फूलों से घर के मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर सुंदर सुंदर रंगोली सजाएं। रंगोली से देवी लक्ष्मी के चरण चिन्ह भी जरूर बनाएं। पूजा स्थान को भी साफ करके भी नियमित देवताओं का पूजन करें। धनतेरस की पूजा सायंकाल के समय की जाती है। प्रदोषकाल में या मुहूर्त काल में पूजा स्थान में उत्तर दिशा की ओर यक्षराज कुबेर और धनवंतरि की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इससे पहले भगवान गणेश और लक्ष्मी का पूजन भी करें। कुबेर को सफेद मिठाई या खीर का नैवेद्य लगाएं तथा धनवंतरि को पीली मिठाई का भोग लगाएं। पूजा में पीले-सफेद फूल, पांच प्रकार के फल अवश्य रखें।

व्यापारियों के लिए पूजा विधान
धनतेरस के दिन अपने प्रतिष्ठान, दुकान में साफ-सफाई करके नई गादी बिछाएं। जिस पर बैठकर नए बही खातों का पूजन करें। दुकान में लक्ष्मी और कुबेर का पूजन करें है। पूजा के पाने का भी पूजन किया जाता है।

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गुरु-पुष्य 24 अक्टूबर पर बना लक्ष्मीनारायण योग


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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महालक्ष्मी पूजा दीपावली से पूर्व हर साल पुष्य नक्षत्र आने की प्रतीक्षा रहती है। इस साल 24 अक्टूबर 2024 को गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र आने से गुरु-पुष्य का अत्यंत शुभ संयोग बना है। इस बार यह योग इसलिए भी अधिक प्रभावी है क्योंकि इस बार गुरु पुष्य के साथ धन संपदा के भंडार भर देने वाला लक्ष्मीनारायण योग भी बन रहा है। इसके साथ ही सर्वार्थसिद्धि और अमृत सिद्धि योग संयुक्त रूप से होने के कारण गुरु पुष्य के इस महायोग में वाहन, भूमि, भवन, संपत्ति, सोना-चांदी, आभूषण, रत्नों आदि की खरीदी करना अत्यंत शुभ और श्रेष्ठ रहेगा। इसलिए यदि आप धन संपदा में वृद्धि करना चाहते हैं तो इस दिन वस्तुओं की खरीदी अवश्य करें और जो आपके पास पहले से उपलब्ध है उनका पूजन अवश्य करें।

25 घंटे 24 मिनट रहेगा पुष्य
पंचांगों के अनुसार पुष्य नक्षत्र 24 अक्टूबर को सूर्योदय पूर्व प्रात: 6 बजकर 14 मिनट से प्रारंभ हो जाएगा जो 25 अक्टूबर को प्रात: 7: बजकर 38 मिनट तक रहेगा। इस प्रकार पुष्य नक्षत्र का संयोग संपूर्ण दिनरात मिलने वाला है। 25 घंटे 24 मिनट का पुष्य मा महामुहूर्त खरीदी आदि के लिए अत्यंत श्रेष्ठ रहेगा।

लक्ष्मीनारायण योग बना
इस बार गुरु पुष्य के संयोग के साथ लक्ष्मीनारायण योग भी बना है। लक्ष्मीनारायण योग अनेक प्रकार से बनता है। गोचर में जब बुध और शुक्र साथ आ जाएं तो लक्ष्मीनारायण योग बनता है। इसके साथ ही जब चंद्र और मंगल गोचर में एक ही राशि में साथ में आते हैं और चंद्र स्वराशि में हो तो भी लक्ष्मीनारायण योग बनता है। इसे लक्ष्मी योग भी कहा जाता है। इस बार गोचर में चंद्र और मंगल कर्क राशि में स्थित हैं और कर्क चंद्र की ही राशि है इसलिए यह योग धनप्रदायक है। 24 अक्टूबर को ही सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग भी संपूर्ण दिन रात मिलने वाला है।

गुरु पुष्य में खरीदी के महामुहूर्त

चौघड़िया अनुसार
चर : प्रात: 10:45 से 12:11
लाभ : दोप 12:11 से 1:36
अमृत : सायं 5:53 से 7:27
चर : सायं 7:27 से रात्रि 9:02
लाभ (मध्यरात्रि मुहूर्त) : रात्रि 12:11 से 1:45

अभिजित मुहूर्त
प्रात: 11:48 से दोप 12:33

प्रदोष काल मुहूर्त
सायं 5:53 से रात्रि 8:25

लग्न अनुसार मुहूर्त
वृश्चिक : प्रात: 8:14 से 10:30
कुंभ : दोप 2:22 से 3:55
वृषभ : सायं 7:07 से रात्रि 9:05
सिंह : मध्यरात्रि 1:34 से 3:36

लक्ष्मीनारायण योग में क्या करें
1. संपत्ति में वृद्धि और स्थायी संपत्ति की प्राप्ति के लिए लक्ष्मीनारायण योग में मां लक्ष्मी का पूजन अवश्य करें। सामान्य पूजन करें किंतु माता को लाल कमल या लाल गुड़हल का पुष्प अर्पित करें।
2. इस योग में सुंदरकांड का पाठ करना अत्यंत श्रेष्ठ होता है। इससे लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
3. इस दिन किसी अंधेरे कमरे के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व के मध्य) में घी का दीया लगाएं। दीये में एक पीली कौड़ी जरूर डालें
4. इस दिन अपने घर में रखे आभूषणों का पूजन करें।
5. एक मुट्ठी में थोड़े से पीले सरसों लेकर उसे अपने घर से उसारकर घर के बाहर फेंक दें इससे घर से दुर्भिक्षा और अभाव दूर हो जाता है।

आज का पंचांग : 23 अक्टूबर 2024, बुधवार


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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आज का दिन अत्यंत विशेष है। आज दोपहर 1 बजकर 16 मिनट तक भद्रा रहेगी, इसलिए यदि आप कोई काम प्रारंभ करना चाहते हैं या किसी शुभ कार्य के लिए प्रस्थान करना चाहते हैं तो थोड़ा ठहर जाएं। 1:16 बजे के बाद आप वो काम प्रारंभ करें या कहीं प्रस्थान करें तो लाभ होगा। आज पुनर्वसु नक्षत्र भी है। पुष्य से ठीक पहले आने वाले इस नक्षत्र का महत्व भी कुछ कम नहीं है। यह नक्षत्र स्थायित्व प्रदान करता है और इसमें प्रारंभ किए गए कार्य भी अपनी उचित नियती तक अवश्य पहुंचते हैं। आज बुधवार है और आज के दिन भगवान गणेशजी को दूर्वा अवश्य अर्पित करें, वे आपके सारे काम सफल करेंगे।

विक्रम संवत : 2081
शालिवाहन वाहन शके : 1946
मास : कार्तिक कृष्ण पक्ष
ऋतु : शरद
अयन : दक्षिणायन

तिथि : सप्तमी रात्रि 1:18 तक
नक्षत्र : पुनर्वसु दूसरे दिन प्रात: 6:14 तक
योग : शिव प्रात: 6:57 तक पश्चात सिद्ध
करण : विष्टि भद्र दोप 1:16 तक पश्चात बव

सूर्योदय : 6:27:58
सूर्यास्त : 5:53:31

चंद्रास्त : दोप 12:28
चंद्रोदय : रात्रि 11:14

आज की ग्रह स्थिति
सूर्य: तुला
चंद्र: मिथुन, रात्रि 12 से कर्क में
मंगल : कर्क
बुध : तुला
गुरु : वृषभ, वक्री
शुक्र : वृश्चिक
शनि : कुंभ, वक्री
राहु : मीन
केतु : कन्या

दिन का चौघड़िया
लाभ : प्रात: 6:28 से 7:54
शुभ : प्रात: 10:45 से दोप 12:11
चर : दोप 3:02 से सायं 4:28
लाभ : सायं 4:28 से 5:54
प्रदोष काल : सायं 5:54 से 7:29

रात्रि का चौघड़िया
शुभ : सायं 7:28 से रात्रि 9:02
अमृत : रात्रि 9:02 से 10:37

त्याज्य समय
राहु काल : दोप 12:11 से 1:36
यम घंट : प्रात: 7:54 से 9:19

आज विशेष :
आज का शुभ अंक : 5
आज का शुभ रंग : हरा, सफेद
आज के पूज्य : गणेशजी
आज का मंत्र : ऊं गणाध्यक्षाय नम:

क्यों आता है मोटापा? कौन-सा ग्रह है जिम्मेदार…


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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मोटापे को चाहे लाइफ स्टाइल से जुड़ा मान लें या अनियंत्रित खानपान की आदत के कारण होना, मोटापा जब भी आता है अपने साथ अनेक रोग लेकर आता है। मोटापे के कारण डायबिटीज, बीपी, कोलेस्ट्राल की समस्या होने लगती है जो जानलेवा भी हो सकती है। आजकल जिस तरह ये रोग बढ़ते जा रहे हैं उसको देखते हुए लोग अब अपनी हेल्थ के प्रति जागरूक हुए हैं और मोटापे से छुटकारा पाने के प्रयास भी कर रहे हैं, इसके लिए वे जिमिंग, एक्सरसाइज, योग आदि तरीके अपना रहे हैं लेकिन फिर भी अनेक लोग अपना वजन अधिक कम नहीं कर पा रहे हैं।

यदि तमाम उपाय करने के बाद भी आपका वजन कम नहीं हो रहा है और मोटापा बढ़ता ही जा रहा है तो एक बार अपनी जन्मकुंडली किसी अच्छे ज्योतिषी को दिखा लें। आपके मोटापे का सबसे बड़ा कारण आपकी कुंडली में छुपा हो सकता है।

मोटापे का कारण
वैदिक ज्योतिष के अनुसार मोटापे का कारक ग्रह गुरु होता है। जिस किसी जातक की कुंडली में गुरु ग्रह अत्यंत बलवान, सशक्त, शुभ ग्रहों से युक्त होता है, उसके साथ मोटापे की समस्या होती है। गुरु का सीधा आधिपत्य शरीर में चर्बी और खानपान की आदतों पर होता है। गुरु के मजबूत होने पर मनुष्य खानपान का शौकीन होता है और वह अच्छा बुरा सोचे बिना खाए चला जाता है। इससे मोटापा और चर्बी बढ़ती है। यदि गुरु अत्यंत खराब अवस्था में होता है तो मनुष्य की खानपान की आदतें बहुत अनियंत्रित और बिगड़ जाती है, इस कारण मोटापा भी बढ़ता जाता है।

मोटापे का दूसरा कारण चंद्र का दूषित होना भी है। चंद्र शरीर में जल तत्व को नियंत्रित करता है। अत्यधिक जल का सेवन करने वाला मनुष्य कभी मोटा नहीं होता यह बात मेडिकल साइंस भी कहता है लेकिन जिस जातक का चंद्र खराब होता है वह जल कम पीता है और खाता अधिक है। इसलिए मोटापा बढ़ता जाता है।

दुबला करने वाले ग्रह
मोटापे के विपरीत मनुष्य को दुबला करने वाले जिम्मेदार ग्रह मंगल और शनि हैं। जिस जातक का शनि अत्यंत मजबूत होता है वह स्लिम शरीर का मालिक होता है। ऐसा व्यक्ति हमेशा फिट और दुबला बना रहता है। उस पर कभी मोटापा नहीं चढ़ता। मंगल भी शरीर में रक्त का कारक ग्रह है। यदि मंगल ठीक है तो मनुष्य के शरीर में रक्त भी ठीक रहेगा और शुद्ध रक्त से कभी मोटापा नहीं होता।

मोटापा कम करने के उपाय
यदि मोटापा बढ़ता जा रहा है तो उसे नियंत्रित या कम करने के लिए ये उपाय आपको करने चाहिए। इसके लिए बृहस्पति यानी गुरु ग्रह को प्रसन्न करने के उपाय करने चाहिए।
1. एक पीला धागा अपनी दाहिनी कलाई और दाहिने पैर में बांधकर रखें।
2. सोने या पीतल का छल्ला दाहिने हाथ की तर्जनी अंगुली में धारण करें।
3. सोने की अंगूठी में सवा पांच कैरेट का पीला पुखराज धारण करें।
4. बृहस्पति यंत्र को घर में रखकर नित्य दर्शन पूजन करने से मोटापा कम होगा।
5. हल्दी की सात गांठ लेकर इन्हें प्रत्येक गुरुवार को केले के पेड़ की जड़ के नीचे दबा दें। ऐसा सात गुरुवार करें।