कालाष्टमी 20 मई को, काल भैरव को प्रसन्न करने का दिन


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
.

ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी कहा जाता है। कालाष्टमी 20 मई 2025 मंगलवार को आ रही है। इस दिन कालभैरव का पूजन किया जाता है। कालभैरव भगवान शिव का उग्र रूप हैं जिनकी पूजा करने से जीवन से सारे शत्रुओं का नाश हो जाता है। यह दिन कालभैरव को प्रसन्न करने का दिन होता है।

हिंदू धर्म में देवताओं की एक विशाल और विविध परंपरा है, जिसमें हर देवता किसी विशेष शक्ति, ऊर्जा या तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। इन्हीं में एक अत्यंत रहस्यमय, रौद्र और शक्तिशाली स्वरूप हैं– भगवान काल भैरव। ये शिव के रौद्र रूप माने जाते हैं और न्याय, समय, मृत्यु, रहस्य, तंत्र और भय से जुड़े हुए हैं। ‘काल’ का अर्थ है ‘समय’ और ‘मृत्यु’, जबकि ‘भैरव’ का अर्थ है ‘भय का संहारक’। अतः काल भैरव को वह देवता माना जाता है जो समय और मृत्यु पर नियंत्रण रखते हैं।

काल भैरव की उत्पत्ति की कथा
काल भैरव की उत्पत्ति से संबंधित कई कथाएं पुराणों में वर्णित हैं। शिव महापुराण और कालभैरवाष्टक के अनुसार एक प्रमुख कथा इस प्रकार है: एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश के मध्य यह विवाद उत्पन्न हुआ कि ब्रह्मांड का परम स्वामी कौन है। ब्रह्मा ने दावा किया कि वे ही सृष्टिकर्ता हैं और सबसे श्रेष्ठ हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे पंचमुखी होकर हर दिशा में सब कुछ देख सकते हैं और शिव से श्रेष्ठ हैं। यह सुनकर भगवान शिव को क्रोध आया और उन्होंने अपने अंगुष्ठ के नाखून से काल भैरव को उत्पन्न किया। काल भैरव ने ब्रह्मा के पांचवें सिर को काट दिया।
यह कार्य ब्रह्महत्या के समान था, इसलिए काल भैरव को ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए काशी (वाराणसी) जाना पड़ा। वहां पहुंचकर ही उन्हें पाप से मुक्ति मिली और वे काशी के कोतवाल यानी नगरपाल कहलाए।

काल भैरव के स्वरूप
भगवान काल भैरव का स्वरूप अत्यंत रौद्र, भयभीत करने वाला किंतु साधकों के लिए अत्यंत कृपालु माना गया है। वे काले रंग के होते हैं, उनका वाहन कुत्ता होता है और वे त्रिशूल, खड्ग, डमरू, पाश आदि अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित रहते हैं। उनकी आंखें अग्निसमान चमकती हैं और उनका रूप सभी पापों और दुष्ट शक्तियों को नष्ट करने वाला होता है।
उनके आठ प्रमुख रूपों को अष्ट भैरव कहा जाता है:
1. असितांग भैरव
2. चण्ड भैरव
3. क्रोध भैरव
4. उन्मत्त भैरव
5. कपालिनी भैरव
6. भीषण भैरव
7. संहार भैरव
8. सम्भरण भैरव
इन अष्ट भैरवों की साधना तंत्रमार्गी होती है और यह गूढ़, रहस्यमय ज्ञान से जुड़ी होती है।

काल भैरव की उपासना और पूजा विधि
काल भैरव की पूजा विशेष रूप से मंगलवार और रविवार को की जाती है। विशेष अवसरों पर जैसे कालाष्टमी और भैरवाष्टमी पर इनकी विशेष उपासना की जाती है। इनकी पूजा के लिए निम्न विधि अपनाई जाती है:
1. प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. काल भैरव की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीपक जलाएं।
3. उन्हें काले तिल, सरसों का तेल, नारियल, शराब (तंत्र पद्धति में) और काले वस्त्र अर्पित किए जाते हैं।
4. कुत्ते को भोजन देना, विशेष रूप से रोटी और दूध देना, पुण्यदायी माना जाता है।
5. काल भैरव अष्टक या भैरव चालीसा का पाठ करें।

प्रसिद्ध मंत्र:
ॐ कालभैरवाय नमः ॥
या
ॐ भ्रं कालभैरवाय फट् ॥

काल भैरव और तंत्र साधना
काल भैरव को तंत्र शास्त्र का अधिपति भी माना जाता है। जो साधक तंत्र, मंत्र, यंत्र, और रहस्यवाद के मार्ग पर चलते हैं, वे काल भैरव की आराधना अवश्य करते हैं। ये साधना अत्यंत कठिन होती है और गुरु के निर्देशन में ही की जाती है। यह साधक को भय से मुक्त करती है और गूढ़ शक्तियों तक पहुंचने का मार्ग देती है।

काल भैरव और काशी का संबंध
वाराणसी (काशी) में काल भैरव मंदिर अत्यंत प्रसिद्ध है। यहां इन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है। मान्यता है कि काशी में बिना काल भैरव के दर्शन के शिव की कृपा प्राप्त नहीं होती। यह भी माना जाता है कि जो व्यक्ति काशी में काल भैरव के दर्शन करता है, उसे मृत्यु के बाद यमदूत नहीं ले जाते, बल्कि स्वयं काल भैरव उसकी आत्मा को शिवलोक तक पहुंचाते हैं।

काल भैरव और न्याय
काल भैरव को ‘न्याय का देवता’ भी माना जाता है। वे दुष्टों को दंड देते हैं और धर्म पर चलने वालों की रक्षा करते हैं। अनेक तांत्रिक और साधक, यदि उनके ऊपर अन्याय होता है, तो काल भैरव से न्याय की प्रार्थना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति असत्य, अन्याय, भ्रष्टाचार और अत्याचार करता है, काल भैरव उसकी रक्षा नहीं करते, बल्कि उसे दंडित करते हैं।

काल भैरव और समय का संबंध
‘काल’ का अर्थ ‘समय’ है। भगवान काल भैरव को समय का अधिपति माना जाता है। वे यह सिखाते हैं कि समय सबसे शक्तिशाली तत्व है और जो समय का सम्मान नहीं करता, वह उसका शिकार बनता है। अतः काल भैरव की उपासना से साधक को समय का मूल्य समझ में आता है, और वह अपने जीवन को संयम और सत्कर्मों से भर देता है।

भक्ति का फल
काल भैरव की उपासना से साधक को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
1. भय और संकटों से मुक्ति
2. तांत्रिक बाधाओं से रक्षा
3. आत्मबल और निर्णय क्षमता में वृद्धि
4. समय का सदुपयोग और जीवन में अनुशासन
5. दुष्टों से सुरक्षा और न्याय की प्राप्ति
6. मृत्यु के भय से मुक्ति

——————————-
ऑनलाइन कुंडली दिखाने के लिए हमसे संपर्क करें।
वाट्सएप नंबर 9516141614 पर अपनी जानकारी भेजें-
नाम :
जन्म तारीख :
जन्म समय :
जन्म स्थान :
पांच प्रश्न :
कुडली देखने का शुल्क 500 रुपये। पेमेंट ऑनलाइन भेजकर उसका स्क्रीन शॉट वाट्सएप करें।

वशीकरण: एक रहस्यमय और प्राचीन विद्या


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
.

वशीकरण एक प्राचीन तांत्रिक विद्या है, जिसका प्रयोग किसी व्यक्ति के मन, विचार, भावना और व्यवहार को प्रभावित करने के लिए किया जाता है। यह शब्द संस्कृत के “वश” धातु से बना है, जिसका अर्थ होता है “वश में करना” या “काबू पाना”। वशीकरण भारतीय संस्कृति में तंत्र-मंत्र और ज्योतिष शास्त्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। हालांकि आधुनिक विज्ञान इसे अंधविश्वास या मनोवैज्ञानिक प्रभाव मानता है, फिर भी भारत के कई हिस्सों में आज भी इसका व्यापक प्रभाव और आस्था देखने को मिलती है।

वशीकरण के प्रकार
वशीकरण कई प्रकार के होते हैं, जो उद्देश्य और प्रयोग के आधार पर भिन्न-भिन्न होते हैं। कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:

प्रेम वशीकरण: यह किसी व्यक्ति को प्रेम में आकर्षित करने या पुराने प्रेम को वापस लाने के लिए किया जाता है।
विवाह वशीकरण: जब कोई विवाह संबंध बनाना चाहता है लेकिन सामने वाला व्यक्ति तैयार नहीं होता, तब इसका प्रयोग किया जाता है।
व्यवसायिक वशीकरण: व्यापार या नौकरी में सफलता पाने के लिए यह प्रयोग किया जाता है।
शत्रु वशीकरण: अपने शत्रु को नियंत्रित करने या शांत करने के लिए इसे किया जाता है।
राज्य वशीकरण: पुराने काल में राजा-महाराजा अपने दरबारियों और शत्रुओं को वश में करने के लिए इसका उपयोग करते थे।

वशीकरण की प्रक्रिया
वशीकरण एक जटिल और संवेदनशील प्रक्रिया है, जिसमें मंत्र, तंत्र और विशेष सामग्री का प्रयोग किया जाता है। इसे करने के लिए पूर्ण एकाग्रता, विश्वास और अनुशासन की आवश्यकता होती है। वशीकरण की प्रक्रिया में निम्नलिखित मुख्य तत्व शामिल होते हैं:
मंत्र: विशेष प्रकार के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। जैसे – “ॐ नमः भगवते रूद्राय…” आदि।
साधना: मंत्रों को सिद्ध करने के लिए रात्रिकाल में या विशेष तिथियों पर साधना की जाती है।
सामग्री: कुछ विशेष वस्तुएं जैसे गुलाब की पंखुड़ियाँ, चंदन, कपूर, दीपक, और पीला वस्त्र इत्यादि प्रयोग में लाए जाते हैं।
तांत्रिक या गुरु का मार्गदर्शन: बिना योग्य गुरु या जानकार के वशीकरण करना हानिकारक हो सकता है, इसलिए अनुभवी तांत्रिक की सलाह आवश्यक होती है।

वशीकरण का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए, तो वशीकरण को एक प्रकार का मनोवैज्ञानिक प्रभाव या सम्मोहन (Hypnosis) माना जा सकता है। जब कोई व्यक्ति किसी के प्रभाव में आ जाता है, तो वह उसके अनुसार सोचने और कार्य करने लगता है। इसे ही कुछ लोग “वशीकरण” मान लेते हैं। कई बार यह केवल आत्म-सुuggestion या विश्वास का प्रभाव भी हो सकता है।

वशीकरण के फायदे और नुकसान

फायदे:
प्रेम संबंधों में सुधार या पुनः स्थापन।
शत्रुओं की मानसिकता को बदलना।
व्यवसाय या करियर में सकारात्मक बदलाव।
दांपत्य जीवन में सामंजस्य लाना।

नुकसान:
गलत उद्देश्य से किया गया वशीकरण दूसरों को मानसिक या भावनात्मक रूप से नुकसान पहुंचा सकता है।
यदि विधि त्रुटिपूर्ण हो तो साधक को मानसिक और शारीरिक हानि हो सकती है।
कर्म के सिद्धांत के अनुसार, किसी की स्वतंत्र इच्छा पर नियंत्रण करना पाप के अंतर्गत आता है।

नैतिक और सामाजिक दृष्टिकोण
वशीकरण को लेकर समाज में मिश्रित विचार हैं। कुछ लोग इसे एक आध्यात्मिक शक्ति मानते हैं तो कुछ इसे धोखा और अंधविश्वास का नाम देते हैं। नैतिक दृष्टि से किसी की इच्छा या सोच को जबरन बदलना एक प्रकार की मानसिक हिंसा मानी जा सकती है। इसलिए यदि वशीकरण का प्रयोग करना भी हो, तो उसे केवल सकारात्मक और नेक इरादों से किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष
वशीकरण एक प्राचीन विद्या है, जो आज भी रहस्य और आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। यह न केवल तांत्रिक ज्ञान का हिस्सा है बल्कि भारतीय संस्कृति की गहराइयों में समाया हुआ है। हालांकि इसका प्रयोग करते समय व्यक्ति को सतर्कता, नैतिकता और जिम्मेदारी के साथ काम लेना चाहिए। अंधविश्वास से दूर रहकर, सही मार्गदर्शन और अच्छे उद्देश्य के लिए किया गया वशीकरण ही सकारात्मक परिणाम ला सकता है।

ऑनलाइन कुंडली दिखाने के लिए हमसे संपर्क करें।
वाट्सएप नंबर 9516141614 पर अपनी जानकारी भेजें-
नाम :
जन्म तारीख :
जन्म समय :
जन्म स्थान :
पांच प्रश्न :
कुडली देखने का शुल्क 500 रुपये। पेमेंट ऑनलाइन भेजकर उसका स्क्रीन शॉट वाट्सएप करें।

होलाष्टक 7 मार्च से, ये टोटके कर देंगे मालामाल


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.

फाल्गुन शुक्ल अष्टमी 7 मार्च 2025 से फाल्गुन पूर्णिमा 14 मार्च तक आठ दिन का समय होलाष्टक कहलाता है। ये आठ दिन तंत्र-मंत्रों की साधना-सिद्धियों के लिए अत्यंत विशेष दिन होते हैं। इन आठ दिनों में धन-संपदा की प्राप्ति, आकर्षण, वशीकरण, रोग मुक्ति, कार्यों में सफलता, संतान की प्राप्ति, विवाह में बाधा जैसी अनेक समस्याओं को दूर करने के उपाय करने चाहिए। आइए हम जानते हैं होलाष्टक में क्या करना चाहिए।

1. धन आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। धन के बिना जीवन चलाना कठिन हो जाता है। यदि आपके पास धन की कमी है। कर्ज बढ़ता जा रहा है और पैसों की आवक बहुत कम है तो होलाष्टक के आठ दिनों में यह विशेष प्रयोग करें। होलाष्टक प्रारंभ होने के दिन अपने घर में स्फटिक, अष्टधातु, पंचधातु, सोना, चांदी या तांबे का श्रीयंत्र स्थापित करें। इसे हर दिन गंगाजल से स्नान करवाकर इस पर केसर से नौ बिंदियां लगाएं। लाल पुष्प से पूजन करें और उत्तराभिमुख होकर लाल रंग के आसन पर बैठ जाएं। अब हर दिन 11 बार श्रीसूक्त का पाठ करें। अंतिम दिन मखाने की खीर और कमलगट्टे से 108 आहुतियां दें। आठवें दिन से आपके हर काम बनने लगेंगे। पैसा आने लगेगा।

2. कर्ज मुक्ति के लिए होलाष्टक के आठों दिन हर दिन 7 बार ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करें। यह पाठ मंगल यंत्र के समक्ष करें। अंतिम दिन कमलगट्टे से 108 आहुतियां देकर हवन करें। सारा कर्ज धीरे-धीरे उतरने लगेगा।

3. शारीरिक रोग दूर करने के लिए होलाष्टक के हर दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव का जल से अभिषेक करें। जल में केसर का इत्र मिलाएं। अंतिम दिन 108 आहुतियां देते हुए महामृत्युंजय मंत्र से हवन करें। सारे शारीरिक कष्ट दूर हो जाएंगे। रोग दूर होंगे।

4. आकर्षण और वशीकरण प्राप्ति के लिए होलाष्टक के आठों दिन अपने मस्तक पर केसर-चंदन का तिलक लगाएं। कामदेव गायत्री मंत्र ऊं कामदेवाय विद्महे पुष्प बाणाय धीमहि तन्नो अनंग प्रचोदयात की एक माला स्फटिक की माला से हर दिन करें। यह मंत्र अत्यंत चमत्कारी है और इसके जाप से आपके व्यक्तित्व में चुंबकीय आकर्षण पैदा हो जाएगा।

5. उत्तम संतान की प्राप्ति के लिए भगवान श्रीकृष्ण के लड्डू गोपाल स्वरूप की पूजा करें, माखन मिश्री का भोग लगाएं और संतान गोपाल स्तोत्र का हर दिन पाठ करेंगे तो संतान की कमी दूर होगी।

6 . सर्वत्र रक्षा के लिए होलाष्टक के आठों दिन नित्य रूप से श्रीराम और हनुमानजी का पूजन करके राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें। कहीं भी जाएंगे कोई कष्ट नहीं रहेगा।

7. बुरी नजर, नकारात्मक ऊर्जा से बचाव के लिए होलाष्टक के आठों दिन घर में फिटकरी में कपूर और लौंग डालकर जलाएं। घर से सारी नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाएगी।

8. भूत-प्रेत आदि की बाधा यदि घर में महसूस हो रही है तो घर की दक्षिणी दीवार पर मोर पंख की झाड़ू लगाएं। हर दिन घर में कपूर में काले तिल डालकर जलाएं इससे भूत प्रेतादि की बाधा दूर होगी।

9. अपार धन-संपदा प्राप्त करने के लिए पीली सरसों, हल्दी की गांठ, गुड़, कनेर के पुष्प में शुद्ध घी डालकर श्रीं श्रीं श्रीं बीज मंत्र से 1008 आहुतियां हर दिन दें। इससे धन आने के मार्ग खुलेंगे और खूब पैसा बरसने लगेगा।

10. करियर में सफलता, उत्तम नौकरी और व्यापार के लिए जौ, तिल में शक्कर मिलाकर हवन करें।
—————–
विशेष :
ऑनलाइन कुंडली दिखाने के लिए हमसे संपर्क करें। वाट्सएप नंबर 9516141614 पर अपनी जानकारी भेजें-
नाम :
जन्म तारीख :
जन्म समय :
जन्म स्थान :
पांच प्रश्न :
कुडली देखने का शुल्क 500 रुपये। पेमेंट ऑनलाइन भेजकर उसका स्क्रीन शॉट वाट्सएप करें।

वशीकरण के ऐसे प्रयोग जो हर किसी को कर देंगे वश में


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि वह आकर्षक दिखे और लोग उससे प्रभावित रहे, उसकी बात मानें और जो वह कहे वे करें। लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है। व्यक्ति दूसरों को अपने कंट्रोल में नहीं कर सकता लेकिन तंत्र शास्त्र में कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं जिनसे व्यक्ति दूसरों के मन पर अपना अधिकार जमा सकता है और फिर वह वैसा ही करने लगता है जैसा आप चाहते हैं। इसे वशीकरण तंत्र कहा जाता है।

तंत्र शास्त्र और ज्योतिष की विभिन्न विधाओं में वशीकरण करने के अनेक उपाय बताए गए हैं। उनमें वशीकरण तिलक, वशीकरण इत्र, वशीकरण मंत्र, वशीकरण यंत्र, वशीकरण माला या लौंग-इलायची-सुपारी-पान आदि के माध्यम से भी वशीकरण किया जा सकता है। आइए हम कुछ ऐसे ही प्रयोगों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं।

ध्यान रखने वाली बात यह है कि ये सारे प्रयोग तभी काम करते हैं जब आप सामने वाले व्यक्ति से पर्सनली एक-दो बार मिले हों या उनके आपका पहले से परिचय है। अनजान लोगों को आप ऐसे किसी भी प्रयोग के माध्यम से वश में नहीं कर सकते हैं।

ये हैं खास वशीकरण प्रयोग
1. आप जिस स्त्री-पुरुष को वश में करना चाहते हैं उसका नाम भोजपत्र पर अनार की कलम और केसर की स्याही से लिखना है। इस भोजपत्र को आठ तह करके एक शहद की डिब्बी में डुबोकर रख दें। इस डिब्बी को चुपचाप किसी सुनसान जगह में जाकर जमीन में गड्ढा खोदकर दबा दें। एक सप्ताह में संबंधित व्यक्ति के मन में आपके प्रति स्नेह उमड़ने लगेगा।

2. केसर, गोरोचन, हरताल, मेनसील को समान भाग में लेकर गुलाबजल में घोट लें। इसका तिलक शुक्रवार को करके जहां भी जाएंगे सभी लोग आपके वश में हो जाएंगे और आपसे प्रभावित होकर आपकी बात मानने लगेंगे। यह तिलक लगाकर यदि सार्वजनिक मंच से भाषण दिया जाए तो लाखों लोगों को प्रभावित किया जा सकता है।

3. यदि किसी महिला का पति उसका कहना नहीं मानता और घर-परिवार पर ध्यान नहीं देता है तो स्त्री- ऊं नमो महायक्षिणी ममपति वश्य मानय कुरु कुरु स्वाहा, मंत्र को 1008 बार गुरुवार को जपे। इसके बाद कदली के रस में सिंदूर मिलाकर इस मंत्र से अभिमंत्रित करके मस्तक पर लगाएं तो कैसा भी निष्ठुर पति हो वशीभूत हो जाता है।

4. ऊं कुंभनी स्वाहा, इस मंत्र को 10 हजार बार जपकर सिद्ध कर लें। इसके बाद जब इसका प्रयोग करना हो तब एक लाल फूल पर इस मंत्र को 108 बार जपकर वह फूल जिसे भी सुंघा देंगे वह वशीभूत हो जाएगा।

5. ऊं नमो तिलक ईश्वर, तिलक महेश्वर, तिलक जय-विजयकार, तिलक काढ़ी ने निसरू घर से, मोहु सकल संसार।
इस मंत्र से गोरोचन, कपूर, कस्तूरी, केसर इन सभी वस्तुओं को अभिमंत्रित करके तिलक करें तो लोग मोहित होकर आपके सेवक बन जाएंगे।

6. क्लीं कामदेवाय नम:, इस मंत्र को नित्य प्रतिदिन एक माला जपने से व्यक्ति में जबर्दस्त आकर्षण शक्ति पैदा हो जाती है। ऐसे व्यक्ति को देखते ही लोग मोहित हो जाते हैं और सारी बात मानने लगते हैं।

7. गुरुवार के दिन काली हल्दी को सिंदूर के साथ घिसें और इसका तिलक करें। यह वशीकरण तिलक हर दिन लगाएं। इससे आप जहां भी जाएंगे सभी के आकर्षण का केंद्र रहेंगे। आप जो भी बात कहेंगे लोग उसे मानंगे।

8. ऊं नमो आदिरूपाय अमुकस्य आकर्षणं कुरु कुरु स्वाहा, इस मंत्र को 1008 जाप करके शहद से भोजपत्र पर मंत्र लिखें। अमुकस्य की जगह उसका नाम लिखें जिसे वश में करना चाहते हैं। इस भोजपत्र को शहद में डुबोकर रख दें तो वह व्यक्ति आपके वश में हो जाएगा।

9. भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र में भी किसी भी व्यक्ति को वशीभूत करने की शक्ति होती है। क्लीं कृष्णाय नम: मंत्र की नित्य एक माला जाप करने वाले व्यक्ति में आकर्षण शक्ति पैदा हो जाती है। वह सभी जन को अपने वश में कर लेता है।

10. जो व्यक्ति अपनी दोनों हथेलियों के शुक्र पर्वत पर अर्थात अपने अंगूठे के नीचे वाले स्थान पर इत्र लगाकर दूसरे हाथ के अंगूठे से क्लॉकवाइज रगड़ते हुए क्लीं मंत्र का जाप करता है, ऐसे व्यक्ति में सभी को वशीभूत करने की शक्ति आ जाती है। इससे चेहरे पर भी आकर्षण बढ़ता है।

देवउठनी ग्यारस पर जगाएं अपना सोया हुआ भाग्य


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
12 नवंबर 2024 को देवउठनी ग्यारस पर न केवल भगवान विष्णु योग निद्रा से जागेंगे, बल्कि उनके साथ आप अपना सोया हुआ भाग्य भी जगा सकते हैं। कुछ उपाय आप इस दिन करेंगे तो आपकी किस्मत के दरवाजे खुल जाएंगे और आप जो चाहोगे वो मिल जाएगा। इन उपायों से आपके धन की कमी दूर होगी, खूब पैसा आएगा, जो काम करेंगे उसमें सफलता मिलेगी, विवाह में बाधा आ रही है तो वह भी दूर हो जाएगी, रोग दूर होगा, लक्ष्मी की कृपा आप पर बरसेगी। इनमें से आप एक या दो उपाय अवश्य करें निश्चित रूप से लाभ होगा।

1. देवउठनी ग्यारस के दिन एक विष्णु शंख लें, अपनी पूजा स्थान में एक चांदी के बर्तन में इस शंख को रखें। अच्छे से धोकर, पूजा करें और इसमें शकर भरकर रख दें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। इसके बाद अगले दिन इस शकर को निकालकर चींटियों की बांबी में डाल आएं। इससे आपके आर्थिक संकट दूर हो जाएंगी।

2. देवउठनी एकादशी के दिन शालिग्राम लाकर घर में रखें और विधिवत पूजा अर्चना करें। इससे धीरे-धीरे आपके सारे संकट दूर होने लगेंगे। पैसा आएगा, व्यापार में लाभ होगा और वैवाहिक जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाएंगी।

3. देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी के पौधे में सायंकाल के समय घी का दीप लगाएं। इससे सुख –समृद्धि आएगी। विष्णु भगवान की कृपा प्राप्त होगी।

4. अपने सोए हुए भाग्य को जगाने के लिए देवउठनी ग्यारस के दिन पांच पीली कौड़ी लेकर इनका पूजन हल्दी से करें। इसके बाद ऊं विष्णवै नम: मंत्र की 11 माला जाप करके पीली कौड़ी को हल्दी की गांठ के साथ बांधकर रख लें। धन आने लगेगा।

5. धन की तंगी है तो देवउठनी ग्यारस के दिन पीपल के पांच पत्ते लें, इन पर अष्टगंध से अष्टदल कमल बनाएं। पीले पुष्पों से पूजन करें और ऊं अं वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करें। इसके बाद इन पत्तों को ले जाकर किसी कुएं में डाल आएं। खूब पैसा आने लगेगा।

6. देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के पूर्ण स्वरूप भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करना भी श्रेष्ठ रहता है। इस दिन श्रीकृष्ण का आकर्षक श्रृंगार कर मोर मुकुट सजाएं, माखन-मिश्री का भोग लगाएं।

7. देवउठनी एकादशी के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सायंकाल प्रदोषकाल में सात दीपक में तिल का तेल भरकर प्रज्वलित करें। सोया हुआ भाग्य जाग जाएगा।

Tag : dev uthani gyaras ke upay, devuthni ekadashi par kya kare.

मंगलवार को करें यह काम, खुल जाएगी किस्मत


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
यदि आप संकटों से घिरे हुए हैं, जी-जान से मेहनत करने के बाद भी धन नहीं आ रहा है, कर्ज में डूबते जा रहे हैं, रोग आपको या आपके परिवार को घेरे हुए है, बार-बार दुर्घटना हो रही है तो मंगलवार के दिन आपको ये उपाय अवश्य करने चाहिए।

अष्टसिद्धि, नवनिधि के दाता हनुमानजी महाराज स्मरण करने मात्र से किसी न किसी रूप में प्रकट होकर आपकी समस्याओं का समाधान अवश्य करते हैं। मंगलवार हनुमानजी का सबसे प्रिय दिन होता है, क्योंकि इसी दिन उनका जन्म हुआ था। मंगलवार को हनुमानजी से जुड़े उपाय करने से, उनकी विशेष पूजा करने से, उनके मंत्रों का जाप करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और किसी न किसी रूप में आपकी समस्या का हल प्रदान करते हैं। आइए जानते हैं हनुमानजी को प्रसन्न करने के उपाय-

मंगलवार के दिन किसी ऐसे हनुमान मंदिर का चयन करें जो निर्जन स्थान में, जंगल में या शहर-गांव की सीमा से बाहर हो। ऐसे मंदिर में जाकर वहां साफ-सफाई करें। हनुमानजी को चमेली के तेल में घोलकर सिंदूर का चोला चढ़ाएं। उन्हें सुंदर लाल रंग की लंगोट पहनाएं। उत्तरीय वस्त्र पहनाएं। जनेऊ धारण करवाएं। आकर्षक श्रृंगार करें। चमेली के फूलों की माला पहनाएं। मीठे पान का बीड़ा भेंट करें। गुड़-चने का नैवेद्य लगाएं, श्रीफल अर्पित करें। फिर उसी मंदिर में बैठकर सात बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। इसके बाद उनसे अपने अभीष्ट कामना की पूर्ति का अनुरोध करें और फिर कर्पूर से आरती करें। आपकी सारी समस्याओं का समाधान सात दिन के अंदर हो जाएगा।

मंगलवार के दिन सिद्ध हनुमान कड़ा धारण करें। यह कड़ा पंचधातु से बना हुआ होना चाहिए। इस कड़े को हनुमानजी के चरणों में रखकर ऊं हं हनुमते नम: मंत्र की 11 माला से सिद्ध करें। मंगलवार के दिन इसे पहनने से आपके सारे संकट दूर हो जाएंगे। धन, संपत्ति, सुख, सम्मान, निरोगी शरीर की प्राप्ति होती है।

मंगलवार के दिन हनुमान यंत्र की स्थापना घर में करना चाहिए। यह यंत्र पंचधातु में बना हुआ होना चाहिए। इस यंत्र को घर के पूजा स्थान में रखकर इसका नित्य दर्शन-पूजन करने से सारे संकट दूर हो जाते हैं।

मंगलवार के दिन एक पानी वाला नारियल लें। इस पर सिंदूर से श्री राम लिखें। इसे आंकड़े के पत्तों में लपेटें और ऊपर से मौली से बांध दें। इस नारियल को हनुमानजी के चरणों में रखें और अपनी समस्याओं का समाधान करने की प्रार्थना करें। इसके बाद इस नारियल को ले जाकर नदी में विसर्जित कर आएं। नदी न हो तो तालाब, कुएं, बावड़ी में डाल आएं।

धनतेरस पर धन की वर्षा करने वाले पांच टोटके


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
धन त्रयोदशी की रात्रि को धन की वर्षा करवाने वाली रात्रि कहा गया है। यह रात्रि भी दीपावली की रात्रि की तरह सिद्ध रात होती है। तांत्रिक लोग कार्तिक अमावस्या से पूर्व कार्तिक त्रयोदशी की रात में भी अनेक तांत्रिक क्रियाएं करते हैं। इनमें से कई क्रियाएं ऐसी होती हैं जो आमजन भी अपने घर में कर सकते हैं। उनसे हानि कुछ नहीं होती बल्कि धन लाभ ही होता है। ये सारे उपाय और टोटके तंत्र शास्त्रों में वणित हैं। इस धन तेरस 29 अक्टूबर को आप इन्हें आजमाकर अपने घर में धन की वर्षा कर सकते हैं।

1. धनतेरस पर प्रदोषकाल में कुबेर का पूजन करें। इसके बाद मिट्टी के 13 चौकोर दीपक लगाएं। इन दीपों में एक-एक सफेद कौड़ी डालें और सरसों का तेल भरकर प्रज्वलित करें। जब दीपक पूर्ण हो जाए तो इन कौड़ियों को निकालकर आधी रात के बाद घर के उत्तरी भाग में दबा दें। इससे आपको धन लाभ होने लगेगा और पैसों की बचत भी होने लगेगी।

2. धनतेरस के दिन मिट्टी के 13 दीपक लेकर इनका विधिवत पूजन करें। इन दीपकों में एक-एक केसर का धागा डालें। कुबेर देवता से प्रसन्न होने की प्रार्थना करें और इन्हें अपने घर के चारों ओर चारों दिशाओं में रख दें।

3. धनतेरस की मध्यरात्रि में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। इस पर कुबेर यंत्र स्थापित करें। इसे गंगाजल से स्नान करवाकर केसर की नौ बिंदियां लगाएं। पूजन में केसर रंगे चावल का प्रयोग करें। श्रीसूक्त का पाठ करें और फिर इस यंत्र को उसी लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें। धन की वृद्धि होगी। ध्यान रहे यह पूरी पूजा उत्तरमुखी बैठकर करना चाहिए। बैठने के लिए लाल कंबल के आसन का प्रयोग करें।

4. धनतेरस से पूर्व पेड़ देख आएं जिस पर उल्लू बैठता हो। फिर धनतेरस की रात्रि में उस पेड़ की एक टहनी तोड़कर ले आएं। उस टहनी का पूजन कर तिजोरी में रखने से कभी धन की कमी नहीं होती है। जो धन पास में होता है वह बढ़ने लगता है।

5. धनतेरस के दिन एक पीतल का कलश खरीदें। इसमें जल भरकर एक चौकी पर स्थापित करें। इस पर केसर-चंदन से स्वस्तिक बनाएं और इस पर श्रीं लिखें। कलश के मुख पर मौली बांधें। इसके ऊपर एक मिट्टी का दीपक रखकर प्रज्वलित करें। दीपक प्रदोष काल से लेकर रात्रि में 3.30 बजे तक जलना चाहिए। इससे धन का संकट दूर हो जाता है।

यह भी पढ़ें-
अंधेरी रात में इन जगहों पर लगाएं दीपक, कुबेर बरसाएंगे धन
धनतेरस : 29 अक्टूबर के पूजन मुहूर्त, विधि और योग
धनतेरस पर लाल किताब के ये टोटके कर देंगे मालामाल
धन की तंगी है, लाल किताब के ये टोटके आजमाकर देखिए
दीपावली पूजन मुहूर्त, गुरुवार 31 अक्टूबर 2024

अंधेरी रात में इन जगहों पर लगाएं दीपक, कुबेर बरसाएंगे धन


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
देवताओं के कोषाध्यक्ष और धनपति यक्षराज कुबेर का पूजन कभी दिन में नहीं किया जाता है। कुबेर का पूजन रात्रि में ही किया जाता है। इसलिए कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अंधेरी रातों में धनतेरस से लेकर दीपावली तक रात्रि में लक्ष्मी और कुबेर पूजन किया जाता है। धनतेरस की रात्रि में तो विशेष रूप से कुबेर का पूजन किया जाता है।

शास्त्रों में कुछ दीपदान का बड़ा महत्व बताया गया है और यह दीपदान भी ऐसी जगह पर किया जाता है जहां पूर्ण अंधेरा रहता हो। यदि आप कुबेर को प्रसन्न करना चाहते हैं तो धनतेरस की रात्रि में दीप प्रज्वलित करने के उपाय अवश्य करने चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है कि धनतेरस की रात्रि में जिस जगह रोशनी होती है। दीपों का उजास होता है वहां कुबेर की दृष्टि पड़ती है और वे उस स्थान को अपने स्वर्णिम आलोक से प्रकाशित कर देते हैं। अर्थात् उस स्थान पर वे अपनी कृपा बरसाते हैं।

निर्जन स्थान के शिव मंदिर में
रात्रि में शिव मंदिर में दीप लगाने का बड़ा महत्व बताया गया है। शिव महापुराण में वर्णन आया है कि ऐस शिव मंदिर जो निर्जन स्थान पर हो, जो वन में हो, जहां कई-कई दिनों तक कोई आता-जाता न हो, उस शिव मंदिर में धनतेरस की रात्रि में अखंड दीप प्रज्वलित करना चाहिए। इससे कुबेर बहुत प्रसन्न होते हैं और उस मनुष्य के घर में धन के भंडार भर देते हैं।

पीपल वृक्ष के नीचे
पीपल के वृक्ष में साक्षात भगवान विष्णु का वास होता है। इसलिए धनतेरस की रात्रि में पीपल के पेड़ के नीचे अखंड दीपक लगाना चाहिए। उस दीपक में शुद्ध घी भरकर आलोकित करना चाहिए। इससे श्रीहरि विष्णु, माता लक्ष्मी और कुबेर तीनों की कृपा प्राप्त होती है। पीपल के नीचे दीपक लगाकर वापस आते समय पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए

चार रास्तों पर दीपक
धनतेरस की अंधियारी रात में गांव-शहर के बाहर कोई ऐसा स्थान देखें जहां चार रास्ते आकर मिलते हों। वहां मध्यरात्रि में दीपक लगाएं।

इन जगहों पर भी लगाएं दीपक
– धनतेरस की रात्रि में अपने घर में अखंड दीपक प्रज्वलित करें।
– घर की तिजोरी, दुकान का गल्ला, जहां आप अपना धन रखते हैं, स्वर्णाभूषण रखते हैं ऐसे स्थानों पर दीपक लगाएं।
– धनतेरस की रात्रि में कुएं की पाल पर आटे के सात दीपक बनाकर लगाएं इससे कुबेर की कृपा प्राप्त होती है।
– तुलसी, शमी, बरगद-नीम-पीपल की त्रिवेणी में दीपक लगाएं।

शरद पूर्णिमा की रात्रि में एक उपाय से होगी धन की बरसात

आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर 2024 को है। यह पूर्णिमा अत्यंत सिद्ध और चमत्कारिक होती है। शरद पूर्णिमा की रात्रि में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय भी किए जाते हैं। अनेक तांत्रिक लोग इस पूर्णिमा पर लक्ष्मी साधनाएं करते हैं।

लक्ष्मी साधना के लिए सामग्री
मां लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र, श्रीयंत्र धातु का या चित्र, एक कलश, नारियल, लकड़ी की चौकी, लाल कपड़ा, पूजन की समस्त सामग्री, सिंदूर, कुमकुम, मौली, अक्षत, केसर, चंदन, एक मोती शंख, पांच गोमती चक्र, पांच पीली-सफेद कौड़ी, पांच प्रकार के फल, मखाने की खीर।

कैसे करें लक्ष्मी साधना
शरद पूर्णिमा की रात्रि में ठीक 12 बजे एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर मां लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इसके साथ ही श्रीयंत्र भी स्थापित करें। श्रीयंत्र किसी धातु का भी हो सकता है और चित्र भी। धातु को हो तो ज्यादा शुभ है। अब साबुत चावल की ढेरी बनाकर उस पर एक कलश में जल भरकर रखें और उसमें लाल पुष्प डालें और उस पर लाल कपड़ा रखकर नारियल रख दें। अब समस्त द्रव्यों से लक्ष्मी और श्रीयंत्र का पूजन करें। श्रीयंत्र पर केसर को घोलकर नौ बिंदियां लगाएं। लक्ष्मी मां को सुंदर वस्त्राभूषण से सुशोभित करें। गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, सुपारी, दक्षिणा आदि से पूजा करें। मोती शंख, गोमती चक्र और कौड़ियों का पूजन करें, केसर की बिंदी लगाएं। मां लक्ष्मी को मखाने की खीर का नैवेद्य लगाएं। अब श्रीसूक्त या कनकधारा स्तोत्र के 21 पाठ करें। लक्ष्मी मां की आरती करें। अगले दिन एक लाल कपड़े की पोटली सिलकर उसमें मोती शंख, गोमती चक्र और पीली कौड़ी बांधकर रख लें। इसे ऐसे स्थान पर सुरक्षित रख लें जहां आप अपना धन, पैसा, आभूषण रखते हों।

लक्ष्मी साधना के लाभ
1. लक्ष्मी साधना करने के लिए शरद पूर्णिमा सबसे उपयुक्त और श्रेष्ठ दिन होता है। इस दिन चंद्र अपनी पूर्ण कलाओं से युक्त होता है।
2. लक्ष्मी साधना करने से साधक के जीवन में शुभ संकल्पों का संचार होता है। उसके कार्यों की बाधाएं दूर होती जाती हैं और वह जीवन में निरंतर उन्नति करता जाता है। उसके जीवन में किसी चीज का अभाव नहीं रह जाता है।
3. शरद पूर्णिमा पर की गई लक्ष्मी साधना कार्तिक अमावस्या के समान फलदायी होती है और इस दिन मां लक्ष्मी अपनी कृपा बरसाने को आतुर रहती हैं।
4. इस रात्रि में जो साधक लक्ष्मी साधना करता है उसके घर में स्थायी रूप से लक्ष्मी का वास हो जाता है।
5. शरद पूर्णिमा पर श्रीयंत्र की साधना करने से धन-संपत्ति, सुख-वैभव, सम्मान की प्राप्ति होती है।
6. शरद पूर्णिमा भगवान श्रीकृष्ण का पूजन भी अवश्य करना चाहिए। इससे साधक के आकर्षण प्रभाव में वृद्धि होती है।

यह भी पढ़ें…
आज चंद्र किरणों से बरसेगा अमृत, व्रत भी आज ही

जिसके पास है हत्था जोड़ी उसकी किस्मत चमक उठेगी

तंत्र शास्त्र में वनस्पतियों, पौधों की जड़ों, छाल, पत्तियों आदि का बड़ा महत्व है। कहा जा सकता है किपूरा तंत्र शास्त्र ही वनस्पतियों पर आधारित हैं। इनमें से कई ऐसी दुर्लभ जड़ी-बूटियां हैं जो बड़ी मुश्किल से प्राप्त होती हैं और कई तो विलुप्त हो चुकी हैं। इसका लाभ उठाकर कई लोग नकली वनस्पतियां बनाकर लोगों को ठग भी रहे हैं।

आज हम आपको बता रहे हैं हत्था जोड़ी के बारे में। यह एक अत्यंत ही दुर्लभ किस्म की वनस्पति है। तंत्र क्रियाओं में इसका बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। हत्था जोड़ी चमत्कारिक प्रभाव दिखाती है। कहा जाता है हत्था जोड़ी पैसे को चुंबक की तरह खींचती है। जिसके पास असली हत्था जोड़ी होती है वह रातोंरात धनवान बन जाता है। इसका दूसरा सबसे सशक्त प्रयोग वशीकरण में है। हत्था जोड़ी वशीकरण की सिद्ध और आजमाई हुई वनस्पति है।

महाकाली और कामाख्या देवी का स्वरूप कही जाने वाली हत्था जोड़ी एक पौधे की जड़ है जो कंगाल को भी मालामाल बनाने की क्षमता रखती है। धन लाभ और वशीकरण के लिए हत्था जोड़ी एक चमत्कारिक उपाय है। हत्था जोड़ी न केवल आपको धनवान बनाती है बल्कि आपके जीवन की अन्य समस्याओं का भी निवारण करती है। इसे आप सौ रोगों की एक दवा भी कह सकते हैं।

हत्था जोड़ी की जड़ को कभी ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि हत्था जोड़ी इंसान की भुजाओं के आकार की दिखाई देती है। ये एक पौधे की जड़ है जो तांत्रिक क्रियाओं के साथ_ साथ ज्योतिषीय उपायों में भी काम आती है। हत्था जोड़ी की एक खासियत यह है कियह सीधे उपयोग में नहीं लाई जाती है। इसका उपयोग तब तक बेकार है जब तक इसे तांत्रिक विधि से सिद्ध ना किया गया हो। इसके बाद ही हत्था जोड़ी अपना चमत्कारिक असर दिखाना शुरू कर देती है। ऐसा कहा जाता है किसिद्ध की हुई हत्था जोड़ी, जिस व्यक्ति के पास होती है वह बहुत जल्दी धनवान हो सकता है।

हत्था जोड़ी के टोटके

– किसी भी शनिवार अथवा मंगलवार के दिन हत्था जोड़ी घर ले आएं। इस जड़ को लाल रंग के कपड़े में बांध लें। इसके बाद घर में किसी सुरक्षित स्थान पर या तिजोरी में रख दें। इससे आपकी आय में वृद्धि होगी एवं धन का व्यय कम होगा।

– तिजोरी में सिंदूर लगी हुई हत्था जोड़ी रखने से विशेष आर्थिक लाभ होता है। लेकिन ध्यान रहे किहत्था जोड़ी को जब भी प्रयोग में लाना हो, तो इससे पहले इसकी तांत्रिक सिद्धि अवश्य करा लें अन्यथा आपका प्रयास विफल हो जाएगा।

– हत्था जोड़ी को दुकान या घर में रखने से उस घर से लक्ष्मी कभी दूर नहीं जाती।

तीव्र वशीकरण करती है हत्थाजोड़ी

हत्थाजोड़ी में वशीकरण की बड़ी अद्भुत क्षमता होती है। इसमें मां चामुंडा का वास माना गया है। प्राकृतिक हत्थाजोड़ी को विधिपूर्वक पूर्व निमन्ति्रत कर निकाला जाता है एवं विशेष मुहूर्तों जैसे रवि पुष्य, गुरु पुष्य, नवरात्रि, ग्रहणकाल, होली, दीपावली में विशेष मंत्रों द्वारा सिद्ध किया जाता है। सिद्धि के पश्चात इसे चांदी की डिब्बी में सिंदूर के साथ रखा जाता है। इस प्रकार की मंत्र सिद्ध हत्था जोड़ी जिस व्यक्ति के पास होती है वह वशीकरण करने में सक्षम हो जाता है। वह जिससे भी एक बार मिल लेता है उसे अपना बना लेता है।

मंत्र सिद्ध हत्थाजोड़ी के लाभ

1. मंत्र सिद्ध हत्थाजोड़ी पर अर्पित किए गए सिंदूर का तिलक करने से मनुष्य में वशीकरण क्षमता आ जाती है।

2 . मंत्र सिद्ध हत्थाजोड़ी को लाल रेशमी वस्त्र में बांधकर तिजोरी में रखने से धन की कमी नहीं रहती।

3 . मंत्र सिद्ध हत्थाजोड़ी को अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान में रखने व्यापार में वृद्धि होती है।

4 .मंत्र सिद्ध हत्थाजोड़ी के सम्मुख शत्रु दमन मंत्र का जप करने से शत्रु पीड़ा से मुक्ति मिलती है।

5. मंत्र सिद्ध हत्थाजोड़ी के पास रहने से कोर्ट_कचहरी व मुकदमे आदि में स़फलता मिलती है।