गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य
.
साल 2025 में सबसे बड़ा राशि परिवर्तन होने जा रहा है। यह राशि परिवर्तन है शनि का। शनि ढाई साल बाद अपनी राशि बदलने जा रहा है। 29 मार्च 2025 को शनि कुंभ राशि को छोड़कर मीन राशि में प्रवेश करने जा रहा है। कुंभ शनि की स्वयं की राशि है और अब वह गुरु की राशि मीन में प्रवेश करने जा रहा है। शनि के इस गोचर से साढ़ेसाती का गणित भी बदलने वाला है। मकर राशि साढ़ेसाती से मुक्त हो जाएगी, जबकि मेष राशि पर साढ़ेसाती प्रारंभ हो जाएगी। शनि 29 मार्च 2025 से 3 जून 2027 तक मीन राशि में ही रहेगा। शनि के मीन राशि में जाने से कुंभ, मीन, मेष पर साढ़ेसाती रहेगी जबकि सिंह और धनु राशि पर लघु कल्याणी ढैया प्रारंभ हो जाएगा।
आइए विस्तार से जानते हैं किस राशि पर शनि का क्या प्रभाव होने वाला है-
मेष राशि
मेष राशि के जातकों को लोहे के पाये से मस्तक पर शनि की साढ़ेसाती का प्रथम ढैय्या प्रारंभ होगा। शनि का दसवें और ग्यारहवें स्थान का स्वामी होकर बारहवें स्थान में भ्रमण करना शुभप्रद नहीं है। शासन की तरफ से परेशानी, निरर्थक यात्राएं, व्यापार-व्यवसाय व नौकरी में अड़चनें, पारिवारिक क्लेश, आर्थिक क्षेत्र में उतार-चढ़ाव, अपव्यय, स्वयं, पति-पत्नि एवं संतान को शारीरिक कष्ट, भाग्य में मंदी तथा कर्जा (ऋण) लेने की स्थिति आएगी। जन्मकालीन मंगल, शनि अथवा सूर्य पर से शनि का भ्रमण अत्यंत अरिष्टप्रद रह सकता है। आय के स्रोत में कमी आएगी। जन्मकुंडली में शनि बलवान हो तो उपर्युक्त अशुभ फलों में कमी आकर व्यावसायिक उन्नति, मित्रों से सहयोग तथा धनलाभ के योग बनेंगे।
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों पर शनि स्वर्ण पद से भ्रमण करेगा। नौकरी और व्यापार-व्यवसाय में अच्छी सफलता मिलेगी, धन लाभ, लोहा-भूमि- सीमेंट के कामकाजों से अच्छा लाभ अर्जित करेंगे। वाहन, मशीनरी और आटो पार्ट्स के काम से अच्छा लाभ कमाएंगे, जिनका विवाह नहीं हुआ है उनके विवाह का योग 2025 में बन जाएगा, यशोमान में वृद्धि होगी। इस राशि के जातकों को साल 2025 में कन्या संतान की प्राप्ति होगी। शारीरिक रोग दूर होंगे। जन्मकुंडली में यदि शनि निर्बल होगा तो पति/पत्नि व संतान पीड़ा रहेगी, मित्रों व आत्मीयजनों से विश्वासघात एवं आशा भंग होगी।
मिथुन राशि
शनि के मीन राशि में गोचर करने से मिथुन राशि के जातकों को विशेष लाभ प्राप्त होने वाले हैं। आपका भाग्योदय होगा जिससे बड़े आर्थिक लाभ मिलने वाले हैं। नौकरी, व्यवसाय में आशातीत उन्नति होगी, कोर्ट-कचहरी के मामलों में अनुकूलता, प्रभावशाली व्यक्तियों से परिचय होगा एवं उनसे लाभ होगा। पारिवारिक और सामाजिक जीवन में प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। यदि जन्मांग अर्थात् आपकी कुंडली में जन्मकालीन शनि बलहीन होगा तो माता-पिता को पीड़ा, राजभय, नौकरी-व्यवसाय में परिवर्तन-बाधा, दांपत्य जीवन में विरोध की स्थिति बनेगी। शारीरिक स्वास्थ्य कमजोर रहेगा।
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए शनि का मीन राशि में गोचर करना मिलजुला फलदायी रहने वाला है। शनि का लघु कल्याणी ढैया इस राशि से हट जाएगा। इस राशि के जिन जातकों की जन्मकुंडली में शनि मजबूत और शुभ स्थानों में होगा उन्हें तो अच्छी सफलताएं मिलने वाली है किंतु जिनकी कुंडली में शनि खराब स्थिति में है उन्हें विपरीत परिणाम भोगने पड़ेंगे। नौकरी-धन्धे में सफलता, धनलाभ, धर्म-कर्म में अभिरुचि, संत समागम, लाभकारी यात्राएं, यश-प्रतिष्ठा में वृद्धि एवं संतान सुख प्राप्त होगा। जन्मतः शनि निर्बल होने पर भाई- बहन व मित्रों को कष्ट, संतति से पीड़ा, शत्रुभय, आर्थिक परेशानी, अनिष्ट प्रसंग, पति/पत्नि के स्वास्थ्य में खराबी एवं कार्यों में विघ्न आएंगे।
सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों को शनि के मीन राशि में गोचर करने से लघुकल्याणी ढैय्या अष्टम स्थान में लौह पाद से प्रारंभ होगा। शनि आपके छठे एवं सातवें स्थान का स्वामी होकर अष्टम स्थान में भ्रमण करेगा जो शुभप्रद नहीं है। स्वयं व जीवनसाथी को शारीरिक पीड़ा, नौकरी-व्यवसाय में परेशानी, आर्थिक हानि, कोर्ट के मामलों में प्रतिकूलता, मित्र, वाहन व पशु हानि, निरर्थक यात्राएं, दुर्जनों से संगति, मनस्ताप तथा स्वजनों को कष्ट होंगे। जन्मत: शनि की स्थिति अच्छी होने पर भागदौड़ के साथ धनलाभ होगा, सफलता मिलेगी एवं अटके हुए कार्य पूर्ण होगे। स्वास्थ्य में लाभ होगा।
कन्या राशि
मीन राशिगत शनि का कन्या राशि पर प्रभाव ज्यादा शुभ नहीं रहेगा। पति/पत्नि में दीर्घ रोग, नौकरी-व्यवसाय में परेशानी, भागीदारी के कार्यों में हानि, शारीरिक पीड़ा, परदेशवास, कष्टदायक प्रवास, पुरुष की जन्मकुंडली में द्विभार्या योग होने पर पत्नि को अनिष्ट, कार्यों में विलंब तथा धन हानि के योग बनेंगे। इस राशि के जिन लोगों की जन्मकुंडली में शनि शुभप्रद होगा उन्हें आर्थिक लाभ, व्यावसायिक उन्नति, कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय एवं द्विभार्या योग होने में पुनर्विवाह के भी योग बनेंगे। जिन लोगों का विवाह नहीं हुआ है और कहीं तय भी नहीं हो पा रहा उनका विवाह इस साल होने के पूरे योग बनेंगे। धार्मिक यात्राएं होंगी।
तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए शनि का राशि परिवर्तन कुछ मामलों में अत्यंत लाभदायक रहने वाला है। इस साल आपके सारे शत्रु समाप्त हो जाएंगे, आरोग्यता प्राप्त होगी, द्रव्यलाभ होगा, कोर्ट के मामलों में विजय, ऋण (कर्ज) से छुटकारा, नौकरी-व्यवसाय में सफलता, नए कामकाज प्रारंभ करेंगे, मित्रों से लाभ, स्थायी संपत्ति प्राप्ति होगी तथा पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी । जिन जातकों का जन्मकालीन शनि निर्बल होगा उन्हें एकाधिक बार स्थान परिवर्तन का सामना करना पड़ेगा, अनावश्यक व्यय होंगे, माता व संतान को पीड़ा होगी तथा विद्यार्थियों को शिक्षा में विघ्न बाध की स्थिति बनेगी। साल 2025 में बड़े बदलावों का सामन करना होगा।
वृश्चिक राशि
शनि के मीन राशि में जाने के कारण वृश्विक राशि के जातकों पर से लघु कल्याणी ढैया हट जाएगा। इसलिए मिलाजुला फल मिलने वाला है। संतति को लेकर चिंता, परिवार में अनिष्ट प्रसंग, स्थान परिवर्तन, शेयर्स में हानि, विद्याध्ययन में रूकावट, आय से अधिक व्यय, नौकरी-धन्धे में उतार-चढ़ाव, पति/पत्नि को शारीरिक पीड़ा एवं बुद्धि भ्रम होगा । इस राशि के जिन जातकों की जन्मकुंडली मंक शनि श्रेष्ठ और मजबूत होगा उन्हें शिक्षा में पूर्णता का योग, कन्या संतान सुख, स्थायी संपत्ति की प्राप्ति, मित्रों से सुख एवं नौकरी-व्यवसाय में उन्नति प्राप्त होगी।
धनु राशि
शनि के मीन राशि में जाने से धनु राशि के जातकों को शनि का लघुकल्याणी ढैय्या चतुर्थ स्थान में लोहे के पाये से प्रारंभ होगा। इनके लिए शनि द्वितीय व तृतीय स्थान का स्वामी है। इसलिए स्थान परिवर्तन के योग बन रहे हैं, यात्रा में कष्ट हो सकता है, सौख्यता में कमी आएगी, स्वजनों से विरोध का सामना करना पड़ेगा, माता-पिता को शारीरिक पीड़ा एवं राजकीय संकट की स्थिति बन सकती है। जन्मकुंडली में शनि बलवान हो तो जमीन-जायदाद व वाहन सुख प्राप्त होगा, नौकरी-व्यवसाय में सफलता, फंसा हुआ- डूबा हुआ (नष्टांश) धन की प्राप्ति एवं कार्य सिद्धि होगी।
मकर राशि
शनि के मीन राशि में जाने से मकर राशि के जातकों पर से शनि की साढ़ेसाती समाप्त हो जाएगी। इससे लाभ प्राप्त होने लगेगा। उद्योग-धन्धा-नौकरी में उत्कर्ष प्राप्त करेंगे, अनेक माध्यमों से धनलाभ होगा, सर्वत्र अनुकूलता प्राप्त होगी, पद-पराक्रम में वृद्धि होगी, भातृसुख में वृद्धि, शत्रुनाश, आरोग्यता, भूमिलाभ, अभीष्ट कार्यों में सफलता एवं यशोमान की प्राप्ति होगी। सामाजिक जीवन में नए और बड़े पद मिल सकते हैं। जन्मकुंडली में शनि कमजोर होने पर कष्टप्रद यात्राएं, भाई-बहन व सन्तान को पीड़ा, मानसिक अशांति, इच्छा विरूद्ध स्थान परिवर्तन, अपयश तथा कुटुंबिक क्लेश होगा।
कुम्भ राशि
कुंभ राशि के जातकों को चांदी के पाये से शनि की साढ़ेसाती का अंतिम ढैय्या चरणों से प्रारंभ होगा। आपकी राशि कुंडली के अनुसार शनि बारहवें और प्रथम स्थान का स्वामी होकर द्वितीय स्थान में भ्रमण करेगा जो शुभप्रद नहीं है। प्रियजन का वियोग, धनहानि, पैतृक संपत्ति में विवाद, कुटुंबिक क्लेश, कदाचित गृहत्याग, पति/पत्नि को शारीरिक कष्ट, यश में कमी, नकारात्मक विचार एवं ऋण (कर्ज) लेने की स्थिति बनेगी। यदि जन्मांग में शनि बलवान होगा तो आय में वृद्धि के योग बनेंगे। कोर्ट में अनुकूलता होगी। स्थायी संपत्ति की प्राप्ति होगी। यशोमान में वृद्धि होगी।
मीन राशि
मीन राशि के जातकों को सुवर्ण के पाद से शनि की साढ़ेसाती का दूसरा ढैय्या हृदय पर प्रारंभ होगा। शनि एकादश व द्वादश स्थान का स्वामी होकर प्रथम भाव में भ्रमण करने पर स्वास्थ्य में गड़बड़ी, नौकरी-धन्धे में उतार-चढ़ाव, कार्यों में रूकावट, स्वजनों का वियोग, स्थानांतरण, प्रवास योग, भागीदारी से हानि, नैराश्य भाव एवं पति/पत्नि को पीड़ा होगी। जन्म का शनि श्रेष्ठप्रद हो तो रूके हुए कार्य पूर्ण होंगे, आत्मबल में वृद्धि, लाभकारी यात्राएं व धनसुख योग बनेगा। प्रेम संबंध या विवाहेत्तर संबंध बन सकते हैं। उच्च शिक्षा के विद्यार्थी के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण होगा।
शनि बदलेगा राशि
29 मार्च 2025 से मीन में
3 जून 2027 से मेष में
शनि वक्री समय
13 जुलाई 2025 से
28 नवंबर 2025 तक
कुल अवधि 138 दिन
शनि अस्त समय
28 फरवरी 2025 से
6 अप्रैल 2025 तक
अवधि कुल 37 दिन
29 मार्च 2025 तक साढ़ेसाती और लघु ढैया
मकर : अंतिम ढैया
कुंभ : दूसरा ढैया
मीन : पहला ढैया
कर्क और वृश्चिक पर लघु ढैया
29 मार्च 2025 से साढ़ेसाती और लघु ढैया
कुंभ : अंतिम ढैया
मीन : दूसरा ढैया
मेष : पहला ढैया
सिंह और धनु पर लघु ढैया