बगलामुखी जयंती : शत्रु नाश कर, धन वर्षा करने वाली देवी


गजेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य

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बगलामुखी देवी की साधना और हवन से जुड़ी जानकारी अत्यंत गूढ़, रहस्यमयी और शक्तिशाली होती है। इनका प्रयोग शत्रुनाश, आत्म-संयम, मानसिक शक्ति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है। इस लेख में हम बगलामुखी देवी की साधना, मंत्र, हवन विधि, सावधानियां और इससे होने वाले लाभों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। बगलामुखी जयंती 5 मई 2025 सोमवार को आ रही है।

बगलामुखी देवी: एक परिचय
बगलामुखी देवी दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या हैं। इनका नाम ‘बगला’ (बक = रोकना) और ‘मुखी’ (मुख = वाणी) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है– शत्रु की वाणी और बुद्धि को रोकने वाली देवी। इन्हें “स्तम्भन की देवी” भी कहा जाता है, जो किसी भी नकारात्मक शक्ति, शत्रु या विपरीत परिस्थिति को रोकने में सक्षम हैं। इनका स्वरूप पीला होता है, इसलिए इन्हें “पीताम्बरा देवी” भी कहा जाता है। देवी का रूप अत्यंत उग्र है। उनके एक हाथ में गदा होती है और दूसरे हाथ से वे शत्रु की जीभ पकड़ती हैं, जो यह दर्शाता है कि वे शत्रु की वाणी को नियंत्रित कर सकती हैं।

बगलामुखी साधना का महत्व
बगलामुखी साधना कोई सामान्य पूजा नहीं है, यह एक तांत्रिक साधना है। यह जीवन के विभिन्न संकटों– जैसे शत्रु बाधा, मुकदमा, मानसिक तनाव, तंत्र बाधा, राजकीय परेशानी, धन हानि, आदि से मुक्ति दिला सकती है। यह साधना केवल बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक शत्रुओं– जैसे भय, मोह, लोभ, क्रोध, और असमंजस को भी समाप्त करती है।

बगलामुखी मंत्र और उनके प्रयोग
1. बीज मंत्र (Beej Mantra)
“ॐ ह्लीं”
यह मंत्र अत्यंत संक्षिप्त और शक्तिशाली है। इसका उच्चारण साधक के भीतर ऊर्जा और मानसिक शक्ति का संचार करता है। यह मंत्र तंत्र बाधाओं को समाप्त करता है। इस मंत्र का नियमित जाप करने से भूत प्रेत बाधाएं भी दूर हो जाती हैं।

2. मूल मंत्र (Mool Mantra)
“ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा”
इस मंत्र का जाप विशेष रूप से शत्रु की गतिविधियों को रोकने, मुकदमे में सफलता पाने और किसी व्यक्ति की हानिकारक योजना को निष्क्रिय करने के लिए किया जाता है।

3. स्तोत्र मंत्र (Stotra Mantra)
“ॐ ऐं ह्लीं क्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय कीटं मूषकं चूर्णय चूर्णय मारय मारय शोषय शोषय मंथय मंथय उद्पाटय उद्पाटय ह्लीं ऐं क्लीं ॐ फट्।”
यह मंत्र अधिक उग्र है और गूढ़ साधना के लिए प्रयोग होता है। इसे केवल गुरु के निर्देश से ही किया जाना चाहिए। इस मंत्र के प्रयोग में छोटी सी त्रुटि भी साधक पर भारी पड़ सकती है।

साधना की विधि (Baglamukhi Sadhana Vidhi)
सामग्री:
• पीला वस्त्र और पीला आसन
• हल्दी की माला
• पीले फूल
• पीले फल और मिठाई
• कनेर का पुष्प, हल्दी की गांठ
• बगलामुखी यंत्र (यदि हो सके)
• पूजा थाली, दीपक, धूपबत्ती
पूजा विधि:
1. स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें और पूजा स्थान को शुद्ध करें।
2. पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
3. देवी की प्रतिमा या चित्र की स्थापना करें।
4. “ॐ ह्लीं” मंत्र से ध्यान करें।
5. पंचोपचार पूजा करें – गंध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
6. हल्दी माला से कम से कम 108 बार मूल मंत्र का जाप करें।
7. प्रार्थना करें और देवी से अपनी समस्या के समाधान की प्रार्थना करें।

बगलामुखी हवन विधि (Baglamukhi Havan Vidhi)
हवन बगलामुखी पूजा का एक शक्तिशाली भाग है, जो मानसिक, आध्यात्मिक एवं भौतिक लाभ देता है। यह हवन किसी विद्वान के मार्गदर्शन में ही किया जाना चाहिए।
1. हवन कुंड में अग्नि प्रज्वलित करें।
2. पूजा कर अग्नि देवता को प्रणाम करें।
3. “ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां…” मंत्र से आहुतियां दें।
4. कम से कम 108 आहुतियां दें। साधना में 1,250 या 10,000 आहुतियां भी दी जाती हैं।
5. अंत में पूर्णाहुति दें और हवन समाप्त करें।

बगलामुखी साधना और हवन से होने वाले लाभ
1. शत्रु नियंत्रण और विजय:
बगलामुखी साधना शत्रुओं की बुद्धि, वाणी और चालों को स्तम्भित करती है। व्यक्ति को अपने विरोधियों से राहत मिलती है।

2. न्यायिक मामलों में सफलता:
कानूनी मुकदमों, कोर्ट केस, झूठे आरोपों और पुलिस केस में देवी की साधना अत्यंत उपयोगी होती है। हवन से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिससे निर्णय अपने पक्ष में आता है।

3. मानसिक स्थिरता और आत्मबल:
देवी की साधना से चित्त स्थिर होता है। मानसिक तनाव, भ्रम, और निर्णय लेने में असमर्थता समाप्त होती है।

4. तंत्र, नजर, और ऊपरी बाधा से रक्षा:
बगलामुखी देवी की पूजा और हवन तांत्रिक शक्तियों से रक्षा करती है। यदि किसी ने बुरा तंत्र प्रयोग किया हो, तो वह निष्क्रिय हो जाता है।

5. वाणी और भाषण में शक्ति:
इस साधना से वाणी में प्रभाव आता है। यह नेताओं, वकीलों, शिक्षकों, वक्ताओं आदि के लिए अत्यंत लाभकारी है।

6. व्यापार और करियर में उन्नति:
शत्रु बाधा दूर होने से व्यवसायिक एवं करियर के रास्ते साफ होते हैं। अचानक आने वाली रुकावटें समाप्त होती हैं।

7. पारिवारिक कलह का नाश:
यदि घर में आपसी मतभेद, तनाव, और पारिवारिक शत्रुता हो, तो बगलामुखी पूजा से सामंजस्य बनता है।

8. आत्मिक शक्ति और तांत्रिक सिद्धियां:
उच्च स्तर की साधना से साधक को आत्मिक बल प्राप्त होता है। वह भयमुक्त होता है, उसकी सहजता और अंतर्ज्ञान बढ़ता है।

विशेष अवसरों पर बगलामुखी पूजा
• अमावस्या: अमावस्या की रात को की गई साधना विशेष फलदायी होती है।
• गुप्त नवरात्रि: यह समय तांत्रिक साधना का उत्तम काल है।
• मंगलवार और शनिवार: यह देवी के प्रिय दिन माने जाते हैं।

सावधानियां और नियम
• साधना के समय पूर्ण ब्रह्मचर्य और संयम का पालन करें।
• बगलामुखी मंत्रों का उच्चारण शुद्धता से करें।
• देवी की साधना किसी को हानि पहुंचाने के लिए नहीं करनी चाहिए।
• गुरु के मार्गदर्शन में साधना करना अधिक उचित होता है।
• यदि हवन की विधि नहीं आती, तो सिर्फ जप भी प्रभावी हो सकता है।

बगलामुखी देवी की साधना और हवन एक अत्यंत प्रभावशाली और गहन आध्यात्मिक प्रक्रिया है। यह न केवल बाहरी शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करती है, बल्कि आंतरिक दोषों– जैसे भय, भ्रम, मानसिक अस्थिरता, निर्णयहीनता को भी दूर करती है। उचित विधि, श्रद्धा, संयम और नियमों का पालन करते हुए यदि यह साधना की जाए, तो साधक को न केवल सांसारिक लाभ, बल्कि आत्मिक उन्नति भी प्राप्त होती है।
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