29 मार्च से शनि बदल रहा राशि, जानिए क्या होगा आप पर असर


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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शनि का मीन राशि में प्रवेश 29 मार्च 2025 को रात्रि 9 बजकर 41 मिनट पर होगा। शनि मीन राशि में 3 जून 2027 तक रहेगा। इन ढाई वर्षों में शनि की साढ़ेसाती का प्रथम चरण मेष राशि पर रहेगा, द्वितीय चरण मीन राशि पर रहेगा और अंतिम चरण कुंभ राशि पर रहेगा। सिंह और धनु राशि पर लघु कल्याणी ढैया चलेगा।

साढ़ेसाती वाली राशियों पर प्रभाव

मेष राशि : मेष राशि के जातकों को लोहे के पाये से मस्तक पर शानि की साढ़ेसाती का प्रथम ढैय्या प्रारंभ होगा। इस राशि के लिए शनि दसवें और ग्यारहवें स्थान का स्वामी होकर बारहवें स्थान में भ्रमण करेगा, जो शुभप्रद नहीं कहा जा सकता। शासन की तरफ से परेशानी, निरर्थक यात्राएं, व्यापार-व्यवसाय व नौकरी में अड़चनें, पारिवारिक क्लेश, आर्थिक क्षेत्र में उतार-चढ़ाव, अपव्यय, स्वयं, पति/पत्नी एवं संतान को शारीरिक कष्ट, भाग्य में कमजोरी तथा कर्जा (ऋण) लेने की स्थिति बनेगी। जन्मकालीन मंगल, शनि अथवा सूर्य पर से शनि का भ्रमण अत्यंत अरिष्टप्रद हो सकता है। आय के स्रोत में कमी आएगी, जन्मकुण्डली में शनि बलवान होगा तो उपर्युक्त अशुभ फलों में कमी आकर व्यावसायिक उन्नति, मित्रों से सहयोग तथा धनलाभ के योग बनेंगे।
उपाय : आपको हनुमानजी को अपना आराध्य बनाकर रखना होगा। नियमित दर्शन करें। अपने घर के मुख्य द्वार पर पंचमुखी हनुमान जी फोटो लगाएं। शनि का दुष्प्रभाव आपके घर में प्रवेश नहीं कर पाएगा।

मीन राशि : मीन राशि के जातकों को स्वर्ण पाद से शनि की साढ़ेसाती का दूसरा ढैय्या हृदय पर प्रारंभ होगा। मीन राशि के लिए शनि एकादश व द्वादश स्थान का स्वामी होकर प्रथम भाव में भ्रमण करने पर स्वास्थ्य में खराबी, नौकरी-धन्धे में उतार-चढ़ाव, कार्यों में रूकावट, स्वजनों का वियोग, स्थानांतर प्रवास योग, भागीदारी से हानि, नैराश्य भाव एवं पति/पत्नी को पीड़ा होगी, भाई-बहनों से मतभेद होंगे। जन्म का शनि श्रेष्ठप्रद होगा तो रूके हुए कार्य पूर्ण होंगे, आत्मबल में वृद्धि होगी, लाभकारी यात्राएं होगी और धनसुख का योग बनेगा। उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों के लिए शनि का यह ढैया चुनौतीपूर्ण रहेगा।
उपाय : श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु आपके आराध्य रहेंगे। इनकी पूजा और मंत्रों स्तोत्र का जाप शनि की कुदृष्टि से बचाएगा। घर में मोरपंख अवश्य रखें।

कुुंभ राशि : कुंभ राशि के जातकों को चांदी के पाये से शनि की साढ़ेसाती का अंतिम ढैया चरणों से प्रारंभ होगा। आपकी राशि के लिए शनि बारहवें और प्रथम स्थान का स्वामी होकर द्वितीय स्थान में भ्रमण करेगा जो शुभप्रद नहीं है। साढ़ेसाती के दौरान प्रियजन से विवाद, प्रियजन का वियोग, धनहानि, पैतृक संपत्ति को लेकर विवाद, परिवार से क्लेश, कदाचित गृहत्याग, पति/पत्नी को शारीरिक कष्ट, यश में कमी, नकारात्मक विचार एवं ऋण (कर्ज) लेने की स्थिति बनेगी। यदि जन्मांग में शनि बलवान होगा तो आय में वृद्धि के योग बनेंगे। कोर्ट कचहरी के मामलों में अनुकूलता होगी। स्थायी संपत्ति की प्राप्ति होगी। यशोमान में वृद्धि होगी।
उपाय : शनिदेव आपके आराध्य रहेंगे। नियमित रूप से शनि चालीसा का पाठ करें। काले घोड़े की नाल घर के मुख्य द्वार पर लगाएं।

शनि के लघु कल्याणी ढैय्या वाली राशियों पर असर

सिंह राशि : सिंह राशि वाले जातकों को शनि का लघुकल्याणी ढैय्या अष्टम स्थान में लौह पाद से प्रारंभ होगा। इस राशि के लिए शनि छठे एवं सातवें स्थान का स्वामी होकर अष्टम स्थान में भ्रमण करेगा जो शुभप्रद नहीं कहा जा सकता। स्वयं व पति/पत्नी को शारीरिक पीड़ा. नौकरी/धन्धे में परेशानी, आर्थिक हानि, कोर्ट के मामलों में प्रतिकूलता, मित्र, वाहन व पशु से हानि, निरर्थक यात्राएं, दुर्जनों से संगति होगी, बुरी संगत में पड़कर आप भी मुश्किलों में फंस सकते हैं। मानसिक संताप तथा स्वजनों को कष्ट होंगे। जन्मगत शनि की स्थिति अच्छी होने पर भागदौड़ के साथ धनलाभ-सफलता एवं रूके हुए कार्य पूर्ण होंगे।
उपाय : सिंह राशि के जातक हनुमानजी को प्रत्येक मंगलवार को एक नारियल पर सिंदूर लगाकर अर्पित करें। गुड़ चने का भोग लगाकर प्रसाद बांटें।

धनु राशि : धनु राशि के जातकों को शनि का लघुकल्याणी ढैय्या चतुर्थ स्थान में लोहे के पाये से प्रारंभ होगा। इस राशि के लिए शनि द्वितीय व तृतीय स्थान का स्वामी है।अत: स्थान परिवर्तन, यात्रा में कष्ट, सौख्यता में कमी, विरोध, माता-पिता को शारीरिक पीड़ा एवं राजकीय संकट की स्थिति बनेगी। जिन जातकों की जन्मकुण्डली में शनि बलवान होगा तो जमीन-जायदाद व वाहन सुख प्राप्त होगा, नौकरी-व्यवसाय में सफलता, फंसा हुआ- डूबा हुआ (नष्टांश) धन की प्राप्ति एवं कार्य सिद्धि होगी।
उपाय : देवी दुर्गा को हर दिन कपूर के तेल का दीया लगाएं। शनि की पीड़ा कम होगी।

अन्य राशियों पर मीन के शनि का असर

वृषभ राशि : शनि आपके नवम और दशम भाव का स्वामी होकर एकादश भाव में भ्रमण करेगा। आर्थिक दृष्टि से समय ठीक कहा जा सकता है। भाग्य के दरवाजे खुलने वाले हैं। नौकरी, व्यापार व्यवसाय में अच्छी सफलता, धन लाभ, स्त्री वर्ग, लोहा, भूमि, सीमेंट अथवा मशीनरी के कार्यों से लाभ, विवाह योग, यशोमान में वृद्धि कन्या सन्तति की प्राप्ति एवं आरोग्यता बनी रहेगी। शनि आपकी राशि पर स्वर्ण पाद से भ्रमण करेगा। जन्म कुंडली में शनि निर्बल होने पर पति/पत्नी व सन्तान पीड़ा, मित्रों व आत्मीयजनों का विश्वासघात एवं आशा भंग होगी।
उपाय : शिवजी की आराधना करें। शिवजी के सौम्य रूप की तस्वीर घर में लगाकर उसका नित्य दर्शन करें।

मिथुन राशि : शनि आपकी राशि से अष्टम और नवम का स्वामी होकर दशम भाग में गोचर करेगा। समय अनुकूल आ रहा है। कार्य स्थान में शनि आपको कर्म प्रधान बनाएगा। अटके काम चल पड़ेंगे और आप काम आगे बढ़ाने के लिए स्वयं प्रवृत्त होंगे। भाग्योदय होगा, आर्थिक लाभ, नौकरी-व्यवसाय में उन्नति, कोर्ट के मामलों में अनुकूलता, प्रभावशाली व्यक्तियों से परिचय व लाभ होगा एवं सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। जिन जातकों की जन्म कुंडली में शनि बलहीन होगा उनके माता-पिता को पीड़ा, राजभय, नौकरी-व्यवसाय में परिवर्तन-बाधा, दांपत्य जीवन व विरोध की स्थिति बनेगी।
उपाय : मिथुन राशि के जातक कौवे के लिए नित्य खाना रखें। कौवे न मिले तो काली गाय को एक रोटी हर दिन खिलाएं।

कर्क राशि : कर्क राशि के जातकों के लिए शनि सप्तम और अष्टम भाव का स्वामी होकर नवम भाग्य भाव में भ्रमण करेगा। समय तो शुभ आने वाला है। नौकरी-धन्धे में सफलता मिलेगी, धनलाभ होगा, धर्म-कर्म में रुचि बढ़ेगी, धार्मिक कार्यों में शामिल होंगे, संतों से भेंट होगी, लाभकारी यात्राएं करेंगे, यश-प्रतिष्ठा में वृद्धि एवं सन्तान सुख प्राप्त होगा। यदि जन्मगत शनि निर्बल होगा तो भाई-बहनों व मित्रों को कष्ट मिलेगा, उपेक्षा के शिकार हो सकते हैं, संतान को पीड़ा या संतान की ओर से पीड़ा होगी, शत्रुभय, आर्थिक परेशानी, अनिष्ट प्रसंग, पति/पत्नी का स्वास्थ्य खराब एवं कार्यों में विघ्न आएंगे।
उपाय : शिवजी को कच्चे दूध में बादाम का तेल डालकर अभिषेक करें। शनि की पीड़ा दूर होगी।

कन्या राशि : कन्या राशि के जातकों के लिए शनि पांचवें और छठे भाव का स्वामी होकर सातवें भाव में भ्रमण करेगा। शिक्षा में बाधा, प्रेम प्रसंगों में टकराव, पति/पत्नी को दीर्घ रोग, नौकरी-व्यवसाय में परेशानी, भागीदारी के कार्यों में हानि, शारीरिक पीड़ा, परदेश वास, कष्टदायक प्रवास होगा। कार्यों में विलंब तथा धन हानि के योग बनेंगे। इस राशि के जिन लोगों की जन्मकुंडली में शनि शुभ स्थिति में होगा उन्हें आर्थिक लाभ, व्यावसायिक उन्नति, कोर्ट के मामलों में विजय एवं द्विभार्या योग होने पर पुनर्विवाह के भी योग बनेंगे। शनि बलवान होने पर वाहन, मशीनरी, शेयर कारोबार से लाभ होगा।
उपाय : इस राशि के जातक शनि की पीड़ा दूर करने के लिए केसर का इत्र लगाएं। घर में मोरपंख रखें और काले घोड़े को प्रत्येक शनिवार को सरसों के तेल में भिगोए हुए काले चने खिलाएं।

तुला राशि : तुला राशि के जातकों के लिए शनि चतुर्थ-पंचम का स्वामी होकर छठे भाव में गोचर करने वाला है। यहां बैठकर शनि सुखों को प्रभावित करेगा। अचानक स्थान परिवर्तन की स्थिति बन सकती है। आर्थिक रुकावटें आएंगी। परिवार से दूर रहना होगा। जन्मगत शनि मजबूत होने पर शत्रु नाश, आरोग्यता, द्रव्यलाभ, कोर्ट में विजय, ऋण (कर्ज) से छुटकारा, नौकरी-व्यवसाय में सफलता, मित्रों से लाभ, स्थायी संपत्ति की प्राप्ति तथा पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
उपाय : शिवजी को कच्चे दूध में काले तिल डालकर प्रत्येक शनिवार को अभिषेक करें।

वृश्चिक राशि : वृश्चिक राशि के लिए शनि तीसरे चौथे भाव का स्वामी होकर पंचम में भ्रमण करेगा। इस दौरान संतान की चिंता, अनिष्ट प्रसंग, स्थान परिवर्तन, शेयर कारोबार में हानि, विद्या अध्ययन में रूकावट, आय से अधिक व्यय, नौकरी-धन्धे में उतार-चढ़ाव, पति/पत्नी को शारीरिक पीड़ा एवं बुद्धि भ्रम होगा। जन्मतः शनि श्रेष्ठ होने पर विद्या (शिक्षा) में पूर्ण सफलता, कन्या संतान की प्राप्ति, स्थायी संपत्ति की प्राप्ति, मित्रों से सुख एवं नौकरी-व्यवसाय में उन्नति होगी।
उपाय : प्रत्येक मंगलवार को बजरंग बाण या सुंदरकांड का पाठ करें। घर में हनुमान जी की संजीवनी लाती हुई तस्वीर लगाएं।

मकर राशि : मकर राशि के लिए शनि प्रथम और द्वितीय भाव का स्वामी होकर तृतीय में भ्रमण करेगा। समय उत्तम रहेगा। उद्योग-धन्धे-नौकरी में उत्कर्ष, धनलाभ, सर्वत्र अनुकूलता, पद-पराक्रम में वृद्धि, भातृसुख में वृद्धि, शत्रुनाश, आरोग्यता, भूमिलाभ, अभीष्ट कार्यों में सफलता एवं यशोमान की प्राप्ति होगी। जन्मकुण्डली में शनि कमजोर होने पर कष्टप्रद यात्राएं, भाई-बहन व संतान की ओर से पीड़ा. मानसिक अशांति, इच्छा विरूद्ध स्थान परिवर्तन, अपयश तथा कुटु‌म्बिक क्लेश होगा।
उपाय : शनि देव के दर्शन हर शनिवार को करें, हनुमान चालीसा का पाठ नियमित रूप से करें।

कालयुक्त नव संवत्सर 2082 का राजा-मंत्री सूर्य और सेनापति हैं शनि


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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कालयुक्त नव संवत्सर 2082 का राजा-मंत्री सूर्य और सेनापति हैं शनि

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से हिंदू नव वर्ष अर्थात् नव संवत्सर प्रारंभ होता है। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि भी प्रारंभ होती है। इस बार नव संवत्सर 30 मार्च 2025 रविवार से शुरू हो रहा है। इस संवत्सर का नाम है कालयुक्त और इसके राजा-मंत्री सूर्य और सेनापति शनि हैं।

राजा सूर्य का फल
सूर्य का स्वभाव गर्म होता है। इसलिए इस वर्ष भीषण गर्मी का प्रकोप रहने वाला है। गर्मी से प्रजा का हाल बेहाल होगा, लेकिन चूंकि सूर्य राजा भी है इसलिए वे प्रजा का ध्यान भी रखेंगे, इसी कारण इस वर्ष बारिश भी अच्छी होने वाली है ताकि खूब खाद्यान्न पैदा हो सके। विश्व के प्रमुख शासनाध्यक्षों-राष्ट्राध्यक्षों के लिए यह वर्ष अशुभप्रद होगा। कहीं छत्रभंग (सत्ताच्युत अथवा निधन) के योग बनेंगे।

मंत्री सूर्य का फल
नए संवत्सर के मंत्री भी सूर्य हैं इसलिए वे रणनीतिक रूप से निर्णय लेंगे। शासक-प्रशासक वर्ग से जनता पीड़ित रहेगी। नए कर जनता पर थोपे जा सकते हैं। देश की आर्थिक स्थिति में बड़े उतार-चढ़ाव होंगे। शेयर मार्केट में बड़े बदलाव इस साल देखने को मिल सकते हैं। धान्य व रसपदार्थों के भावों में कुछ मंदी आएगी, कहीं राजविग्रह (राजनैतिक अस्थिरता – मंत्रिमण्डलों में परिवर्तन) जैसी स्थिति सामने आ सकती है।

सस्येश बुध का फल
बुध का स्वभाव राजकुमारों जैसा होता है। राजकुमार अपनी प्रजा से अधिक प्रेम करता है। इसके अनुसार इस वर्ष वर्षा उत्तम होने के योग बनेंगे। प्रजाजन में सुख समृद्धि व शांति का वातावरण रहेगा। ब्राह्मण वर्ग के लिए यह वर्ष विशेष अनुकृपा वाला रहेगा। धार्मिक अनुष्ठानों और ज्योतिषीय कार्यों में संलग्न होकर इस वर्ष ब्राह्मण वर्ग अच्छा धन अर्जित कर पाएंगे।

धान्येश चंद्र का फल
इस वर्ष गेहूं आदि धान्य एवं सरसों, सोयाबीन आदि तिलहनी पदार्थों का उत्पादन जबर्दस्त होने का अनुमान है। दुग्ध पदार्थों में अपेक्षाकृत अधिक वृद्धि होगी। प्रजा में सौख्यता बनी रहेगी। दूर देशों से व्यापार बढ़ेगा।

मेघेश सूर्य का फल
यह वर्ष फसलोत्पादन के लिए श्रेष्ठ रहेगा। चावल, जौ. चना एवं इक्षु (शक्कर) आदि का उत्पादन अच्छा होगा। किंतु प्रजा रोगभय से त्रस्त रहेगी। महंगाई बढ़ेगी। इस कारण सरकारों के प्रति जनता का गुस्सा फूटेगा।

फलेश शनि का फल
कहीं-कहीं वर्षा की कमी होने पर तृण-घास, पुष्प व फलादि की उत्पत्ति कम होगी। कुछ क्षेत्रों में ओलावृष्टि व शीतलहर (हिमपात) होने से खड़ी फसलों को नुकसान होगा। जनता संक्रामक रोगों से पीड़ित होगी। भूकंप, जलप्लावन, पश्चिमी देशों में या देश के पश्चिमी राज्यों में वायुयान दुर्घटना, दक्षिण के प्रदेशों में ट्रेन दुर्घटना होगी।।

रसेस शुक्र
रस पदार्थों का स्वामी इस बार शुक्र रहेगा। इसलिए यह वर्ष मिठास भरा रहेगा। यह मिठास रिश्तों, संबंधों में भी बनी रहेगी। क्योंकि इन सब चीजों पर शुक्र का ही अाधिपत्य होगा। हालांकि रिश्तों को कलंकित करने वाली अनेक दिल दहला देने वाली घटनाएं भी सामने आएंगी।

धनेश मंगल का फल
धन का अधिपति मंगल रहेगा। इस कारण इस साल प्रॉपर्टी के कारोबार में बेतहाशा वृद्धि होगी। शेयर मार्केट में रियल एस्टेट, कृषि, टेक्नोलॉजी के शेयरों में जबर्दस्त उछाल रहने वाला है। वस्तुओं में तेजी-मंदी अधिक होगी, विशेषकर वायदा-हाजिर शेयर के व्यापार में उतार चढ़ाव (उठापटक) बनी रहेगी। गेहूं, चना आदि तुष धान्यों की प्रकृति प्रकोप से हानि होगी। सरकार की रीति-नीति सुयोजित नहीं होने से विदेशी मुद्रा भण्डार में कुछ कमी आएगी।

दुर्गेश (सेनापति) शनि का फल
विश्व के अनेक देशों के बीच टकराव होगा। सरकारें एक-दूसरों पर बड़े करारोपण करेंगी जिससे विवादित स्थितियां पैदा होंगी। राजविग्रह (राजनीतिक लड़ाई). गृहयुद्ध उपद्रव, विरोध, हड़ताल, प्रदर्शन, रैलियां, चक्काजाम आदि से सामान्य प्रजाजन विचलित होंगे, जनता में भी वैर-विरोध बढ़ेगा।

किसको कौन सा पद
सूर्य- राजा- राष्ट्रपति राष्ट्राध्यक्ष
सूर्य- मंत्री- प्रधानमंत्री शासनाध्यक्ष
बुध- सस्येश- वर्षा ऋतु की फसलों का स्वामी
चंद्र- धान्येश- शरद ऋतु की फसलों का स्वामी
सुर्य- मेघेश- मेघ वर्षा का स्वामी
शुक्र- रसेश- रसपदार्थों का स्वामी
बुध- नीरसेश- धातु वस्त्रादि का स्वामी
शनि- फलेश- समग्र फलों का स्वामी
मंगल- धनेश- धन एवं कोष का स्वामी
शनि- दुर्गेश- रक्षा व सेनानायक

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गज पर आएंगी मां दुर्गा, बनेगा लक्ष्मी बरसाने वाला योग


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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गज पर आएंगी मां दुर्गा, बनेगा लक्ष्मी बरसाने वाला योग

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से चैत्र वासंतिक नवरात्रि प्रारंभ होती है। यह नवरात्रि 30 मार्च 2025 रविवार से प्रारंभ हो रही है। रविवार से प्रारंभ होने के कारण इस बार देवी दुर्गा के आगमन का वाहन गज अर्थात् हाथी होगा। हाथी पर देवी दुर्गा के आने का अर्थ है कि यह धन और लक्ष्मी बरसाने वाला योग बन रहा है। इस योग में देवी का पूजन करना अत्यंत लक्ष्मीप्रदायक होगा। इस दिन सर्व ऐश्वर्य प्रदान करने वाला ऐंद्र योग भी रहेगा। इस कारण यह दिन अत्यंत ही श्रेष्ठ बन गया है।

कैसे तय होता है देवी का वाहन
शास्त्रों के अनुसार जिस दिन नवरात्रि प्रारंभ होती है उस दिन से देवी के आगमन का वाहन तय होता है। इसी प्रकार जिस दिन नवरात्रि पूर्ण होती है अर्थात् नवमी के दिन जो वार होता है उसके अनुसार देवी के जाने का वाहन तय होता है। इस संबंध में देवी भागवत पुराण में एक श्लोक दिया हुआ है-

शशि सूर्य गजारूढ़ा, शनिभौमै तुरंगमे।
गुरौशुक्रेच दोलायां, बुधे नौकाप्रकीर्तिता।।

श्लोक के अनुसार रविवार और सोमवार का वाहन गज, शनिवार और मंगलवार का वाहन घोड़ा, गुरुवार और शुक्रवार का डोली और बुधवार का वाहन नौका होता है। इस बार नवरात्रि का प्रारंभ रविवार को हो रहा है इसलिए देवी के आने का वाह गज रहेगा।

गज पर आने का अर्थ
देवी की सवारी ‘गज’ को लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। महालक्ष्मी के सभी स्वरूपों में गजलक्ष्मी को सर्वाधिक महत्वपूर्ण और सुख-समृद्धि, धन में वृद्धि करने वाला कहा गया है। गज पर दुर्गा का आना चारों ओर समृद्धि आने का सूचक है। इसलिए साधक और देवी भक्त यदि इस नवरात्रि में पूर्ण सात्विकता का पालन करते हुए देवी दुर्गा के साथ मां लक्ष्मी का पूजन करेंगे तो उनका घर सुख-समृद्धि से भर जाएगा। अभाव में जीवन व्यतीत कर रहे लोगों के लिए यह स्वर्णिम अवसर है जब वे देवी को प्रसन्न करके अपनी अलक्ष्मी को दूर कर सकते हैं।

महालक्ष्मी योग में करें गजलक्ष्मी को प्रसन्न
इस बार वासंतिक नवरात्रि में तृतीया तिथि का क्षय होने के कारण नवरात्रि आठ दिन की ही रहेगी। ये आठों दिन विशिष्ट और अष्ट लक्ष्मी को प्रसन्न करने वाले रहेंगे। आठों दिन मां लक्ष्मी का पूजन करके मखाने की खीर का नैवेद्य लगाएं और श्रीसूक्त का पाठ करें। इस नवरात्रि में स्फटिक या पारद का श्रीयंत्र स्थापित करें और उसका नित्य पूजन करें।

नवरात्रि के आठ दिन
30 मार्च- प्रतिपदा, घट स्थापना, शैलपुत्री पूजन
31 मार्च- द्वितीया, मत्स्य जयंती, गणगौर तृतीया, ब्रह्मचारिणी और चंद्रघंटा पूजन
1 अप्रैल- चतुर्थी, विनायक चतुर्थी, कुष्मांडा पूजन
2 अप्रैल- पंचमी, लक्ष्मी पंचमी व्रत, स्कंदमाता पूजन
3 अप्रैल- षष्ठी, स्कंद षष्ठी, यमुना जयंती, कात्यायनी पूजन
4 अप्रैल- सप्तमी, कालरात्रि पूजन
5 अप्रैल- अष्टमी, दुर्गाष्टमी, अशोकाष्टमी, महागौरी पूजन
6 अप्रैल- नवमी, रामनवमी, नवरात्रि पूर्ण, सिद्धिदात्री पूजन

ऐश्वर्यशाली ऐंद्र योग भी इसी दिन
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन सर्व ऐश्वर्य प्रदान करने वाला ऐंद्र योग भी रहेगा। यह योग सूर्योदय से लेकर सायं 5:53 बजे तक रहेगा। पूरे दिन ऐंद्र योग रहने के कारण इस दिन ऐश्वर्य योग बना है, जिसमें देवी का पूजन करने से इंद्र के समान ऐश्वर्यों की प्राप्ति होगी। सुख-सम्मान, पद, प्रेम और आकर्षण की प्राप्ति होगी।

30 मार्च के घट स्थापना के मुहूर्त
चर : प्रात: 7:55 से 9:27 तक
लाभ : प्रात: 9:27 से 10:59 तक
अमृत : प्रात: 10:59 से दोप 12:31 तक
अभिजित : दोप 12:07 से 12:56 तक
शुभ : दोपहर 2:03 से 3:36 तक
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होलाष्टक 7 मार्च से, ये टोटके कर देंगे मालामाल


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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फाल्गुन शुक्ल अष्टमी 7 मार्च 2025 से फाल्गुन पूर्णिमा 14 मार्च तक आठ दिन का समय होलाष्टक कहलाता है। ये आठ दिन तंत्र-मंत्रों की साधना-सिद्धियों के लिए अत्यंत विशेष दिन होते हैं। इन आठ दिनों में धन-संपदा की प्राप्ति, आकर्षण, वशीकरण, रोग मुक्ति, कार्यों में सफलता, संतान की प्राप्ति, विवाह में बाधा जैसी अनेक समस्याओं को दूर करने के उपाय करने चाहिए। आइए हम जानते हैं होलाष्टक में क्या करना चाहिए।

1. धन आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। धन के बिना जीवन चलाना कठिन हो जाता है। यदि आपके पास धन की कमी है। कर्ज बढ़ता जा रहा है और पैसों की आवक बहुत कम है तो होलाष्टक के आठ दिनों में यह विशेष प्रयोग करें। होलाष्टक प्रारंभ होने के दिन अपने घर में स्फटिक, अष्टधातु, पंचधातु, सोना, चांदी या तांबे का श्रीयंत्र स्थापित करें। इसे हर दिन गंगाजल से स्नान करवाकर इस पर केसर से नौ बिंदियां लगाएं। लाल पुष्प से पूजन करें और उत्तराभिमुख होकर लाल रंग के आसन पर बैठ जाएं। अब हर दिन 11 बार श्रीसूक्त का पाठ करें। अंतिम दिन मखाने की खीर और कमलगट्टे से 108 आहुतियां दें। आठवें दिन से आपके हर काम बनने लगेंगे। पैसा आने लगेगा।

2. कर्ज मुक्ति के लिए होलाष्टक के आठों दिन हर दिन 7 बार ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करें। यह पाठ मंगल यंत्र के समक्ष करें। अंतिम दिन कमलगट्टे से 108 आहुतियां देकर हवन करें। सारा कर्ज धीरे-धीरे उतरने लगेगा।

3. शारीरिक रोग दूर करने के लिए होलाष्टक के हर दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव का जल से अभिषेक करें। जल में केसर का इत्र मिलाएं। अंतिम दिन 108 आहुतियां देते हुए महामृत्युंजय मंत्र से हवन करें। सारे शारीरिक कष्ट दूर हो जाएंगे। रोग दूर होंगे।

4. आकर्षण और वशीकरण प्राप्ति के लिए होलाष्टक के आठों दिन अपने मस्तक पर केसर-चंदन का तिलक लगाएं। कामदेव गायत्री मंत्र ऊं कामदेवाय विद्महे पुष्प बाणाय धीमहि तन्नो अनंग प्रचोदयात की एक माला स्फटिक की माला से हर दिन करें। यह मंत्र अत्यंत चमत्कारी है और इसके जाप से आपके व्यक्तित्व में चुंबकीय आकर्षण पैदा हो जाएगा।

5. उत्तम संतान की प्राप्ति के लिए भगवान श्रीकृष्ण के लड्डू गोपाल स्वरूप की पूजा करें, माखन मिश्री का भोग लगाएं और संतान गोपाल स्तोत्र का हर दिन पाठ करेंगे तो संतान की कमी दूर होगी।

6 . सर्वत्र रक्षा के लिए होलाष्टक के आठों दिन नित्य रूप से श्रीराम और हनुमानजी का पूजन करके राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें। कहीं भी जाएंगे कोई कष्ट नहीं रहेगा।

7. बुरी नजर, नकारात्मक ऊर्जा से बचाव के लिए होलाष्टक के आठों दिन घर में फिटकरी में कपूर और लौंग डालकर जलाएं। घर से सारी नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाएगी।

8. भूत-प्रेत आदि की बाधा यदि घर में महसूस हो रही है तो घर की दक्षिणी दीवार पर मोर पंख की झाड़ू लगाएं। हर दिन घर में कपूर में काले तिल डालकर जलाएं इससे भूत प्रेतादि की बाधा दूर होगी।

9. अपार धन-संपदा प्राप्त करने के लिए पीली सरसों, हल्दी की गांठ, गुड़, कनेर के पुष्प में शुद्ध घी डालकर श्रीं श्रीं श्रीं बीज मंत्र से 1008 आहुतियां हर दिन दें। इससे धन आने के मार्ग खुलेंगे और खूब पैसा बरसने लगेगा।

10. करियर में सफलता, उत्तम नौकरी और व्यापार के लिए जौ, तिल में शक्कर मिलाकर हवन करें।
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Holika Dahan 2025: कब जलेगी होलिका? जानिए तिथि और समय


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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* रात में 10:37 बजे भद्रा समाप्ति के पश्चात किया जाएगा होलिका दहन
* 14 मार्च को भी पूर्णिमा के मान के चलते पूरे देश में 15 को खेली जाएगी होली

इंदौर। होलिका दहन और होली खेलने को लेकर इस बार फिर मतभेद उभर रहे हैं। हालांकि यह स्थिति देशीय समयमान के कारण बन रही है। इसका अर्थ यह हुआ कि देश के अलग-अलग भागों में सूर्योदय का समय अलग-अलग होने के कारण तिथियों में घट-बढ़ होने से यह स्थिति बनी है।

इस बार काशी और देश के अन्य भागों में अलग-अलग दिन होली मनाई जाएगी। काशीवासी जहां परंपरानुसार 13 मार्च को होलिका दहन करके 14 मार्च को रंगोत्सव मना लेंगे, वहीं शेष देश में अगले दिन 14 मार्च को होलिका दहन करने के बाद 15 मार्च को रंगोत्सव मनाया जाएगा। इस बार यह अंतर पूर्णिमा तिथि के मान के चलते हो रहा है।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष, ज्योतिषाचार्य प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय, प्रो. विनय कुमार पांडेय व प्रो. गिरिजाशंकर त्रिपाठी ने बताया कि इस बार फाल्गुन पूर्णिमा 13 मार्च को प्रात: 10:02 बजे लगेगी, जो अगले दिन 14 मार्च को प्रात: 11.11 बजे तक रहेगी। रात्रिव्यापिनी पूर्णिमा में ही होलिका दहन का विधान होने के कारण होलिका दहन तो 13 मार्च की रात में ही हो जाएगा और इसी के साथ काशी में परंपरानुसार होलिकोत्सव आरंभ हो जाएगा, लेकिन होली खेलने का विधान शास्त्रानुसार चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में होने के चलते अगले दिन 15 मार्च को पूरे देश मे रंगोत्सव व धुरेंडी की धूम होगी। 15 मार्च को उदयातिथि में प्रतिपदा दोपहर 12.48 बजे तक है।

काशी में चौसठ देवी के पूजन व परिक्रमा की है परंपरा
काशी में होलिका दहन के पश्चात सुबह होते ही 64 योगिनियों यानी 64 देवी का दर्शन व परिक्रमा करते हुए होली खेलने की मान्यता है। यह परिक्रमा व पूजन होलिका दहन की ठीक सुबह आरंभ हो जाता है, इसलिए काशीवासी पूर्णिमा हो या प्रतिपदा होलिका दहन होते ही होली मनाना आरंभ कर देते हैं, जबकि शेष देश में शास्त्रानुसार रंगोत्सव चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को होता है, इसलिए अनेक बार ऐसा होता है कि काशीवासी एक दिन पूर्व होली मना लेते हैं, जबकि शेष देश दूसरे दिन होली मनाता है। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। चूंकि, होलिका दहन पूर्णिमा व्यापिनी रात्रि में होता है, इसलिए यह 13 की रात्रि में हो जाएगा और चैत्र कृष्ण प्रतिपदा उदयातिथि में 15 मार्च को मिलेगी, अतएव पूरे देश में रंगोत्सव 15 को होगा।

रात 10.37 बजे के बाद होगा होलिका दहन का मुहूर्त
काशी के विद्वान ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि 13 मार्च को पूर्णिमा की तिथि प्रात: 10.02 बजे आरंभ हो जा रही है, लेकिन इसके साथ ही भद्रा लग जा रही है। भद्रा में होलिका दहन का निषेध है। भद्रा रात 10.37 बजे समाप्त होगी, इसके पश्चात होलिका दहन किया जा सकेगा। प्रो. गिरिजाशंकर त्रिपाठी ने बताया कि चूंकि शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन अर्धरात्रि के पूर्व कर लिया जाना उचित होता है। अत: इसे रात 10.37 बजे के पश्चात रात 12 बजे के पूर्व कर लिया जाना चाहिए। होलिकादहन 13 की रात्रि में होने के पश्चात धुरड्डी व रंगोत्सव के लिए प्रतिपदा की तिथि 15 मार्च को मिलेगी।

ब्रज के मंदिरों में होली 14 मार्च को
जासं, मथुरा : ब्रज में मथुरा, वृंदावन के साथ ही अन्य स्थानों पर मंदिरों में 14 मार्च को होली होगी। बरसाना के राधारानी मंदिर, नंदगांव के नंदबाबा मंदिर, गोवर्धन के मंदिरों के साथ ही श्रीकृष्ण जन्मस्थान, ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर और प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर में 14 मार्च को ही होली मनाई जाएगी। इसकी तैयारियां मंदिरों में तेज हो गई हैं।

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गजेंद्र शर्मा, ज्योतिषाचार्य
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माघी पूर्णिमा : सौभाग्य व शोभन योग में संगम में लगेगी पुण्यदायी डुबकी


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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12 फरवरी 2025, बुधवार को है महाकुंभ का पांचवां स्नान पर्व
स्नान करने के बाद महाकुंभ मेले से विदा होने लगेंगे संत और कल्पवासी

महाकुंभ नगर : प्रयागराज में इन दिनों विश्व का सबसे बड़ा आस्था का समागम महाकुंभ लगा हुआ है। दैहिक, दैविक, भौतिक तापों (कष्टों) से मुक्ति, मनोवांछित फलों की प्राप्ति की संकल्पना को पूरा करने के लिए देश-विदेश के करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना, सरस्वती के त्रिवेणी संगम के पवित्र जल में अध्यात्म की पुण्यदायी डुबकी लगा चुके हैं। महाकुंभ में अभी भी स्नानार्थियों के आने का क्रम जारी है।
महाकुंभ का पांचवां स्नान पर्व माघी पूर्णिमा 12 फरवरी 2025 बुधवार को पड़ रहा है। इस बार माघी पूर्णिमा पर ग्रह-नक्षत्रों का अद्भुत योग बन रहा है। इस शुभ योग में पुण्य की डुबकी लगाने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु संगम नगरी पहुंच रहे हैं। पंचांगों के अनुसार 11 फरवरी की शाम 6 बजकर 54 मिनट से पूर्णिमा तिथि प्रारंभ हो जाएगी, जो 12 फरवरी को शाम 7 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। इस कारण बुधवार को पूरे दिन पूर्णिमा का संयोग रहेगा। इसके अलावा 12 फरवरी को शाम 7.34 बजे तक आश्लेषा नक्षत्र और सुबह 8:05 तक सौभाग्य योग रहेगा। इसके बाद शोभन योग लग जाएगा। कुंभ राशि में बुध व शनि, मीन राशि में शुक्र व राहु गोचर करेंगे। यह अत्यंत उत्तम योग माना जाता है। इस पुण्यदायी योग में पवित्र संगम में डुबकी लगाने से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होगी और समस्त पापों का क्षय होगा।

समाप्त होगा कल्पवास
माघी पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ संगम क्षेत्र में एक महीने से चल रहा कल्पवास समाप्त हो जाएगा। स्नान के बाद अधिकतर संत व श्रद्धालु मेला क्षेत्र से प्रस्थान कर जाएंगे।

स्नान-दान का है विशेष महत्व
माघ महीने की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। पूर्णिमा के बाद फाल्गुन मास की शुरुआत हो जाती है। पौराणिक वर्णन के अनुसार इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने मत्स्य के रूप में अवतार लिया था। इस दिन गंगा स्नान, दान करने और भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने, भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और चंद्रदेव की पूजा करने का विशेष महत्व है। माघी पूर्णिमा पर गाय, तिल, गुड़ और कंबल का दान विशेष पुण्य फल देता है। मोक्ष की कामना रखने वालों को इस दिन संगम और गंगा में डुबकी अवश्य लगाना चाहिए। जो गंगा आदि पवित्र नदियों में न जा पाएं उन्हें अपने घर में गंगा जल डालकर उस पानी से स्नान करना चाहिए।

गुरु 119 दिन बाद हो रहे हैं मार्गी, जानिए क्या होगा आप पर असर


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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बृहस्पति अर्थात् गुरु 119 दिन वक्री रहने के बाद 4 फरवरी 2025 मंगलवार को मार्गी होने जा रहा है। गुरु 9 अक्टूबर 2024 को वक्री हुआ था जो अब 4 फरवरी को दोपहर 3 बजकर 09 मिनट पर मार्गी होने जा रहा है। गुरु का मार्गी होना लगभग सभी राशि के जातकों को विशेष शुभ फल देने वाला रहेगा। जिन लोगों के विवाह की बात अटकी हुई है, या विवाह में कोई बाधा आ रही है, वह बाधा गुरु के मार्गी होने से दूर होगी और अविवाहितों के विवाह के योग बनेंगे।

गुरु का प्रभाव
जातक की जन्मकुंडली में विवाह का योग तभी बनता है जब उनकी कुंडली में गुरु की स्थिति ठीक हो। गुरु के बलवान, शुभ ग्रहों से दृष्ट और शुभ स्थानों में शुभ ग्रहों के साथ होने के कारण विवाह के योग बनते हैं। जिन युवक-युवतियों का गुरु कमजोर होता है उनके विवाह में विलंब होता है, विवाह में बाधा आती रहती है या विवाह होने के बाद वह सफल नहीं होता है। अब जब गुरु मार्गी हो रहा है तो ऐसे युवक-युवतियों का विवाह निर्विघ्न तय होकर संपन्न होने के प्रबल योग बनेंगे, जिनका विवाह अब तक अटका हुआ है।

राशियों पर असर
मेष : गुरु के मार्गी होेने से वाणी का शुभ प्रभाव मिलेगा। अपने व्यवहार से लोगों को जीत लेंगे। आर्थिक मजबूती आएगी।
वृषभ : गुरु मार्गी होने से आपको लोकप्रियता प्राप्त होगी, सप्तम पर दृष्टि होने से विवाह के उत्तम योग बनने वाले हैं।
मिथुन : गुरु मार्गी होने से खर्च पर लगाम लगेगी। पारिवारिक सौख्यता आएगी। सम्मान प्राप्त होगा। पद प्राप्त होने वाला है।
कर्क : गुरु का मार्गी होना सम्मान के साथ आपको पद और प्रतिष्ठा भी दिलाएगा। अटके हुए काम निर्विघ्न संपन्न होंगे।
सिंह : आपके अटके हुए कार्य और व्यवसाय में उन्नति होगी। समाज में पद और प्रतिष्ठा बढ़ेगी। मानसिक शांति रहेगी।
कन्या : भाग्योदय होने वाला है। सम्मान, धन, प्रेम, सुख, वैवाहिक जीवन मधुर रहेगा। विवाह के उत्तम योग बनने वालेे हैं।
तुला : वैवाहिक जीवन सुखद होने वाला है। अविवाहितों के विवाह के योग बनेंगे। धन आएगा, स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
वृश्चिक : वैवाहिक जीवन की अनबन दूर होगी। प्रेम और सामंजस्य बढ़ेगा। स्वास्थ्य खराब होगा। पैसा आएगा खर्च भी होगा।
धनु : गुरु छठे भाव में मार्गी होने से पुराने रोग दूर होंगे। शत्रुओं पर विजय हासिल होगी। पैसा आने के योग हैं।
मकर : प्रेम संबंध मजबूत होंगे। विवाह की बाधा दूर होगी। शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलेगी। मान-सम्मान प्राप्त होगा।
कुंभ : किसी वरिष्ठ के मार्गदर्शन से अटके काम पूरे होंगे। पैसा आएगा। सुख और सम्मान के साथ प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
मीन : धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी। प्रेम संबंध प्रगाढ़ होगा। भाई-बहनों की ओर से सुख मिलेगा। पराक्रम बढ़ेगा।

गुरु मार्गी होने पर क्या करें
गुरु के मार्गी होने वाले दिन अर्थात् 4 फरवरी को सभी राशियों के जातक अपने गुरुजनों का पूजन करें, उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। उन्हें पीली मिठाई या पीले फल भेंट करें। भगवान दत्तात्रेय का पूजन करें। चने की दाल और हल्दी की गांठ भेंट करें।

गुरु की स्थति
राशि परिवर्तन : मिथुन में प्रवेश 14 मई 2025 बुधवार रात्रि 11:20 बजे

वक्री : 11 नवंबर 2025 मंगलवार रात्रि 10:11 बजे
मार्गी : 11 मार्च 2026 बुधवार प्रात: 8:58 बजे
कुल वक्री अवधि : 120 दिन

गुरु अस्त : 13 जून 2025 शुक्रवार सायं 7:46बजे
गुरु उदय : 9 जुलाई 2025 बुधवार प्रात: 5:03 बजे
कुल अस्त अवधि : 26 दिन

सावधान रहें! सतर्क रहें! 2025 मंगल का साल है


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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अंग्रेजी नववर्ष शुरू होने वाला है। नए साल से लोगों को अपने सपने पूरे होने की उम्मीदें हैं। किसी ने करियर बनाने का सपना देख रखा है तो किसी ने विवाह का, किसी को परिवार का साथ और समृद्धि चाहिए तो किसी को रोगों से मुक्ति, कोई अमीर बनना चाहता है तो किसी को दुनिया घूमने का शौक है। हर व्यक्ति की अपनी-अपनी आकांक्षाएं और सपने हैं। साल 2025 किसकी कितनी उम्मीदें पूरी कर पाता है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन हम यहां अंक ज्योतिष की दृष्टि से जानने का प्रयास करने हैं कि नया साल कैसा रहने वाला है।

सत्य का होगा खुलासा
अंक ज्योतिष की नजर से देखें तो साल 2025 मंगल का साल है। मंगल अग्नि तत्व का प्रतीक है। यह शौर्य, पराक्रम, बल, भूमि, कृषि, शरीर में रक्त, धन-संपत्ति का कारक ग्रह होता है। इन सभी क्षेत्रों पर मंगल का आधिपत्य होता है। चूंकि यह मंगल का साल है इसलिए ये सभी क्षेत्र इस साल प्रभावित होने वाले हैं। इसके अलावा मंगल को निर्दोष और सत्य का ग्रह भी कहा जाता है इसलिए इस साल बड़े-बड़े सत्य उजागर होने वाले हैं। कई रहस्य खुलेंगे। जो लोग गलत काम-धंधे करते हैं उनके नाम सार्वजनिक रूप से सामने आएंगे।

घटना-दुर्घटनाएं, आगजनी के संकेत
मंगल के वर्ष में आगजनी, बड़े अग्निकांड, वाहन दुर्घटना में आगजनी, जंगलों में आग जैसे बड़े मामले सामने आते हैं। इससे जुड़ी प्राकृतिक आपदाएं भी आती हैं। कुछ रहस्यमयी और नई महामारी फैलने के संकेत भी मिलते हैं जो रक्त से संबंधित हो। कोई ऐसा अनजाना वायरस जो लोगों के रक्त में जाकर उन्हें अनियंत्रित कर सकता है। देशों में भीषण युद्ध की आशंकाएं रहती हैं।

क्रोध बढ़ेगा, संयम से रहें
मंगल के वर्ष में लोगों की मानसिक स्थिति में बड़े बदलाव देखने को मिलते हैं। क्रोध की अधिकता रहती है। छोटी-छोटी बातों में लोग क्रोधित होकर अपना ही नुकसान कर बैठते हैं, इसलिए सलाह है कि संयम से रहें। जहां क्रोध जैसी स्थिति बन रही हो वहां से कुछ समय के लिए तत्काल दूर चले जाएं। मंगल दांपत्य जीवन को भी प्रभावित करता है। इसलिए तलाक के मामले भी बढ़ सकते हैं।

शुभ प्रभाव भी मिलते हैं
मंगल के साल में अनेक शुभ प्रभाव भी देखने को मिलते हैं। मंगल भूमि, संपत्ति, कृषि और धन से जुड़ा होता है। इसलिए इस साल में अनेक लोगों का अपने घर का सपना पूरा होगा। जो लोग लंबे समय से अपना मकान, बंगला बनाने की इच्छा रखते थे वे प्रयास करें उनका सपना इस साल पूरा होगा। जो लोग कृषि, खेती, फार्महाउस आदि खरीदना चाहते हैं या पूर्व से उपलब्ध इनसे जुड़े कार्यों को आगे बढ़ाना चाहते हैं वे प्रयास अवश्य करें। धन संपदा प्राप्त होगी। लोगों की कर्ज मुक्ति होगी। अनाज, खेती आदि से संबंधित कामों से खूब पैसा आएगा। जो लोग भूमि, भवन में निवेश करने की योजना बना रहे हैं उनकी इच्छा भी पूरी होगी।

मूलांकों पर असर

मूलांक-1 : (जन्म तारीख 1, 10, 19, 28)
क्रोध की अधिकता रहेगी। लड़ाई-झगड़े विवाद होंगे। परिवार से बनेगी नहीं। धन का संकट बना रहेगा। यात्राएं होंगी।

मूलांक-2 : (जन्म तारीख 2, 11, 20, 29)
मानसिक रूप से अस्थिर रहेंगे। तकनीकी कार्यों से पैसा आएगा। विदेशों से धन आएगा। दांपत्य जीवन में टकराव होगा।

मूलांक-3 : (जन्म तारीख 3, 12, 21, 30)
किस्मत चमकेगी, मान-सम्मान मिलेगा, अनेक माध्यमों से पैसा आएगा। बीच-बीच में क्रोध की अधिकता रहेगी।

मूलांक-4 : (जन्म तारीख 4, 13, 22, 31)
अंगारक योग बन रहा है। सतर्क रहें। व्यर्थ के विवाद होंगे। धन हानि हो सकती है। बड़ा निवेश करने से इस साल बचें।

मूलांक-5 : (जन्म तारीख 5, 14, 23)
धन आएगा, शिक्षा में सफलता, भूमि, भवन खरीदेंगे, यात्राएं होंगी, करियर में ग्रोथ मिलेगी किंतु परिवार से दूरी रहेगी।

मूलांक-6 : (जन्म तारीख 6, 15, 24)
नए प्रेम संबंध बनेंगे, वैवाहिक जीवन सुखद रहेगा, भौतिक सुख-सुविधाएं प्राप्त होंगी किंतु विवादों से दूर रहने का प्रयास करें।

मूलांक-7 : (जन्म तारीख 7, 16, 25)
स्वयं के भवन में जाने का योग है, कृषि भूमि खरीदेंगे, पैसा आएगा और निवेश करेंगे, दांपत्य जीवन में टकराव हो सकता है।

मूलांक-8 : (जन्म तारीख 8, 17, 26)
साल उत्तम रहेगा, भरपूर पैसा आएगा, सुखद यात्राएं होंगी, परिवार से विवाद दूर होंगे, विवाह के योग बन रहे हैं।

मूलांक-9 : (जन्म तारीख 9, 18, 27)
यह आपका ही साल है। सारी इच्छाएं पूरी होने वाली है। भाग्य चमकेगा, पैसा आएगा, प्रेम मिलेगा, संपत्ति खरीदने के योग बनेंगे।

बुध हुआ मार्गी, पांच उपायों से बनेंगे सारे काम


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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जन्मकुंडली में बुध के शुभ अवस्था में रहने के कारण अनेक काम स्वत: ही सही होने लगते हैं। जन्म कुंडली में बुध यदि अपनी नीच राशि मीन में हो, अस्त हो, वक्री हो या पाप ग्रहों राहु-केतु के साथ हो तो जातक द्वारा लिए गए सभी निर्णय गलत साबित होते हैं। उसके व्यापार-व्यवसाय में अनेक उतार-चढ़ाव आते हैं और वह स्थिर दिमाग का नहीं रह पाता है। वहीं इसके उलट बुध यदि अपनी उच्च राशि कन्या में हो और शुभ ग्रहों के साथ बैठा हो या शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो जातक द्वारा लिए गए छोटे से छोटे निर्णय भी सही साबित हो जाते हैं और उसे अनेक प्रकार के लाभ होते हैं। उसकी वाणी में साक्षात सरस्वती का वास हो जाता है।

बुध 15 दिसंबर 2024 को रात्रि 2 बजकर 28 मिनट पर मार्गी हो रहा है। बुध के मार्गी होने से सभी राशि के जातकों को लाभ होगा। किंतु हम आपको ऐसे पांच उपाय बताने जा रहे हैं जो आपके कमजोर बुध को भी मजबूत कर देंगे और फिर आपको अपने कार्यों में स्वत: सफलता मिलने लग जाएगी।

पहला उपाय
बुध को मजबूत करने के लिए सबसे पहला और सटीक उपाय है पेड़-पौधों की सेवा करना। अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाना चाहिए। यदि आपके घर-आंगन में पौधे लगे हुए हैं तो ध्यान रखें कि उनकी नियमित रूप से देखभाल करते रहें। उन्हें पानी दें, यदि किसी पौधे पर पत्तियां या टहनी खराब हो गई हैं, सूख गई हैं तो उन्हें काट दें, हटा दें। फूलदार पौधे लगाएं। इससे आपका बुध मजबूत होगा और उसके शुभ परिणाम मिलने लगेंगे।

दूसरा उपाय
बुध को मजबूत करने के लिए हरी वस्तुओं का दान किया जाता है। गाय को हरा चारा खिलाएं। ब्राह्मण को हरे फल और हरी सब्जियां दान में दें। हरे खड़े मूंग का दान करें। कन्याओं को हरे रंग के वस्त्र दान करना चाहिए। कांसे के बर्तनों का दान गणेश मंदिर में करने से बुध की पीड़ा दूर होती हैं।

तीसरा उपाय
पांच बुधवार को किसी गणेश मंदिर में जाएं और गणेशजी को 108 दूर्वा अर्पित करें। मंदिर में बैठकर बुध के मंत्र ऊं ब्रां ब्रीं ब्रूं स: बुधाय स्वाहा का एक माला जाप करें। इससे बुध से जुड़ी सारी पीड़ाएं दूर हो जाएंगी। पांच बुधवार यह प्रयोग हो जाने के बाद छठे बुधवार को किसी ब्राह्मण दंपती को भोजन करवाकर उन्हें हरे रंग के वस्त्र भेंट करें।

चौथा उपाय
बुधवार के दिन यदि कोई किन्नर मिल जाए तो इससे शुभ कुछ और हो ही नहीं सकता। किन्नर को अपने घर में आमंत्रित करके उसे भोजन करवाएं, और यदि वह भोजन करने का इच्छुक न हो तो भोजन के लिए आवश्यक रूपये दें। उनके पैर पूजकर हरे रंग के वस्त्र भेंट करें। उनसे आशीर्वाद लें। इससे बुध की कृपा प्राप्त होगी और आपके सारे निर्णय सही साबित होने लगेंगे।

पांचवा उपाय
बुधवार के दिन एक मिट्टी के कलश में हरे खड़े मूंग भरें और कलश का मुंह हरे रंग के कपड़े से बांध दें। इस कलश का पूजन करें और इसे किसी सुनसान जगह में गड्ढा खोदकर दबा दें या किसी नदी में प्रवाहित कर दें। यह प्रयोग बुधवार के दिन ही करना है और इसके बारे में किसी को बताना नहीं है। आपने ऐसा किया है यह गुप्त रखना है।

15 दिसंबर से लगेगा मलमास, बंद हो जाएंगे मांगलिक कार्य


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने के साथ ही 15 दिसंबर 2024 से धनुर्मास प्रारंभ हो जाएगा। इसे मलमास या खरमास भी कहा जाता है। मलमास में सगाई, विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। इसके बाद सूर्य जब 14 जनवरी 2025 को मकर राशि में प्रवेश करेगा तब मलमास समाप्त होगा और मांगलिक कार्य पुन: प्रारंभ हो जाएंगे। यह मास सूर्य के दक्षिणायन का अंतिम मास भी होता है। सूर्य के मकर में प्रवेश करने के साथ ही उत्तरायण प्रारंभ हो जाता है।

सूर्य का धनु में प्रवेश और मकर संक्रांति
सूर्य प्रत्येक राशि में 30 दिन रहता है। इस प्रकार 12 महीनों में 12 राशियों में अपना भ्रमण पूरा कर लेता है। सूर्य 15 दिसंबर 2024 को रात्रि 10 बजकर 10 मिनट पर धनु राशि में प्रवेश करेगा। 30 दिन बाद 14 जनवरी 2025 को मकर राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का पर्व मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है।

मलमास और मांगलिक कार्य
सूर्य जब-जब गुरु की राशि धनु और मीन में रहता है तब-तब मलमास होता है। चूंकि किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य के लिए गुरु का शुद्ध होना आवश्यक है और जब गुरु की राशि में सूर्य आता है तब गुरु अस्त के समान निस्तेज और दूषित हो जाता है इसलिए इसे मलमास कहा जाता है और इसमें मांगलिक कार्य रोक दिए जाते हैं। इनमें मुख्य रूप से सगाई, विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि नहीं किए जाते हैं।

सूर्य का धनु में प्रभाव
सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने के साथ ही सभी राशियों पर इसका शुभाशुभ प्रभाव पड़ता है। यह प्रभाव प्रत्येक जातक की अपनी जन्मकुंडली में सूर्य और गुरु की स्थिति के अनुसार पड़ता है। जिन जातकों की जन्मकुंडली में सूर्य शुभ स्थानों में हो और पाप ग्रहों राहु केतु की दृष्टि में न हो उन्हें शुभ प्रभाव मिलते हैं। जिनकी कुंडली में सूर्य के साथ राहु, केतु हो उन्हें इसके विपरीत परिणाम देखने को मिल सकते हैं। कुंडली में गुरु अस्त, नीच राशि में हो तो जातक को खराब परिणाम भोगने पड़ सकते हैं। मान-सम्मान, प्रतिष्ठा में कमी और संकटों का सामना करना पड़ सकता है।

धनुर्मास में क्या करें
सूर्य के धनु राशि में गोचर करने के दौरान भगवान विष्णु और सूर्य की आराधना करना चाहिए। हर दिन सूर्य को जल में लाल पुष्प या लाल चंदन डालकर अर्घ्य दें। भगवान विष्णु के नित्य दर्शन करके उन्हें पीले पुष्प अर्पित करें, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।

ये उपाय भी अवश्य करें
– आंकड़े का पौधा कहीं हो तो उसके आसपास सफाई करके सुंदर क्यारी बनाएं और पौधे का पूजन करके।
– मलमास में भगवान विष्णु की आराधना करना चाहिए। पूरे मास में श्रीहरि को पीले पुष्प और तुलसी अवश्य अर्पित करें।
– मलमास में पवित्र नदियों में स्नान करें। दान-पुण्य करें। गरीबों को भोजन करवाएं। पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी रखें।
– इस मास में सूर्य को प्रतिदिन तांबे के कलश में लाल पुष्प डालकर जल का अर्घ्य अर्पित करें।