देवउठनी एकादशी से प्रारंभ हो जाएंगे विवाह, ये हैं मुहूर्त


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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देवउठनी एकादशी पर 12 नवंबर 2024 मंगलवार को श्रीहरि विष्णु के योग निद्रा से जाग जाने के साथ ही मांगलिक कार्यों पर लगा प्रतिबंध हट जाएगा और वैवाहिक आयोजन प्रारंभ हो जाएंगे। देवउठनी एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी, देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। इन दिन तुलसी विवाह के आयोजन भी होते हैं। मंदिरों- घरों में गन्ने से आकर्षक मंडप सजाकर उसमें तुलसी-शालिग्राम का विवाह करवाया जाता है। इसके साथ ही मनुष्यों के लिए भी वैवाहिक आयोजन प्रारंभ हो जाते हैं। देवउठनी एकादशी अबूझ मुहूर्त होता है इसलिए इस दिन बड़ी संख्या में निजी और सामूहिक विवाह के कार्यक्रम होते हैं।

यहां हम पाठकों की सुविधा के लिए नवंबर से मार्च तक के विवाह मुहूर्त प्रस्तुत कर रहे हैं। ये शुद्ध वैवाहिक मुहूर्त हैं। भावी वर-वधु के नाम की राशि से विवाह के मुहूर्त निकलवाने के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते हैं।

नवंबर में विवाह मुहूर्त
16 नवंबर शनिवार, मार्गशीर्ष कृष्ण प्रथम
22 नवंबर शुक्रवार, मार्गशीर्ष कृष्ण सप्तमी
26 नवंबर मंगलवार, मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी
27 नवंबर बुधवार, मार्गशीर्ष कृष्ण द्वादशी

दिसंबर में विवाह मुहूर्त
5 दिसंबर गुरुवार, मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्थी
6 दिसंबर शुक्रवार, मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी-षष्ठी
7 दिसंबर शनिवार, मार्गशीर्ष शुक्ल षष्ठी
14 दिसंबर शनिवार, मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्दशी

जनवरी 2025 में विवाह मुहूर्त
16 जनवरी गुरुवार, माघ कृष्ण तृतीया
17 जनवरी शुक्रवार, माघ कृष्ण चतुर्थी
22 जनवरी बुधवार, माघ कृष्ण अष्टमी

फरवरी 2025 में विवाह मुहूर्त
3 फरवरी सोमवार, माघ शुक्ल षष्ठी
4 फरवरी मंगलवार, माघ शुक्ल सप्तमी
7 फरवरी शुक्रवार, माघ शुक्ल दशमी
13 फरवरी गुरुवार, फाल्गुन कृष्ण प्रतिपदा
18 फरवरी मंगलवार, फाल्गुन कृष्ण षष्ठी
20 फरवरी गुरुवार, फाल्गुन कृष्ण सप्तमी
21 फरवरी शुक्रवार, फाल्गुन कृष्ण अष्टमी
25 फरवरी मंगलवार, फाल्गुन कृष्ण द्वादशी

मार्च 2025 में विवाह मुहूर्त
5 मार्च बुधवार, फाल्गुन शुक्ल षष्ठी
6 मार्च गुरुवार, फाल्गुन शुक्ल सप्तमी

विशेष :
15 दिसंबर 2024 से 14 जनवरी 2025 तक धनु मलमास रहने से विवाह नहीं होंगे।
19 मार्च 2025 से 23 मार्च 2025 तक चार दिन शुक्र अस्त रहने से विवाह नहीं होंगे।
14 मार्च 2025 से 14 अप्रैल 2025 तक मीन मलमास रहने से विवाह नहीं होंगे।

भूत-प्रेत की बाधा दूर करते हैं ये स्टोन


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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क्या आपको अपने आसपास किसी के होने का एहसास होता है, जो दिखाई नहीं देता लेकिन लगता है कि कोई आसपास है। क्या कभी आप घर में अकेले हों लेकिन ऐसा लगता है कि आपको कोई घूर रहा है, क्या आपको अचानक से बैठे-बैठे कंपकंपी लगती है, कभी अचानक तेज गर्मी तो कभी अचानक ठंड लगने लगती है। क्या रात में आपको डरावने सपने आते हैं, नींद में आपको सीने में भारीपन और घबराहट सी महसूस होती है।

यदि आपके साथ ऐसे लक्षण हो रहे हैं तो सावधान होने की जरूरत है। आपके घर में कोई नकारात्मक ऊर्जा आ चुकी है और आप उससे घिरते जा रहे हैं। यदि लगातार आपके साथ ऐसा कुछ हो रहा है तो यह आपके लिए घातक भी हो सकता है। इसके लिए रत्न ज्योतिष में कुछ ऐसे रत्न बताए गए हैं जिन्हें आप धारण करेंगे तो ऐसी अनेक नकारात्मक ऊर्जाओं से बच सकेंगे। ये रत्न भूत-प्रेत की बाधाएं दूर करने की शक्ति रखते हैं।

ब्लैक तुरमली (black tourmaline)
यह एक ऐसा काला चिकना पत्थर होता है जो आपको सभी तरह की नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है। इसे अंगूठी, पेंडेंट और माला के रूप में पहना जा सकता है।

ब्लैक ओनेक्स (black onyx)
इस स्टोन को पहनने से शरीर की नकारात्मक ऊर्जा तो बाहर निकलती ही है आपके अंदर चुनौतियों से लड़ने का आत्मविश्वास आ जाता है। ब्लैक ओनेक्स को पिरामिडनुमा पेंडेंट में पहनना चाहिए।

टाइगर आई (tiger eye)
यह सबसे पावरफुल स्टोन होता है। इसे पहनने से आपके आसपास जितनी भी नकारात्मक ऊर्जा आ गई है वह दूर हो सकती है। इसे बड़े आकार में अंगूठी के रूप में पहना जाता है।

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क्या हैं लाभ
इन तीनों में से कोई एक स्टोन आपको अवश्य धारण करना चाहिए। इससे आपको मानसिक मजबूती मिलती है। आपको अपने कामकाज करने में आत्मविश्वास रहने से काम आसानी से सफल हो जाते हैं। जिन लोगों को मिर्गी, स्ट्रोक या मानसिक रोग है उन्हें ये स्टोन अवश्य पहनने चाहिए।

मानसिक रोगियों को इन स्टोन को पानी में डालकर वो पानी पिलाना चाहिए, इससे कुछ ही महीनों में मानसिक रोग दूर होकर व्यक्ति पूरी तरह स्वस्थ हो जाता है।

इन स्टोन को धारण करने से व्यक्ति कठिन से कठिन चुनौतियों का सामना करने का सामर्थ्य प्राप्त कर लेता है और कोई चुनौती उसे बड़ी नहीं लगती, वह सभी पर जीत प्राप्त कर लेता है। विद्यार्थियों को टाइगर आई जरूर पहनना चाहिए।

मंगलवार को करें यह काम, खुल जाएगी किस्मत


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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यदि आप संकटों से घिरे हुए हैं, जी-जान से मेहनत करने के बाद भी धन नहीं आ रहा है, कर्ज में डूबते जा रहे हैं, रोग आपको या आपके परिवार को घेरे हुए है, बार-बार दुर्घटना हो रही है तो मंगलवार के दिन आपको ये उपाय अवश्य करने चाहिए।

अष्टसिद्धि, नवनिधि के दाता हनुमानजी महाराज स्मरण करने मात्र से किसी न किसी रूप में प्रकट होकर आपकी समस्याओं का समाधान अवश्य करते हैं। मंगलवार हनुमानजी का सबसे प्रिय दिन होता है, क्योंकि इसी दिन उनका जन्म हुआ था। मंगलवार को हनुमानजी से जुड़े उपाय करने से, उनकी विशेष पूजा करने से, उनके मंत्रों का जाप करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और किसी न किसी रूप में आपकी समस्या का हल प्रदान करते हैं। आइए जानते हैं हनुमानजी को प्रसन्न करने के उपाय-

मंगलवार के दिन किसी ऐसे हनुमान मंदिर का चयन करें जो निर्जन स्थान में, जंगल में या शहर-गांव की सीमा से बाहर हो। ऐसे मंदिर में जाकर वहां साफ-सफाई करें। हनुमानजी को चमेली के तेल में घोलकर सिंदूर का चोला चढ़ाएं। उन्हें सुंदर लाल रंग की लंगोट पहनाएं। उत्तरीय वस्त्र पहनाएं। जनेऊ धारण करवाएं। आकर्षक श्रृंगार करें। चमेली के फूलों की माला पहनाएं। मीठे पान का बीड़ा भेंट करें। गुड़-चने का नैवेद्य लगाएं, श्रीफल अर्पित करें। फिर उसी मंदिर में बैठकर सात बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। इसके बाद उनसे अपने अभीष्ट कामना की पूर्ति का अनुरोध करें और फिर कर्पूर से आरती करें। आपकी सारी समस्याओं का समाधान सात दिन के अंदर हो जाएगा।

मंगलवार के दिन सिद्ध हनुमान कड़ा धारण करें। यह कड़ा पंचधातु से बना हुआ होना चाहिए। इस कड़े को हनुमानजी के चरणों में रखकर ऊं हं हनुमते नम: मंत्र की 11 माला से सिद्ध करें। मंगलवार के दिन इसे पहनने से आपके सारे संकट दूर हो जाएंगे। धन, संपत्ति, सुख, सम्मान, निरोगी शरीर की प्राप्ति होती है।

मंगलवार के दिन हनुमान यंत्र की स्थापना घर में करना चाहिए। यह यंत्र पंचधातु में बना हुआ होना चाहिए। इस यंत्र को घर के पूजा स्थान में रखकर इसका नित्य दर्शन-पूजन करने से सारे संकट दूर हो जाते हैं।

मंगलवार के दिन एक पानी वाला नारियल लें। इस पर सिंदूर से श्री राम लिखें। इसे आंकड़े के पत्तों में लपेटें और ऊपर से मौली से बांध दें। इस नारियल को हनुमानजी के चरणों में रखें और अपनी समस्याओं का समाधान करने की प्रार्थना करें। इसके बाद इस नारियल को ले जाकर नदी में विसर्जित कर आएं। नदी न हो तो तालाब, कुएं, बावड़ी में डाल आएं।

9 नवंबर कार्तिक अष्टमी पर करें दान, मिलेगा लाख गुना फल


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को महादानी अष्टमी या फलदानी अष्टमी भी कहा जाता है। शिवपुराण का कथन है कि इस अष्टमी के दिन श्रवण नक्षत्र की साक्षी में महायोग बनता है, जिसमें दान की गई वस्तुएं, धन, स्वर्ण आदि लाख गुना होकर मनुष्य को प्राप्त होता है। इस दिन दान करने वाले मनुष्यों को महा पुण्यफल की प्राप्ति होती है और वह कभी समाप्त न होने वाले स्वर्ण भंडार का मालिक बनता है। इसलिए इस दिन मनुष्यों को अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार धन, स्वर्ण, फल, खाद्य वस्तुओं का दान करना चाहिए।

किन्हें करें दान
कार्तिक शुक्ल अष्टमी के दिन श्रेष्ठ ब्राह्मण को धन आदि का दान अवश्य देना चाहिए। यदि उत्तम ब्राह्मण उपलब्ध न हो तो किसी निर्धन परिवार, निशक्त परिवार को वस्तुओं का दान करें।

क्या है महत्व
शिव महापुराण के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन भगवान शिव और मां पार्वती पृथ्वी पर भ्रमण करने निकले। इस दौरान उन्होंने साधु और साध्वी का भेष बनाया और एक निर्धन व्यक्ति के द्वार पर जा पहुंचे। निर्धन व्यक्ति ने साधु और साध्वी को देखा तो हाथ जोड़कर आंखें में अश्रु लेकर बोला- महाराज मैं अत्यंत गरीब हूं। मेरे पर आपको देने के लिए कुछ नहीं है। इस पर साधु रूप में शिवजी ने कहा कि तुम्हारी कुटिया की छत पर जो सूखा फल पड़ा हुआ है वही हमें दे दो। व्यक्ति ने देखा तो छत पर सचमुच एक सूखा फल पड़ा हुआ था। उसने वह साधु को भेंट कर दिया। इस पर शिवजी ने आशीर्वाद दिया कि जा आज से तेरी गरीबी दूर हुई। तुझे ऐसे एक लाख स्वर्ण के फल प्राप्त होंगे। इतना कहकर शिवजी और मां पार्वती चले गए। उस निर्धन व्यक्ति के दिन फिर गए और उसे एक लाख स्वर्ण फल प्राप्त हुए।

नीचे दिए गए क्यूआर कोड पर आप भी दान करें राशि
आप पाठकों की सुविधा के लिए हम नीचे एक नंबर और क्यूआर कोड दे रहे हैं। गूगल पे, पेटीएम के माध्यम से आप इस महा अष्टमी के दिन धन का दान करें। आपका धन निशक्त, निर्धन और गरीबों तक पहुंचाया जाएगा। यह धन निर्धन लोगों को भोजन करवाने, उनके उपचार, गरीब बच्चों की शिक्षा जैसे पुनीत कार्य में खर्च किया जाएगा। इस दिन किया गया दान आपको एक लाख गुना होकर निश्चित रूप से प्राप्त होगा।

3 नवंबर को बंद हो जाएंगे केदारनाथ धाम के पट


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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12 ज्योतिर्लिंगों में से एक जन-जन की आस्था के केंद्र विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट 3 नवंबर 2024 को प्रात: ठीक 8:30 बजे बंद कर दिए जाएंगे। प्रतिवर्ष शीतकाल के दौरान मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। केदारनाथ धाम के कपाट छह महीने के लिए बंद किए जाते हैं। इसके बाद अप्रैल-मई में पुन: कपाट खोले जाते हैं।

शनिवार को विशेष पूजा अर्चना के बाद केदारबाबा की पंचमुखी डोली को मंदिर में विराजमान किया गया। केदारनाथ में कपाट बंद होने के कारण आगामी छह महीने की पूजा अर्चना एवं भोले बाबा के दर्शन ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में होते हैं।

क्या रहेगी योजना
3 नवंबर भाईदूज के अवसर पर परंपरानुसार रात्रि 2 बजे से 3:30 बजे तक भक्तों को जलाभिषेक करने की अनुमति रहेगी। इसके बाद गर्भगृह की साफ सफाई करने के बाद तड़के 4:30 बजे बाबा केदारनाथ को पूजा अर्चना, अभिषेक एवं आरती करने के साथ ही भोग लगाया जाएगा। इसके बाद समाधि पूजा करने के बाद भगवान को छह महीने की समाधि दी जाएगी। प्रात: ठीक 6 बजे गर्भगृह के कपाट बंद कर दिए जाएंगे और सभामंडप में स्थापित बाबा केदार की पंचमुखी डोली के सुबह 8:30 बजे मंदिर से बाहर आने के बाद पौराणिक विधिविधान के साथ मंदिर के मुख्य कपाट के साथ ही पीछे के कपाट को बंद कर सील कर दिया जाएगा।

रामपुर में पहला पड़ाव
केदारनाथ से रवाना होगा इसी दिन बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली रात्रि प्रवास के लिए अपने पहले पड़ाव रामपुर पहुंचेगी। 4 नवंबर को डोली रामपुर से प्रातः प्रस्थान कर फाटा, नारायकोटी होते हुए रात्रि विश्राम के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। 5 नवंबर को चल-विग्रह डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी से प्रस्थान कर 11 बजकर 20 बजे अपने शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी। पूर्व परंपरा के अनुसार अपने गद्दी स्थल पर डोली को विराजमान किया जाएगा।

खास बात
केदारनाथ मंदिर उत्तरी भारत के पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है, जो समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है। इस क्षेत्र का ऐतिहासिक नाम “केदार खंड” है। केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड में चार धाम और पंच केदार का एक हिस्सा है और भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

2025 में कब खुलेंगे कपाट
केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई 2025 को प्रात: 4 बजकर 15 मिनट पर मेष लग्न में खोले जाएंगे।

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शुभ नहीं है गुरु-शुक्र का एक-दूसरे की राशि में गोचर


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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शुक्र 7 नवंबर 2024 से गुरु की राशि धनु में प्रवेश कर रहा है और गुरु पूर्व से ही शुक्र की राशि वृषभ में है। इन दोनों ग्रहों का एक-दूसरे की राशि में गोचर करना शुभ नहीं होता है। यह एक प्रकार के द्वंद्व योग का निर्माण करता है। इस योग के प्रभाव में लोगों में आपसी मतभेद उभरते हैं, विवाद होते हैं और संबंध खराब होते हैं। दांपत्य, वैवाहिक जीवन में परेशानी आती है और लोग कई निर्णय लेने में भ्रम की स्थिति में रहते हैं। शुक्र 2 दिसंबर 2024 को राशि बदलकर मकर में जाएगा तब तक का 26 दिन का समय सभी राशि के जातकों को संयमपूर्वक और शांति से रहना होगा।

राशियों पर असर
मेष : संपत्ति और धन को लेकर भाई-बहनों से विवाद होगा। आपकी बात को महत्व नहीं मिलने से परेशान रहेंगे।
वृषभ : आर्थिक कष्ट आएगा। परिवार में संबंध खराब होंगे। आपकी वाणी खराब होने से लोग आपसे दूर जाएंगे।
मिथुन : दांपत्य जीवन में टकराव हो सकता है, विवादों में फंस सकते हैं। साझेदारी के कार्यों में सतर्कता रखें।
कर्क : मानसिक रूप से विचलित रहेंगे। शत्रु परेशान करेंगे। धन आएगा किंतु खर्च उससे अधिक हो जाएगा।
सिंह : प्रेम संबंध टूट सकते हैं। हालांकि पैसा अच्छा आएगा। भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि होने के संकेत हैं।
कन्या : सुख प्राप्त होगा, पैसा आएगा, दांपत्य जीवन में विवाद हो सकता है। अपनी बात मनवाने पर जोर न दें।
तुला : समय कष्टकारी है। भाई-बहनों से विवाद बढ़ सकता है। शारीरिक कष्ट आएगा। धन की हानि हो सकती है।
वृश्चिक : अपनी वाणी के कारण स्वयं ही मुसीबत में फंसेंगे, पैसों को लेकर विवाद होगा। स्वास्थ्य बिगड़ेगा।
धनु : पैसों का अपव्यय होगा। शारीरिक कष्ट के उपचार में धन खर्च होगा। पति-पत्नी में विवाद हो सकता है।
मकर : परिवार के साथ सामंजस्य बनाने का प्रयास करें। पति-पत्नी में टकराव होगा। शारीरिक कष्ट होगा।
कुंभ : धन आएगा किंतु खर्च भी हो जाएगा। परिवार से विवाद होगा। आपकी वाणी का प्रभाव कम होगा।
मीन : पिता से विवाद हो सकता है। शारीरिक कष्ट आ सकता है। साझेदारी में कोई कार्य प्रारंभ न करें।

क्या उपाय करें
शुक्र के धनु में गोचर के दौरान 24 दिन सभी राशियों के जातक भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण का नित्य दर्शन-पूजन करें। भगवान विष्णु को तुलसीदल नियमित रूप से अर्पित करें। सायंकाल तुलसी के समीप दीपक लगाएं।

अंधेरी रात में इन जगहों पर लगाएं दीपक, कुबेर बरसाएंगे धन


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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देवताओं के कोषाध्यक्ष और धनपति यक्षराज कुबेर का पूजन कभी दिन में नहीं किया जाता है। कुबेर का पूजन रात्रि में ही किया जाता है। इसलिए कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अंधेरी रातों में धनतेरस से लेकर दीपावली तक रात्रि में लक्ष्मी और कुबेर पूजन किया जाता है। धनतेरस की रात्रि में तो विशेष रूप से कुबेर का पूजन किया जाता है।

शास्त्रों में कुछ दीपदान का बड़ा महत्व बताया गया है और यह दीपदान भी ऐसी जगह पर किया जाता है जहां पूर्ण अंधेरा रहता हो। यदि आप कुबेर को प्रसन्न करना चाहते हैं तो धनतेरस की रात्रि में दीप प्रज्वलित करने के उपाय अवश्य करने चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है कि धनतेरस की रात्रि में जिस जगह रोशनी होती है। दीपों का उजास होता है वहां कुबेर की दृष्टि पड़ती है और वे उस स्थान को अपने स्वर्णिम आलोक से प्रकाशित कर देते हैं। अर्थात् उस स्थान पर वे अपनी कृपा बरसाते हैं।

निर्जन स्थान के शिव मंदिर में
रात्रि में शिव मंदिर में दीप लगाने का बड़ा महत्व बताया गया है। शिव महापुराण में वर्णन आया है कि ऐस शिव मंदिर जो निर्जन स्थान पर हो, जो वन में हो, जहां कई-कई दिनों तक कोई आता-जाता न हो, उस शिव मंदिर में धनतेरस की रात्रि में अखंड दीप प्रज्वलित करना चाहिए। इससे कुबेर बहुत प्रसन्न होते हैं और उस मनुष्य के घर में धन के भंडार भर देते हैं।

पीपल वृक्ष के नीचे
पीपल के वृक्ष में साक्षात भगवान विष्णु का वास होता है। इसलिए धनतेरस की रात्रि में पीपल के पेड़ के नीचे अखंड दीपक लगाना चाहिए। उस दीपक में शुद्ध घी भरकर आलोकित करना चाहिए। इससे श्रीहरि विष्णु, माता लक्ष्मी और कुबेर तीनों की कृपा प्राप्त होती है। पीपल के नीचे दीपक लगाकर वापस आते समय पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए

चार रास्तों पर दीपक
धनतेरस की अंधियारी रात में गांव-शहर के बाहर कोई ऐसा स्थान देखें जहां चार रास्ते आकर मिलते हों। वहां मध्यरात्रि में दीपक लगाएं।

इन जगहों पर भी लगाएं दीपक
– धनतेरस की रात्रि में अपने घर में अखंड दीपक प्रज्वलित करें।
– घर की तिजोरी, दुकान का गल्ला, जहां आप अपना धन रखते हैं, स्वर्णाभूषण रखते हैं ऐसे स्थानों पर दीपक लगाएं।
– धनतेरस की रात्रि में कुएं की पाल पर आटे के सात दीपक बनाकर लगाएं इससे कुबेर की कृपा प्राप्त होती है।
– तुलसी, शमी, बरगद-नीम-पीपल की त्रिवेणी में दीपक लगाएं।

आज का पंचांग : 26 अक्टूबर 2024, शनिवार


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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आज कार्तिक कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि है। शनिवार का दिन है। हनुमानजी और शनिवार का दिन है। आज हनुमान मंदिर जाएं, दर्शन करें, हनुमानजी को गुड़ और चने का नैवेद्य लगाएं और मंदिर में बैठकर ही हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें। जिन लोगों को शनि की साढ़ेसाती चल रही है वे आज के दिन शनि मंदिर में बैठकर शनि स्तोत्र का पाठ करें। शनिदेव को पांच चीजें चढ़ाएं। एक काले कपड़े में काले उड़द, काले तिल, पीली सरसों और लोहा बांधकर चुपचाप शनिदेव के चरणों में रख आएं और पीड़ा से मुक्ति देने की प्रार्थना करें। मकर, कुंभ और मीन राशि के जातकों को यह उपाय अवश्य करना चाहिए।

विक्रम संवत : 2081
शालिवाहन वाहन शके : 1946
मास : कार्तिक कृष्ण पक्ष
ऋतु : हेमंत
अयन : दक्षिणायन

तिथि : दशमी दूसरे दिन प्रात: 5:23 तक
नक्षत्र : आश्लेषा प्रात: 9:44 तक
योग : शुक्ल दूसरे दिन प्रात: 5:56 तक
करण : वणिज सायं 4:18 तक पश्चात भद्रा

सूर्योदय : 6:29:25
सूर्यास्त : 5:51:22

चंद्रास्त : दोप 2:33
चंद्रोदय : रात्रि 2:02

आज की ग्रह स्थिति
सूर्य: तुला
चंद्र: कर्क, प्रात: 9:44 से सिंह में
मंगल : कर्क
बुध : तुला
गुरु : वृषभ, वक्री
शुक्र : वृश्चिक
शनि : कुंभ, वक्री
राहु : मीन
केतु : कन्या

दिन का चौघड़िया
शुभ : प्रात: 7:55 से 9:20
चर : दोप 12:10 से 1:36
अमृत : दोप 3:01 से सायं 4:26
अभिजित : प्रात: 11:48 से दोप 12:33
प्रदोष काल : सायं 5:51 से रात्रि 8:24

रात्रि का चौघड़िया
लाभ : सायं 5:51 से 7:26

त्याज्य समय
राहु काल : प्रात: 9:20 से 10:45
यम घंट : दोप 1:36 से 3:01

आज विशेष :
आज का शुभ अंक : 8
आज का शुभ रंग : काला, नीला, आसमानी
आज के पूज्य : हनुमानजी
आज का मंत्र : ऊं हं हनुमते नम:

धनतेरस : 29 अक्टूबर के पूजन मुहूर्त, विधि और योग


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस या धन त्रयोदशी मनाई जाती है। इसी दिन आयुर्वेद के देवता धनवंतरि समुद्र मंथन में से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस दिन उनकी जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष धनतेरस 29 अक्टूबर 2024 मंगलवार को मनाई जाएगी। इस दिन मंगलवार और त्रयोदशी का संयोग होने के कारण भौम प्रदोष का शुभ संयोग भी बना है। 29 अक्टूबर को त्रयोदशी तिथि प्रात: 10:32 से प्रारंभ होकर 30 अक्टूबर को दोपहर 1:14 बजे तक रहेगी। इसलिए धनतेरस की पूजा 29 अक्टूबर को सायंकाल में ही की जाएगी।

क्या खरीदें
धनतेरस के दिन स्वर्णाभूषण, वाहन, संपत्ति, भूमि-भवन, पीतल, तांबे, कांसे के बर्तन आदि खरीदे जाते हैं। 29 अक्टूबर को ऐंद्र योग रहेगा। इसलिए धनतेरस के दिन शुभ मुहूर्त में वस्तुओं की खरीदी अवश्य करें।

विशेष योग-संयोग
29 अक्टूबर को खरीदी के लिए पूरा दिन अत्यंत शुभ रहेगा। इस दिन भौम प्रदोष का संयोग होने से आभूषण, पीतल के बर्तन, सोना-चांदी खरीदना शुभ रहेगा। इस दिन सायं 5.49 से रात्रि 8.23 तक प्रदोष वेला रहेगी जिसमें धन का पूजन, बही खातों का लेखन-पूजन आदि करना चाहिए।

धनतेरस के पूजन मुहूर्त
सायं 7.25 से रात्रि 8.59 बजे तक
अवधि 1 घंटा 34 मिनट

प्रदोष काल मुहूर्त
सायं 5.49 से रात्रि 8.23 बजे तक
अवधि 2 घंटे 34 मिनट

वृषभ लग्न मुहूर्त
सायं 6:47 से रात्रि 8:45 बजे तक
अवधि 1 घंटा 58 मिनट

सिंह लग्न मुहूर्त
मध्य रात्रि 1:15 से 3:26
अवधि 2 घंटे 11 मिनट

धनतेरस पूजा विधि
धनतेरस के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर घर की साफ-सफाई करें। घर के बाहर भी आंगन को बुहारें। स्नानादि से निवृत्त होकर विभिन्न रंगों और फूलों से घर के मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर सुंदर सुंदर रंगोली सजाएं। रंगोली से देवी लक्ष्मी के चरण चिन्ह भी जरूर बनाएं। पूजा स्थान को भी साफ करके भी नियमित देवताओं का पूजन करें। धनतेरस की पूजा सायंकाल के समय की जाती है। प्रदोषकाल में या मुहूर्त काल में पूजा स्थान में उत्तर दिशा की ओर यक्षराज कुबेर और धनवंतरि की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इससे पहले भगवान गणेश और लक्ष्मी का पूजन भी करें। कुबेर को सफेद मिठाई या खीर का नैवेद्य लगाएं तथा धनवंतरि को पीली मिठाई का भोग लगाएं। पूजा में पीले-सफेद फूल, पांच प्रकार के फल अवश्य रखें।

व्यापारियों के लिए पूजा विधान
धनतेरस के दिन अपने प्रतिष्ठान, दुकान में साफ-सफाई करके नई गादी बिछाएं। जिस पर बैठकर नए बही खातों का पूजन करें। दुकान में लक्ष्मी और कुबेर का पूजन करें है। पूजा के पाने का भी पूजन किया जाता है।

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गुरु-पुष्य 24 अक्टूबर पर बना लक्ष्मीनारायण योग


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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महालक्ष्मी पूजा दीपावली से पूर्व हर साल पुष्य नक्षत्र आने की प्रतीक्षा रहती है। इस साल 24 अक्टूबर 2024 को गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र आने से गुरु-पुष्य का अत्यंत शुभ संयोग बना है। इस बार यह योग इसलिए भी अधिक प्रभावी है क्योंकि इस बार गुरु पुष्य के साथ धन संपदा के भंडार भर देने वाला लक्ष्मीनारायण योग भी बन रहा है। इसके साथ ही सर्वार्थसिद्धि और अमृत सिद्धि योग संयुक्त रूप से होने के कारण गुरु पुष्य के इस महायोग में वाहन, भूमि, भवन, संपत्ति, सोना-चांदी, आभूषण, रत्नों आदि की खरीदी करना अत्यंत शुभ और श्रेष्ठ रहेगा। इसलिए यदि आप धन संपदा में वृद्धि करना चाहते हैं तो इस दिन वस्तुओं की खरीदी अवश्य करें और जो आपके पास पहले से उपलब्ध है उनका पूजन अवश्य करें।

25 घंटे 24 मिनट रहेगा पुष्य
पंचांगों के अनुसार पुष्य नक्षत्र 24 अक्टूबर को सूर्योदय पूर्व प्रात: 6 बजकर 14 मिनट से प्रारंभ हो जाएगा जो 25 अक्टूबर को प्रात: 7: बजकर 38 मिनट तक रहेगा। इस प्रकार पुष्य नक्षत्र का संयोग संपूर्ण दिनरात मिलने वाला है। 25 घंटे 24 मिनट का पुष्य मा महामुहूर्त खरीदी आदि के लिए अत्यंत श्रेष्ठ रहेगा।

लक्ष्मीनारायण योग बना
इस बार गुरु पुष्य के संयोग के साथ लक्ष्मीनारायण योग भी बना है। लक्ष्मीनारायण योग अनेक प्रकार से बनता है। गोचर में जब बुध और शुक्र साथ आ जाएं तो लक्ष्मीनारायण योग बनता है। इसके साथ ही जब चंद्र और मंगल गोचर में एक ही राशि में साथ में आते हैं और चंद्र स्वराशि में हो तो भी लक्ष्मीनारायण योग बनता है। इसे लक्ष्मी योग भी कहा जाता है। इस बार गोचर में चंद्र और मंगल कर्क राशि में स्थित हैं और कर्क चंद्र की ही राशि है इसलिए यह योग धनप्रदायक है। 24 अक्टूबर को ही सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग भी संपूर्ण दिन रात मिलने वाला है।

गुरु पुष्य में खरीदी के महामुहूर्त

चौघड़िया अनुसार
चर : प्रात: 10:45 से 12:11
लाभ : दोप 12:11 से 1:36
अमृत : सायं 5:53 से 7:27
चर : सायं 7:27 से रात्रि 9:02
लाभ (मध्यरात्रि मुहूर्त) : रात्रि 12:11 से 1:45

अभिजित मुहूर्त
प्रात: 11:48 से दोप 12:33

प्रदोष काल मुहूर्त
सायं 5:53 से रात्रि 8:25

लग्न अनुसार मुहूर्त
वृश्चिक : प्रात: 8:14 से 10:30
कुंभ : दोप 2:22 से 3:55
वृषभ : सायं 7:07 से रात्रि 9:05
सिंह : मध्यरात्रि 1:34 से 3:36

लक्ष्मीनारायण योग में क्या करें
1. संपत्ति में वृद्धि और स्थायी संपत्ति की प्राप्ति के लिए लक्ष्मीनारायण योग में मां लक्ष्मी का पूजन अवश्य करें। सामान्य पूजन करें किंतु माता को लाल कमल या लाल गुड़हल का पुष्प अर्पित करें।
2. इस योग में सुंदरकांड का पाठ करना अत्यंत श्रेष्ठ होता है। इससे लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
3. इस दिन किसी अंधेरे कमरे के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व के मध्य) में घी का दीया लगाएं। दीये में एक पीली कौड़ी जरूर डालें
4. इस दिन अपने घर में रखे आभूषणों का पूजन करें।
5. एक मुट्ठी में थोड़े से पीले सरसों लेकर उसे अपने घर से उसारकर घर के बाहर फेंक दें इससे घर से दुर्भिक्षा और अभाव दूर हो जाता है।