गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य
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शनि का मीन राशि में प्रवेश 29 मार्च 2025 को रात्रि 9 बजकर 41 मिनट पर होगा। शनि मीन राशि में 3 जून 2027 तक रहेगा। इन ढाई वर्षों में शनि की साढ़ेसाती का प्रथम चरण मेष राशि पर रहेगा, द्वितीय चरण मीन राशि पर रहेगा और अंतिम चरण कुंभ राशि पर रहेगा। सिंह और धनु राशि पर लघु कल्याणी ढैया चलेगा।
साढ़ेसाती वाली राशियों पर प्रभाव
मेष राशि : मेष राशि के जातकों को लोहे के पाये से मस्तक पर शानि की साढ़ेसाती का प्रथम ढैय्या प्रारंभ होगा। इस राशि के लिए शनि दसवें और ग्यारहवें स्थान का स्वामी होकर बारहवें स्थान में भ्रमण करेगा, जो शुभप्रद नहीं कहा जा सकता। शासन की तरफ से परेशानी, निरर्थक यात्राएं, व्यापार-व्यवसाय व नौकरी में अड़चनें, पारिवारिक क्लेश, आर्थिक क्षेत्र में उतार-चढ़ाव, अपव्यय, स्वयं, पति/पत्नी एवं संतान को शारीरिक कष्ट, भाग्य में कमजोरी तथा कर्जा (ऋण) लेने की स्थिति बनेगी। जन्मकालीन मंगल, शनि अथवा सूर्य पर से शनि का भ्रमण अत्यंत अरिष्टप्रद हो सकता है। आय के स्रोत में कमी आएगी, जन्मकुण्डली में शनि बलवान होगा तो उपर्युक्त अशुभ फलों में कमी आकर व्यावसायिक उन्नति, मित्रों से सहयोग तथा धनलाभ के योग बनेंगे।
उपाय : आपको हनुमानजी को अपना आराध्य बनाकर रखना होगा। नियमित दर्शन करें। अपने घर के मुख्य द्वार पर पंचमुखी हनुमान जी फोटो लगाएं। शनि का दुष्प्रभाव आपके घर में प्रवेश नहीं कर पाएगा।
मीन राशि : मीन राशि के जातकों को स्वर्ण पाद से शनि की साढ़ेसाती का दूसरा ढैय्या हृदय पर प्रारंभ होगा। मीन राशि के लिए शनि एकादश व द्वादश स्थान का स्वामी होकर प्रथम भाव में भ्रमण करने पर स्वास्थ्य में खराबी, नौकरी-धन्धे में उतार-चढ़ाव, कार्यों में रूकावट, स्वजनों का वियोग, स्थानांतर प्रवास योग, भागीदारी से हानि, नैराश्य भाव एवं पति/पत्नी को पीड़ा होगी, भाई-बहनों से मतभेद होंगे। जन्म का शनि श्रेष्ठप्रद होगा तो रूके हुए कार्य पूर्ण होंगे, आत्मबल में वृद्धि होगी, लाभकारी यात्राएं होगी और धनसुख का योग बनेगा। उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों के लिए शनि का यह ढैया चुनौतीपूर्ण रहेगा।
उपाय : श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु आपके आराध्य रहेंगे। इनकी पूजा और मंत्रों स्तोत्र का जाप शनि की कुदृष्टि से बचाएगा। घर में मोरपंख अवश्य रखें।
कुुंभ राशि : कुंभ राशि के जातकों को चांदी के पाये से शनि की साढ़ेसाती का अंतिम ढैया चरणों से प्रारंभ होगा। आपकी राशि के लिए शनि बारहवें और प्रथम स्थान का स्वामी होकर द्वितीय स्थान में भ्रमण करेगा जो शुभप्रद नहीं है। साढ़ेसाती के दौरान प्रियजन से विवाद, प्रियजन का वियोग, धनहानि, पैतृक संपत्ति को लेकर विवाद, परिवार से क्लेश, कदाचित गृहत्याग, पति/पत्नी को शारीरिक कष्ट, यश में कमी, नकारात्मक विचार एवं ऋण (कर्ज) लेने की स्थिति बनेगी। यदि जन्मांग में शनि बलवान होगा तो आय में वृद्धि के योग बनेंगे। कोर्ट कचहरी के मामलों में अनुकूलता होगी। स्थायी संपत्ति की प्राप्ति होगी। यशोमान में वृद्धि होगी।
उपाय : शनिदेव आपके आराध्य रहेंगे। नियमित रूप से शनि चालीसा का पाठ करें। काले घोड़े की नाल घर के मुख्य द्वार पर लगाएं।
शनि के लघु कल्याणी ढैय्या वाली राशियों पर असर
सिंह राशि : सिंह राशि वाले जातकों को शनि का लघुकल्याणी ढैय्या अष्टम स्थान में लौह पाद से प्रारंभ होगा। इस राशि के लिए शनि छठे एवं सातवें स्थान का स्वामी होकर अष्टम स्थान में भ्रमण करेगा जो शुभप्रद नहीं कहा जा सकता। स्वयं व पति/पत्नी को शारीरिक पीड़ा. नौकरी/धन्धे में परेशानी, आर्थिक हानि, कोर्ट के मामलों में प्रतिकूलता, मित्र, वाहन व पशु से हानि, निरर्थक यात्राएं, दुर्जनों से संगति होगी, बुरी संगत में पड़कर आप भी मुश्किलों में फंस सकते हैं। मानसिक संताप तथा स्वजनों को कष्ट होंगे। जन्मगत शनि की स्थिति अच्छी होने पर भागदौड़ के साथ धनलाभ-सफलता एवं रूके हुए कार्य पूर्ण होंगे।
उपाय : सिंह राशि के जातक हनुमानजी को प्रत्येक मंगलवार को एक नारियल पर सिंदूर लगाकर अर्पित करें। गुड़ चने का भोग लगाकर प्रसाद बांटें।
धनु राशि : धनु राशि के जातकों को शनि का लघुकल्याणी ढैय्या चतुर्थ स्थान में लोहे के पाये से प्रारंभ होगा। इस राशि के लिए शनि द्वितीय व तृतीय स्थान का स्वामी है।अत: स्थान परिवर्तन, यात्रा में कष्ट, सौख्यता में कमी, विरोध, माता-पिता को शारीरिक पीड़ा एवं राजकीय संकट की स्थिति बनेगी। जिन जातकों की जन्मकुण्डली में शनि बलवान होगा तो जमीन-जायदाद व वाहन सुख प्राप्त होगा, नौकरी-व्यवसाय में सफलता, फंसा हुआ- डूबा हुआ (नष्टांश) धन की प्राप्ति एवं कार्य सिद्धि होगी।
उपाय : देवी दुर्गा को हर दिन कपूर के तेल का दीया लगाएं। शनि की पीड़ा कम होगी।
अन्य राशियों पर मीन के शनि का असर
वृषभ राशि : शनि आपके नवम और दशम भाव का स्वामी होकर एकादश भाव में भ्रमण करेगा। आर्थिक दृष्टि से समय ठीक कहा जा सकता है। भाग्य के दरवाजे खुलने वाले हैं। नौकरी, व्यापार व्यवसाय में अच्छी सफलता, धन लाभ, स्त्री वर्ग, लोहा, भूमि, सीमेंट अथवा मशीनरी के कार्यों से लाभ, विवाह योग, यशोमान में वृद्धि कन्या सन्तति की प्राप्ति एवं आरोग्यता बनी रहेगी। शनि आपकी राशि पर स्वर्ण पाद से भ्रमण करेगा। जन्म कुंडली में शनि निर्बल होने पर पति/पत्नी व सन्तान पीड़ा, मित्रों व आत्मीयजनों का विश्वासघात एवं आशा भंग होगी।
उपाय : शिवजी की आराधना करें। शिवजी के सौम्य रूप की तस्वीर घर में लगाकर उसका नित्य दर्शन करें।
मिथुन राशि : शनि आपकी राशि से अष्टम और नवम का स्वामी होकर दशम भाग में गोचर करेगा। समय अनुकूल आ रहा है। कार्य स्थान में शनि आपको कर्म प्रधान बनाएगा। अटके काम चल पड़ेंगे और आप काम आगे बढ़ाने के लिए स्वयं प्रवृत्त होंगे। भाग्योदय होगा, आर्थिक लाभ, नौकरी-व्यवसाय में उन्नति, कोर्ट के मामलों में अनुकूलता, प्रभावशाली व्यक्तियों से परिचय व लाभ होगा एवं सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। जिन जातकों की जन्म कुंडली में शनि बलहीन होगा उनके माता-पिता को पीड़ा, राजभय, नौकरी-व्यवसाय में परिवर्तन-बाधा, दांपत्य जीवन व विरोध की स्थिति बनेगी।
उपाय : मिथुन राशि के जातक कौवे के लिए नित्य खाना रखें। कौवे न मिले तो काली गाय को एक रोटी हर दिन खिलाएं।
कर्क राशि : कर्क राशि के जातकों के लिए शनि सप्तम और अष्टम भाव का स्वामी होकर नवम भाग्य भाव में भ्रमण करेगा। समय तो शुभ आने वाला है। नौकरी-धन्धे में सफलता मिलेगी, धनलाभ होगा, धर्म-कर्म में रुचि बढ़ेगी, धार्मिक कार्यों में शामिल होंगे, संतों से भेंट होगी, लाभकारी यात्राएं करेंगे, यश-प्रतिष्ठा में वृद्धि एवं सन्तान सुख प्राप्त होगा। यदि जन्मगत शनि निर्बल होगा तो भाई-बहनों व मित्रों को कष्ट मिलेगा, उपेक्षा के शिकार हो सकते हैं, संतान को पीड़ा या संतान की ओर से पीड़ा होगी, शत्रुभय, आर्थिक परेशानी, अनिष्ट प्रसंग, पति/पत्नी का स्वास्थ्य खराब एवं कार्यों में विघ्न आएंगे।
उपाय : शिवजी को कच्चे दूध में बादाम का तेल डालकर अभिषेक करें। शनि की पीड़ा दूर होगी।
कन्या राशि : कन्या राशि के जातकों के लिए शनि पांचवें और छठे भाव का स्वामी होकर सातवें भाव में भ्रमण करेगा। शिक्षा में बाधा, प्रेम प्रसंगों में टकराव, पति/पत्नी को दीर्घ रोग, नौकरी-व्यवसाय में परेशानी, भागीदारी के कार्यों में हानि, शारीरिक पीड़ा, परदेश वास, कष्टदायक प्रवास होगा। कार्यों में विलंब तथा धन हानि के योग बनेंगे। इस राशि के जिन लोगों की जन्मकुंडली में शनि शुभ स्थिति में होगा उन्हें आर्थिक लाभ, व्यावसायिक उन्नति, कोर्ट के मामलों में विजय एवं द्विभार्या योग होने पर पुनर्विवाह के भी योग बनेंगे। शनि बलवान होने पर वाहन, मशीनरी, शेयर कारोबार से लाभ होगा।
उपाय : इस राशि के जातक शनि की पीड़ा दूर करने के लिए केसर का इत्र लगाएं। घर में मोरपंख रखें और काले घोड़े को प्रत्येक शनिवार को सरसों के तेल में भिगोए हुए काले चने खिलाएं।
तुला राशि : तुला राशि के जातकों के लिए शनि चतुर्थ-पंचम का स्वामी होकर छठे भाव में गोचर करने वाला है। यहां बैठकर शनि सुखों को प्रभावित करेगा। अचानक स्थान परिवर्तन की स्थिति बन सकती है। आर्थिक रुकावटें आएंगी। परिवार से दूर रहना होगा। जन्मगत शनि मजबूत होने पर शत्रु नाश, आरोग्यता, द्रव्यलाभ, कोर्ट में विजय, ऋण (कर्ज) से छुटकारा, नौकरी-व्यवसाय में सफलता, मित्रों से लाभ, स्थायी संपत्ति की प्राप्ति तथा पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
उपाय : शिवजी को कच्चे दूध में काले तिल डालकर प्रत्येक शनिवार को अभिषेक करें।
वृश्चिक राशि : वृश्चिक राशि के लिए शनि तीसरे चौथे भाव का स्वामी होकर पंचम में भ्रमण करेगा। इस दौरान संतान की चिंता, अनिष्ट प्रसंग, स्थान परिवर्तन, शेयर कारोबार में हानि, विद्या अध्ययन में रूकावट, आय से अधिक व्यय, नौकरी-धन्धे में उतार-चढ़ाव, पति/पत्नी को शारीरिक पीड़ा एवं बुद्धि भ्रम होगा। जन्मतः शनि श्रेष्ठ होने पर विद्या (शिक्षा) में पूर्ण सफलता, कन्या संतान की प्राप्ति, स्थायी संपत्ति की प्राप्ति, मित्रों से सुख एवं नौकरी-व्यवसाय में उन्नति होगी।
उपाय : प्रत्येक मंगलवार को बजरंग बाण या सुंदरकांड का पाठ करें। घर में हनुमान जी की संजीवनी लाती हुई तस्वीर लगाएं।
मकर राशि : मकर राशि के लिए शनि प्रथम और द्वितीय भाव का स्वामी होकर तृतीय में भ्रमण करेगा। समय उत्तम रहेगा। उद्योग-धन्धे-नौकरी में उत्कर्ष, धनलाभ, सर्वत्र अनुकूलता, पद-पराक्रम में वृद्धि, भातृसुख में वृद्धि, शत्रुनाश, आरोग्यता, भूमिलाभ, अभीष्ट कार्यों में सफलता एवं यशोमान की प्राप्ति होगी। जन्मकुण्डली में शनि कमजोर होने पर कष्टप्रद यात्राएं, भाई-बहन व संतान की ओर से पीड़ा. मानसिक अशांति, इच्छा विरूद्ध स्थान परिवर्तन, अपयश तथा कुटुम्बिक क्लेश होगा।
उपाय : शनि देव के दर्शन हर शनिवार को करें, हनुमान चालीसा का पाठ नियमित रूप से करें।