घोड़े की नाल चमका देगी किस्मत, बनाएगी धनवान


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
घोड़े के पैरों में लोहे की यू आकार की नाल लगाई जाती है ताकि उसे चलने और दौड़ने में आसानी हो। इसे हार्स शू भी कहते हैं। यह नाल घोड़े के पैरों की सुरक्षा करती है, लेकिन क्या आप जानते हैं यही घोड़े की नाल इंसानों को भी अनेक परेशानियों से बचाती है और उनकी रक्षा करती है। जी हां, अक्सर आपने सुना-पढ़ा होगा कि घोड़े की नाल से बनी अंगूठी पहनने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। यह शनि के दुष्प्रभावों से बचाती है, लेकिन इसके अलावा भी अनेक परेशानियों से घोड़े की नाल आपकी रक्षा करती है। यह बुरी नजर और नकारात्मक शक्तियों से तो बचाती ही है, इसका उपयोग धन-समृद्धि में वृद्धि के लिए भी किया जाता है।

ये हैं घोड़े की नाल के लाभ
1. घोड़े की नाल को शनिवार के दिन घर के मुख्य द्वार पर सीधा लगाने से उस घर पर सदैव दैवीय कृपा बनी रहती है।
2. घोड़े की नाल को उल्टा करके घर के मुख्य द्वार पर लगाने से भूत-प्रेत बाधा और नकारात्मक शक्तियां घर में प्रवेश नहीं करती।
3. काले घोड़े के पैरों से निकली हुई नाल का छल्ला बनवाएं। शनिवार के दिन पीपल पेड़ के नीचे एक लोहे (स्टील) की कटोरी में सरसों का तेल भरकर उसमें यह छल्ला डालें और उसमें अपना चेहरा देखें। इसके बाद यह तेल दान कर दें। ऐसा करने से शनि की साढ़ेसाती या ढैया के दुष्प्रभाव में कमी आने लगती है।
4. यदि आप या आपके परिवार में कोई अक्सर बीमार रहता है तो उसके पलंग के चारों कोने में काले घोड़े की नाल से बनी कीलें ठोंक दें। रोगी शीघ्र स्वस्थ होने लगेगा।
5. शनिवार के दिन घोड़े की नाल से बनी अंगूठी मध्यमा अंगुली में पहनने से शनि के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है।
6. यदि आपका व्यापार-व्यवसाय अच्छा नहीं चल रहा है तो शनिवार के दिन काले घोड़े की नाल को अपने व्यावसायिक स्थल पर लगाएं। व्यापार में उन्नति होने लगेगी।
7. घोड़े की नाल को काले कपड़े में बांधकर अपने धन रखने के स्थान पर रखने से आपके धन कोष में वृद्धि होने लगती है।
8. खिलाड़ियों के लिए घोड़े की नाल का छल्ला पहनना काफी लाभदायक रहता है। इससे उनमें जोश और ऊर्जा बनी रहती है।
9. महिलाओं को घोड़े की नाल का छल्ला जरूर पहनना चाहिए। यदि पहन नहीं सकती तो इसे अपने पर्स में हमेशा रखें। यह आत्मविश्वास बढ़ाता है।
10. कमर दर्द की शिकायत रहती है तो अपनी कमर में घोड़े की नाल का छल्ला काले धागे में पहनने से लाभ मिलता है।

कैसे धारण करें घोड़े की नाल की अंगूठी
मान्यता है कि घोड़े की नाल तभी प्रभावी रहती है जब वह अपने आप घोड़े के पैर से उखड़कर गिरी हो और शनिवार के दिन किसी को मिले। लेकिन ऐसा अक्सर संभव नहीं होना। यह अत्यंत दुर्लभ है। इसलिए यदि आप घोड़े की नाल चाहते हैं तो किसी घोड़े रखने वाले व्यक्ति से शनिवार के दिन घोड़े के पैर से नाल निकलवाकर ले सकते हैं।

इस नाल को ॐ श्री शनिदेवाय नमः का उच्चारण करते हुए अपने घर ले आएं। इसे घर में न रखते हुए बाहर कहीं सुरक्षित स्थान रख दें। दूसरे दिन रविवार को उसे सुनार के पास ले जाकर उसमें से टुकड़ा कटवाकर उसमें थोड़ा सा तांबा मिलवा दें। ऐसी मिश्रित धातु की अंगूठी बनवाएं और उस पर नगीने लगाने के स्थान पर शिवमस्तु अंकित करा लें। अब उसे घर लाकर पूजन करें और पूजा स्थान पर नीले रंग के कपड़े के आसन पर स्थापित कर दें।

अगले शनिवार को व्रत रखें। शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे शनिदेव की पूजा करें और तिल या सरसों के तेल का दीपक लगाकर ॐ शं शनैश्चराय नमः मंत्र का जाप करें। एक माला जाप के बाद पुनः अंगूठी को उठाएं और सात बार यही मंत्र पढ़ते हुए पीपल की जड़ से स्पर्श कराकर उसे पहन लें। यह अंगूठी मध्यमा अंगुली में धारण करनी चाहिए। उस दिन केवल एक बार संध्या को पूजनोपरांत भोजन करें और संभव हो तो प्रति शनिवार को व्रत रखकर पीपल के वृक्ष के नीचे शनिदेव की पूजा करते रहें। कम से कम सात शनिवार तक यही क्रम रखें तो शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है और धन-धान्य में वृद्धि होती है। दरिद्रता दूर होती है।

शुक्र खराब है तो मिलेंगे ये संकेत, कैसे करें मजबूत


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
प्रत्येक मनुष्य के जीवन में शुक्र ग्रह का बड़ा महत्व होता है। शुक्र से ही धन-संपत्ति, सुख, पारिवारिक-दांपत्य सुख, संतान सुख और लग्जरी लाइफ मिलती है। आप लोगों के बीच में कितने लोकप्रिय होंगे यह भी शुक्र तय करता है। इसलिए शुक्र का मजबूत होना अत्यंत आवश्यक है। शुक्र की खराब स्थिति जीवन को नष्ट कर देती है। आइए जानते हैं आपकी कुंडली में शुक्र खराब हैं तो क्या लक्षण होते हैं और शुक्र को कैसे मजबूत किया जा सकता है।

खराब शुक्र के लक्षण
1. यदि आपकी कुंडली में शुक्र खराब है तो आप इसे आसानी से समझ सकते हैं। यदि अचानक लोग आपसे दूर जाने लगें, आपकी बातों को महत्व न दें और आपका कहना न मानें तो समझिए शुक्र खराब हो गया है।
2. यदि अचानक आपका आकर्षण प्रभाव कम होने लगे। विशेषकर विपरीतलिंगी व्यक्ति जो आपके करीब रहे हों वो अचानक दूर होने लगे तो समझिए शुक्र कमजोर हो गया है।
3. आपके चेहरे का आकर्षण खो जाए, आपके चेहरे पर चमक न रहे, किसी काम को करने की उत्तेजना, उत्साह आपमें न रहे, आपको जीवन नीरस सा लगने तो शुक्र में कहीं न कहीं गड़बड़ी हुई है।
4. यदि आपको यौन संबंध बनाने में रुचि न हो, अपने पार्टनर के साथ आप प्रेमपूर्ण व्यवहार नहीं कर पा रहे हैं। आपके अंदर प्रेम और कामेच्छा की कमी हो जाए तो निश्चित रूप से शुक्र खराब हुआ है।
5. आपकी लाइफ में लग्जरी नहीं आ पा रही है। खर्च अधिक हो रहा है, पैसों की बचत नहीं हो रही है तो भी यह कमजोर शुक्र का लक्षण है।
6. प्रेमी-प्रेमिकाओं में अनबन हो रही है, दोनों एक-दूसरे से दूर होने का सोच रहे हों और आपस में तालमेल का अभाव हो जाए तो शुक्र खराब हो गया है।

शुक्र को मजबूत कैसे करें
1. शुक्र को मजबूत करने के लिए अधिक से अधिक सफेद, पिंक या जामुनी रंग के कपड़े पहनें। शुक्रवार के दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचें।
2. हमेशा साफ-स्वच्छ रहें, अच्छा परफ्यूम या इत्र लगाएं। गंदे कपड़े बिलकुल न पहनें।
3. फटे हुए कपड़े, फटे हुए जूते-चप्पल न पहनें।
4. अपने मस्तक पर केसर का तिलक प्रतिदिन लगाएं।
5. शुक्रवार के दिन श्रीकृष्ण भगवान को चांदी की बांसुरी भेंट करें।
6. चांदी का कड़ा पहनें या चांदी का छल्ला अंगूठे में पहनें।
7. शुक्रवार के दिन सफेद चीजों का दान करें। जैसे दूध, दही, सफेद वस्त्र, मिश्री, चावल आदि।
8. शुक्रवार के दिन व्रत रखें और मां लक्ष्मी का पूजन करें।
9. शुक्रवार के दिन ऊं द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: मंत्र का एक माला जाप स्फटिक की माला से करें।
10. घर में सफेद फूलों का पौधा लगाएं।
11. शुक्रवार के दिन चांदी के बर्तन में पानी पीएं।
12. स्त्रियों का अपमान न करें। शुक्रवार को स्त्रियों को सफेद मिठाई खिलाएं।
13. श्रीकृष्ण की पूजा करने से शुक्र को मजबूती मिलती है।
14. अपनी प्रेमिका या पत्नी को शुक्रवार के दिन परफ्यूम या चांदी का आभूषण भेंट करें।
15 . शिवजी को शुक्रवार के दिन दूध में मिश्री डालकर अभिषेक करें।

गुरु पुष्य : 8 घंटे 49 मिनट बन रहा महायोग


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन शुक्ल योग में गुरु पुष्य का संयोग बन रहा है। 21 नवंबर 2024 को यह महायोग प्रात: 6 बजकर 48 मिनट से दोपहर 3 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। 8 घंटे 49 मिनट का यह महायोग अत्यंत सिद्ध समय रहेगा। इस समय में अपने जीवन के अनेक संकटों का निवारण करने के उपाय किए जा सकते हैं।

1. यदि आपका भाग्य कमजोर है, काम चलते-चलते अटक जाते हैं, कड़ी मेहनत करने के बाद भी पैसा नहीं आता, कर्ज बढ़ता जा रहा है तो गुरु पुष्य के संयोग में खड़ी हल्दी अवश्य खरीदें। इससे भाग्य मजबूत होगा।

2. गुरु पुष्य नक्षत्र के दिन प्रात: नहाने के पानी में थोड़ी सी हल्दी डालकर स्नान करें। इससे बृहस्पति ग्रह की पीड़ा दूर होगी और बृहस्पति मजबूत होगा, जिससे मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा प्राप्त होगी।

3. गुरु पुष्य के दिन केसर-हल्दी का तिलक करके घर से निकले, उस दिन के सारे काम पूरे होंगे और उनमें सफलता मिलेगी। लोग आपसे प्रभावित होंगे और आपकी बातों को महत्व देंगे।

4. गुरु पुष्य के दिन श्रीयंत्र का पूजन करके कनकधारा स्तोत्र के पाठ की 11 आवृत्ति करने से धन की प्राप्ति होती है। जो काम आप कर रहे हैं चाहे नौकरी हो या व्यापार उसमें सफलता मिलने लगेगी।

5. गुरु पुष्य के दिन केले के पेड़ में हल्दी वाला पानी चढ़ाने से विवाह की बाधा दूर होती है। इस दिन किसी ब्राह्मण दंपती को सवा किलो हल्दी भेंट करें। आपका भाग्य चमक उठेगा।

6. गुरु पुष्य के संयोग में चांदी का चौकोर टुकड़ा खरीदें और इस पर केसर से चारों कोनों में बिंदी लगाकर पूजन करें। इसे अपनी तिजोरी या धन रखने के स्थान में रखने से धन की आवक बढ़ने लगती है।

7. गुरु पुष्य के दिन भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण भगवान को पीले पुष्पों का श्रृंगार कर केले और देसी घी की मिठाई का नैवेद्य लगाएं। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। अनेक संकट दूर होंगे और मन प्रसन्न रहेगा।

8. गुरु पुष्य के दिन श्रीकृष्ण भगवान के साथ तुलसी का पूजन करने से मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।

9. क्लीं कृष्णाय नम: मंत्र की 11 माला जाप गुरु पुष्य में करने से वशीकरण की शक्ति प्राप्त हो जाती है। लोग आपके प्रति आकर्षित होते हैं और आपका कहना मानने लगते हैं।

10. गुरु पुष्य के संयोग में भगवान विष्णु का अभिषेक केसर मिश्रित दूध से करें। पूजन करें। श्रृंगार करें, नैवेद्य लगाएं, आरती करें आपके सारे मनोरथ पूरे होंगे।

शनि हो रहा मार्गी, संकटों से बचना है तो करें ये उपाय


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
मनुष्य को उसके अच्छे-बुरे कर्मों का फल देने वाला ग्रह शनि 15 नवंबर 2024 शुक्रवार को सायं 7:51 बजे मार्गी होने जा रहे हैं। शनि 30 जून 2024 को वक्री हुआ था। 139 दिनों तक वक्री रहने के बाद शनि अब मार्गी हो रहा है। शनि के मार्गी हो जाने के कारण कुछ राशियों को लाभ होगा तो कुछ राशि के जातकों की परेशानी बढ़ सकती है।

साढ़ेसाती और अन्य राशि वालों पर प्रभाव
शनि वर्तमान में कुंभ राशि में गोचर कर रहा है। इसलिए मकर पर साढ़ेसाती का अंतिम ढैया, कुंभ पर दूसरा ढैया और मीन राशि पर साढ़ेसाती का पहला ढैया चल रहा है। कर्क और वृश्चिक राशि पर लघु ढैया चल रहा है। शनि के मार्गी होने से साढ़ेसाती और लघु ढैया वाले जातकों की परेशानी कुछ कम होगी। जो काम अब तक अटके हुए थे वे आगे बढ़ने लगेंगे। धन आएगा। रोग मुक्ति होगी। अन्य राशि के जातकों को भी उनकी कुंडली में शनि की स्थिति के अनुसार शुभाशुभ फल प्राप्त होंगे।
(राशियों के बारे में विस्तृत जानकारी हम अगली पोस्ट में देंगे।)

कैसे बचें साढ़ेसाती के दुष्प्रभाव से
मकर, कुंभ और मीन राशि के जातकों को काले घोड़े की नाल से बना छल्ला अपनी मध्यमा अंगुली में धारण करना चाहिए। इससे साढ़ेसाती के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलेगी। काले घोड़े की नाल से बना छल्ला न मिले तो नाव की कील से बना छल्ला भी उपयोग में लिया जा सकता है।

शनिवार के दिन शनि मंदिर में बैठकर शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। ऊं शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप रुद्राक्ष या काले हकीक की माला से करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।

पीपल के पेड़ की पूजा शनिवार को करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। शनिवार के दिन दोपहर 12 बजे से पूर्व पीपल के पेड़ में कच्चे दूध में काले तिल मिलाकर अर्पित करें। सायंकाल उसी पीपल के पेड़ के नीचे आटे के सात दीपक लगाएं। इससे शनि दोष शांत होगा।

शनिवार के दिन हनुमानजी को चमेली के तेल से सिंदूर का चोला चढ़ाकर हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। हनुमान जी को देसी घी के हलवे का नैवेद्य लगाने से शनि की शांति होती है।

शनिवार के दिन घर में लोबान की धूप लगाना चाहिए। जिन लोगों को शनि की साढ़ेसाती और ढैया है उन्हें तो विशेष रूप से यह प्रयोग करना ही चाहिए।

यदि किसी जातक की कुंडली में शनि वक्री, नीच राशि में या चौथे-आठवें-बारहवें भाव में है तो उन्हें मार्गी होने के अनेक दुष्परिणाम देखने पड़ सकते हैं। धन हानि, करियर में बाधा, रोग, विवाद जैसी स्थितियां बन सकती हैं। इनसे बचने के लिए हनुमानजी की नित्य आराधना करना आवश्यक है।

देवउठनी एकादशी से प्रारंभ हो जाएंगे विवाह, ये हैं मुहूर्त


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
देवउठनी एकादशी पर 12 नवंबर 2024 मंगलवार को श्रीहरि विष्णु के योग निद्रा से जाग जाने के साथ ही मांगलिक कार्यों पर लगा प्रतिबंध हट जाएगा और वैवाहिक आयोजन प्रारंभ हो जाएंगे। देवउठनी एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी, देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। इन दिन तुलसी विवाह के आयोजन भी होते हैं। मंदिरों- घरों में गन्ने से आकर्षक मंडप सजाकर उसमें तुलसी-शालिग्राम का विवाह करवाया जाता है। इसके साथ ही मनुष्यों के लिए भी वैवाहिक आयोजन प्रारंभ हो जाते हैं। देवउठनी एकादशी अबूझ मुहूर्त होता है इसलिए इस दिन बड़ी संख्या में निजी और सामूहिक विवाह के कार्यक्रम होते हैं।

यहां हम पाठकों की सुविधा के लिए नवंबर से मार्च तक के विवाह मुहूर्त प्रस्तुत कर रहे हैं। ये शुद्ध वैवाहिक मुहूर्त हैं। भावी वर-वधु के नाम की राशि से विवाह के मुहूर्त निकलवाने के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते हैं।

नवंबर में विवाह मुहूर्त
16 नवंबर शनिवार, मार्गशीर्ष कृष्ण प्रथम
22 नवंबर शुक्रवार, मार्गशीर्ष कृष्ण सप्तमी
26 नवंबर मंगलवार, मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी
27 नवंबर बुधवार, मार्गशीर्ष कृष्ण द्वादशी

दिसंबर में विवाह मुहूर्त
5 दिसंबर गुरुवार, मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्थी
6 दिसंबर शुक्रवार, मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी-षष्ठी
7 दिसंबर शनिवार, मार्गशीर्ष शुक्ल षष्ठी
14 दिसंबर शनिवार, मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्दशी

जनवरी 2025 में विवाह मुहूर्त
16 जनवरी गुरुवार, माघ कृष्ण तृतीया
17 जनवरी शुक्रवार, माघ कृष्ण चतुर्थी
22 जनवरी बुधवार, माघ कृष्ण अष्टमी

फरवरी 2025 में विवाह मुहूर्त
3 फरवरी सोमवार, माघ शुक्ल षष्ठी
4 फरवरी मंगलवार, माघ शुक्ल सप्तमी
7 फरवरी शुक्रवार, माघ शुक्ल दशमी
13 फरवरी गुरुवार, फाल्गुन कृष्ण प्रतिपदा
18 फरवरी मंगलवार, फाल्गुन कृष्ण षष्ठी
20 फरवरी गुरुवार, फाल्गुन कृष्ण सप्तमी
21 फरवरी शुक्रवार, फाल्गुन कृष्ण अष्टमी
25 फरवरी मंगलवार, फाल्गुन कृष्ण द्वादशी

मार्च 2025 में विवाह मुहूर्त
5 मार्च बुधवार, फाल्गुन शुक्ल षष्ठी
6 मार्च गुरुवार, फाल्गुन शुक्ल सप्तमी

विशेष :
15 दिसंबर 2024 से 14 जनवरी 2025 तक धनु मलमास रहने से विवाह नहीं होंगे।
19 मार्च 2025 से 23 मार्च 2025 तक चार दिन शुक्र अस्त रहने से विवाह नहीं होंगे।
14 मार्च 2025 से 14 अप्रैल 2025 तक मीन मलमास रहने से विवाह नहीं होंगे।

शुभ नहीं है गुरु-शुक्र का एक-दूसरे की राशि में गोचर


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
शुक्र 7 नवंबर 2024 से गुरु की राशि धनु में प्रवेश कर रहा है और गुरु पूर्व से ही शुक्र की राशि वृषभ में है। इन दोनों ग्रहों का एक-दूसरे की राशि में गोचर करना शुभ नहीं होता है। यह एक प्रकार के द्वंद्व योग का निर्माण करता है। इस योग के प्रभाव में लोगों में आपसी मतभेद उभरते हैं, विवाद होते हैं और संबंध खराब होते हैं। दांपत्य, वैवाहिक जीवन में परेशानी आती है और लोग कई निर्णय लेने में भ्रम की स्थिति में रहते हैं। शुक्र 2 दिसंबर 2024 को राशि बदलकर मकर में जाएगा तब तक का 26 दिन का समय सभी राशि के जातकों को संयमपूर्वक और शांति से रहना होगा।

राशियों पर असर
मेष : संपत्ति और धन को लेकर भाई-बहनों से विवाद होगा। आपकी बात को महत्व नहीं मिलने से परेशान रहेंगे।
वृषभ : आर्थिक कष्ट आएगा। परिवार में संबंध खराब होंगे। आपकी वाणी खराब होने से लोग आपसे दूर जाएंगे।
मिथुन : दांपत्य जीवन में टकराव हो सकता है, विवादों में फंस सकते हैं। साझेदारी के कार्यों में सतर्कता रखें।
कर्क : मानसिक रूप से विचलित रहेंगे। शत्रु परेशान करेंगे। धन आएगा किंतु खर्च उससे अधिक हो जाएगा।
सिंह : प्रेम संबंध टूट सकते हैं। हालांकि पैसा अच्छा आएगा। भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि होने के संकेत हैं।
कन्या : सुख प्राप्त होगा, पैसा आएगा, दांपत्य जीवन में विवाद हो सकता है। अपनी बात मनवाने पर जोर न दें।
तुला : समय कष्टकारी है। भाई-बहनों से विवाद बढ़ सकता है। शारीरिक कष्ट आएगा। धन की हानि हो सकती है।
वृश्चिक : अपनी वाणी के कारण स्वयं ही मुसीबत में फंसेंगे, पैसों को लेकर विवाद होगा। स्वास्थ्य बिगड़ेगा।
धनु : पैसों का अपव्यय होगा। शारीरिक कष्ट के उपचार में धन खर्च होगा। पति-पत्नी में विवाद हो सकता है।
मकर : परिवार के साथ सामंजस्य बनाने का प्रयास करें। पति-पत्नी में टकराव होगा। शारीरिक कष्ट होगा।
कुंभ : धन आएगा किंतु खर्च भी हो जाएगा। परिवार से विवाद होगा। आपकी वाणी का प्रभाव कम होगा।
मीन : पिता से विवाद हो सकता है। शारीरिक कष्ट आ सकता है। साझेदारी में कोई कार्य प्रारंभ न करें।

क्या उपाय करें
शुक्र के धनु में गोचर के दौरान 24 दिन सभी राशियों के जातक भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण का नित्य दर्शन-पूजन करें। भगवान विष्णु को तुलसीदल नियमित रूप से अर्पित करें। सायंकाल तुलसी के समीप दीपक लगाएं।

बुध ने बदली राशि, व्यापार में होगा खूब लाभ


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
व्यापार व्यवसाय के प्रतिनिधि ग्रह बुध ने 29 अक्टूबर 2024 की रात में 10 बजकर 39 मिनट पर अपनी राशि बदली है। बुध तुला से निकलकर वृश्चिक राशि में पहुंच गया है। बुध के मंगल की राशि में गोचर करने से व्यापारी वर्ग पर विशेष प्रभाव पड़ने वाला है। चूंकि मंगल धन का ग्रह है और बुध व्यापार का तो इस गोचर का लाभ व्यापारी वर्ग को अधिक मिलने वाला है। इस गोचर के दौरान व्यापारी वर्ग का काम शानदार तरीके से चलेगा। बिजनेस में अपेक्षा से अधिक लाभ होगा और नए कामकाज भी प्रारंभ करेंगे। राशियों पर भी इसका विशिष्ट प्रभाव पड़ने वाला है। बुध के वृश्चिक राशि में शुक्र के साथ संयोग होने से लक्ष्मीनारायण योग बन रहा है जो धन प्रदायक है।

आइए जानते हैं सभी राशियों पर प्रभाव
मेष : अष्टम भाव में बुध का गोचर होने के कारण यहां आपके खर्च में कमी आने वाली है, हालांकि आपको नए कामकाज प्रारंभ करने में सतर्कता रखनी होगी। अनावश्यक और बिना सोचे-समझे निवेश करना भारी पड़ सकता है।

वृषभ : बुध का गोचर आपके सप्तम भाव में होगा। साझेदारी में व्यापार खूब फलेगा। धन की प्राप्ति होगी। कर्ज मुक्ति होगी। आर्थिक संकट दूर होगा। जीवनसाथी की ओर से कामकाज में पूरा सहयोग मिलने वाला है।

मिथुन : छठे भाव में बुध आने से आप विवेकपूर्ण तरीके से निर्णय लेकर अपने विरोधियों को परास्त करने में सफल होंगे। धन आएगा, पुराना कर्ज चुकाने की स्थिति में आ जाएंगे। संपत्ति का निर्माण करेंगे। नए काम शुरू करें लाभ होगा।

कर्क : पंचम का बुध आपको नए काम की ओर प्रेरित करेगा। इसमें आपका कोई करीबी व्यक्ति सहयोग करेगा। हालांकि आपको स्थिर निर्णय लेना होगा। बार-बार निर्णय बदलेंगे तो लाभ की बजाय हानि भी हो सकती है।

सिंह : चतुर्थ का बुध धन लाभ भरपूर करवाने वाला है। कर्ज मुक्ति होगी, आर्थिक संकट दूर होगा। नए व्यापारिक अनुबंध होंगे और नए कामकाज भी प्रारंभ करेंगे। माता की ओर से धन मिलने वाला है। संपत्ति सुख प्राप्त होगा।

कन्या : तृतीय का बुध संकेत दे रहा है कि नए काम प्रारंभ तो कर सकते हैं किंतु भाई-बहनों के साथ मिलकर शुरू न करें। स्वतंत्र रूप से प्रारंभ करेंगे तो ही लाभ होगा। संपत्ति संबंधी कार्यों का सही निर्णय सही समय पर ले पाएंगे।

तुला : द्वितीय धन भाव का बुध आपको लिए शुभ है, किंतु खर्च की अधिकता भी रहेगी। अनावश्यक खर्चों से बचना होगा। व्यापार में किसी कम जान पहचान वाले व्यक्ति को जोड़ना हानिप्रद हो सकता है। इसलिए सतर्क रहें।

वृश्चिक : इसी राशि में बुध आ रहा है जो आपके लिए बेहतर रहने वाला है। बुध के गोचर के दौरान आप जो काम प्रारंभ करना चाहते हैं वे सफलतापूर्व शुरू हो कर सकेंगे। साझेदारी के काम भी फलीभूत होंगे। पैसा आएगा। कर्ज चुकाएंगे।

धनु : द्वादश का बुध लाभ तो देगा किंतु अचानक बड़ा झटका भी दे सकता है। कोर्ट-कचहरी के निर्णय आपके विरूद्ध आ सकते हैं। धन खर्च भी अधिक होगा। किसी नए व्यक्ति को अपने बिजनेस से न जोड़े, नुकसान हो सकता है।

मकर : लाभ भाव का बुध व्यापार में बड़ी सफलता देने का संकेत दे रहा है। यदि पूर्व से कोई योजना तैयार कर रखी है तो उसे धरातल पर उतारने का प्रयास करें। प्रिय व्यक्ति का साथ मिलने से कामकाज श्रेष्ठता हासिल करेगा।

कुंभ : बुध का गोचर दशम में होगा जो संकेत दे रहा है कि वर्तमान काम के साथ-साथ आप दूसरे अन्य काम भी शुरू करेंगे। हालांकि बड़े व्यापार के लिए कर्ज लेना पड़ सकता है। महिला मित्रों के साथ मिलकर काम करेंगे।

मीन : भाग्य भाव का बुध आपको प्रबल सुख प्रदान करने वाला है। कामकाज के लिहाज से तो यह गोचर श्रेष्ठ रहेगा ही, आर्थिक लाभ भी होंगे। आय के नए स्रोत प्राप्त होंगे। कर्ज मुक्ति होगी। वर्तमान व्यापार से उत्तम लाभ मिलेगा।

धनतेरस : 29 अक्टूबर के पूजन मुहूर्त, विधि और योग


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस या धन त्रयोदशी मनाई जाती है। इसी दिन आयुर्वेद के देवता धनवंतरि समुद्र मंथन में से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस दिन उनकी जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष धनतेरस 29 अक्टूबर 2024 मंगलवार को मनाई जाएगी। इस दिन मंगलवार और त्रयोदशी का संयोग होने के कारण भौम प्रदोष का शुभ संयोग भी बना है। 29 अक्टूबर को त्रयोदशी तिथि प्रात: 10:32 से प्रारंभ होकर 30 अक्टूबर को दोपहर 1:14 बजे तक रहेगी। इसलिए धनतेरस की पूजा 29 अक्टूबर को सायंकाल में ही की जाएगी।

क्या खरीदें
धनतेरस के दिन स्वर्णाभूषण, वाहन, संपत्ति, भूमि-भवन, पीतल, तांबे, कांसे के बर्तन आदि खरीदे जाते हैं। 29 अक्टूबर को ऐंद्र योग रहेगा। इसलिए धनतेरस के दिन शुभ मुहूर्त में वस्तुओं की खरीदी अवश्य करें।

विशेष योग-संयोग
29 अक्टूबर को खरीदी के लिए पूरा दिन अत्यंत शुभ रहेगा। इस दिन भौम प्रदोष का संयोग होने से आभूषण, पीतल के बर्तन, सोना-चांदी खरीदना शुभ रहेगा। इस दिन सायं 5.49 से रात्रि 8.23 तक प्रदोष वेला रहेगी जिसमें धन का पूजन, बही खातों का लेखन-पूजन आदि करना चाहिए।

धनतेरस के पूजन मुहूर्त
सायं 7.25 से रात्रि 8.59 बजे तक
अवधि 1 घंटा 34 मिनट

प्रदोष काल मुहूर्त
सायं 5.49 से रात्रि 8.23 बजे तक
अवधि 2 घंटे 34 मिनट

वृषभ लग्न मुहूर्त
सायं 6:47 से रात्रि 8:45 बजे तक
अवधि 1 घंटा 58 मिनट

सिंह लग्न मुहूर्त
मध्य रात्रि 1:15 से 3:26
अवधि 2 घंटे 11 मिनट

धनतेरस पूजा विधि
धनतेरस के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर घर की साफ-सफाई करें। घर के बाहर भी आंगन को बुहारें। स्नानादि से निवृत्त होकर विभिन्न रंगों और फूलों से घर के मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर सुंदर सुंदर रंगोली सजाएं। रंगोली से देवी लक्ष्मी के चरण चिन्ह भी जरूर बनाएं। पूजा स्थान को भी साफ करके भी नियमित देवताओं का पूजन करें। धनतेरस की पूजा सायंकाल के समय की जाती है। प्रदोषकाल में या मुहूर्त काल में पूजा स्थान में उत्तर दिशा की ओर यक्षराज कुबेर और धनवंतरि की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इससे पहले भगवान गणेश और लक्ष्मी का पूजन भी करें। कुबेर को सफेद मिठाई या खीर का नैवेद्य लगाएं तथा धनवंतरि को पीली मिठाई का भोग लगाएं। पूजा में पीले-सफेद फूल, पांच प्रकार के फल अवश्य रखें।

व्यापारियों के लिए पूजा विधान
धनतेरस के दिन अपने प्रतिष्ठान, दुकान में साफ-सफाई करके नई गादी बिछाएं। जिस पर बैठकर नए बही खातों का पूजन करें। दुकान में लक्ष्मी और कुबेर का पूजन करें है। पूजा के पाने का भी पूजन किया जाता है।

dhanteras 2024 muhurt, puja muhurt, dhanteras par kya kare

गुरु-पुष्य 24 अक्टूबर पर बना लक्ष्मीनारायण योग


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
महालक्ष्मी पूजा दीपावली से पूर्व हर साल पुष्य नक्षत्र आने की प्रतीक्षा रहती है। इस साल 24 अक्टूबर 2024 को गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र आने से गुरु-पुष्य का अत्यंत शुभ संयोग बना है। इस बार यह योग इसलिए भी अधिक प्रभावी है क्योंकि इस बार गुरु पुष्य के साथ धन संपदा के भंडार भर देने वाला लक्ष्मीनारायण योग भी बन रहा है। इसके साथ ही सर्वार्थसिद्धि और अमृत सिद्धि योग संयुक्त रूप से होने के कारण गुरु पुष्य के इस महायोग में वाहन, भूमि, भवन, संपत्ति, सोना-चांदी, आभूषण, रत्नों आदि की खरीदी करना अत्यंत शुभ और श्रेष्ठ रहेगा। इसलिए यदि आप धन संपदा में वृद्धि करना चाहते हैं तो इस दिन वस्तुओं की खरीदी अवश्य करें और जो आपके पास पहले से उपलब्ध है उनका पूजन अवश्य करें।

25 घंटे 24 मिनट रहेगा पुष्य
पंचांगों के अनुसार पुष्य नक्षत्र 24 अक्टूबर को सूर्योदय पूर्व प्रात: 6 बजकर 14 मिनट से प्रारंभ हो जाएगा जो 25 अक्टूबर को प्रात: 7: बजकर 38 मिनट तक रहेगा। इस प्रकार पुष्य नक्षत्र का संयोग संपूर्ण दिनरात मिलने वाला है। 25 घंटे 24 मिनट का पुष्य मा महामुहूर्त खरीदी आदि के लिए अत्यंत श्रेष्ठ रहेगा।

लक्ष्मीनारायण योग बना
इस बार गुरु पुष्य के संयोग के साथ लक्ष्मीनारायण योग भी बना है। लक्ष्मीनारायण योग अनेक प्रकार से बनता है। गोचर में जब बुध और शुक्र साथ आ जाएं तो लक्ष्मीनारायण योग बनता है। इसके साथ ही जब चंद्र और मंगल गोचर में एक ही राशि में साथ में आते हैं और चंद्र स्वराशि में हो तो भी लक्ष्मीनारायण योग बनता है। इसे लक्ष्मी योग भी कहा जाता है। इस बार गोचर में चंद्र और मंगल कर्क राशि में स्थित हैं और कर्क चंद्र की ही राशि है इसलिए यह योग धनप्रदायक है। 24 अक्टूबर को ही सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग भी संपूर्ण दिन रात मिलने वाला है।

गुरु पुष्य में खरीदी के महामुहूर्त

चौघड़िया अनुसार
चर : प्रात: 10:45 से 12:11
लाभ : दोप 12:11 से 1:36
अमृत : सायं 5:53 से 7:27
चर : सायं 7:27 से रात्रि 9:02
लाभ (मध्यरात्रि मुहूर्त) : रात्रि 12:11 से 1:45

अभिजित मुहूर्त
प्रात: 11:48 से दोप 12:33

प्रदोष काल मुहूर्त
सायं 5:53 से रात्रि 8:25

लग्न अनुसार मुहूर्त
वृश्चिक : प्रात: 8:14 से 10:30
कुंभ : दोप 2:22 से 3:55
वृषभ : सायं 7:07 से रात्रि 9:05
सिंह : मध्यरात्रि 1:34 से 3:36

लक्ष्मीनारायण योग में क्या करें
1. संपत्ति में वृद्धि और स्थायी संपत्ति की प्राप्ति के लिए लक्ष्मीनारायण योग में मां लक्ष्मी का पूजन अवश्य करें। सामान्य पूजन करें किंतु माता को लाल कमल या लाल गुड़हल का पुष्प अर्पित करें।
2. इस योग में सुंदरकांड का पाठ करना अत्यंत श्रेष्ठ होता है। इससे लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
3. इस दिन किसी अंधेरे कमरे के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व के मध्य) में घी का दीया लगाएं। दीये में एक पीली कौड़ी जरूर डालें
4. इस दिन अपने घर में रखे आभूषणों का पूजन करें।
5. एक मुट्ठी में थोड़े से पीले सरसों लेकर उसे अपने घर से उसारकर घर के बाहर फेंक दें इससे घर से दुर्भिक्षा और अभाव दूर हो जाता है।

सावधान रहें! मंगल का नीच राशि कर्क में हो रहा गोचर


पं. गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

.
क्रोध, युद्ध, सैन्य शक्ति, रक्त विकार, साहस, बल, पराक्रम का ग्रह मंगल 20 अक्टूबर 2024 रविवार को दोपहर 2:19 बजे से अपनी नीच राशि कर्क में प्रवेश करने जा रहा है। कर्क चंद्र की राशि है और जल तत्व व शीत प्रकृति की राशि है जबकि मंगल अग्नि तत्व का प्रतीक। अग्नि और जल का कभी मिलन नहीं हो सकता इसलिए जब जब भी मंगल का गोचर कर्क राशि में होता है तब-तब प्रकृति, पर्यावरण, जीव-जंतु और मनुष्यों पर अनेक प्रकार के विपरीत असर पड़ते हैं। मंगल 21 जनवरी 2025 तक इसी राशि में रहने वाला है। इस बीच 6 दिसंबर को वक्री हो जाने के कारण कर्क राशि में ही उल्टा चलने लगेगा जिससे इसका कर्क राशि में समय बढ़ जाएगा। मंगल आमतौर पर एक राशि में 45 दिन रहता है किंतु वक्री हो जाने के कारण यह समय लगभग 93 दिन हो जाएगा।

नीच राशि में प्रभाव
कर्क राशि मंगल की नीच राशि होती है। इसलिए इस राशि में प्रवेश करते ही मंगल के प्रभावों में वृद्धि हो जाएगी। जिन लोगों की जन्मकुंडली में मंगल पूर्व से ही वक्री बैठा हुआ है उनके लिए यह समय अधिक संकटपूर्ण रह सकता है। क्रोध में वृद्धि होगी। अनावश्यक विवादों में फंस सकते हैं। पारिवारिक टकराव हो सकते हैं। आर्थिक हानि की आशंका रहेगी। यहां तक कि उन्हें रक्त संबंधी बड़े विकार भी सामने आ सकते हैं। इसलिए यह समय शांतिपूर्ण तरीके से निकालने का प्रयास करें।

राजनीतिक प्रभाव
नीच राशि में मंगल का गोचर होने से देश-दुनिया में युद्ध जैसे हालात बनते हैं। अनेक देशों के बीच टकराव बढ़ते हैं और फलस्वरूप युद्ध की स्थितियां निर्मित होती हैं। वर्तमान में पृथ्वी के जिस भी भूभाग पर युद्ध चल रहे हैं वे भीषणतम स्थिति में पहुंच सकते हैं। सैन्य बलों की हानि हो सकती है। देशों के टुकड़े हो सकते हैं। शांति पसंद करने वाले देश भी उग्र व्यवहार दिखा सकते हैं।

प्रकृति-पर्यावरण पर प्रभाव
मंगल का जब भी गोचर होता है, बड़ी प्राकृतिक विपदाएं आती हैं। विमान-ट्रेन दुर्घटनाएं, भीषण अग्निकांड, जल प्लावन, सूनामी, समुद्र में हलचल, भूकंप, बाढ़ जैसी विभीषिका आ सकती हैं। मानव निर्मित आपदाएं भी इस दौरान अधिक सिर उठाती हैं। संक्रामक रोगों में वृद्धि, कोई नया वायरस आतंक मचा सकता है।

मनुष्यों पर प्रभाव
इस गोचर के दौरान मनुष्य अजीब व्यवहार कर सकते हैं। सहन शक्ति कम होगी। मानसिक तनाव बढ़ेगा। एक-दूसरे के साथ विवाद कर सकते हैं। क्रोध बढ़ने के कारण अनेक हानिकारक घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं।

शुभ क्या
मंगल चूंकि धन का ग्रह भी है। इसलिए जिन लोगों की जन्मकुंडली में मंगल उच्च का या स्वराशि में बैठा हुआ है उनके लिए यह गोचर श्रेष्ठ रहने वाला है। धन-संपत्ति से लाभ होगा। आर्थि लाभ होगा। कर्ज मुक्ति का समय रहेगा।

राशियों पर प्रभाव
शुभ : वृषभ, तुला, धनु, मीन
मध्यम : मकर, कुंभ, मिथुन, कन्या
अशुभ : मेष, वृश्चिक, कर्क, सिंह

क्या करें
मंगल के कर्क राशि में गोचर के दौरान सभी राशि के जातकों को मंगल यंत्र का नित्य पूजन दर्शन करना चाहिए। तांबे का कड़ा या छल्ला पहनकर रखें। ओवल शेप का लाल मूंगा सोने या पंच धातु की अंगूठी में बनवाकर अनामिका अंगुली में धारण करें। प्रत्येक मंगलवार को हनुमानजी को नारियल चढ़ाएं।