गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य
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भारत एक ऐसा देश है जहाँ ऋतुओं का परिवर्तन केवल मौसम की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। गर्मी से वर्षा ऋतु में प्रवेश के समय जो विशेष नौ दिन होते हैं, उन्हें नौतपा (या नव-तपा) कहा जाता है। यह समय सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करने से प्रारंभ होता है और नौ दिनों तक चलता है। ज्योतिषीय, पर्यावरणीय, वैज्ञानिक और धार्मिक दृष्टियों से यह समय अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना गया है।
नौतपा का अर्थ और समय
‘नौतपा’ दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘नव’ यानी नौ और ‘तपा’ यानी तपना या गर्मी। इसका शाब्दिक अर्थ है – नौ दिनों की तपन। ये नौ दिन ग्रीष्म ऋतु के चरम ताप को दर्शाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, तब से नौ दिनों तक यह काल नौतपा कहलाता है। यह सामान्यतः हर वर्ष 25 मई से 2 जून के बीच आता है, हालाँकि पंचांग के अनुसार इसमें एक-दो दिन का हेरफेर हो सकता है। इस बार भी यह 25 मई से 2 जून ही रहेगा।
ज्योतिषीय महत्व
भारतीय ज्योतिष के अनुसार, जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, तब पृथ्वी पर गर्मी का प्रभाव अत्यधिक बढ़ जाता है। रोहिणी नक्षत्र वृषभ राशि का नक्षत्र है और इसे चंद्रमा का प्रिय नक्षत्र माना जाता है। यदि इस समय सूर्य और चंद्रमा की स्थिति अनुकूल हो, तो वर्षा ऋतु भी अधिक सुखदायी होती है। नौतपा का मौसम कैसा रहेगा, इस आधार पर पूरे वर्ष के जलवायु और कृषि पर भी अनुमान लगाया जाता है। यदि नौतपा में अधिक गर्मी पड़े और वातावरण में तेज लू चले, तो यह माना जाता है कि वर्षा अच्छी होगी और फसलें समृद्ध होंगी।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
गर्मी के इस चरम समय में सूर्य की सीधी किरणें पृथ्वी पर पड़ती हैं। सूर्य का उत्तरायण काल अपने मध्य में होता है और पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में यह समय सबसे अधिक तापमान वाला होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार:
– इस समय भूमि का तापमान 45°C से अधिक तक पहुँच सकता है।
– गर्मी के कारण वायुमंडल में गहरे निम्न-दाब क्षेत्र (Low Pressure Zone) बनते हैं।
– ये निम्न-दाब क्षेत्र मानसून की हवाओं को खींचते हैं, जिससे मानसून समय पर आता है।
इसलिए नौतपा को प्रकृति की एक ऐसी प्रणाली के रूप में देखा जाता है जो वर्षा की तैयारी करती है। यह समय कृषि की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि किसानों को आगामी वर्षा और फसल की स्थिति का पूर्वानुमान इसी समय मिलता है।
धार्मिक और सांस्कृतिक पक्ष
भारतीय संस्कृति में नौतपा केवल मौसम परिवर्तन का समय नहीं है, बल्कि यह एक तप और संयम का समय भी है। इस समय को लेकर कई मान्यताएँ प्रचलित हैं:
सूर्योपासना: सूर्य के प्रचंड रूप की आराधना की जाती है। लोग सूर्य को जल अर्पण करते हैं और जीवनदायिनी ऊर्जा की प्राप्ति हेतु प्रार्थना करते हैं।
व्रत और उपवास: कई श्रद्धालु इस दौरान व्रत रखते हैं और हल्का, सात्त्विक भोजन करते हैं। इसका उद्देश्य शरीर को गर्मी से बचाना तथा आत्मिक शुद्धि करना होता है।
जप और ध्यान: नौतपा को आत्म-शुद्धि और साधना का समय भी माना गया है। कई साधक इस काल में विशेष तप और ध्यान करते हैं।
जीवनशैली पर प्रभाव और सावधानियाँ
नौतपा के दिनों में शरीर को गर्मी से बचाने के लिए विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है:
पानी का सेवन बढ़ाएं: अधिक गर्मी में शरीर से पसीना निकलता है जिससे डिहाइड्रेशन हो सकता है। नींबू पानी, नारियल पानी और बेल का शरबत लाभकारी होता है।
हल्का और ठंडा भोजन लें: इस दौरान तले-भुने और गरिष्ठ भोजन से परहेज करना चाहिए। ककड़ी, तरबूज, खरबूजा जैसे फलों का सेवन उपयुक्त होता है।
धूप से बचाव करें: दिन के समय विशेषकर दोपहर में बाहर निकलने से बचना चाहिए। सिर पर टोपी या कपड़ा बांधना तथा छाता रखना उचित होता है।
शारीरिक श्रम कम करें: विशेष रूप से वृद्ध, बच्चे और बीमार व्यक्ति अधिक सतर्क रहें।
कृषि और पर्यावरण पर प्रभाव
नौतपा का मौसम कृषि की दृष्टि से अत्यंत निर्णायक होता है। यदि इन नौ दिनों में तेज गर्मी और लू चलती है, तो यह माना जाता है कि:
मानसून समय पर आएगा और अच्छी वर्षा होगी। अधिक वर्षा से धान, मक्का, कपास, मूंगफली जैसी खरीफ की फसलों को लाभ मिलेगा। किसान आगामी फसलों की बुआई की योजना इसी आधार पर बनाते हैं। इसके अतिरिक्त, यह समय पर्यावरणीय संतुलन का भी प्रतीक है। गर्मी की अधिकता जलवायु के प्रवाह को नियंत्रित करती है और पृथ्वी के ताप संतुलन को बनाए रखने में सहायक होती है।
नौतपा से जुड़ी लोक मान्यताएँ और परंपराएं
आंधी-तूफान का पूर्व संकेत: माना जाता है कि यदि नौतपा के दौरान आंधी-तूफान आते हैं या बारिश होती है, तो यह अनिष्टकारी संकेत है। इससे मानसून कमजोर पड़ सकता है।
नवग्रह शांति: कई लोग इस समय नवग्रह शांति पूजा कराते हैं ताकि सूर्य की प्रखरता से उत्पन्न समस्याओं से बचा जा सके।
पौराणिक दृष्टिकोण: कुछ मान्यताओं के अनुसार यह समय सप्त ऋषियों की तपस्या का भी होता है, जो ब्रह्मांडीय संतुलन को बनाए रखने हेतु इस समय विशेष साधना करते हैं।
इस प्रकार नौतपा केवल एक मौसमीय घटना नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और जीवन शैली का अभिन्न अंग है। यह काल हमें प्रकृति के चक्र की गहराई को समझने और उसके अनुरूप जीवन जीने का संदेश देता है। ज्योतिषीय, वैज्ञानिक, धार्मिक और सामाजिक दृष्टियों से नौतपा एक अत्यंत महत्वपूर्ण समय है। यदि इस काल का सही ढंग से पालन किया जाए – आहार, विहार और व्यवहार में संतुलन रखा जाए – तो यह ना केवल मानसून की समृद्धि को सुनिश्चित करता है, बल्कि व्यक्तिगत स्वास्थ्य और समाजिक शांति का आधार भी बनता है। नौतपा को केवल तपन का समय न मानकर एक जीवन शैली के अनुशासन और प्रकृति के संकेतों को समझने का अवसर मानना चाहिए।
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