गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य
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चैत्र माच के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के दिन दशामाता का पूजन किया जाता है। यह पूजन विशेषकर सुहागिन महिलाएं अपने घर की बिगड़ी दशा सुधारने के लिए करती हैं। इस दिन महिलाएं परिवार की सुख-समृद्धि, संतान सुख, धन-धान्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखकर दशामाता का पूजन करती हैं। इस बार यह व्रत 24 मार्च 2025 सोमवार को किया जाएगा।
दशामाता कौन हैं?
दशामाता को शक्ति और सौभाग्य की देवी कहा गया है। कुछ स्थानों पर इन्हें माता लक्ष्मी या माता पार्वती का स्वरूप भी माना जाता है। दशा का अर्थ ‘दशा’ या ‘भाग्य’ से जुड़ा हुआ है, और यह व्रत व्यक्ति की जीवन दशा को सुधारने और समृद्धि प्रदान करने के लिए किया जाता है।
दशामाता व्रत एवं पूजा विधि
1. व्रत का संकल्प
• प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
• व्रत का संकल्प लें और दशामाता से परिवार की सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।
2. पूजन विधि
• घर के किसी पवित्र स्थान पर एक लकड़ी के पटिए पर गेहूं का ढेर रखकर उस पर दशामाता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
• हल्दी-कुंकुम, अक्षत, पुष्प और धूप-दीप से दशामाता का पूजन करें।
• दशामाता कथा का पाठ करें।
• परिवार के सभी सदस्यों की सुख-समृद्धि के लिए विशेष प्रार्थना करें।
• इस दिन कच्चे सूत का दस तार का डोरा लेकर पीपल के पेड़ की पूजा करें और यह डोरा महिलाएं अपने गले में बांध लें।
3. विशेष परंपराएं
• कुछ स्थानों पर व्रत करने वाली महिला गेहूं के आटे से दीपक बनाकर उसमें घी का दीप जलाती हैं।
• इस दिन नमक रहित भोजन (सादा भोजन या फलाहार) करने का नियम होता है।
• परिवार के बुजुर्गों से आशीर्वाद लिया जाता है और जरूरतमंदों को अन्नदान भी किया जाता है।
• इस दिन बाजार से कोई वस्तु नहीं खरीदी जाती है। जो खरीदना हो एक दिन पूर्व खरीद लें। कहने का तात्पर्य यह है कि इस दिन अपने घर की लक्ष्मी को बाहर नहीं ले जाया जाता है।
दशामाता व्रत कथा
पुराने समय की बात है, एक गांव में एक गरीब दंपती रहते थे। उनकी स्थिति बहुत ही दयनीय थी। एक दिन महिला ने अपने पति से कहा, “हमारे घर में धन-दौलत नहीं है, न खाने के लिए पर्याप्त अन्न है। कृपया कोई उपाय बताइए जिससे हमारे घर की दशा सुधर सके।”
पति ने कहा, “हे देवी! मैं गुरु बृहस्पति देव की उपासना करने के लिए तीर्थ यात्रा पर जा रहा हूं। शायद इससे हमारी स्थिति सुधर जाएगी।” इतना कहकर व्यक्ति तीर्थ यात्रा के लिए निकल पड़े।
इधर महिला अपनी स्थिति से बहुत परेशान थी। एक दिन जब वह जंगल में गई, तो उसने वहां कुछ स्त्रियों को पीले वस्त्र धारण कर बृहस्पति देव की पूजा करते हुए देखा। उसने उन स्त्रियों से पूछा, “आप यह किसकी पूजा कर रही हैं?”
स्त्रियों ने उत्तर दिया, “हम दशामाता और बृहस्पति देव की पूजा कर रहे हैं। जो भी स्त्री सच्चे मन से इनकी पूजा करती है, उसकी सभी परेशानियाँ दूर हो जाती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।”
महिला ने भी यह व्रत करने का निश्चय किया। उसने बृहस्पति देव की विधिपूर्वक पूजा की और पीले रंग के धागे को अपने घर में बांधा। कुछ ही दिनों में उसकी स्थिति में सुधार होने लगा। उसके घर में धन-धान्य की वर्षा होने लगी, और सुख-समृद्धि लौट आई।
जब उसके पति तीर्थ यात्रा से लौटे, तो उसने अपने घर को सुंदर और समृद्ध देखकर आश्चर्य से पूछा, “यह सब कैसे हुआ?”
तब महिला ने उन्हें दशामाता के व्रत और पूजा के बारे में बताया।
दशामाता व्रत के लाभ
• यह व्रत परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार करता है।
• घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
• महिलाएं इसे पति की लंबी उम्र और संतान सुख के लिए करती हैं।
• यह व्रत नकारात्मक ऊर्जा और दोषों को दूर करता है।
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