2025 में शनि बदलेगा राशि, मेष को लगेगी साढ़ेसाती


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
साल 2025 में सबसे बड़ा राशि परिवर्तन होने जा रहा है। यह राशि परिवर्तन है शनि का। शनि ढाई साल बाद अपनी राशि बदलने जा रहा है। 29 मार्च 2025 को शनि कुंभ राशि को छोड़कर मीन राशि में प्रवेश करने जा रहा है। कुंभ शनि की स्वयं की राशि है और अब वह गुरु की राशि मीन में प्रवेश करने जा रहा है। शनि के इस गोचर से साढ़ेसाती का गणित भी बदलने वाला है। मकर राशि साढ़ेसाती से मुक्त हो जाएगी, जबकि मेष राशि पर साढ़ेसाती प्रारंभ हो जाएगी। शनि 29 मार्च 2025 से 3 जून 2027 तक मीन राशि में ही रहेगा। शनि के मीन राशि में जाने से कुंभ, मीन, मेष पर साढ़ेसाती रहेगी जबकि सिंह और धनु राशि पर लघु कल्याणी ढैया प्रारंभ हो जाएगा।

आइए विस्तार से जानते हैं किस राशि पर शनि का क्या प्रभाव होने वाला है-

मेष राशि
मेष राशि के जातकों को लोहे के पाये से मस्तक पर शनि की साढ़ेसाती का प्रथम ढैय्या प्रारंभ होगा। शनि का दसवें और ग्यारहवें स्थान का स्वामी होकर बारहवें स्थान में भ्रमण करना शुभप्रद नहीं है। शासन की तरफ से परेशानी, निरर्थक यात्राएं, व्यापार-व्यवसाय व नौकरी में अड़चनें, पारिवारिक क्लेश, आर्थिक क्षेत्र में उतार-चढ़ाव, अपव्यय, स्वयं, पति-पत्नि एवं संतान को शारीरिक कष्ट, भाग्य में मंदी तथा कर्जा (ऋण) लेने की स्थिति आएगी। जन्मकालीन मंगल, शनि अथवा सूर्य पर से शनि का भ्रमण अत्यंत अरिष्टप्रद रह सकता है। आय के स्रोत में कमी आएगी। जन्मकुंडली में शनि बलवान हो तो उपर्युक्त अशुभ फलों में कमी आकर व्यावसायिक उन्नति, मित्रों से सहयोग तथा धनलाभ के योग बनेंगे।

वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों पर शनि स्वर्ण पद से भ्रमण करेगा। नौकरी और व्यापार-व्यवसाय में अच्छी सफलता मिलेगी, धन लाभ, लोहा-भूमि- सीमेंट के कामकाजों से अच्छा लाभ अर्जित करेंगे। वाहन, मशीनरी और आटो पार्ट्स के काम से अच्छा लाभ कमाएंगे, जिनका विवाह नहीं हुआ है उनके विवाह का योग 2025 में बन जाएगा, यशोमान में वृद्धि होगी। इस राशि के जातकों को साल 2025 में कन्या संतान की प्राप्ति होगी। शारीरिक रोग दूर होंगे। जन्मकुंडली में यदि शनि निर्बल होगा तो पति/पत्नि व संतान पीड़ा रहेगी, मित्रों व आत्मीयजनों से विश्वासघात एवं आशा भंग होगी।

मिथुन राशि
शनि के मीन राशि में गोचर करने से मिथुन राशि के जातकों को विशेष लाभ प्राप्त होने वाले हैं। आपका भाग्योदय होगा जिससे बड़े आर्थिक लाभ मिलने वाले हैं। नौकरी, व्यवसाय में आशातीत उन्नति होगी, कोर्ट-कचहरी के मामलों में अनुकूलता, प्रभावशाली व्यक्तियों से परिचय होगा एवं उनसे लाभ होगा। पारिवारिक और सामाजिक जीवन में प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। यदि जन्मांग अर्थात् आपकी कुंडली में जन्मकालीन शनि बलहीन होगा तो माता-पिता को पीड़ा, राजभय, नौकरी-व्यवसाय में परिवर्तन-बाधा, दांपत्य जीवन में विरोध की स्थिति बनेगी। शारीरिक स्वास्थ्य कमजोर रहेगा।

कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए शनि का मीन राशि में गोचर करना मिलजुला फलदायी रहने वाला है। शनि का लघु कल्याणी ढैया इस राशि से हट जाएगा। इस राशि के जिन जातकों की जन्मकुंडली में शनि मजबूत और शुभ स्थानों में होगा उन्हें तो अच्छी सफलताएं मिलने वाली है किंतु जिनकी कुंडली में शनि खराब स्थिति में है उन्हें विपरीत परिणाम भोगने पड़ेंगे। नौकरी-धन्धे में सफलता, धनलाभ, धर्म-कर्म में अभिरुचि, संत समागम, लाभकारी यात्राएं, यश-प्रतिष्ठा में वृद्धि एवं संतान सुख प्राप्त होगा। जन्मतः शनि निर्बल होने पर भाई- बहन व मित्रों को कष्ट, संतति से पीड़ा, शत्रुभय, आर्थिक परेशानी, अनिष्ट प्रसंग, पति/पत्नि के स्वास्थ्य में खराबी एवं कार्यों में विघ्न आएंगे।

सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों को शनि के मीन राशि में गोचर करने से लघुकल्याणी ढैय्या अष्टम स्थान में लौह पाद से प्रारंभ होगा। शनि आपके छठे एवं सातवें स्थान का स्वामी होकर अष्टम स्थान में भ्रमण करेगा जो शुभप्रद नहीं है। स्वयं व जीवनसाथी को शारीरिक पीड़ा, नौकरी-व्यवसाय में परेशानी, आर्थिक हानि, कोर्ट के मामलों में प्रतिकूलता, मित्र, वाहन व पशु हानि, निरर्थक यात्राएं, दुर्जनों से संगति, मनस्ताप तथा स्वजनों को कष्ट होंगे। जन्मत: शनि की स्थिति अच्छी होने पर भागदौड़ के साथ धनलाभ होगा, सफलता मिलेगी एवं अटके हुए कार्य पूर्ण होगे। स्वास्थ्य में लाभ होगा।

कन्या राशि
मीन राशिगत शनि का कन्या राशि पर प्रभाव ज्यादा शुभ नहीं रहेगा। पति/पत्नि में दीर्घ रोग, नौकरी-व्यवसाय में परेशानी, भागीदारी के कार्यों में हानि, शारीरिक पीड़ा, परदेशवास, कष्टदायक प्रवास, पुरुष की जन्मकुंडली में द्विभार्या योग होने पर पत्नि को अनिष्ट, कार्यों में विलंब तथा धन हानि के योग बनेंगे। इस राशि के जिन लोगों की जन्मकुंडली में शनि शुभप्रद होगा उन्हें आर्थिक लाभ, व्यावसायिक उन्नति, कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय एवं द्विभार्या योग होने में पुनर्विवाह के भी योग बनेंगे। जिन लोगों का विवाह नहीं हुआ है और कहीं तय भी नहीं हो पा रहा उनका विवाह इस साल होने के पूरे योग बनेंगे। धार्मिक यात्राएं होंगी।

तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए शनि का राशि परिवर्तन कुछ मामलों में अत्यंत लाभदायक रहने वाला है। इस साल आपके सारे शत्रु समाप्त हो जाएंगे, आरोग्यता प्राप्त होगी, द्रव्यलाभ होगा, कोर्ट के मामलों में विजय, ऋण (कर्ज) से छुटकारा, नौकरी-व्यवसाय में सफलता, नए कामकाज प्रारंभ करेंगे, मित्रों से लाभ, स्थायी संपत्ति प्राप्ति होगी तथा पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी । जिन जातकों का जन्मकालीन शनि निर्बल होगा उन्हें एकाधिक बार स्थान परिवर्तन का सामना करना पड़ेगा, अनावश्यक व्यय होंगे, माता व संतान को पीड़ा होगी तथा विद्यार्थियों को शिक्षा में विघ्न बाध की स्थिति बनेगी। साल 2025 में बड़े बदलावों का सामन करना होगा।

वृश्चिक राशि
शनि के मीन राशि में जाने के कारण वृश्विक राशि के जातकों पर से लघु कल्याणी ढैया हट जाएगा। इसलिए मिलाजुला फल मिलने वाला है। संतति को लेकर चिंता, परिवार में अनिष्ट प्रसंग, स्थान परिवर्तन, शेयर्स में हानि, विद्याध्ययन में रूकावट, आय से अधिक व्यय, नौकरी-धन्धे में उतार-चढ़ाव, पति/पत्नि को शारीरिक पीड़ा एवं बुद्धि भ्रम होगा । इस राशि के जिन जातकों की जन्मकुंडली मंक शनि श्रेष्ठ और मजबूत होगा उन्हें शिक्षा में पूर्णता का योग, कन्या संतान सुख, स्थायी संपत्ति की प्राप्ति, मित्रों से सुख एवं नौकरी-व्यवसाय में उन्नति प्राप्त होगी।

धनु राशि
शनि के मीन राशि में जाने से धनु राशि के जातकों को शनि का लघुकल्याणी ढैय्या चतुर्थ स्थान में लोहे के पाये से प्रारंभ होगा। इनके लिए शनि द्वितीय व तृतीय स्थान का स्वामी है। इसलिए स्थान परिवर्तन के योग बन रहे हैं, यात्रा में कष्ट हो सकता है, सौख्यता में कमी आएगी, स्वजनों से विरोध का सामना करना पड़ेगा, माता-पिता को शारीरिक पीड़ा एवं राजकीय संकट की स्थिति बन सकती है। जन्मकुंडली में शनि बलवान हो तो जमीन-जायदाद व वाहन सुख प्राप्त होगा, नौकरी-व्यवसाय में सफलता, फंसा हुआ- डूबा हुआ (नष्टांश) धन की प्राप्ति एवं कार्य सिद्धि होगी।

मकर राशि
शनि के मीन राशि में जाने से मकर राशि के जातकों पर से शनि की साढ़ेसाती समाप्त हो जाएगी। इससे लाभ प्राप्त होने लगेगा। उद्योग-धन्धा-नौकरी में उत्कर्ष प्राप्त करेंगे, अनेक माध्यमों से धनलाभ होगा, सर्वत्र अनुकूलता प्राप्त होगी, पद-पराक्रम में वृद्धि होगी, भातृसुख में वृद्धि, शत्रुनाश, आरोग्यता, भूमिलाभ, अभीष्ट कार्यों में सफलता एवं यशोमान की प्राप्ति होगी। सामाजिक जीवन में नए और बड़े पद मिल सकते हैं। जन्मकुंडली में शनि कमजोर होने पर कष्टप्रद यात्राएं, भाई-बहन व सन्तान को पीड़ा, मानसिक अशांति, इच्छा विरूद्ध स्थान परिवर्तन, अपयश तथा कुटुंबिक क्लेश होगा।

कुम्भ राशि
कुंभ राशि के जातकों को चांदी के पाये से शनि की साढ़ेसाती का अंतिम ढैय्या चरणों से प्रारंभ होगा। आपकी राशि कुंडली के अनुसार शनि बारहवें और प्रथम स्थान का स्वामी होकर द्वितीय स्थान में भ्रमण करेगा जो शुभप्रद नहीं है। प्रियजन का वियोग, धनहानि, पैतृक संपत्ति में विवाद, कुटुंबिक क्लेश, कदाचित गृहत्याग, पति/पत्नि को शारीरिक कष्ट, यश में कमी, नकारात्मक विचार एवं ऋण (कर्ज) लेने की स्थिति बनेगी। यदि जन्मांग में शनि बलवान होगा तो आय में वृद्धि के योग बनेंगे। कोर्ट में अनुकूलता होगी। स्थायी संपत्ति की प्राप्ति होगी। यशोमान में वृद्धि होगी।

मीन राशि
मीन राशि के जातकों को सुवर्ण के पाद से शनि की साढ़ेसाती का दूसरा ढैय्या हृदय पर प्रारंभ होगा। शनि एकादश व द्वादश स्थान का स्वामी होकर प्रथम भाव में भ्रमण करने पर स्वास्थ्य में गड़बड़ी, नौकरी-धन्धे में उतार-चढ़ाव, कार्यों में रूकावट, स्वजनों का वियोग, स्थानांतरण, प्रवास योग, भागीदारी से हानि, नैराश्य भाव एवं पति/पत्नि को पीड़ा होगी। जन्म का शनि श्रेष्ठप्रद हो तो रूके हुए कार्य पूर्ण होंगे, आत्मबल में वृद्धि, लाभकारी यात्राएं व धनसुख योग बनेगा। प्रेम संबंध या विवाहेत्तर संबंध बन सकते हैं। उच्च शिक्षा के विद्यार्थी के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण होगा।

शनि बदलेगा राशि
29 मार्च 2025 से मीन में
3 जून 2027 से मेष में

शनि वक्री समय
13 जुलाई 2025 से
28 नवंबर 2025 तक
कुल अवधि 138 दिन

शनि अस्त समय
28 फरवरी 2025 से
6 अप्रैल 2025 तक
अवधि कुल 37 दिन

29 मार्च 2025 तक साढ़ेसाती और लघु ढैया
मकर : अंतिम ढैया
कुंभ : दूसरा ढैया
मीन : पहला ढैया
कर्क और वृश्चिक पर लघु ढैया

29 मार्च 2025 से साढ़ेसाती और लघु ढैया
कुंभ : अंतिम ढैया
मीन : दूसरा ढैया
मेष : पहला ढैया
सिंह और धनु पर लघु ढैया

वशीकरण के ऐसे प्रयोग जो हर किसी को कर देंगे वश में


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि वह आकर्षक दिखे और लोग उससे प्रभावित रहे, उसकी बात मानें और जो वह कहे वे करें। लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है। व्यक्ति दूसरों को अपने कंट्रोल में नहीं कर सकता लेकिन तंत्र शास्त्र में कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं जिनसे व्यक्ति दूसरों के मन पर अपना अधिकार जमा सकता है और फिर वह वैसा ही करने लगता है जैसा आप चाहते हैं। इसे वशीकरण तंत्र कहा जाता है।

तंत्र शास्त्र और ज्योतिष की विभिन्न विधाओं में वशीकरण करने के अनेक उपाय बताए गए हैं। उनमें वशीकरण तिलक, वशीकरण इत्र, वशीकरण मंत्र, वशीकरण यंत्र, वशीकरण माला या लौंग-इलायची-सुपारी-पान आदि के माध्यम से भी वशीकरण किया जा सकता है। आइए हम कुछ ऐसे ही प्रयोगों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं।

ध्यान रखने वाली बात यह है कि ये सारे प्रयोग तभी काम करते हैं जब आप सामने वाले व्यक्ति से पर्सनली एक-दो बार मिले हों या उनके आपका पहले से परिचय है। अनजान लोगों को आप ऐसे किसी भी प्रयोग के माध्यम से वश में नहीं कर सकते हैं।

ये हैं खास वशीकरण प्रयोग
1. आप जिस स्त्री-पुरुष को वश में करना चाहते हैं उसका नाम भोजपत्र पर अनार की कलम और केसर की स्याही से लिखना है। इस भोजपत्र को आठ तह करके एक शहद की डिब्बी में डुबोकर रख दें। इस डिब्बी को चुपचाप किसी सुनसान जगह में जाकर जमीन में गड्ढा खोदकर दबा दें। एक सप्ताह में संबंधित व्यक्ति के मन में आपके प्रति स्नेह उमड़ने लगेगा।

2. केसर, गोरोचन, हरताल, मेनसील को समान भाग में लेकर गुलाबजल में घोट लें। इसका तिलक शुक्रवार को करके जहां भी जाएंगे सभी लोग आपके वश में हो जाएंगे और आपसे प्रभावित होकर आपकी बात मानने लगेंगे। यह तिलक लगाकर यदि सार्वजनिक मंच से भाषण दिया जाए तो लाखों लोगों को प्रभावित किया जा सकता है।

3. यदि किसी महिला का पति उसका कहना नहीं मानता और घर-परिवार पर ध्यान नहीं देता है तो स्त्री- ऊं नमो महायक्षिणी ममपति वश्य मानय कुरु कुरु स्वाहा, मंत्र को 1008 बार गुरुवार को जपे। इसके बाद कदली के रस में सिंदूर मिलाकर इस मंत्र से अभिमंत्रित करके मस्तक पर लगाएं तो कैसा भी निष्ठुर पति हो वशीभूत हो जाता है।

4. ऊं कुंभनी स्वाहा, इस मंत्र को 10 हजार बार जपकर सिद्ध कर लें। इसके बाद जब इसका प्रयोग करना हो तब एक लाल फूल पर इस मंत्र को 108 बार जपकर वह फूल जिसे भी सुंघा देंगे वह वशीभूत हो जाएगा।

5. ऊं नमो तिलक ईश्वर, तिलक महेश्वर, तिलक जय-विजयकार, तिलक काढ़ी ने निसरू घर से, मोहु सकल संसार।
इस मंत्र से गोरोचन, कपूर, कस्तूरी, केसर इन सभी वस्तुओं को अभिमंत्रित करके तिलक करें तो लोग मोहित होकर आपके सेवक बन जाएंगे।

6. क्लीं कामदेवाय नम:, इस मंत्र को नित्य प्रतिदिन एक माला जपने से व्यक्ति में जबर्दस्त आकर्षण शक्ति पैदा हो जाती है। ऐसे व्यक्ति को देखते ही लोग मोहित हो जाते हैं और सारी बात मानने लगते हैं।

7. गुरुवार के दिन काली हल्दी को सिंदूर के साथ घिसें और इसका तिलक करें। यह वशीकरण तिलक हर दिन लगाएं। इससे आप जहां भी जाएंगे सभी के आकर्षण का केंद्र रहेंगे। आप जो भी बात कहेंगे लोग उसे मानंगे।

8. ऊं नमो आदिरूपाय अमुकस्य आकर्षणं कुरु कुरु स्वाहा, इस मंत्र को 1008 जाप करके शहद से भोजपत्र पर मंत्र लिखें। अमुकस्य की जगह उसका नाम लिखें जिसे वश में करना चाहते हैं। इस भोजपत्र को शहद में डुबोकर रख दें तो वह व्यक्ति आपके वश में हो जाएगा।

9. भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र में भी किसी भी व्यक्ति को वशीभूत करने की शक्ति होती है। क्लीं कृष्णाय नम: मंत्र की नित्य एक माला जाप करने वाले व्यक्ति में आकर्षण शक्ति पैदा हो जाती है। वह सभी जन को अपने वश में कर लेता है।

10. जो व्यक्ति अपनी दोनों हथेलियों के शुक्र पर्वत पर अर्थात अपने अंगूठे के नीचे वाले स्थान पर इत्र लगाकर दूसरे हाथ के अंगूठे से क्लॉकवाइज रगड़ते हुए क्लीं मंत्र का जाप करता है, ऐसे व्यक्ति में सभी को वशीभूत करने की शक्ति आ जाती है। इससे चेहरे पर भी आकर्षण बढ़ता है।

घोड़े की नाल चमका देगी किस्मत, बनाएगी धनवान


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
घोड़े के पैरों में लोहे की यू आकार की नाल लगाई जाती है ताकि उसे चलने और दौड़ने में आसानी हो। इसे हार्स शू भी कहते हैं। यह नाल घोड़े के पैरों की सुरक्षा करती है, लेकिन क्या आप जानते हैं यही घोड़े की नाल इंसानों को भी अनेक परेशानियों से बचाती है और उनकी रक्षा करती है। जी हां, अक्सर आपने सुना-पढ़ा होगा कि घोड़े की नाल से बनी अंगूठी पहनने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। यह शनि के दुष्प्रभावों से बचाती है, लेकिन इसके अलावा भी अनेक परेशानियों से घोड़े की नाल आपकी रक्षा करती है। यह बुरी नजर और नकारात्मक शक्तियों से तो बचाती ही है, इसका उपयोग धन-समृद्धि में वृद्धि के लिए भी किया जाता है।

ये हैं घोड़े की नाल के लाभ
1. घोड़े की नाल को शनिवार के दिन घर के मुख्य द्वार पर सीधा लगाने से उस घर पर सदैव दैवीय कृपा बनी रहती है।
2. घोड़े की नाल को उल्टा करके घर के मुख्य द्वार पर लगाने से भूत-प्रेत बाधा और नकारात्मक शक्तियां घर में प्रवेश नहीं करती।
3. काले घोड़े के पैरों से निकली हुई नाल का छल्ला बनवाएं। शनिवार के दिन पीपल पेड़ के नीचे एक लोहे (स्टील) की कटोरी में सरसों का तेल भरकर उसमें यह छल्ला डालें और उसमें अपना चेहरा देखें। इसके बाद यह तेल दान कर दें। ऐसा करने से शनि की साढ़ेसाती या ढैया के दुष्प्रभाव में कमी आने लगती है।
4. यदि आप या आपके परिवार में कोई अक्सर बीमार रहता है तो उसके पलंग के चारों कोने में काले घोड़े की नाल से बनी कीलें ठोंक दें। रोगी शीघ्र स्वस्थ होने लगेगा।
5. शनिवार के दिन घोड़े की नाल से बनी अंगूठी मध्यमा अंगुली में पहनने से शनि के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है।
6. यदि आपका व्यापार-व्यवसाय अच्छा नहीं चल रहा है तो शनिवार के दिन काले घोड़े की नाल को अपने व्यावसायिक स्थल पर लगाएं। व्यापार में उन्नति होने लगेगी।
7. घोड़े की नाल को काले कपड़े में बांधकर अपने धन रखने के स्थान पर रखने से आपके धन कोष में वृद्धि होने लगती है।
8. खिलाड़ियों के लिए घोड़े की नाल का छल्ला पहनना काफी लाभदायक रहता है। इससे उनमें जोश और ऊर्जा बनी रहती है।
9. महिलाओं को घोड़े की नाल का छल्ला जरूर पहनना चाहिए। यदि पहन नहीं सकती तो इसे अपने पर्स में हमेशा रखें। यह आत्मविश्वास बढ़ाता है।
10. कमर दर्द की शिकायत रहती है तो अपनी कमर में घोड़े की नाल का छल्ला काले धागे में पहनने से लाभ मिलता है।

कैसे धारण करें घोड़े की नाल की अंगूठी
मान्यता है कि घोड़े की नाल तभी प्रभावी रहती है जब वह अपने आप घोड़े के पैर से उखड़कर गिरी हो और शनिवार के दिन किसी को मिले। लेकिन ऐसा अक्सर संभव नहीं होना। यह अत्यंत दुर्लभ है। इसलिए यदि आप घोड़े की नाल चाहते हैं तो किसी घोड़े रखने वाले व्यक्ति से शनिवार के दिन घोड़े के पैर से नाल निकलवाकर ले सकते हैं।

इस नाल को ॐ श्री शनिदेवाय नमः का उच्चारण करते हुए अपने घर ले आएं। इसे घर में न रखते हुए बाहर कहीं सुरक्षित स्थान रख दें। दूसरे दिन रविवार को उसे सुनार के पास ले जाकर उसमें से टुकड़ा कटवाकर उसमें थोड़ा सा तांबा मिलवा दें। ऐसी मिश्रित धातु की अंगूठी बनवाएं और उस पर नगीने लगाने के स्थान पर शिवमस्तु अंकित करा लें। अब उसे घर लाकर पूजन करें और पूजा स्थान पर नीले रंग के कपड़े के आसन पर स्थापित कर दें।

अगले शनिवार को व्रत रखें। शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे शनिदेव की पूजा करें और तिल या सरसों के तेल का दीपक लगाकर ॐ शं शनैश्चराय नमः मंत्र का जाप करें। एक माला जाप के बाद पुनः अंगूठी को उठाएं और सात बार यही मंत्र पढ़ते हुए पीपल की जड़ से स्पर्श कराकर उसे पहन लें। यह अंगूठी मध्यमा अंगुली में धारण करनी चाहिए। उस दिन केवल एक बार संध्या को पूजनोपरांत भोजन करें और संभव हो तो प्रति शनिवार को व्रत रखकर पीपल के वृक्ष के नीचे शनिदेव की पूजा करते रहें। कम से कम सात शनिवार तक यही क्रम रखें तो शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है और धन-धान्य में वृद्धि होती है। दरिद्रता दूर होती है।

शुक्र खराब है तो मिलेंगे ये संकेत, कैसे करें मजबूत


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
प्रत्येक मनुष्य के जीवन में शुक्र ग्रह का बड़ा महत्व होता है। शुक्र से ही धन-संपत्ति, सुख, पारिवारिक-दांपत्य सुख, संतान सुख और लग्जरी लाइफ मिलती है। आप लोगों के बीच में कितने लोकप्रिय होंगे यह भी शुक्र तय करता है। इसलिए शुक्र का मजबूत होना अत्यंत आवश्यक है। शुक्र की खराब स्थिति जीवन को नष्ट कर देती है। आइए जानते हैं आपकी कुंडली में शुक्र खराब हैं तो क्या लक्षण होते हैं और शुक्र को कैसे मजबूत किया जा सकता है।

खराब शुक्र के लक्षण
1. यदि आपकी कुंडली में शुक्र खराब है तो आप इसे आसानी से समझ सकते हैं। यदि अचानक लोग आपसे दूर जाने लगें, आपकी बातों को महत्व न दें और आपका कहना न मानें तो समझिए शुक्र खराब हो गया है।
2. यदि अचानक आपका आकर्षण प्रभाव कम होने लगे। विशेषकर विपरीतलिंगी व्यक्ति जो आपके करीब रहे हों वो अचानक दूर होने लगे तो समझिए शुक्र कमजोर हो गया है।
3. आपके चेहरे का आकर्षण खो जाए, आपके चेहरे पर चमक न रहे, किसी काम को करने की उत्तेजना, उत्साह आपमें न रहे, आपको जीवन नीरस सा लगने तो शुक्र में कहीं न कहीं गड़बड़ी हुई है।
4. यदि आपको यौन संबंध बनाने में रुचि न हो, अपने पार्टनर के साथ आप प्रेमपूर्ण व्यवहार नहीं कर पा रहे हैं। आपके अंदर प्रेम और कामेच्छा की कमी हो जाए तो निश्चित रूप से शुक्र खराब हुआ है।
5. आपकी लाइफ में लग्जरी नहीं आ पा रही है। खर्च अधिक हो रहा है, पैसों की बचत नहीं हो रही है तो भी यह कमजोर शुक्र का लक्षण है।
6. प्रेमी-प्रेमिकाओं में अनबन हो रही है, दोनों एक-दूसरे से दूर होने का सोच रहे हों और आपस में तालमेल का अभाव हो जाए तो शुक्र खराब हो गया है।

शुक्र को मजबूत कैसे करें
1. शुक्र को मजबूत करने के लिए अधिक से अधिक सफेद, पिंक या जामुनी रंग के कपड़े पहनें। शुक्रवार के दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचें।
2. हमेशा साफ-स्वच्छ रहें, अच्छा परफ्यूम या इत्र लगाएं। गंदे कपड़े बिलकुल न पहनें।
3. फटे हुए कपड़े, फटे हुए जूते-चप्पल न पहनें।
4. अपने मस्तक पर केसर का तिलक प्रतिदिन लगाएं।
5. शुक्रवार के दिन श्रीकृष्ण भगवान को चांदी की बांसुरी भेंट करें।
6. चांदी का कड़ा पहनें या चांदी का छल्ला अंगूठे में पहनें।
7. शुक्रवार के दिन सफेद चीजों का दान करें। जैसे दूध, दही, सफेद वस्त्र, मिश्री, चावल आदि।
8. शुक्रवार के दिन व्रत रखें और मां लक्ष्मी का पूजन करें।
9. शुक्रवार के दिन ऊं द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: मंत्र का एक माला जाप स्फटिक की माला से करें।
10. घर में सफेद फूलों का पौधा लगाएं।
11. शुक्रवार के दिन चांदी के बर्तन में पानी पीएं।
12. स्त्रियों का अपमान न करें। शुक्रवार को स्त्रियों को सफेद मिठाई खिलाएं।
13. श्रीकृष्ण की पूजा करने से शुक्र को मजबूती मिलती है।
14. अपनी प्रेमिका या पत्नी को शुक्रवार के दिन परफ्यूम या चांदी का आभूषण भेंट करें।
15 . शिवजी को शुक्रवार के दिन दूध में मिश्री डालकर अभिषेक करें।

कहीं आपके हाथ में भी तो नहीं है अतिकामुकता रेखा


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
वैवाहिक जीवन की सफलता व्यक्ति की यौन इच्छाओं पर निर्भर करती है। यह सामान्य बात है कि स्त्री और पुरुष का समान रूप से कामेच्छु होना आवश्यक है। तभी दोनों वैवाहिक जीवन का पूर्ण आनंद ले पाते हैं। कामेच्छा होना संतान प्राप्ति के लिए हमारे धर्म शास्त्रों में अनिवार्य कर्म बताया गया है। तभी तो जीवन के चार पुरुषार्थों धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष में काम को भी स्थान दिया गया है। हालांकि शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि व्यक्ति का एक सीमा तक कामुक होना अच्छा है किंतु जब यह इच्छाएं उग्र हो जाती है तो व्यक्ति अतिकामुक हो जाता है और वह गलत यौन व्यवहार करने लगता है।

हस्तरेखा शास्त्र में वैसे तो प्रत्येक रेखा का अपना महत्व होता है, लेकिन एक ऐसी रेखा होती है जिससे व्यक्ति में मौजूद कामुकता का पता लगाया जा सकता है। यदि व्यक्ति अतिकामुक है तो वह उसके और परिवार के लिए ठीक नहीं होता है। क्योंकि अतिकामुक व्यक्ति के अनेक स्त्री या पुरुषों से संबंध हो सकते हैं। हस्तरेखा शास्त्र में इसी कामुकता रेखा को असंयम रेखा के नाम से भी जाना जाता है। आज हम हस्तरेखा के माध्यम से जानेंगे कामुकता रेखा के बारे में-

हथेली में कहां होती है कामुकता रेखा
कामुकता रेखा बुध पर्वत के नीचे अर्धचंद्राकार रूप में स्थित होती है, जो चंद्र पर्वत को शुक्र पर्वत से जोड़ती है। यह रेखा जिस स्त्री-पुरुष के हाथ में होती है, उनमें संयम की कमी होती है। ऐसे लोगों का स्वयं पर नियंत्रण नहीं रहता। मुख्यतया यह रेखा व्यक्ति की काम वासना से जुड़ी होती है। जिस स्त्री या पुरुष के हाथ में असंयम रेखा होती है वे यौन संबंधों के मामले में उग्र होते हैं। ऐसे लोग विपरित लिंगी व्यक्ति से यौन संबंध बनाने के लिए कई बार हिंसक भी होते देखे गए हैं।

कामुकता रेखा से जुड़े योग
– यदि हथेली में बुध रेखा या चंद्र रेखा के समानांतर एक छोटी रेखा चल रही हो तो यह रेखा बुध रेखा को विशेष शक्ति प्रदान करती है और यह शक्ति केवल अधिक कामुकता के रूप में सामने आती है। चूंकि यह रेखा शुक्र तथा चंद्र पर्वतों को जोड़ने का काम करती है, इसलिए यह चंद्र तथा शुक्र दोनों ग्रहों का फल प्रदान करती है। अगर इस रेखा वाले व्यक्ति के हाथ में मस्तिष्क रेखा कमजोर हो और उसका अंगूठा भी छोटा हो तथा अंगूठे का पहला पोर बड़ा हो तो व्यक्ति अति कामुक हो जाता है और वह काम वासना में अंधा होकर अच्छा-बुरा भूल जाता है।

– यदि कामुकता रेखा जीवन रेखा को काटती हुई चंद्र पर्वत तक पहुंच जाती है और जीवन रेखा कमजोर हो तब ऐसा व्यक्ति अत्यधिक कामुकता के कारण अस्वस्थ रहता है। उसका किसी अन्य काम में मन नहीं लगता, बस दिनरात काम वासना के बारे में ही सोचता रहता है।

– यदि यह रेखा भारी हाथ वाले व्यक्ति के हाथ में स्थित है और साथ ही उसका शुक्र पर्वत भी उन्नत हो तब ऐसा व्यक्ति काम की तृप्ति में किसी नियम को नहीं मानता है। परिवार के विपरीत जाकर संबंध बनाता है।

– यदि हथेली में मस्तिष्क रेखा चंद्र पर्वत की ओर झुकी हुई हो तो ऐसे व्यक्ति में मानसिक शक्ति कमजोर रहती है। वह हकीकत के मुकाबले कल्पना में अधिक जीवन जीता है। ऐसे में यदि हाथ में असंयम रेखा भी है तो व्यक्ति कितना ही बुद्धिमान क्यों ना हो वह जरा सी बात में उग्र हो जाता है और किसी पर यौन हमला भी कर सकता है।

– जिस व्यक्ति के हाथ में डबल असंयम रेखा होती है वह दुष्कर्मी, दुराचारी और भयानक नशे का आदी होता है।

– यदि किसी व्यक्ति के हाथ में कामुकता रेखा पर नक्षत्र का चिह्न हो तो ऐसा व्यक्ति अनेक विपरीतलिंगी लोगों के साथ संबंध बनाता है।

कालभैरव को करें प्रसन्न, ये उपाय बचाएंगे संकटों से


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन कालभैरव जयंती मनाई जाती है। इसे कालभैरव अष्टमी और कालाष्टमी भी कहा जाता है। यह दिन भगवान शिव के रौद्र और भीषण रूप कालभैरव की उत्पत्ति का दिन होता है। कालभैरव की आराधना, पूजा, दर्शन करने से शत्रुओं से छुटकारा मिलता है, रोग मुक्ति होती और समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। इस दिन कालभैरव के मंदिर में जाकर उनकी पूजा अवश्य करनी चाहिए। कालभैरव अष्टमी 22 नवंबर 2024 शुक्रवार को आ रही है।

क्या करें
कालभैरव अष्टमी के दिन उपवास रखकर प्रदोषकाल में भैरवनाथ की यथाशक्ति पूजा करें, स्तोत्र पाठ और जप करें। बाद में प्रत्येक प्रहर पूजा कर भैरवदेव को अर्घ्य प्रदान करें तथा रात्रि जागरण करें। इस दिन छोटे बालकों (बटुकों) को मिष्ठान्न का भोजन करवाएं। काले श्वानों को मिठाई व तला हुआ नमकीन खिलाएं। इन उपायों से भैरव प्रसन्न होंगे और तात्कालिक संकटों से मुक्ति दिलाएंगे।

अपनी राशि के अनुसार करें उपाय
भैरवनाथ को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को अपनी राशि के अनुसार उपाय करने चाहिए।

मेष : सवा किलो काले उड़द मिट्टी के काले पात्र में रखकर कालभैरव मंदिर में चढ़ाकर आएं।

वृषभ : सवा किलो काले तिल मिट्टी के पात्र में भरकर कालभैरव मंदिर में भेंट करें और फल गरीबों को खिलाएं।

मिथुन : रसीले फलों का दान गरीबों को दें। भैरव को भी रसीले फलों का भोग अर्पित करें।

कर्क : गायों को हरा चारा खिलाएं और कालभैरव की प्रसन्नता के लिए तेल में तली पूड़ियां गाय को खिलाएं।

सिंह : मछलियों को आटे की गोली में काले तिल मिलाकर खिलाएं। कबूतरों को दाना डालें।

कन्या : तीखी, धारदार वस्तु, चाकू-तलवार आदि कालभैरव के मंदिर में भेंट करें।

तुला : कालभैरव अष्टमी के दिन जलसेवा करें। प्याऊ लगवाएं, गरीबों की सेवा करें। दवाई का प्रबंध करें।

वृश्चिक : अस्पतालों में गरीबों का उपचार करवाएं, दवाई का प्रबंध करें और उन्हें भोजन करवाएं।

धनु : 14 साल तक की उम्र के बालकों को मिठाई खिलाएं। तली हुई नमकीन पूड़ी भी खिलाएं।

मकर : तेल में तला हुआ नमकीन, मिक्चर, सेंव आदि कालभैरव को नैवेद्य लगाने के बाद गरीबों में बांटें।

कुंभ : तिल से बनी हुई मिठाई बच्चों को खिलाएं। रसीले फल जानवरों को खिलाएं।

मीन : काली गाय को घी लगी रोटियां खिलाएं। काले श्वानों को दूध-बिस्किट खिलाएं।

गुरु पुष्य : 8 घंटे 49 मिनट बन रहा महायोग


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन शुक्ल योग में गुरु पुष्य का संयोग बन रहा है। 21 नवंबर 2024 को यह महायोग प्रात: 6 बजकर 48 मिनट से दोपहर 3 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। 8 घंटे 49 मिनट का यह महायोग अत्यंत सिद्ध समय रहेगा। इस समय में अपने जीवन के अनेक संकटों का निवारण करने के उपाय किए जा सकते हैं।

1. यदि आपका भाग्य कमजोर है, काम चलते-चलते अटक जाते हैं, कड़ी मेहनत करने के बाद भी पैसा नहीं आता, कर्ज बढ़ता जा रहा है तो गुरु पुष्य के संयोग में खड़ी हल्दी अवश्य खरीदें। इससे भाग्य मजबूत होगा।

2. गुरु पुष्य नक्षत्र के दिन प्रात: नहाने के पानी में थोड़ी सी हल्दी डालकर स्नान करें। इससे बृहस्पति ग्रह की पीड़ा दूर होगी और बृहस्पति मजबूत होगा, जिससे मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा प्राप्त होगी।

3. गुरु पुष्य के दिन केसर-हल्दी का तिलक करके घर से निकले, उस दिन के सारे काम पूरे होंगे और उनमें सफलता मिलेगी। लोग आपसे प्रभावित होंगे और आपकी बातों को महत्व देंगे।

4. गुरु पुष्य के दिन श्रीयंत्र का पूजन करके कनकधारा स्तोत्र के पाठ की 11 आवृत्ति करने से धन की प्राप्ति होती है। जो काम आप कर रहे हैं चाहे नौकरी हो या व्यापार उसमें सफलता मिलने लगेगी।

5. गुरु पुष्य के दिन केले के पेड़ में हल्दी वाला पानी चढ़ाने से विवाह की बाधा दूर होती है। इस दिन किसी ब्राह्मण दंपती को सवा किलो हल्दी भेंट करें। आपका भाग्य चमक उठेगा।

6. गुरु पुष्य के संयोग में चांदी का चौकोर टुकड़ा खरीदें और इस पर केसर से चारों कोनों में बिंदी लगाकर पूजन करें। इसे अपनी तिजोरी या धन रखने के स्थान में रखने से धन की आवक बढ़ने लगती है।

7. गुरु पुष्य के दिन भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण भगवान को पीले पुष्पों का श्रृंगार कर केले और देसी घी की मिठाई का नैवेद्य लगाएं। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। अनेक संकट दूर होंगे और मन प्रसन्न रहेगा।

8. गुरु पुष्य के दिन श्रीकृष्ण भगवान के साथ तुलसी का पूजन करने से मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।

9. क्लीं कृष्णाय नम: मंत्र की 11 माला जाप गुरु पुष्य में करने से वशीकरण की शक्ति प्राप्त हो जाती है। लोग आपके प्रति आकर्षित होते हैं और आपका कहना मानने लगते हैं।

10. गुरु पुष्य के संयोग में भगवान विष्णु का अभिषेक केसर मिश्रित दूध से करें। पूजन करें। श्रृंगार करें, नैवेद्य लगाएं, आरती करें आपके सारे मनोरथ पूरे होंगे।

शनि हो रहा मार्गी, संकटों से बचना है तो करें ये उपाय


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
मनुष्य को उसके अच्छे-बुरे कर्मों का फल देने वाला ग्रह शनि 15 नवंबर 2024 शुक्रवार को सायं 7:51 बजे मार्गी होने जा रहे हैं। शनि 30 जून 2024 को वक्री हुआ था। 139 दिनों तक वक्री रहने के बाद शनि अब मार्गी हो रहा है। शनि के मार्गी हो जाने के कारण कुछ राशियों को लाभ होगा तो कुछ राशि के जातकों की परेशानी बढ़ सकती है।

साढ़ेसाती और अन्य राशि वालों पर प्रभाव
शनि वर्तमान में कुंभ राशि में गोचर कर रहा है। इसलिए मकर पर साढ़ेसाती का अंतिम ढैया, कुंभ पर दूसरा ढैया और मीन राशि पर साढ़ेसाती का पहला ढैया चल रहा है। कर्क और वृश्चिक राशि पर लघु ढैया चल रहा है। शनि के मार्गी होने से साढ़ेसाती और लघु ढैया वाले जातकों की परेशानी कुछ कम होगी। जो काम अब तक अटके हुए थे वे आगे बढ़ने लगेंगे। धन आएगा। रोग मुक्ति होगी। अन्य राशि के जातकों को भी उनकी कुंडली में शनि की स्थिति के अनुसार शुभाशुभ फल प्राप्त होंगे।
(राशियों के बारे में विस्तृत जानकारी हम अगली पोस्ट में देंगे।)

कैसे बचें साढ़ेसाती के दुष्प्रभाव से
मकर, कुंभ और मीन राशि के जातकों को काले घोड़े की नाल से बना छल्ला अपनी मध्यमा अंगुली में धारण करना चाहिए। इससे साढ़ेसाती के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलेगी। काले घोड़े की नाल से बना छल्ला न मिले तो नाव की कील से बना छल्ला भी उपयोग में लिया जा सकता है।

शनिवार के दिन शनि मंदिर में बैठकर शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। ऊं शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप रुद्राक्ष या काले हकीक की माला से करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।

पीपल के पेड़ की पूजा शनिवार को करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। शनिवार के दिन दोपहर 12 बजे से पूर्व पीपल के पेड़ में कच्चे दूध में काले तिल मिलाकर अर्पित करें। सायंकाल उसी पीपल के पेड़ के नीचे आटे के सात दीपक लगाएं। इससे शनि दोष शांत होगा।

शनिवार के दिन हनुमानजी को चमेली के तेल से सिंदूर का चोला चढ़ाकर हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। हनुमान जी को देसी घी के हलवे का नैवेद्य लगाने से शनि की शांति होती है।

शनिवार के दिन घर में लोबान की धूप लगाना चाहिए। जिन लोगों को शनि की साढ़ेसाती और ढैया है उन्हें तो विशेष रूप से यह प्रयोग करना ही चाहिए।

यदि किसी जातक की कुंडली में शनि वक्री, नीच राशि में या चौथे-आठवें-बारहवें भाव में है तो उन्हें मार्गी होने के अनेक दुष्परिणाम देखने पड़ सकते हैं। धन हानि, करियर में बाधा, रोग, विवाद जैसी स्थितियां बन सकती हैं। इनसे बचने के लिए हनुमानजी की नित्य आराधना करना आवश्यक है।

कैसा रहेगा आज का दिन 12 नवंबर 2024 मंगलवार


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
12 नवंबर 2024 मंगलवार
विक्रम संवत : 2081
शालिवाहन वाहन शके : 1946
मास : कार्तिक शुक्ल पक्ष

तिथि : एकादशी सायं 4:04 तक
नक्षत्र : पूर्वाभाद्रपद प्रात: 7:51 तक पश्चात उत्तराभाद्रपद

दिन का चौघड़िया
लाभ : प्रात: 10:48 से दोप 12:11
अमृत : दोप 12:11 से 1:34
अभिजित : प्रात: 11:49 से दोप 12:33
प्रदोषकाल : सायं 5:42 से रात्रि 8:19

रात्रि का चौघड़िया
लाभ : सायं 7:20 से रात्रि 8:57

आज विशेष : देवोत्थान एकादशी
आज का शुभ अंक : 3
आज का शुभ रंग : लाल, पीला
आज के पूज्य : मां दुर्गा
आज का मंत्र : ऊं दुं दुर्गाये नम:

आज का राशिफल
मेष : दिन सफलतादायक रहेगा। आर्थिक लाभ होगा। संपत्ति सुख मिलेगा। स्वास्थ्य में सुधार आएगा।

वृषभ : धन की तंगी दूर हो जाएगी। उधार दिया पैसा लौट आएगा। प्रेम संबंधों में मजबूती आएगी।

मिथुन : परिवार में आनंदोत्सव होगा। स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आज आर्थिक संकटों से निजात मिल जाएगी।

कर्क : संबंधों को लेकर सतर्क रहें। किसी बात पर क्रोध न करें। अनावश्यक विवाद सामने आ सकते हैं।

सिंह : धन तंगी दूर होगी। संपत्ति सुख मिलेगा। स्वास्थ्य लाभ मिलेगा। करियर की चिंता दूर होने वाली है।

कन्या : मानसिक तनाव दूर होगा। काम सुगमता से होंगे। नौकरी और व्यवसाय में लाभ होने वाला है।

तुला : स्वास्थ्य ठीक रहेगा। परिवार में आनंदोत्सव होगा। आर्थिक लाभ होगा। प्रेम संबंधों में मजबूती आएगी।

वृश्चिक : कर्ज मुक्ति होगी। परिवार के साथ मनोरंजक यात्रा पर जाएंगे। स्वास्थ्य में सुधार होगा। प्रेम प्रगाढ़ होगा।

धनु : प्रेम प्रस्ताव मिलेगा। पैसा आएगा। युवाओं को नौकरी मिलेगी। नए काम प्रारंभ करने के लिए दिन ठीक है।

मकर : मन प्रसन्न रहेगा। मित्रों से मुलाकात होगी। पारिवारिक कार्यों पर खर्च करेंगे। स्वास्थ्य में सुधार आएगा।

कुंभ : दिन मंगलमय है। शारीरिक-मानसिक तनाव कम होंगे। प्रियजनों से मुलाकात होगी। प्यार-पैसा मिलेगा।

मीन : पद और पैसा मिलेगा। युवा नए स्टार्टअप में पैसा लगाएंगे। यात्रा होगी। प्रेमी-प्रेमिका की मुलाकात होगी।

आज का टोटका
आज लाल चंदन का तिलक अपने मस्तक और कंठ पर लगाएं। लाल पुष्प हनुमान जी या माता दुर्गा को अर्पित करें। गुड़-चने का नैवेद्य लगाएं। आज के दिन शिवलिंग पर लाल मसूर की दाल अर्पित करने से आर्थिक संकट दूर होंगे।

कैसा रहेगा आज का दिन : 11 नवंबर 2024 सोमवार


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
11 नवंबर 2024 सोमवार
विक्रम संवत : 2081
शालिवाहन वाहन शके : 1946
मास : कार्तिक शुक्ल पक्ष

तिथि : दशमी सायं 6:46 तक पश्चात एकादशी
नक्षत्र : शतभिषा प्रात: 9:39 तक

दिन का चौघड़िया
अमृत : प्रात: 6:38 से 8:01
शुभ : प्रात: 9:25 से 10:48
चर : दोप 1:34 से 2:57
लाभ : दोप 2:57 से सायं 4:20
अमृत : सायं 4:20 से 5:43
अभिजित : प्रात: 11:48 से दोप 12:33
प्रदोषकाल : सायं 5:43 से रात्रि 8:19

रात्रि का चौघड़िया
चर : सायं 5:43 से 7:20

आज विशेष :
आज का शुभ अंक : 2
आज का शुभ रंग : सफेद, पिंक
आज के पूज्य : श्री कृष्ण
आज का मंत्र : कृं कृष्णाय नम:

आज का राशिफल
मेष : दिन शुभ है। काम सफल होंगे। पैसा आएगा। परिवार में मेहमान आएंगे। रिश्तों में सुधार आएगा।
वृषभ : विवादों से बचें। दिन सामान्य है। अटके काम चल पड़ेंगे। धन आएगा, खर्च भी होता जाएगा।
मिथुन : स्वास्थ्य का ध्यान रखें। सामाजिक दायित्व बढ़ेंगे। धन आएगा, संपत्ति के मामले सुलझेंगे।
कर्क : कामकाज में सफलता मिलेगी, नए काम प्रारंभ करेंगे। अचानक यात्राएं करनी पड़ सकती हैं।
सिंह : मांगलिक प्रसंगों में जाएंगे। आध्यात्मिकता में रुचि होगी। नौकरी और करियर की चिंता दूर होगी।
कन्या : मन प्रसन्न रहेगा। पैसा आएगा और निवेश करेंगे। दांपत्य में मजबूती आएगी। नौकरी मिलेगी।
तुला : प्रेम प्रस्ताव मिलेगा। आर्थिक संकट कम होगा। काम में तेजी आएगी। आज यात्राएं हो सकती है।
वृश्चिक : रोग दूर होंगे। परिवार में मेहमान आएंगे। दोस्तों से मुलाकात होगी। धन का संकट दूर हो जाएगा।
धनु : नए काम प्रारंभ होंगे। प्रेम संबंध मजबूत होंगे। रोग दूर होंगे। करियर की चिंता दूर होगी। सम्मान मिलेगा।
मकर : यात्राएं होंगी। परिजनों से मिलना होगा। सेहत अच्छी रहेगी। मन प्रसन्न रहेगा। पैसे की तंगी दूर होगी।
कुंभ : धन का संकट कम होगा। मन में काम करने की उत्सुकता रहेगी। स्वास्थ्य में सुधार आएगा।
मीन : स्वास्थ्य ठीक रहेगा। परिवार से मिलना होगा। दांपत्य जीवन मधुर रहेगा। धन की तंगी दूर होने वाली है।

आज का टोटका
आज सभी राशि के जातक शिवजी के मंदिर जाएं और उन्हें पांच बिल्व पत्र और एक जनेऊ अर्पित करें। अपनी समस्या कहें और वहीं बैठकर शिव चालीसा का पाठ करें। संकट दूर होंगे।

Tag : aaj ka panchang, kaisa rahega aaj ka din, aaj ka upay, aaj ka totka.